निवेदन और प्रार्थना; दोनों शब्दों के अगर अर्थों पर गौर करें तो मुख्य अंतर स्पष्ट हो जाता है। फिर भी इसके कई अन्य पहलू भी है जिसे जानना जरूरी है।

इस लेख में हम निवेदन और प्रार्थना पर सरल और सहज चर्चा करेंगे एवं इसके बीच के सूक्ष्म अंतर को जानेंगे, तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

📌 Join YouTube📌 Join FB Group
📌 Join Telegram📥 PDF
निवेदन और प्रार्थना

| निवेदन (Request)

◼️ किसी बात को नम्रतापूर्वक कहना अथवा शालिन ढंग से बतलाना निवेदन करना है। अपने से बड़े या फिर श्रेष्ठ-जनों से के समक्ष जब अपना विचार अथवा सुझाव रखना हो या फिर उनसे कुछ काम करवाना हो तो हम उनसे निवेदन करते हैं।

◼️ इसमें विनम्रता, आग्रह और समर्पण का भाव होता है। इसीलिए निवेदन पत्र को ‘लेटर ऑफ रिक्वेस्ट’ भी कहा जाता है। जैसे- इस स्थिति के संबंध में कलेक्टर साहब से निवेदन कर दिये है अब देखिये क्या होता है, वे जैसा उचित समझेंगे, करेंगे !!

◼️ निवेदन से ही नैवेद्य बना है। जिसमें अर्पण करनेवाला भाव प्रधान होता है। दरअसल नैवेद्य उन स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों को कहा जाता है, जो देवी-देवताओं के समक्ष उनके भोग के लिए रखे जाते हैं।

निवेदन और प्रार्थना में अंतर क्या है? - [Key Difference] WonderHindi.Com

Please Subscribe Our Channel

| प्रार्थना (Prayer)

◼️ प्रार्थना का मुख्य अर्थ होता है अपने लिए कुछ माँगना या याचना करना । अपने हित साधने के उद्देश्य से बड़े ही विनम्रता पूर्वक किसी से कुछ कहना प्रार्थना है।

◼️ ईश्वर या देवी- देवताओं से स्वयं के लिए, अपने परिजनों के लिए अथवा सभी के कल्याण के लिए श्रद्धा और भक्ति के साथ की गयी याचना प्रार्थना है।

◼️ प्रार्थना उच्च अधिकारियों, देवी-देवताओं अथवा समाज के महान और क्षेष्ट व्यक्तियों से की जाती है। कोर्ट में मुकदमे को प्रारम्भ करने के लिए न्यायालय से किया जाने वाला लिखित अनुरोध भी प्रार्थना है।

◼️ प्रार्थना समान्यतः दो प्रकार की होती है, जो निम्नलिखित है।

1. स्तुति – इसमें प्रार्थना करने वाले, जिससे प्रार्थना कर रहें है उसके सद्गुणों का गुणगान करते है और तारीफ़ों के पूल बांधते है। ताकि वे इससे अभिभूत होकर हम पर कृपा करें।

जैसे कि – कैलाश पर्वत पर विराजमान हे देवों के देव महादेव, नीलकंठ, बागम्बर धारी, पार्वती के प्रिय पति, त्रिशूल धारी, सबके दुखों को पार लगाने वाले हे भोलेनाथ………………..! 

2. याचना– इसमें याचक बन कर प्रभु से प्रार्थना की जाती है कि हे प्रभु ! मुझे मेरी अपक्षाओं के अनुरूप फल प्रदान करें । 

निवेदन और प्रार्थना में कुल मिलाकर अंतर

◼️ निवेदन मे समर्पण के भाव की प्रधानता है और प्रार्थना में श्रद्धा, भक्ति और याचना के भाव की। भगवान से निवेदन नहीं प्रार्थना की जाती है, जबकि मंच पर किसी नेता को भाषण देने के लिए आमंत्रित करते समय निवेदन किया जाता है, प्रार्थना नहीं की जाती ।

◼️ निवेदन करनेवाला व्यक्ति अपने को छोटा दिखते हुए निवेदन करता है, जबकि प्रार्थना करनेवाले को अपने को और भी छोटा दिखाना पड़ता है।

◼️◼️◼️◼️

संबंधित अन्य लेख

चेतावनी और धमकी में अंतर
साधारण और सामान्य में अंतर
अवस्था और आयु में अंतर
लॉकडाउन और कर्फ़्यू में अंतर
चिपकना और सटना में अंतर
समालोचना और समीक्षा में अंतर
अद्भुत और विचित्र में अंतर
विश्वास और भरोसा में अंतर
नाम और उपनाम में अंतर
ईर्ष्या और द्वेष में अंतर
हत्या और वध में मुख्य अंतर
ज्ञापन और अधिसूचना में अंतर 
शासन और प्रशासन में अंतर