भा रती य रा ज्यों के बनने की कहा नी [UPSC Concept]
इस लेख में हम भा रती य रा ज्यों के बनने की कहा नी पढ़ेंगे और समझेंगे, तो अच्छी तरह से समझने के लि ए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। इस लेख को पढ़ने से पहले भा रती य संघ और उसका क्षेत्रत् जरूर पढ़ें।
जा हि र है जि स भा रत को आज हम देख रहें है वो आजा दी के समय ऐसा तो बि ल्कुल भी नहीं था । पर आज के इस भा रत को बनने में जो कुछ भी हुआ वो एक दि लचस्प कहा नी तो जरूर बन गया ।
भा रती य रा ज्यों के बनने की कहा नी
15 अगस्त 1947, देश अभी -अभी आजा द हुआ था । पहली बा र लो ग स्वतंत्रत् ता को इतने ऊंचे स्तर पर महसूस कर पा रहे थे। इस आजा दी की की मत जो उन्हो ने और उनके पुरपुखों ने चुकाचु कायी थी आज उसका परि णा म सा मने था ।
पर समस्या अभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई थी । असली चुनौचुनौती तो अब देश के सा मने थी । और वो चुनौचुनौती थी टुकड़ों में बंटे देश को एकजुटजु करना । और ये उतना आसा न भी नहीं हो ने वा ला था ।
आजा दी के समय भा रत में रा जनी ति क इका इयों की दो श्रेश् रेणि याँ थी – ब्रि टि श प्रां त और देशी रि या सतें।तें भा रती य स्वतंत्रत् ता अधि नि यम 1947 के अंतर्गत दो स्वतंत्रत् एवं पृथक प्रभुत्भुव वा ले देश भा रत और पा कि स्ता न का नि र्मा ण कि या गया और सा थ ही देशी रि या सतों को ती न ऑप्शन दि ये गए –
1. भा रत में शा मि ल हो
2. पा कि स्ता न में शा मि ल हो , या
3. इनमें से को ई नहीं ।हीं या नी कि स्वतंत्रत् रहें ।
उस समय भा रत की भौ गो लि क सी मा में 552 देशी रि या सतें थी । 549 रि या सतों ने पहले ऑप्शन को टि क कर दि या और भा रत में शा मि ल हो गये।
पर बची हुयी ती न रि या सतों (हैदरा बा द, जूनाजूनागढ़ और कश्मी र) ने इतनी समझदारी नहीं दि खा यी । उन्हो ने भा रत में शा मि ल हो ने से इंका र कर दि या ।
सरदार बल्लभ भा ई पटेल ने उन्हे सही ऑप्शन समझा ने की ज़ि म्मेदारी ले ली । ज्या दा समय नहीं लगा , आखि रका र इन्हे भी सही ऑप्शन समझ में आ ही गया ।
हैदरा बा द को पुलिपुलिस का र्यवा ही के द्वा रा सही ऑप्शन समझा या गया , जूनाजूनागढ़ को जनमत के द्वा रा और कश्मी र पर जैसे ही पा कि स्ता न की तरफ से हमला हुआ इन्हे भी सही ऑप्शन समझ में आ गया और एक वि लय पत्रत् पर हस्ता क्षर करके ये भी भा रत में शा मि ल हो गए।
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अब भा रत एक देश की तरह लगने लगा था । कुल मि ला कर भा रत की स्थि ति कुछ ऐसी थी – मूलमू संवि धा न के अनुसानुसार, भा रत की स्थि ति
संवि धा न ने भा रती य संघ के रा ज्यों को चा र प्रका र से वर्गी कृत कि या – भा ग ‘क’, भा ग ‘ख’, भा ग ‘ग’, एवं भा ग ‘घ’। ये सभी संख्या में 29 थे ।
– भा ग ‘क’ में वे रा ज्य थे, जहां ब्रि टि श भा रत में गवर्नर का शा सन था । या नी कि एक नि र्वा चि त गवर्नर और रा ज्य वि धा यि का द्वा रा शा सि त था । ये संख्या में 9 था ।
– भा ग ‘ख’ में उन 9 रा ज्यों को शा मि ल कि या गया था जहाँ शा ही शा सन (princely states) था । और जो रा जप्रमुखमु द्वा रा शा सि त था ।
– भा ग ‘ग’ में ब्रि टि श भा रत के मुख्मुय आयुक्युत का शा सन एवं कुछ में शा ही शा सन था ।
– अंडमा न एवं नि को बा र द्वी प को अकेले भा ग ‘घ’ में रखा गया था ।
भा ग ‘क’ भा ग ‘ख’ भा ग ‘ग’ भा ग ‘घ’
1. असम 1. हैदरा बा द 1. अजमेर 1. अंडमा न & नि को बा र द्वी प समूहमू 2. बि हा र 2. J & K 2. बि ला सपुरपु
