कार्यपालिका और न्यायपालिका दो बहुत ही महत्वपूर्ण संस्था है, इसीलिए इसकी समझ बहुत ही जरूरी है। इस लेख में हम कार्यपालिका और न्यायपालिका (Executive and Judiciary) पर सरल और सहज चर्चा करेंगे। और जानेंगे कि इसे किस तरह से पढ़ें कि याद रहें। तो इसे अंत तक जरूर पढ़ें।

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कार्यपालिका और न्यायपालिका
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कार्यपालिका और न्यायपालिका को कैसे समझें

संविधान के हिसाब से देखें तो अनुच्छेद 52 से लेकर अनुच्छेद 237 तक केंद्र की कार्यपालिका, राज्य की कार्यपालिका, सुप्रीम कोर्ट और अन्य कोर्ट तथा संसद और राज्य विधानमंडल की चर्चा की गयी है।

मोटे तौर पर कहें तो इसमें अनुच्छेद 52 से लेकर अनुच्छेद 151 तक केंद्र के कार्यपालिका और न्यायपालिका की चर्चा है। वहीं अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक राज्य के कार्यपालिका और न्यायपालिका की चर्चा है।

हम इसे समझने में गलती ये करते हैं कि पहले केंद्र की कार्यपालिका, संसद, न्यायालय आदि को पढ़ लेते हैं, फिर राज्य की पढ़ते हैं। संविधान में भी कुछ इसी तरह से लिखा हुआ है।

पर अगर हम इसे इस तरह से पढ़ें कि पहले राष्ट्रपति को पढ़ें और फिर इसके तुरंत बाद राज्यपाल को पढ़ लें तो इसे समझना काफी आसान हो जाता है।

इसीलिए हम इसे इस तरह व्यवस्थित और क्रमबद्ध तरीके से पढ़ेंगे, ताकि अनुच्छेद भी याद रहें और समझ में भी पूरी तरह से आ जाएँ। हम इसे किस तरह से पढ़ने वाले है, इसकी चर्चा आगे करते हैं। पहले कार्यपालिका और न्यायपालिका को अच्छी तरह से समझ लेते हैं।

कार्यपालिका माने क्या? (What is executive?)

कार्यपालिका का सीधा सा मतलब होता है किसी भी कार्य का पालन कराने वाला। आप घर से शुरू करें तो आप पाएंगे घर का कोई सदस्य नीति निर्धारण करता है, और पालन भी करवाता है, सभी मेम्बर उसका पालन करते हैं। आमतौर पर हम उस इंसान को गार्जियन कहते हैं।

यहीं काम देश के स्तर पर भी होता है। वहाँ भी गार्जियन भी भूमिका में कोई है, जिसे हमने खुद ही चुना है। चुने हुए इन लोगों में से जो नियम, कायदे-कानून बनाते हैं, हम उसे विधायिका (Legislature) कह देते हैं। और जो विधायिका द्वारा बनाए गए क़ानूनों को लागू करता है उसे हम कार्यपालिका (Executive) कह देते हैं।

तो कुल मिलाकर कार्यपालिका (Executive) व्यक्तियों का एक ऐसा छोटा सा समूह होता है जो कायदे कानून को लागू करता है। अब सवाल आता है कि कार्यपालिका कितने प्रकार के होते हैं। आप इस चार्ट को देख सकते हैं कि कार्यपालिका कितने प्रकार का होता है।

कार्यपालिका के प्रकार (Types of Executive)

कार्यपालिका और न्यायपालिका

हमारे देश में अध्यक्षात्मक कार्यपालिका (Presidential Executive) सिस्टम नहीं है। दरअसल इस व्यवस्था में संवैधानिक और वास्तविक कार्यपालिका और राष्ट्रप्रमुख राष्ट्रपति होता है। और विधायिका के प्रति उसकी कोई जवाबदेही नहीं होती है। उदाहरण के लिए अमेरिका।

हमारा देश अर्ध-अध्यक्षात्मक कार्यपालिका (Semi-Presidential executive) सिस्टम भी नहीं है। दरअसल इस व्यवस्था में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति दोनों को प्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है। ये व्यवस्था रूस और श्रीलंका में है।

हमारा देश संसदीय कार्यपालिका (Parliamentary executive) है। यानी कि यहाँ प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है, राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख होता है, राष्ट्रपति के पास नाममात्र की शक्तियाँ होती हैं। प्रधानमंत्री को तो प्रत्यक्ष मतदान द्वारा चुना जाता है लेकिन राष्ट्रपति को अप्रत्यक्ष मतदान द्वारा।

जैसा कि हम जानते हैं कि हम एक संघीय व्यवस्था (Federal system) वाले देश में रह रहे हैं। यानी कि यहाँ केंद्र और राज्य अपना अलग-अलग अस्तित्व रखते हैं। तो स्वाभाविक है कि दोनों की अपनी-अपनी कार्यपालिका भी होगी।

अब सवाल ये आता है कि वास्तव में सरकार में कार्यपालिका होता कौन है? एवं स्थायी कार्यपालिका (Permanent executive) क्या होता है?

कार्यपालिका कौन है? (Who is the executive?)

