इस लेख में सरल एवं सहज भाषा में समझेंगे कि जीएसटी की विशेषताएं क्या-क्या है, साथ ही इसके अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी चर्चा करेंगे, तो अच्छी तरह से समझने के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें, उम्मीद है कॉन्सेप्ट समझ में आ जाएगा।

जीएसटी क्या है एवं इसे क्यों लाया गया?; इसकी चर्चा पहले ही उदाहरणों के साथ की जा चुकी है, उसे अवश्य पढ़ें, साथ ही अन्य संबन्धित लेखों को भी पढ़ें।

जीएसटी की विशेषताएं

जीएसटी

जीएसटी एक व्यापक, अप्रत्यक्ष एवं गंतव्य आधारित एकल कर प्रणाली है।

ये व्यापक (Comprehensive) इसीलिए है क्योंकि पूरे देश में लागू होता है और कई टैक्स के बदले बस एक टैक्स लगता है, और अप्रत्यक्ष कर प्रणाली (Indirect tax system) इसीलिए है क्योंकि ये प्रत्यक्ष कर प्रणाली (Direct tax system) पर नहीं लगता है। जीएसटी में 17 अप्रत्यक्ष कर (जिसमें से 8 केंद्रीय एवं 9 राज्यस्तरीय कर है) और 23 केंद्रीय और राज्यीय उपकर समाहित है।

ये गंतव्य आधारित कर व्यवस्था (Destination based tax regime) इसीलिए है क्योंकि ये वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन पर नहीं बल्कि आपूर्ति पर लगता है।

जीएसटी की विशेषताएं

जीएसटी की बेहतर समझ के लिए जीएसटी मॉडल की विशेषताओं को विस्तार से समझना महत्वपूर्ण है। तो आइये इसे समझते हैं;

एक देश एक कर के रूप में जीएसटी की विशेषताएं

जीएसटी एक व्यापक कर व्यवस्था है जो कि पूरे देश में एकल कर व्यवस्था की स्थापना करता है। इसके तहत 8 केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं 9 राज्य स्तरीय अप्रत्यक्ष कर को जीएसटी में मर्ज कर दिया गया। जिसमें केन्द्रीय उत्पाद कर, सेवा कर, केन्द्रीय बिक्री कर, मूल्य वर्धित कर, सीमा शुल्क, चुंगी इत्यादि प्रमुख है।

सभी वस्तुओं अथवा सेवाओं के लिए करों के चार स्तर है; 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत। कुछ अपवादों को छोड़कर इन्ही कर स्तरों के तहत सभी वस्तुओं और सेवाओं को लाया जाएगा जिससे कि पूरे देश के करों में एकरूपता आ जाएगी और इससे एक ही वस्तु के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग मूल्यों से बचा जा सकेगा।

सीमा शुल्क और चुंगी के हट जाने से समान लदे ट्रकों की आवाजाही बेरोकटोक हो जाएगी इससे समय और संसाधन की बचत तो होगी ही साथ ही साथ महंगाई भी कम हो सकती है।

एसजीएसटी और आईजीएसटी की समान दरें होने से पड़ोसी राज्यों के बीच दरों का अंतर नहीं रहेगा और राज्यों के भीतर एवं बाहर बिक्री करने में भी दरों का अंतर नहीं रहेगा, जिससे कर चोरी करने का कोई लाभ नहीं होगा। इसके साथ ही करों का बोझ भी कम होगा क्योंकि आपूर्ति के प्रत्येक चरण पर सभी वस्तुओं एवं सेवाओं में इनपुट टैक्स क्रेडिट मिल जाएगा।

कुल मिलाकर देखें तो जीएसटी भारत में एकीकृत साझा राष्ट्रीय बाज़ार बनाने में सहायक होगा। इसीलिए ये कहा जा सकता है कि जीएसटी ने एक देश एक कर (One nation one tax) की अवधारणा को सुनिश्चित किया है।