3. बंबई 3. मध्य भा रत 3. भो पा ल
4. मध्यप्रदेश 4. मैसूर 4. कूच बि हा र
5. मद्राद् रास 5. पटि या ला & पूर्वी पंजा ब 5. दि ल्ली
6. ओड़ी सा 6. रा जस्था न 6. कुर्ग
7. पंजा ब 7. सौ रा ष्ट्र 7. हि मा चल प्रदेश
8. संयुक्युत प्रां त 8. विं ध्य प्रदेश 8. कच्छ
9. पश्चि म बंगा ल 9. त्रात् रावणको र-को ची न 9. मणि पुरपु
10. त्रि पुरापुरा
भा रती य रा ज्यों के बनने की कहा नी
भा रती य रा ज्यों के बनने की कहा नी में वि भि न्न आयो गों की भूमि का
आजा दी के बा द रा जनी ति क घटना क्रम ने एक नया मो ड़ लि या और नए-नए रा ज्य बना ने की मां ग उठने लगी , लो ग भा षा के आधा र पर रा ज्य बना ने की मां ग कर रहे थे।
या नी कि एक ही भा षा बो लने वा लों के लि ए एक रा ज्य। अना या स ही उठ खड़ी हुई इन समस्या ओं के नि दान तला शने के लि ए समय-समय पर ढेरों समि ति एवं आयो गों का गठन कि या जा ता रहा । ऐसे में इन आयो गों के बा रे में जा नना बहुत ही जरूरी हो जा ता है।
धर आयो ग (Dhar Commission)
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दरअसल हुआ ये कि देश के दक्षि णी भा ग से भा षा के आधा र पर आंध्रध् रा ज्य बना ने की मां ग ज़ो र पकड़ने लगी । उस समय एक ही बड़ा रा ज्य हुआ करता था मद्राद् रास, जहां मुख्मुय रूप से तमि ल, तेलुगुलुगुएवं मलया लम भा षी लो ग रहते थे। तेलुगुलुगुभा षी लो ग मद्राद् रास के उस हि स्से को का टकर एक नया रा ज्य बना ने की मां ग कर रहे थे जो कि तेलुगुलुगुबो लता था ।
यहाँ पर ये या द रखि ए कि सा ल 1917 में काँ ग्रेग् रेस ने खुदखु ये कहा था कि आजा दी मि लने पर वो भा षा यी आधा र पर रा ज्यों के गठन का समर्थन करेगी । 1920 के ना गपूर अधि वेशन में तो भा षा यी प्रां त के आधा र पर काँ ग्रेग् रेस कमेटि यों का गठन भी कि या गया ।
महा त्मा गां धी की बा त करें तो वे तो भा षा यी आधा र पर रा ज्य बना ने के पक्के समर्थक थे। 1937 में लि खे एक पत्रत् के मा ध्यम से पंडि त नेहरू भी भा षा यी आधा र को अपना समर्थन देचुकेचुके थे।
लेकि न देश आजा द हो ने के बा द पंडि त नेहरू ऐसा कर पा ने में खुदखु को असमर्थ पा रहे थे। इसके कई का रण थे, जैसे कि उन्हें ये डर सता रहा था कि अभी -अभी देश धर्म के आधा र पर अलग हुआ है फि र से भा षा के आधा र पर देश को अलग कर देना एकता और स्था यि त्व को नुकनु सा न पहुंचा सकता है।
अपने मृत्मृयु से कुछ दि न पूर्व 25 जनवरी 1948 को महा त्मा गां धी ने इस बा त को या द दि ला ते हुए कहा था कि काँ ग्रेग् रेस को 20 वर्ष पूर्व कि ए गए वा देको नि भा ने का वक्त आ गया है।
पंडि त नेहरू दवा ब में आ चुकेचुके थे और उनके सा थ कई अन्य लो गों को भी ये समझ में आने लगी कि लो गों के लि ए भा षा कि तनी मा यने रखती है। और अगर जल्दी कुछ नहीं कि या गया तो ये लो ग तो गदर मचा देंगे।
यही सो चकर जूनजू, 1948 में भा रत ने रि टा यर्ड जज़ एस.के. धर की अध्यक्षता में भा षा यी प्रां त आयो ग की नि युक्तियुक्ति की । लो गों को थो ड़ी सां त्वना मि ली कि अब कुछ तो अच्छा जरूर हो गा , हमा री बा तें जरूर सुनीसुनी जा एंगीएं गी।
पर आयो ग ने अपनी रि पो र्ट दि सम्बर, 1948 में पेश करते हुए जैसे ही कहा कि रा ज्यों का पुनपुर्गठन भा षा यी आधा र पर नहीं बल्कि प्रशा सनि क सुविसुविधा के अनुसानु सार हो ना चा हि ए।
फि र से लो गों में अत्यधि क असंतो ष फैल गया , जो नहीं सुनसुना चा हते थे वही सुनसुना पड़ा । सरका र को भी लगा था उसके इस कदम से मा मला सुलसुझ जा एगा पर ये तो और भी ज्या दा बि गड़ ही गया ।
