इस लेख में हम हत्या और वध पर सरल और संक्षिप्त चर्चा करेंगे, एवं इसके मध्य अंतर जानने का प्रयास करेंगे, तो लेख को अंत तक जरूर पढ़ें;

अक्सर लोग हत्या और वध का प्रयोग एक जैसे करते नज़र आ जाते हैं पर इन दोनों में कुछ सूक्ष्म अंतर है। क्या है आइये जानते हैं, पर उससे पहले हमारे फ़ेसबुक पेज़ को लाइक अवश्य कर लें।

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हत्या और वध

हत्या और वध

सेना के किसी जवान के बारे में सोचिए जिसने कि सीमा पर दुश्मन देश के किसी व्यक्ति को गोली मारकर मौत की नींद सुला दी। एक पुलिस के बारे में सोचिए जिसने कि सार्वजनिक नियम एवं व्यवस्था को बनाए रखने के लिए किसी आम आदमी को मार दिया। या फिर एक न्यायाधीश के बारे में सोचिए जिसने कि किसी अपराधी को फांसी की सजा सुनायी और एक जल्लाद द्वारा वो मारा गया।

इन सभी उदाहरणों को देखें तो सभी मामलों में किसी न किसी व्यक्ति की किसी न किसी तरह से मौत हो रही है। लेकिन यहाँ दिलचस्प बात ये है कि हम ये नहीं कहते हैं कि सेना के जवान ने एक व्यक्ति की हत्या कर दी या फिर एक पुलिस के जवान ने एक व्यक्ति की हत्या कर दी या फिर एक न्यायाधीश ने एक व्यक्ति की हत्या कर दी।

कहने का अर्थ ये है कि उन मौत के पीछे के वजहों या भावनाओं आदि के आधार पर हम तय करते हैं कि कोई कृत्य हत्या है या नहीं। इसका ये मतलब नहीं है कि अगर हम किसी को हत्या नहीं मान रहे हैं तो उसे वध कहा जाएगा। वध भी जान लेने के पीछे के किसी खास तरह की भावना को प्रतिबिंवित करता है। आमतौर पर “वध” नेक इरादों के लिए या मानवता की रक्षा के लिए किसी व्यक्ति की जान लेने के पीछे की भावना को दिखाता है। आइये इसे थोड़ा विस्तार से समझते हैं।

| हत्या मतलब क्या?

हत्या किसी को जान से मार डालने की क्रिया है। मतलब ये कि जाने-अनजाने किसी पर ऐसा प्रहार करना जिससे की उसकी मौत हो जाये तो उसे हत्या कहा जाता है। 

यह दो प्रकार की होती है। पहली किस्म की हत्या वह है, जो अनजाने में हो जाती है मतलब जान लेने का कोई इरादा नहीं होता पर फिर भी हो जाता है इसीलिए इसे  गैर-इरादतन हत्या (culpable homicide) भी कहा जाता है। जैसे कि दुर्घटना में किसी के द्वारा किसी का जान चला जाना। 

दूसरी किस्म की हत्या जान-बूझकर की जाती है। कोई-कोई खुद को गोली मारकर, ट्रेन के आगे या छत  से कूद कर, फांसी लगा कर, डूब कर, आग लगा कर, जहर खाकर या इसी प्रकार के अन्य उपायों से अपनी हत्या खुद कर लेता है। 

इस प्रकार की खुद की हत्या आत्महत्या (suicide) कहलाती है। इसी प्रकार गर्भस्थ शिशु की हत्या भ्रूणहत्या (feticide) कहलाती है।

धार्मिक ग्रन्थों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार हत्या को पाप माना जाता है।  अगर बात कानून की करें तो, कानून की दृष्टि से भी हत्या दंडनीय अपराध है, जिसके लिए तो फांसी की सजा तक  मुकरर्र है। 

पर कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां हत्या करना आपकी शौर्य और वीरता को दर्शाता है। जैसे – युद्ध क्षेत्र में शत्रुओं की हत्या करना वीरता का सूचक माना जाता है। और इसके लिए बाक़ायदे मेडल भी मिलते है । 

लाक्षणिक प्रयोग में हत्या का इस्तेमाल किया जाता है जैसे- आशा, आकांक्षा, न्याय, सत्य, सिद्धांत, ईमान आदि की हत्या । 

| वध मतलब क्या?

वध का अर्थ भी किसी का कत्ल करना, विनाश करना आदि ही होता है। पर इसमें चोट पहुंचा कर हत्या करने का भाव होता है, जान-बूझकर, सोच-विचारकर, योजना के साथ हत्या करने का भाव होता है। [इसका ये मतलब नहीं है कि हत्या सोच-विचारकर नहीं हो सकता है]

इसमें जान लेने वाला पक्ष, जिसकी जान जा रही है उससे अपेक्षाकृत शक्तिशाली होता है। मतलब ये कि जिसका वध किया जाता है वे अपनी रक्षा करने में असमर्थ रहने के कारण विरोध नहीं कर पाता। [हत्या के मामले में भी ऐसा हो सकता है पर वध के मामले में ये आम है]

जैसे कि –  वधशाला, कसाईखाना, स्लौटर हाउस, बूचड़खाना आदि जहां मनुष्यों, पशुओं आदि का वध किया जाता है वहाँ एक पक्ष तो शक्तिशाली और निर्दय होता है वही दूसरा पक्ष असहाय होता और अपनी हत्या रोकने में असमर्थ होता है। 

इसमें क्रूरता और निर्दयता शामिल होता है। आतताईयों को समाप्त करने के लिए भी वध किया जाता है और शौर्य प्रदर्शन के लिए भी ; जैसे- शिशुपाल वध, कंस वध और जयद्रत वध। 

तो कुल मिलाकर देखें तो ये दोनों ही शब्द जीवन का अंत होने का सूचक है। लेकिन इन दोनों में फर्क यह है कि हत्या अनजाने में भी हो सकती है, जबकि वध सदैव जानकारी के साथ किया जाता है। 

हत्या  छिप[ कर की जा सकती है, जबकि वध खुले आम होता है। हत्यारा अपने को छीपाने के लिए फरार हो जाता है, जबकि वधिक के लिए ऐसी कोई मजबूरी नहीं होती। वध आधिकारिक रूप से होता रहा है। 

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