प्रकार के रूप में जीएसटी की विशेषताएं

जीएसटी चार प्रकार के होते हैं।

CGST यानी कि सेंट्रल जीएसटी
SGST यानी कि स्टेट जीएसटी
IGST यानी कि इंटिग्रेटेड जीएसटी या एकीकृत जीएसटी
UTGST यानी कि यूनियन टेरिटोरी जीएसटी या केंद्र शासित जीएसटी

? विनिर्माण अथवा आयात से शुरू होकर खुदरा स्तर पर पहुँचने तक आपूर्ति शृंखला के प्रत्येक चरण पर वस्तुओं एवं सेवाओं अथवा दोनों की आपूर्ति पर लगेगा। भारत चूंकि संघीय ढांचे पर आधारित है इसीलिए यहाँ राज्य के पास भी स्वतंत्र रूप से कर लगाने की शक्ति होती है। SGST राज्यों द्वारा लगाया जाता है और वसूली का पूरा धन राज्य का होता है। इसी तरह से UTGST पूरा केंद्र का होता है।

? IGST पहले चल रहे सेंट्रल सेल्स टैक्स की जगह लिया जो कि इंटरस्टेट ट्रानजैक्सन यानी कि अंतर्राज्यीय लेनदेन पर लागू होता है।

IGST में राज्य का हिस्सा तो राज्य को ही मिलता है, अगर केंद्र का हिस्सा कुछ बनता है तो वो वित्त आयोग के अनुसार मिलता है।

उसी प्रकार देखें तो CGST जो कि केंद्र सरकार के अधीन है; का भी कुछ हिस्सा राज्य को मिलता है लेकिन वो कितना मिलेगा वो भी वित्त आयोग ही डिसाइड करता है।

यहाँ ये याद रखिए कि जीएसटी परिषद (GST Council) के तहत केंद्र और राज्यों द्वारा आपसी रूप से सहमत दरों पर सीजीएसटी, एसजीएसटी, यूजीएसटी और आईजीएसटी की वसूली की जाती है।

जीएसटी से छूट प्राप्त क्षेत्र

मानव उपभोग हेतु अल्कोहल को संवैधानिक रूप से जीएसटी से बाहर रखा गया है, यानी कि इसे जीएसटी के तहत नहीं लाया जा सकता है। सिर्फ इसे छोड़कर जीएसटी में सभी प्रकार की वस्तुएँ और सेवाएँ शामिल हैं।

इसके अलावा, पाँच पैट्रोलियम उत्पाद (कच्चा तेल, पेट्रोल, डीजल, एटीएफ़ (विमान फ्युल) एवं प्राकृतिक गैस) अस्थायी रूप से जीएसटी से बाहर हैं, यानी कि जीएसटी काउंसिल की सिफ़ारिश पर इन्हे जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है।

जीएसटी की डिजिटल विशेषताएँ

जीएसटी अनुपालन में तेजी आएगी क्योंकि सभी रिटर्न ऑनलाइन भरे जाएँगे, इनपुट क्रेडिट का सत्यापन भी ऑनलाइन होगा और आपूर्ति शृंखला के प्रत्येक पड़ाव पर हुए लेनदेन का कागजी प्रमाण रखा जाएगा।

करदाताओं के पंजीकरण और करों की वापसी की एक समान प्रक्रिया, कर रिटर्न के एक समान प्रारूप, एक समान कर आधार, वस्तुओं एवं सेवाओं के वर्गीकरण की साझा व्यवस्था से कराधान प्रणाली में अधिक निश्चिंता आएगी।

सूचना प्रौद्योगिकी के अधिक प्रयोग से करदाता एवं कर अधिकारियों के बीच व्यक्तिगत संपर्क कम हो जाएगा, जिससे भ्रष्टाचार कम करने में बहुत मदद मिलेगी और व्यवस्था में पारदर्शिता आ पाएगी। (Visit – GST Portal)

