इस लेख में हम एक दिलचस्प टॉपिक पर बात करेंगे, वो टॉपिक है – हनीमून पर जाने की शुरुआत कब हुई?
आप जब जानेंगे तो आपको आश्चर्य होगा कि ये आज कि बात नहीं है बल्कि प्राचीन समय से इसकी शुरुआत हो चुकी थी, आज तो बस इसे एक नया अवतार मिला है।
हनीमून की शुरुआत कब हुई?
हनीमून नवविवाहितों द्वारा उनकी शादी के तुरंत बाद, उनकी शादी का जश्न मनाने के लिए लिया जाने वाला अवकाश है। इसमें हनी का अर्थ मधुरता से और मून का अर्थ प्रेम के प्रतीक से है।
शब्द ‘हनीमून’ का पहली बार इस्तेमाल 16वीं सदी में रिचर्ड हयूलोट ने किया था। लेकिन कुछ बुद्धिजीवियों का कहना है कि यह शब्द 4,000 साल पहले बेबीलोन में उत्पन्न हुआ था।
जहां विवाहित जोड़ा विवाह के बाद एक खास तरह का शर्बत पीता था, जिसे हनी बीयर कहा जाता था, और इसी दौरान दोनों पक्षों का परिचय अपने नए संबंधियों से होता था।
और जिस महीने में ये शादी का आयोजन किया जाता था उसे हनी महीना (honey month) कहा जाता था। जिसे बाद में चलकर यूरोपीय लोगों द्वारा हनीमून कहा जाने लगा।
हालांकि पहले शादी के उपरांत बाहर किसी टुरिस्ट डेस्टिनेशन पर ले जाने की प्रथा बहुत ही सीमित थी। ज़्यादातर लोग इस व्यवस्था को घर पर ही क्रियान्वित करते थे।
पर जैसे ही देश राज-राजवारों से मुक्त होने लगी और देश उदारीकरण की व्यवस्था को अपनाने लगी, तो अर्थव्यवस्थाएं खुली और अब आम लोगों के पास भी भरपूर मात्रा में पैसा आना शुरू हुआ.
तो इससे हुआ ये कि लोगों की इच्छाएं बढ़नी शुरू हुई, और ये व्यवस्था एक नए रूप में सामने आया। जहां अगर आप शिमला, मनाली और स्विट्ज़रलैंड जैसी जगहों पर नहीं गए तो इसका मतलब आपने ठीक से हनीमून नहीं मनाया।
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