इस लेख में हम प्लास्टिक (Plastic) पर सरल एवं सहज चर्चा करेंगे और इससे संबन्धित कुछ दिलचस्प तथ्यों पर गौर करेंगे, तो आप इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

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plastic

प्लास्टिक क्या है ?

प्लास्टिक, सिंथेटिक पॉलिमर (synthetic polymers) या अर्ध-सिंथेटिक पॉलिमर (Semi-synthetic polymer) से बना एक पदार्थ है, जो कि लचीला होता है और इसमें किसी भी आकार में ढल जाने की क्षमता होती है।

इसके अलावा इसका घनत्व कम (low density) होता है, विद्युत चालकता कम (low electrical conductivity) होती है और ये काफी हल्का एवं मजबूत होता है।

उदाहरण के लिए,

  • कोल्ड ड्रिंक्स की बोतलें जो कि polyethylene terephthalate (PET) की बनी होती है।
  • घरों में इस्तेमाल होने वाली लचीली पाइप Polyvinyl Chloride (PVC) की बनी होती है।
  • Insulating Food Container यानी कि energy संचालन को रोकने वाला कंटेनर Foamed Polystyrene की बनी होती है। और,
  • Shatterproof windows, Polymethyl Methacrylate (PMMC) की बनी होती है।

ये तो हो गई इसकी प्रस्तावना, आइये अब थोड़े विस्तार से इसे समझते हैं;

सिंथेटिक पॉलिमर क्या है?

सिंथेटिक पॉलिमर का आशय मानव निर्मित पॉलिमर से होता है, जो कि आमतौर पर पेट्रोलियम तेल से प्राप्त होता है।

ज़्यादातर प्लास्टिक में कार्बनिक या Organic पॉलिमर होते हैं। Organic Polymer का मतलब ऐसे polymer से है जिसमें Carbon मौजूद होता है। या यूं कहें कि ओर्गेनिक पॉलिमर कार्बन परमाणुओं (carbon atoms) की एक लंबी शृंखला से बनी होती है। जिसमें अन्य तत्वों का परमाणु भी सम्मिलित हो सकता है जैसे कि ऑक्सिजन, सल्फर, नाइट्रोजन इत्यादि।

प्रत्येक पॉलिमर श्रृंखला (polymer chain) में हजारों दोहराई जाने वाली इकाइयाँ होती हैं। इस शृंखला का एक मुख्य भाग होता है जो अन्य इकाइयों को एक साथ जोड़ता है, इसे Backbone यानी कि Main Chain कहा जाता है। इस Backbone से जुड़ने वाले अन्य इकाइयों को Side Chain या उप-शृंखला कहा जाता है।

पॉलिमर किसे कहते है?

पॉलिमर (Polymer), ग्रीक शब्द से निकला है जिसका मतलब होता है, ‘बहुत सारे भाग‘ यानी कि Many Parts। दरअसल पॉलिमर बहुत सारे अणुओं (Molecules) या अपेक्षाकृत बड़े अणुओं (Macro-Molecules) से बना होता है, और जो कि एक के बाद एक repeat होता है। इसे बिल्कुल वैसे ही समझा जा सकता है, जैसे कि मोतियों की माला में मोती एक के बाद एक repeat होकर एक chain या माला का निर्माण करती है।

> यहाँ पर ये याद रखिए कि ये मैक्रो-मॉलिक्यूल्स है न कि माइक्रो (micro)। मैक्रो मॉलिक्यूल्स का आशय बहुत ही ज्यादा मात्रा में मॉलिक्यूल्स का आपस में गुथा हुआ होने से या बंधन में बंधे होने से है। जैसे कि प्रोटीन भी एक मैक्रो मॉलिक्यूल्स है।

~ पॉलिमर, सिंथेटिक यानी कि मानव-निर्मित भी हो सकता है, और प्राकृतिक भी। प्राकृतिक पॉलिमर को Biopolymer कहा जाता है जैसे कि DNA और Protein। इसके अलावा भी ढेरों पॉलिमर प्राकृतिक तौर पर मिलते हैं जैसे कि, ऊन (wool), रबर, सिल्क, भांग (hemp) एवं सेल्यूलोज़ (cellulose) इत्यादि।