व्यापार एवं उद्योग को जीएसटी से लाभ

पहले के अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में होने वाले करों के दोहराव को जीएसटी की मदद से खत्म किया जा सकेगा, इससे कर देने के प्रति व्यापारियों में उत्साह आएगा।

करों का बोझ कम होगा क्योंकि आपूर्ति के प्रत्येक चरण पर सभी वस्तुओं एवं सेवाओं में इनपुट टैक्स क्रेडिट मिल जाएगा।

डिजिटल व्यवस्था होने के कारण इसके अनुपालन का खर्च कम होगा एवं विभिन्न प्रकार के करों के लिए अनेक रिकॉर्ड नहीं रखने होंगे।

उपभोक्ताओं को जीएसटी से लाभ

विनिर्माताओं, खुदरा विक्रेताओं एवं सेवा प्रदाताओं के बीच इनपुट टैक्स क्रेडिट के निर्बाध प्रवाह एवं करों के दोहराव खत्म होने के कारण वस्तुओं का अंतिम मूल्य पहले की अपेक्षा कम हो सकती है।

इससे निर्यात एवं विनिर्माण गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, अधिक रोजगार का सृजन होगा और इस प्रकार लाभप्रद रोजगार के साथ जीडीपी में वृद्धि होगी, जिससे आर्थिक वृद्धि भी तेज होगी। अंततः अधिक रोजगार एवं अधिक वित्तीय संसाधनों के सृजन द्वारा इससे गरीबी दूर करने में सहायता होगी।

राज्यों को जीएसटी से लाभ

कर आधार (Tax base) में विस्तार होगा क्योंकि राज्य विनिर्माण से लेकर खुदरा तक पूरी आपूर्ति शृंखला से कर वसूल सकेंगे। ऐसा इसीलिए जीएसटी गंतव्य पर आधारित उपभोग कर है, जिसका लाभ उपभोग करने वाले राज्यों को मिलेगा।

अभी तक केंद्र सरकार ही सेवाओं पर कर वसूलती थी, लेकिन अब इसका अधिकार राज्यों को भी मिल जाने से राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी और राज्यों को अर्थव्यवस्था के इस सबसे तेज विकास कर रहे क्षेत्र का उपयोग करने का अवसर मिल जाएगा।

एसजीएसटी और आईजीएसटी की समान दरें होने से पड़ोसी राज्यों के बीच दरों का अंतर नहीं रहेगा और राज्यो के भीतर एवं बाहर बिक्री करने में भी दरों का अंतर नहीं रहेगा, जिससे कर चोरी करने का कोई लाभ नहीं होगा। देश में निवेश का समूचा वातावरण सुधरेगा, जिसका स्वाभाविक लाभ राज्यों को विकास के रूप में प्राप्त होगा।

जीएसटी भुगतान किसे करना है?

20 लाख तक के वार्षिक टर्नओवर वाले व्यापारी को जीएसटी भुगतान नहीं करना है। पर्वतीय राज्यों (पूर्वोत्तर के राज्यों, सिक्किम, उतराखंड एवं हिमाचल प्रदेश) के लिए यही सीमा 10 लाख की है। यानी कि इन छूट प्राप्त व्यापारियों को जीएसटी पोर्टल पर पंजीयन कराने की कोई आवश्यकता नहीं है।

उपरोक्त के अलावा हर व्यापारी को (कर दायरे में आता है) महीने में एक बार मुख्य रिटर्न भरना होगा और अपनी कर की अदायगी करनी होगी। चूंकि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है इसीलिए किसी वस्तु या सेवा के ऊपर जो भी कर चुकाना है, उसमें से ख़रीदारी पर लगा कर जो कर भर दिया गया है उसकी पूरी इनपुट क्रेडिट हर व्यापारी को स्वतः ही मिल जाएगी।

जीएसटी परिषद (GST Council)

