Rail Yatra: A different dimension

भारतीय रेल यात्रा(Rail Yatra) न केवल हमें अपने गंतव्य तक पहुँचाती है बल्कि हमें एक नई दुनिया की सैर भी कराती है।  

 एक ऐसी दुनिया जो हमें एहसास दिलाती है कि हम कितने उदार प्रवृत्ति के लोग हैं भारत उदारवादी अर्थव्यवस्था है और रेल यात्रा हमें हमारी उदारता के प्रति अवगत कराता है

जब हम वहां बिक रहे चीजों के अंकित मूल्य से भी अधिक कीमत चुकाते हैं और जाने-अनजाने में, थोड़ी सी शिकन भरी मुस्कुराहट के साथ अपनी उदारता को उजागर करते हैं। 

एक ऐसी दुनिया जो हमें कई विलक्षण इंसानी प्रतिभा से रूबरू होने का अवसर प्रदान करती है जो हमें सिखाती है कि किस तरह हम अपने बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल करते हुए छोटी से छोटी जगहों का सार्थक इस्तेमाल कर सकते हैं और

बकायदे हम कुछ यात्रियों को इस कला को और निखारने के मकसद से अभ्यास करते हुए भी देखते हैं जो गुटखा, खैनी, सिगरेट, बिस्कुट, कुरकुरे आदि खाने के बाद उसके प्लास्टिक को कंपार्टमेंट में दिख रही खाँचो में बड़े ही सलीके से एडजस्ट कर देते हैं। 

यह हमारे स्वच्छ भारत के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता हैं जो यह बताता है कि खाने के बाद कचड़े को ज़मीन पर नहीं फेंकना चाहिए। 

ये दुनिया हमें मूल इंसानी स्वभाव से रूबरू कराती है जो की है – समानता !
यहाँ छोटे बड़े सभी एक समान होते है। यहाँ हमें अपना शिष्टाचार दिखाते हुए अपनों से बड़ों के लिए अपने सीट से उठने की कोई बाध्यता नहीं रहती क्योंकि

शायद हम यह जान रहे होते है कि यहाँ का फर्श भी एक सीट है। और इस प्रकार हम समानता जैसे लोकतांत्रिक मूल्यों को एक नए संदर्भ में जान पाते हैं।  

  यहाँ हम जाति, धर्म, लिंग और समुदाय से ऊपर उठकर सोचते हैं। तभी तो किन्नरों को पूरे देश में सबसे ज्यादा रिस्पेक्ट रेल यात्रा के दौरान ही मिलती है

जहाँ हम उसके ताली बजाने के प्रतिभा से प्रभावित होकर पारितोषिक के रूप में कम से कम 10 रूपये तो दे ही देते हैं,

हाँ, वो  बात अलग है कि हम उसके गाली सुनने के बाद और भी ज्यादा प्रभावित होते हैं।

रेल यात्रा(Rail Yatra) के इस दुनिया में ज़्यों-ज्यों हमारी यात्रा प्रगति करती जाती है त्यों-त्यों हम इस दुनिया को और भी समझते जाते हैं। 

 देश में कितना कुछ कितना बुरा हो रहा है, सही मायनों में सरकार को कौन सी कानून बनानी चाहिए और किस कानून में संशोधन किया जाना चाहिए,

किस खिलाड़ी को किस तरह से खेलना चाहिए, भारत को युद्ध कब लड़ना चाहिए आदि जैसे गंभीर मुद्दों पर सही जानकारी  हमें यहीं यात्रा के दौरान कुछ अति-संवेदनशील बुद्धिजीवी यात्रियों में चल रहे अति-सार्थक डिबेटों से पता चलता है।

कई बार तो सरकार तक यहीं से बदल दिया जाता है।

भारतीय रेल यात्रा(Rail Yatra) रूपी इस दुनिया में हम एक साथ ज़िंदगी के कई आयामों को महसूस कर पाते है –