सिंथेटिक पॉलिमर की बात करें तो Broad टर्म में इसे प्लास्टिक ही कहा जाता है पर इसके कई किस्में प्रचलित है, जैसे कि Polyethylene (इसे ही हम Polythene कहते हैं),  Polystyrene, Polyvinyl Chloride (ये PVC के नाम से बाज़ार में प्रचलित है) , Synthetic Rubber,  Bakelite, Nylon, Poly-acrylonitrile (ये Acrylic के नाम से बाज़ार में प्रचलित है) और Silicone इत्यादि।

प्लास्टिक का वर्गीकरण

Backbone और side chain के रासायनिक संरचना के आधार पर इसे निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत किया जाता है; यानी कि इसके तहत आने वाले सभी प्लास्टिक का Backbone यानी कि main Chain एक ही तरह का होता है। उदाहरण के लिए;

Acrylics – यह एक सिंथेटिक पॉलिमर से बनता है जिसे कि acrylonitrile कहा जाता है। और ये acrylonitrile पैट्रोलियम या कोयला आधारित chemical से बनता है। ये सब से ज्यादा Acrylic paint के रूप में बाज़ार में फ़ेमस है। जिसे कि प्लास्टिक paint भी कहा जाता है।

Polyesters – इसके तहत आने वाला सबसे जाना-पहचाना नाम Polyethylene Terephthalate (PET) है। ये क्या है, इसे आगे अच्छे से समझाया गया है। वैसे polyester के तहत आने वाले ढेरों उत्पादों का इस्तेमाल हम आम-जीवन में करते हैं जैसे कि कपड़े, रस्सियाँ इत्यादि।

[यहाँ से याद रखिये कि polyester में प्राकृतिक तौर पर पाये जाने वाले केमिकल भी हो सकते हैं और मानव-निर्मित केमिकल भी। जिस polyester में प्राकृतिक chemical की अधिकता होती है वो biodegradable होता है।

जिसे हम कपड़े के रूप में इस्तेमाल करते हैं वो आमतौर पर मानव-निर्मित chemical से बनता है जिसे Synthetic Polyester कहा जाता है।]

Silicones – ये आम तौर पर रंगहीन तेल या रबर जैसे पदार्थ होता है। सिलिकॉन्स का उपयोग sealant (यानी कि हवा एवं पानी के बहाव को रोकने के लिए), चिपकने वाले पदार्थ बनाने के लिए (जैसे कि Fevicol), lubricant यानी कि घर्षण को कम करने के लिए, दवा (जैसे कि कैप्सुल बनाने के लिए), थर्मल इन्सुलेशन और विद्युत इन्सुलेशन आदि में किया जाता है।

Polyurethanes – इसे PU भी कहा जाता है। यह कार्बामेट (यानी कि urethane) लिंक से जुड़े कार्बनिक इकाइयों से बने पॉलिमर के एक वर्ग को संदर्भित करता है। यह कोई अलग चीज नहीं है बल्कि पॉलिमर का एक विशिष्ट वर्ग है जो अपनी संरचना और भौतिक गुणों के कारण सामान्य जीवन का एक हिस्सा बन गया है। ये थर्मोसेट्स (Thermosets) की श्रेणी में आता है।

इसकी विशेषता इसका लचिलापन, अपेक्षाकृत हल्कापन, मजबूती और Spongeness हैं। उदाहरण के लिए बर्तन माँजने के लिए इस्तेमाल में आने वाला स्पोंज को ले सकते हैं। साथ ही जूते के सोल और शरीर के हिसाब से एडजस्ट हो जाने वाले कपड़े (spandex) भी इससे बनाये जाते हैं।

उपयोगिता के दृष्टिकोण से इन्हे निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है;