केंद्र और राज्यों को मिलाकर बनी यह परिषद जीएसटी के लिए एक शीर्ष निकाय है। इसे न केवल जीएसटी से जुड़े पहलुओं को अंतिम रूप देने के लिए बल्कि विवादों के निपटारे के लिए अधिकृत किया गया है।

केन्द्रीय वित्तमंत्री की अध्यक्षता वाली इस महत्वपूर्ण परिषद में केन्द्रीय वित्त मंत्रालय में वित्त एवं राजस्व मामलों के प्रभारी वित्त राज्यमंत्री तथा राज्यों के कराधान एवं वित्त मामलों के प्रभारी मंत्री अथवा उनके द्वारा नामित कोई अन्य मंत्री सदस्य के रूप में शामिल होंगे। प्रभावी रूप से, परिषद में केंद्र सरकार की ओर से अध्यक्ष सहित दो सदस्य, 28 राज्यों और 3 केंद्रशासित प्रदेशों (विधायिका वाले) से एक सदस्य शामिल होंगे। इस प्रकार सदस्यों की कुल संख्या 33 होगी।

केन्द्रीय राजस्व सचिव जीएसटी परिषद के सचिव होंगे जबकि परिषद की समस्त कार्यवाही के लिए केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBEC) के अध्यक्ष स्थायी आमंत्रित सदस्य होंगे, हालांकि इनके पास वोट देने का अधिकार नहीं होगा।

परिषद जीएसटी से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे जीएसटी के अधीन या इससे बाहर रखे जाने वाले सामान एवं सेवाओं, मॉडल जीएसटी क़ानूनों, आपूर्ति स्थल की निगरानी वाले सिद्धांतों, सीमा, बैंड के साथ न्यूनतम नियत दर सहित जीएसटी दरों, प्राकृतिक आपदाओं के दौरान अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए विशेष दरों, कुछ राज्यों के लिए विशेष प्रावधान, आदि पर संघ और राज्यों के लिए सिफ़ारिशें करेगा।

परिषद का प्रत्येक निर्णय बैठक में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों में से न्यूनतम तीन चौथाई बहुमत से लिया जाएगा।

मतदान समूह की संरचना इस प्रकार की गई है कि न तो केंद्र और न ही सभी राज्य मिलकर वीटो कर सकते हैं। केंद्र सरकार के मत का मूल्य कुल पड़े मत का एक तिहाई होगा और सभी सरकारों के मतों का मूल्य कुल मतदान का दो तिहाई होगा। किसी भी निर्णय के लिए कुल मतों के कम से कम तीन चौथाई की आवश्यकता होगी।

समापन टिप्पणी

बहुत से अर्थशास्त्री 2017 के बाद देश के जीडीपी में हुई कमी को जीएसटी का प्रभाव मान रहें है। इस तथ्य को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता है, हालांकि उन्ही अर्थशास्त्रियों का ये भी मानना है कि लॉन्ग टर्म में जीएसटी पूरी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही कारगर सिद्ध होगी। जीएसटी लागू होने के बाद से बहुत सारी वस्तुओं के दामों में कमी दर्ज की गई है लेकिन पैट्रोलियम उत्पादों का अभी भी जीएसटी दायरे में न होना खलता है। कुल मिलाकर जीएसटी एक अच्छी व्यवस्था है इसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन ये अभी शैशवावस्था में है और इसे अपनी पूरी क्षमता से काम करने में अभी थोड़ा और वक्त लग सकता है।

तो ये रहा जीएसटी की विशेषताएं, उम्मीद है समझ में आया होगा। जीएसटी से संबन्धित अन्य लेखों का लिंक नीचे दिया गया है बेहतर समझ के लिए उसे भी पढ़ें;

जीएसटी कैसे काम करती है?
जीएसटी क्या है?

References,
योजना: व्यापार सुगमता पर जीएसटी का प्रभाव↗️
योजना : एक देश एक कर↗️
योजना: जीएसटी-आरंभ एक नए युग का
योजना : जीएसटी-अनेक मसलों का एक निदान
Goods and Services Tax Council