समालोचना और समीक्षा जैसे शब्दों का इस्तेमाल सिविल सिर्विसेस के लिखित परीक्षाओं के प्रश्नों में बहुत देखने को मिलता है, इसीलिए ये शब्द आमतौर पर चर्चा में बना रहता है।

इस लेख में हम समालोचना और समीक्षा (Criticism and Review) पर सरल एवं संक्षिप्त चर्चा करेंगे एवं इसके मध्य के अंतर को जानने की कोशिश करेंगे, तो लेख को अंत तक जरूर पढ़ें;

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समालोचना और समीक्षा
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| समालोचना (Criticism)

◼️ आलोचना और समालोचना का इंग्लिश पर्याय देखें तो दोनों के लिए आपको Criticism शब्द मिल जाएगा। पर हिन्दी में दोनों में कुछ मूलभूत अंतर है जो कि नाम से ही कुछ-कुछ स्पष्ट होने लगता है। समालोचना को जानने से पहले जरूरी है कि पहले आलोचना को समझ लें।

◼️ आलोचना; असहमति व्यक्त करते हुए किसी के विचारों में दोष निकाल कर उसका विरोध करना, या निंदा करना है। एक प्रकार से देखें तो ये किसी चीज़ की खामियाँ या दोष ढूँढना ही है, पर ये तार्किक आधार पर की जाती है। जैसे- विधानसभा मे विपक्षी दलों ने सरकार के प्रस्ताव की कड़ी निंदा की और उसका विरोध भी किया।

◼️ बहुत से लोग तो ये भी कहते हैं कि – किसी चीज़ में क्या मिसिंग है, उसे ढूंढो और उसमें तर्क का तड़का लगाकर गर्मा-गर्म परोस दो, आपका आलोचना तैयार है।

◼️ समालोचना, जैसा कि ये नाम से ही स्पष्ट है, किसी चीज़ को अच्छी तरह और बरोबर देखना तथा ध्यानपूर्वक उस पर विचार करना। इसमें निंदा का भाव कम तथा बरोबर मूल्यांकन का भाव अधिक होता है।

इस तरह से देखें तो समालोचना का उद्देश्य प्रशंसा अथवा निंदा करना न होकर सम्बद्ध कृति का ठीक-ठीक मूल्यांकन कर उस पर अपने मन्तव्य को दृढ़तापूर्वक और प्रमाण के साथ प्रस्तुत करना है।

◼️ सूक्ष्म विश्लेषण और तर्कपूर्ण विवेचन समालोचना की विशेषता है। उत्कृष्ट समालोचना वह है, जिसमें लोक कल्याण की भावना हो, जिसका आधार नैतिकतावादी मूल्य हो और जो आदर्शवाद की मज़बूत बुनियाद पर खड़ी हो।

◼️ जैसे ही समालोचना में द्वेष, पक्षपात अथवा निंदा का भाव प्रधान होने लगता है; यह अपने ध्येय से भटक जाती है।

◼️ हिन्दी में समालोचना का प्रारम्भ भारतेन्दु युग से माना जाता है। इसके विकास में पत्र पत्रिकाओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही है, क्योंकि इन्ही के माध्यम से पाठकों को समालोचनात्मक निबंध पढ़ने का अवसर मिला।

समालोचना और समीक्षा में अंतर क्या है? - [Key Difference] WonderHindi.Com

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| समीक्षा (Review)

◼️ समीक्षा का अर्थ अच्छी तरह देखना है। इसमें छानबीन, जांच पड़ताल और परीक्षण करने का भाव समाहित है; जैसे – आपके मामले की समीक्षा के बाद ही कोई निर्णय लेना संभव होगा।

दूसरे शब्दों में कहें तो जो जैसा है, अच्छी तरह से जांच-पड़ताल, परीक्षण आदि करने के बाद उसे उसी तरह प्रस्तुत करना समीक्षा है। इसमें अपनी तरफ से ज्यादा कुछ कहने की गुंजाइश नहीं होती है, जिसमें जो है, गुण हो, दोष हो, अच्छाइयाँ हो, खामियाँ हो, उसे उसमें से निचोड़ कर प्रस्तुत करना समीक्षा है।

किसी महत्वपूर्ण बात, वस्तु या घटना का विवरण प्रस्तुत करना भी उसकी समीक्षा है, इसका एक अर्थ- ग्रन्थों, लेखों आदि के गुण दोषों का विवेचन भी है; जैसे- पुस्तक समीक्षा।

समालोचना और समीक्षा में कुल मिलाकर अंतर

◼️ कुल मिलाकर देखें तो इन दोनों में फर्क यह है की समीक्षा में निजी मन्तव्य प्रकट करने या टीका टिप्पणी करने की गुंजाइश समालोचना के समान नहीं होती।

◼️ समालोचना को समीक्षा का अंग कहा जा सकता है, क्योंकि समीक्षा में समालोचना शामिल है, लेकिन समालोचना में समीक्षा शामिल नहीं है। 

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