थर्मोप्लास्टिक्स (thermoplastics) – इसे Thermosoft Plastic भी कहा जाता है; यह एक प्लास्टिक पॉलिमर है जो एक निश्चित ऊंचे तापमान पर लचीला या मोल्ड करने योग्य हो जाती है और ठंडा होने पर जम जाती है। पॉलिमर श्रृंखलाएं (polymer chains) अंतर-आणविक बलों (intermolecular forces) द्वारा संबद्ध होती हैं, जो बढ़े हुए तापमान के साथ तेजी से कमजोर हो जाती हैं, जिससे एक चिपचिपा तरल निकलता है। इस अवस्था में, थर्माप्लास्टिक को फिर से आकार दिया जा सकता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो थर्मोप्लास्टिक्स को गर्म करने पर उनकी संरचना में रासायनिक परिवर्तन नहीं होता है और इसीलिए इसे बार-बार ढाला जा सकता है। उदाहरण के लिए, Polyethylene (PE) या जिसे Polythene कहते हैं, इसके अलावा Polystyrene (PS), और Polyvinyl chloride (PVC) आदि।

यहाँ पर ये याद रखिए कि कुछ ऐसे भी पॉलिमर है जो केवल एक बार आकार ले सकता है, यानी कि उसे दोबारा पिघलाने पर किसी प्रकार का आकार लेने के बजाय वह विघटित हो जाता है। इस तरह से पॉलिमर को थर्मोसेट (Thermoset) कहा जाता है। इसका सबसे बढ़िया उदाहरण रबर को कठोर बनाने की प्रक्रिया है। Polyurethanes इसका एक अन्य उदाहरण है।

इलास्टोमर्स (elastomers) ऐसा पॉलिमर जो कि रबर जैसा Elasticity प्रदर्शित करता है। यानी कि ये फिर से अपनी असली स्थिति में आने की चेस्टा करता है या आ जाता है। ये भी कमजोर intermolecular force से बंधा होता है। इसे आमतौर पर हम Elastic के नाम से जानते हैं जिसमें रबर का इस्तेमाल होता है।

Biodegradable Plastics ये ऐसे प्लास्टिक होते हैं जिन्हें जीवित जीवों; आमतौर पर रोगाणुओं, पानी, कार्बन डाइऑक्साइड और बायोमास की क्रिया द्वारा विघटित (Decomposed) किया जा सकता है। आम जीवन में ये विभिन्न प्रकार के उत्पादों के रूप में मिलते हैं, जैसे कि कप, थाली, प्लेट इत्यादि।

यहाँ ये याद रखिए कि Bioplastic, Biodegradable Plastic से अलग होता है। ऐसा इसीलिए क्योंकि ज़्यादातर प्लास्टिक पेट्रोकेमिकल्स से बनाए जाते हैं, जबकि बायोप्लास्टिक ( Bioplastic ) काफी हद तक नवीकरणीय पादप सामग्री जैसे सेल्युलोज (cellulose) और स्टार्च (starch) से बनाए जाते हैं।

Conductive Polymers जैसा कि आम तौर पर जानते हैं कि प्लास्टिक insulator होता है। यानी कि Electricity उससे प्रवाहित (flow) नहीं होती है। लेकिन उसी प्लास्टिक को  Dispersion technique से Conductor या Semi-conductor बनाया जाता है।

इस तरह के पॉलिमर के कुछ उदाहरण है –  Polyacetylene, Polyphenylene vinylene एवं  Polypyrrole आदि।

Amorphous plastics – बहुत सारे प्लास्टिक में परमाणु, या आण्विक संरचना नियमित पैटर्न को फॉलो नहीं करते हैं। यानी कि वो छोटी इकाई जिससे वो बना है वो अपने पास के इकाइयों से भिन्न हो सकता है। इससे होता ये है कि इसका बॉन्ड उतना मजबूत नहीं रह पाता है।

ज़्यादातर मेडिकल टैबलेट amorphous solid होता है इसीलिए पेट में जाते ही उसका बॉन्ड collapse कर जाता है और वो घुल (dissolve) जाता है। प्लास्टिक के सेंस में बात करें तो थर्मोसेट (Thermoset) amorphous plastics होते हैं।