ऊपरी बर्थ पर किसी नौजवान को अपनी प्रेमिका से फोन आधारित प्रेमालाप में मग्न देखते है जो यात्रा के दौरान न जाने कब रिश्तों की गहराई में उतार जाते है और अपने प्रेम भरी बातों से उस बर्थ को भी प्रेममय कर देते है।

पायदान पर खड़े गुटखा थूकते हुए उस दोटकिए स्वघोषित हीरो को देखते हैं जिसे ट्रेन शायद एक विलेन नजर आता है और उसके हाव-भाव मानों कह रहा हो कि हम किसी से कम नहीं ॥

अलग-अलग जगहों से आए हुए महिलाओं को देखते है जो कुछ देर पहले तक एक दूसरे से अंजान नजर आ रहे होते है ।

ट्रेन के मंजिल तक पहुँचते-पहुँचते एक दूसरे को जान-पहचान रहे होते है । कई बार तो ये जान पहचान रिश्तेदारी में भी बादल जाती है । ये महिलाएं “पूरा भारत एक परिवार है। ” इस कथन को सत्य करते हुए प्रतीत होते है । 

शांति किसी खास जगह की मोहताज नहीं, इस बात का प्रमाण भी हमें इस यात्रा के दौरान मिलता है। मुझे याद है, मैं ऊपरी बर्थ पर अर्धरात्रि के समय, ट्रेन की खिड़कियाँ खुली होने के कारण, बाहर से बहुत ज्यादा तेज आवाज आ रही थी तो  मेरा ध्यान वही था और मैं सो नहीं पा रहा था ।

ये सोचकर कि खिड़कियाँ बंद होने से शायद आवाज़ कम आएँगी और मैं थोड़ी देर सो जाऊँगा, नीचे सो रहे यात्री से मैंने कहा – क्या आपको कुछ सुनाई नहीं दे रहा है। क्या बोल रहे हो समझ में नहीं आया, थोड़ा जोर से बोलो- उसने कहा ।

क्या आपको तेज आवाजें सुनाई नहीं दे रही है – मैंने फिर से कहा । नहीं भाई मुझे तो कुछ सुनाई नहीं दे रहा – उधर से आवाज आयी ।

थोड़ी ही देर बाद मैंने पूरे कंपार्ट्मेंट के यात्री को सोते हुए देखा। शोर-शराबों में भी शांति ढूँढने कि हमारी ये मनोस्थिति, विपरीत परिस्थितियों में भी हमें जीने की सीख दे जाती है।

थोड़ी देर के लिए ही सही पर रेल यात्रा हमें हमारी ज़िंदगी का असली मकसद बता जाती है कि किस तरह ट्रेन के किसी कंपार्ट्मेंट का कोई बर्थ पूरी यात्रा के दौरान हमारे घर की तरह होता है।

वहाँ हम जीते है वहाँ चल रहे सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक क्रियाकलापों में भाग लेते है। बहुतों कुछ को वैचारिक स्तर पर बदलाव करते हुए यात्रा करते जाते हैं।

और फिर एक समय आता है…….. और यात्रा खत्म …….!

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इंटरनेट आलदिन के चिराग की तरह है। इसे घसों तो कई सर्च इंजन जैसे जिन्न निकलते है और उसे आप जो कहो तुरंत हाजिर कर देता है।

फिर भी ये दुनिया इतनी बड़ी है कि इसके सारी चीजों को एक्सप्लोर करना नामुमकिन सा हो जाता है।

तो आज हम बात बात करने वाले है कुछ ऐसे ही यूनिक वेबसाइट के बारे जिसके बारे में आम तौर पर लोगों को पता नहीं होता है।

जहां इसमें से कुछ बड़े ही काम का है वहीं कुछ बहुत ही मजेदार ! तो आइये एक – एक कर के सारे वेबसाइटों के बारे में जानते हैं। click here