हम जानते हैं कि जो भी सरकार सत्ता में आती है वे लोकसभा के कुल सदस्य का 15 प्रतिशत सदस्य के साथ मंत्रिपरिषद का निर्माण कर सकती है।

ये जो मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) होता है, यही कार्यपालिका है। इस मंत्रिपरिषद में कुछ मुख्य मंत्रालय के साथ ही कई छोटे-छोटे मंत्रालय होते है। कई छोटे मंत्रालय बड़े मंत्रालय के अधीन काम करता है।

इसी मंत्रिपरिषद में से कुछ मंत्री ऐसे होते हैं जो देश के सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालय को संभालते हैं। जैसे कि रक्षा मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, गृह मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय आदि।

ये लगभग 14-15 के करीब होते हैं, और अगर कहा जाए तो यहीं मुख्य कार्यपालिका है, इसे कैबिनेट या मंत्रिमंडल कहा जाता है। और इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं। चूंकि ये सब राजनीतिक तौर-तरीके से चुने जाते हैं इसीलिए इसे राजनीतिक कार्यपालिका (Political executive) भी कहा जाता है।

◾ एक स्थायी कार्यपालिका भी होता है, जिसे हम नौकरशाह (Bureaucrat) कहते हैं। जैसे कि IAS ऑफिसर। ये लोग बैक्ग्राउण्ड में काम करते है।

सरकार द्वारा किए जाने वाले हर काम से किसी न किसी रूप से ये जुड़ा ही होता है, सच कहें तो किसी विधि विधान को जमीन पर क्रियान्वयन करने में इन नौकरशाह की बहुत बड़ी भूमिका होती है। पर चूंकि ये चुन कर नहीं आते हैं इसीलिए आम तौर पर ये गौण रहते हैं। और इसकी चर्चा कम ही होती है।

◾ संविधान के हिसाब से देखें तो आम तौर पर 5 कार्यपालिका केंद्र के स्तर पर होता है और 4 कार्यपालिका राज्य के स्तर पर होता है। ये मुख्य कार्यपालिका (Chief executive) है, इसके अलावे जो भी कार्यपालिका हैं वे इसी के अंदर आते हैं।

◾ संघ के स्तर पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उप-राष्ट्रपति, मंत्रिमण्डल और महान्यायवादी (Attorney General) होता है। इसी प्रकार राज्य के स्तर पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राज्य-मंत्रिमंडल और राज्य महाधिवक्ता (Advocate General) होता है।

कार्यपालिका को समझने का सबसे अच्छा तरीका ये है कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को समझने के तुरंत बाद राज्यपाल को समझ ले, और इसी तरह से प्रधानमंत्री को समझने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री को समझ लें।

यानी कि पहले केंद्र और फिर राज्य, पहले केंद्र और फिर राज्य। इससे समझने में आसानी होगी, क्योंकि दोनों में बहुत ज्यादा समानताएं हैं।

कार्यपालिका और न्यायपालिका के अनुच्छेद

यहाँ पर एक चार्ट दे रहे हैं जो केंद्र और राज्य कार्यपालिका और न्यायपालिका से संबन्धित अनुच्छेद हैं। हम इसी आधार पर आगे पढ़ाई करेंगे। सबका लिंक दिया हुआ है; आप इसे यहाँ से भी विजिट कर सकते हैं।

➖ केंद्र ➖
अनुच्छेद 52 से लेकर अनुच्छेद 151 तक
➖ राज्य ➖
अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक
अनुच्छेद 52 से लेकर अनुच्छेद 78 तक राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद और महान्यायवादी (Attorney General) की चर्चा है।अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 167 तक राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राज्य मंत्रिपरिषद और महाधिवक्ता (Advocate General) की चर्चा है।
अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 123 तक संसद (Parliament) की चर्चा है। अनुच्छेद 168 से लेकर अनुच्छेद 213 तक राज्य विधानमंडल (State legislature) की चर्चा है।
अनुच्छेद 124 से लेकर अनुच्छेद 147 तक उच्चतम न्यायालय की चर्चा है।अनुच्छेद 214 से लेकर 232 तक उच्च न्यायालय की चर्चा है।
अनुच्छेद 148 से लेकर अनुच्छेद 151 तक CAG यानी कि नियंत्रक और महालेखा परीक्षकअनुच्छेद 233 से लेकर अनुच्छेद 237 तक अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) की चर्चा है।
कुछ और भी अनुच्छेद है जो इससे संबन्धित है, लेकिन मुख्य अनुच्छेद यही है।

ये रहा एक स्ट्रक्चर जिसके अनुसार आप आगे के लेखों को पढ़ियेगा। यकीन मानिए जब आप इसे इसी तरह से पढ़ेंगे तो आप सबकुछ आसानी से समझते चले जाएँगे। मेरे ख्याल ये लेख बहुत बड़ा हो गया है, इसीलिए न्यायपालिका की चर्चा यहाँ उचित नहीं होगा। नीचे मैं लिंक दे रहा हूँ।

उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालय को पढ़ने से पहले ये जरूरी है कि आप भारतीय न्यायपालिका के ओवर ऑल स्ट्रक्चर को समझ जाएँ। इसीलिए न्यायपालिका के ओवर ऑल स्ट्रक्चर को जरूर समझें, यहाँ क्लिक करके उसे अभी पढ़ें।

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