यहाँ ये याद रखिए कि इसी का उल्टा यानी कि जब आण्विक संरचना एक नियमित पैटर्न को फॉलो करता है तो उसे Crystalline plastics कहते हैं। उदाहरण के लिए high-density polyethylene को ले सकते हैं।

सिंथेटिक फाइबर (synthetic fiber) सिंथेटिक फाइबर, रासायनिक संश्लेषण (chemical synthesis) के माध्यम से मनुष्यों द्वारा बनाए गए फाइबर हैं।

यहाँ ये याद रखिये कि प्राकृतिक फाइबर (natural fiber) भी होते हैं जो कि सीधे जीवित जीवों से प्राप्त होते हैं, जैसे कपास के पौधे से या जानवरों के फर से।

fiber (रेशा) और प्लास्टिक के बारे में आमतौर पर काफी कन्फ़्युजन होता है इसीलिए आइये इसे अच्छे से समझ लेते हैं।

Q. फाइबर क्या है?

आसान शब्दों में कहें तो फ़ाइबर या रेशा, प्राकृतिक (natural) या मानवनिर्मित (synthetic) ऐसे पदार्थ है जिसकी लंबाई उसकी चौराई से कई गुना ज्यादा होती है। जो कपड़े हम पहनते हैं वो fabrics से बनता है और fabrics, fiber से बनता है।

प्राकृतिक फाइबर की बात करें तो कॉटन, ऊन, सिल्क आदि को ले सकते हैं। वहीं मानव-निर्मित फाइबर की बात करें तो Nylon, Rayon, Polyester एवं Acrylic आदि को ले सकते हैं।
Nylon fiber, पहला मानव-निर्मित पूर्ण फाइबर था। आज कपड़ों से लेकर पैरासूट की रस्सियाँ तक Nylon fiber से बनाया जाता है।
Rayon की बात करें तो, इसे Synthetic Silk भी कहा जाता है। चूंकि Silkworm से प्राप्त प्राकृतिक सिल्क बहुत महंगा होता है इसीलिए Rayon को बनाया गया, जो कि सिल्क जैसा ही होता है लेकिन मानव-निर्मित होता है। Bed sheets को आमतौर पर Rayon में कॉटन मिक्स करके बनाया जाता है। जिससे कि वो पहनने वाले कपड़े से भिन्न हो जाता है।
Polyester की बात करें तो ये भी एक सिंथेटिक फाइबर है जो कि हमारे आम जीवन का हिस्सा है। जैसे कि हमने ऊपर भी चर्चा की है; Polyester के तहत आने वाला सबसे जाना-पहचाना नाम Polyethylene Terephthalate (PET) है। जिससे कि बॉटल एवं बर्तन आदि बनाए जाते हैं।
यहाँ पर हमारे लिए समझने की बात ये है कि Polyester, ester नामक केमिकल के Repeating units से बनता है। Ester प्राकृतिक तौर पर फलदार पौधों में पाया जाता है जो कि फलों को उसकी ख़ुशबू (smell) देता है।
Polyester के साथ अलग-अलग प्रकार के प्राकृतिक फाइबर को मिलाकर अलग-अलग प्रकार के fiber और fabrics का निर्माण किया जाता है। जैसे कि Polyester के साथ cotton को मिलाकर Polycot बनाया जाता है, wool को मिलाकर Polywool बनाया जाता है।
– Acrylic की बात करें तो ये भी एक सिंथेटिक फाइबर है जो कि प्राकृतिक ऊन के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। अब यहाँ आपके मन में सवाल आ सकता है कि Acrylic को हमने ऊपर प्लास्टिक के रूप में पढ़ा, जबकि यहाँ पर फाइबर के रूप में पढ़ रहें है तो आखिर प्लास्टिक और फाइबर में अंतर क्या है?

Q. प्लास्टिक और फाइबर में अंतर क्या है?

जब बहुत सारी छोटी आण्विक इकाइयां (small molecular units) मिलकर एक एकल बड़ी इकाई (single large unit) का निर्माण करती है, तो इस इकाई (unit) को पॉलिमर (polymer) कहा जाता है। (जिसे कि हमने ऊपर भी समझा)
यहाँ समझने वाली बात ये है कि फाइबर भी एक पॉलिमर है। उदाहरण के लिए cotton एक पॉलिमर है जिसे cellulose कहा जाता है। क्योंकि ये glucose की छोटी-इकाइयों से मिलकर बनता है। कहने का अर्थ ये है कि कॉटन एक प्राकृतिक पॉलिमर है, या यूं कहें कि कॉटन एक प्राकृतिक फाइबर है।
पॉलिमर, Natural और synthetic दोनों होता है, इसी तरह से फाइबर Natural और synthetic दोनों होता है। हम जिसे प्लास्टिक कहते हैं आमतौर वो सिंथेटिक या अर्ध-सिंथेटिक पॉलिमर होता है।
फाइबर भी सिंथेटिक होता है जैसे कि Nylon और Rayon; और इसका इस्तेमाल प्लास्टिक के रूप में भी किया जाता है। तो क्या प्लास्टिक, सिंथेटिक फाइबर ही है, या फाइबर ही प्लास्टिक है?

Q. क्या सिंथेटिक फाइबर ही प्लास्टिक है ?

दरअसल प्लास्टिक और फाइबर में जो अंतर है वो इस बात पर निर्भर करता है कि वो किस तरह की आकृति (Form) में है या उसका अभिविन्यास (Orientation) क्या है। जैसे कि अगर एक Nylon block को ले तो वो प्लास्टिक हो सकता है लेकिन जैसे कि उसे धागे (threads) के रूप में अभिविन्यासित कर दिया जाता है तो उसे फाइबर कहा जाता है।
कुल मिलाकर बहुत सारे फाइबर प्लास्टिक होते हैं जैसे कि Nylon, Rayon, Polyester और Acrylic इत्यादि। इसी तरह से बहुत सारे प्लास्टिक को फाइबर के रूप में इस्तेमाल में लाया जा सकता है। यहाँ याद रखिये कि सभी फाइबर प्लास्टिक नहीं होते और सभी प्लास्टिक को भी फाइबर के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

प्लास्टिक के प्रकार

प्लास्टिक को आमतौर पर तीन प्रकारों में बांटा जाता है, (1) Commodity Plastics (2) Engineering plastics और (3) High-performance plastics।

(1) Commodity Plastics

इसे Commodity plastic इसीलिए कहा जाता है क्योंकि दुनिया का लगभग 70 प्रतिशत प्लास्टिक इसी श्रेणी में आता है। इसमें मुख्यतः 6 प्रकार के प्लास्टिक को सम्मिलित किया गया है। इसकी खास बात ये है कि इस सब का एक Resin Identification Code होता है।

इससे फायदा ये होता है कि इसे सिर्फ देखकर पता किया जा सकता है कि किस तरह का प्लास्टिक है। और इसे आप लगभग सभी प्रकार के प्लास्टिक पर छपा देख सकते हैं; तो आइये इसके बारे में थोड़े विस्तार से जानते हैं –

प्लास्टिकPolyethylene terephthalate (PET) – यह एक मजबूत, कठोर सिंथेटिक फाइबर है, जो कि Polyester परिवार का एक सदस्य है और थर्मोप्लास्टिक की श्रेणी में आता है। PET का उत्पादन ethylene glycol और terephthalic acid के polymerization द्वारा किया जाता है। यानी कि इन दोनों को जब रासायनिक उत्प्रेरक के प्रभाव में एक साथ गर्म किया जाता है, तो एथिलीन ग्लाइकॉल और टेरेफ्थेलिक एसिड एक पिघले हुए, चिपचिपे द्रव्यमान के रूप में PET का उत्पादन करते हैं, जिसे सीधे फाइबर में काता जा सकता है या प्लास्टिक के रूप में जमा किया जा सकता है।

प्लास्टिकHigh-density polyethylene (PE-HD) – उच्च घनत्व पॉलीथीन या (HDPE), इसे भी ethylene से बनाया जाता है, और ये भी थर्मोप्लास्टिक की श्रेणी में आता है। HDPE का उपयोग प्लास्टिक की बोतलों, संक्षारण प्रतिरोधी पाइपिंग, प्लास्टिक लकड़ी के उत्पादन में किया जाता है। उच्च घनत्व होने के कारण इसका खिंचाव शक्ति (tensile strength) Low Density Polyethylene से बहुत ज्यादा होता है। और ये लगभग 120 डिग्री सेल्सियस के तापमान को झेल सकता है।

प्लास्टिकPolyvinyl chloride (PVC) – यह दुनिया का तीसरा सबसे व्यापक रूप से उत्पादित सिंथेटिक प्लास्टिक पॉलीमर है। हर साल लगभग 40 मिलियन टन पीवीसी का उत्पादन होता है। पीवीसी दो मूल रूपों में आता है: कठोर और लचीला। कठोर रूप, पाइप के निर्माण में और दरवाजे और खिड़कियों जैसे अनुप्रयोगों में उपयोग किया जाता है। लचीला रूप, का उपयोग प्लंबिंग, इलेक्ट्रिकल केबल इंसुलेशन, नकली लेदर, फर्श, साइनेज, फोनोग्राफ रिकॉर्ड,आदि के अनुप्रयोगों में किया जाता है जहां यह रबर की जगह लेता है। कपास या लिनन के साथ, इसका उपयोग कैनवास के उत्पादन में किया जाता है।

प्लास्टिकLow-density polyethylene (PE-LD) – ये भी ethylene से बनता है और थर्मोप्लास्टिक की श्रेणी में आता है। इसका घनत्व कम होने के कारण इसका tensile strength HDPE से कम होता है और यह 60 से 80 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को झेल सकता है। इसका इस्तेमाल packaging material (जैसे कि टीवी के कार्टन में उसे safe रखने के लिए लगाया गया foam, और face wash के बोतल आदि।

Polypropylene (PP) – इसे पॉलीप्रोपीन (polypropene) के रूप में भी जाना जाता है, यह भी एक थर्मोप्लास्टिक पॉलिमर है और इसे प्रोपलीन (propylene) से बनाया जाता है। इसके गुण पॉलीइथाइलीन (polyethylene) के ही समान होता है, लेकिन यह थोड़ा सख्त और अधिक गर्मी प्रतिरोधी है। यह 171 डिग्री सेल्सियह तक के तापमान को झेल सकता है। इसका घनत्व polyethylene से कम होता है और इसीलिए ये अपेक्षाकृत हल्का होता है।

प्लास्टिकPolystyrene (PS) – यह एक कठोर एवं पारदर्शी सिंथेटिक राल (resin) है, ये भी थर्मोप्लास्टिक के श्रेणी में आता है और इसे स्टाइरीन (styrene) से बनाया जाता है। इसे food service industry में व्यापक रूप से कठोर ट्रे और कंटेनर, डिस्पोजेबल खाने के बर्तन, और फोमेड कप, प्लेट और कटोरे के रूप में इस्तेमाल में लाया जाता है। ये 100 डिग्री सेल्सियस के आसपास के तापमान पर पिघल जाता है।

(2) Engineering plastics

इंजीनियरिंग प्लास्टिक अधिक मजबूत होते हैं और इसीलिए इसे वाहन के पुर्जे, भवन निर्माण सामग्री, electronic gadgets और मशीन के कुछ भागो को बनाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। आज हम मोबाइल-लैपटाप से लेकर कार तक देखें तो बिना इन प्लास्टिक के पूरा नहीं होता है। इसके कई रूप हैं, यहाँ हम इसके सबसे महत्वपूर्ण भागों पर चर्चा करेंगे;

Polycarbonate – यह थर्मोप्लास्टिक पॉलिमर का एक समूह है जिसमें उनके रासायनिक संरचनाओं में कार्बोनेट समूह होते हैं। इसकी ख़ासियत ये है कि ये काफी मजबूत और सख्त होते हैं। जितने भी बजट फोन होते हैं आमतौर पर उसका बॉडी polycarbonate का ही होता है। इसके अलावा compact discs, eyeglasses, riot shields, security windows, traffic lights, and lenses आदि इसी के बने होते हैं।

Silicones – इसके बारे में हमने ऊपर भी पढ़ा है; ये आम तौर पर रंगहीन तेल या रबर जैसे पदार्थ होता है। इसकी अन्य ख़ासियतें इस प्रकार है; ये पानी को repel कर देता है। ये -100 से 250o C तक के तापमान में काम कर सकता है। सूक्ष्मजीवों के वृद्धि को रोकता है। ऊष्मा की चालकता कम होती है इत्यादि।

Polymethyl methacrylate (PMMA) – इसे acrylic, acrylic glass, perspex, या plexiglass के रूप में भी जाना जाता है। यह एक सिंथेटिक राल (resin) है जो methyl methacrylate से बनाया जाता है। यह एक पारदर्शी और कठोर प्लास्टिक है जिसका उपयोग अक्सर शैटरप्रूफ खिड़कियां (shatterproof windows), रोशनदान और विमान के डिब्बे जैसे उत्पादों में कांच के विकल्प के रूप में किया जाता है।

(3) High-performance plastics

ये प्लास्टिक आमतौर पर महंगे होते हैं, उनका उपयोग विशेष अनुप्रयोगों तक सीमित होता है जो उनके बेहतर गुणों का उपयोग करते हैं। इसके तहत आने वाले कुछ प्लास्टिक इस प्रकार है;

Aramids – यह गर्मी प्रतिरोधी (heat resistant) और मजबूत सिंथेटिक फाइबर का एक वर्ग है। इनका उपयोग एयरोस्पेस और सैन्य अनुप्रयोगों में किया जाता है। उदाहरण के लिए ballistic-rated body armor fabric जिसे कि आमतौर पर bullet proof jacket कहा जाता है; इसी से बनाया जाता है।

इसकी खासियत ये है कि ये सबसे मजबूत सिंथेटिक पॉलिमर में से एक है। एक हल्का होता है और 500 डिग्री C तक के तापमान को झेल सकता है। बाज़ार में ये Kevlar, Nomex, and Twaron ब्रांड के नाम से प्रचलित है।

Polysulfone – यह उच्च प्रदर्शन वाले थर्मोप्लास्टिक्स का ही एक परिवार है। ये पॉलिमर उच्च तापमान पर अपनी कठोरता और स्थिरता के लिए जाने जाते हैं। कच्चे माल और प्रसंस्करण की उच्च लागत के कारण, पॉलीसल्फ़ोन का उपयोग विशेष अनुप्रयोगों में किया जाता है और अक्सर पॉली कार्बोनेट के लिए एक बेहतर प्रतिस्थापन (Replacement) होता है।

Carbon fiber – कार्बन फाइबर लगभग 5 से 10 माइक्रोमीटर व्यास के फाइबर होते हैं और ज्यादातर कार्बन परमाणुओं से बने होते हैं। कार्बन फाइबर के उच्च कठोरता सहित कई फायदे हैं, जैसे कि उच्च तन्यता ताकत, वजन की तुलना में अधिक ताकत, उच्च रासायनिक प्रतिरोध, उच्च तापमान सहनशीलता आदि।

इन गुणों ने एयरोस्पेस, सिविल इंजीनियरिंग, सैन्य और मोटरस्पोर्ट्स में कार्बन फाइबर को बहुत लोकप्रिय बना दिया है। हालांकि, ग्लास फाइबर, प्लास्टिक फाइबर जैसे समान फाइबर की तुलना में वे अपेक्षाकृत महंगे हैं।

Some Facts about Plastics

  1. Teflon (टेफलॉन) एक विशिष्ट प्रकार की प्लास्टिक है जिस पर तेल और पानी चिपकता नहीं है। Non-sticky बर्तन बनाने के लिए इसी की coating बर्तन पर की जाती है।
  2. आमतौर पर सिंथेटिक फाइबर तुरंत ही आग पकड़ लेता है। पर आपको जानकार हैरानी होगी की Fireman के Uniform पर Melamine प्लास्टिक की coating की जाती है जो कि Fire Resistant होता है, यानी कि उसमें आग नहीं पकड़ती है।
  3. Nylon, 1939 के आस-पास बाज़ार में आया, और इससे बनी महिलाओं की Stockings उस समय इतना फ़ेमस हुआ कि इसे पाने के लिए महिलाएं घंटों लाइन में खड़ी रहती थी। और एक बार तो एक दंगा भी छिड़ गया जिसे Nylon Riots के नाम से जाना जाता है।

समापन टिप्पणी

प्लास्टिक शब्द ग्रीक शब्द प्लास्टिकोज और प्लासटोज से बना है तथा इसका अर्थ है – जो लचीला हो या जिसे ढाला, मोड़ा या मनमर्जी का आकार दिया जा सके।

पहली सिंथेटिक पॉलिमर का आविष्कार 1869 में जॉन वेस्ले हयात ने किया था। ऐसा कहा जाता है कि हाथी के दाँत का विकल्प खोजने के लिए न्यूयॉर्क के एक फर्म द्वारा $ 10,000 की पेशकश की गयी थी और इसी को जीतने के लिए, वेस्ले ने कपूर के साथ सूती फाइबर से प्राप्त सेल्युलोज को मिलाकर के एक नया पदार्थ बनाया, जिसे प्लास्टिक कहा गया।

इसे कई प्रकार के आकार में तैयार किया जा सकता था और ये हाथी दांत के लिए विकल्प प्रदान कर सकता था।

दरअसल उस समय बिलियर्ड्स की बढ़ती लोकप्रियता ने जंगली हाथियों के वध के माध्यम से प्राप्त प्राकृतिक हाथी दांत की आपूर्ति पर एक दबाव डाल दिया था। इसीलिए एक ऐसे पदार्थ की जरूरत थी जो इसकी जगह ले सकें। 

यह खोज क्रांतिकारी थी। पहली बार मानव निर्माण प्रकृति की सीमाओं से विवश नहीं था। प्रकृति ने केवल लकड़ी, धातु, पत्थर, हड्डी, टस्क(दाँत) और सींग की आपूर्ति की लेकिन अब इंसान जो चाहे वो बना सकते थे। 

इसमें और सुधार हुआ 1907 में जब लियो बेकलैंड ने पहली बार पूरी तरह से सिंथेटिक प्लास्टिक बेकेलाइट का आविष्कार किया, जिसका अर्थ है कि इसमें प्राकृतिक तौर पर पाए जाने वाले अणु नहीं थे।

बैकेलाइट न केवल एक अच्छा इन्सुलेटर था बल्कि यह टिकाऊ, गर्मी प्रतिरोधी भी था। बेकेलाइट को अनंत संभावनाओं को प्रदान करते हुए लगभग किसी भी चीज़ में या आकार में ढाला जा सकता था। इसिलिए इसे  “the material of a thousand uses” कहा गया। 

द्वितीय विश्व युद्ध में और उसके बाद प्लास्टिक उद्योग के क्षेत्र में बहुत अधिक विस्तार हुआ, क्योंकि दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता ने सिंथेटिक विकल्पों के उत्पादन को बहुत ज्यादा प्राथमिकता दी। और प्लास्टिक ने उन विकल्पों को प्रदान किया।

प्लास्टिक आज जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है। ये जानते हुए भी कि ये प्रकृति एवं जीव जगत के लिए कितना हानिकारक है; हम इसका बेतहाशा इस्तेमाल किए जा रहें हैं। प्लास्टिक इस्तेमाल किए जाने के साथ-साथ आज ये भी जरूरी है कि इनसे निपटने के तरीकों के बारे में भी जानें-समझे और उसे क्रियान्वित करें।


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Important Links,
https://ncert.nic.in/textbook/pdf/hesc103.pdf
Plastic – Wikipedia
Rodriguez, Ferdinand. “plastic”. Encyclopedia Britannica, 20 Dec. 2021, https://www.britannica.com/science/plastic. Accessed 15 January 2022.