मा मले को और तूलतू पकड़ता देख काँ ग्रेग् रेस द्वा रा दि सम्बर, 1948 में एक अन्य भा षा यी प्रां त समि ति का गठन कि या गया ता कि इस मा मले को पूरी तरह से शां त कि या जा सकें।
इस समि ति के सदस्य खुदखु जवा हरला ल नेहरू, बल्लभ भा ई पटेल और पट्टा भि सी ता रमैया बन गए। इन्ही ती नों के ना म के पहले अक्षर के आधा र पर इसे जेवी पी समि ति के रूप में जा ना गया ।
जेवी पी समि ति (JVP Committee)
आंदोलन कर रहे लो गों को फि र से सां त्वना मि ली कि इस बा र हमा रे लो कप्रि य नेता इस समि ति में शा मि ल है तो कुछ तो अच्छा जरूर हो गा । शा यद इस बा र हमा री मन मां गी मुरामुरादेपूरी हो जा ये। पर इस समि ति ने भी अपनी रि पो र्ट अप्रैल, 1949 में पेश की और भा षा यी रा ज्य के पुनपुर्गठन को कम से कम 10 सा ल तक टा लने की सि फ़ा रि श की ।
इससे वि वा द थमा नहीं बल्कि सा ल 1949 में कई अन्य आंदोलन भी शुरूशु हो गई जैसे कि मैसूर, बंबई और हैदरा बा द में फैले कन्नड़ भा षी लो गों के लि ए एक अलग रा ज्य बना ने के लि ए संयुक्युत कर्ना टक आंदोलन शुरूशु हो गया ।
इसके सा थ ही संयुक्युत महा रा ष्ट्र आंदोलन भी शुरूशु हो गया , मलया लि यों ने अपने लि ए एक रा ज्य की मां ग शुरूशु कर दी। पंजा ब से भी पंजा बी भा षि यों के लि ए अलग रा ज्य की मां ग उठने लगी ।
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कुल मि ला कर देश के बड़े हि स्से से भा षा के आधा र पर रा ज्य गठि त करने को लेकर आवा जें उठनी शुरूशु हो गई, इस सब में तेलुगुलुगुभा षि यों ने का फी आक्रा मक आंदोलन कि या ।
हा लां कि जेवी पी रि पो र्ट में अलग आंध्रध् रा ज्य की मां ग को सही ठहरा या गया लेकि न सा थ ही ये भी कहा गया कि ये तभी पूरा हो सकता है जब आंध्रध् रा ज्य के समर्थक मद्राद् रास की मां ग को छो ड़ दें।
जैसा कि थो ड़ी देर पहले हमने बता या मद्राद् रास उस समय दक्षि ण भा रत का सबसे बड़ा शहर हुआ करता था इसी लि ए तमि ल भा षी और तेलुगुलुगुभा षी दोनों ही मद्राद् रास को अपने रा ज्य का हि स्सा बना ना चा हते थे। पर उस समय के वहाँ के मुख्मुयमंत्मं रीत् री सी . रा जगो पा ला चा री ऐसा नहीं चा हते थे।
पंडि त नेहरू ने ये पा सा इसी लि ए फेंका ता कि उन्हे समय मि ल सके, लो गों को आश्वा सन भी मि ल जा ये और मा मला शां त भी हो जा ये, पर ये थी तो एक अस्वी कृति ही ।
इस नि र्णय से आंध्रध् समर्थक लो गों का दि ल टूट सा गया क्यों कि जि ससे वफ़ा की उम्मी द थी उसने बेवफ़ा ई की थी । इसी से आहत हो कर एक गां धी वा दी वि चा रधा रा के व्यक्ति पो ट्टी श्रीश् रीरा मुलुमु लुओक्टो बर 1952 में भूखभू हड़ता ल पर बैठ गए।
सो चा अब को ई तो मना ने के लि ए आएंगेएं गेही । 57 दि न हो गए को ई नहीं आया । 58वें दि न भूखभू हड़ता ल के का रण पो ट्टी श्रीश् रीरा मुलुमु लुका नि धन हो गया ।
उसके बा द तो सरका र के पा स को ई चा रा ही नहीं बचा उन्हे मना ने के लि ए आना ही पड़ा और आखि रका र अक्तूबतूर, 1953 में भा रत सरका र को भा षा के आधा र पर पहले रा ज्य के गठन के लि ए मजबूर हो ना पड़ा , और तब जा कर मद्राद् रास से तेलुगुलुगुभा षी क्षेत्रोंत् रों को पृथक कर आंध्रध् प्रदेश का गठन कि या गया । इस तरह से आंध्रध् प्रदेश का गठन हुआ।
फजल अली आयो ग (Fazal Ali Commission)
अब जैसे ही आंध्रध् प्रदेश का नि र्मा ण हुआ, दूसदू रे रा ज्य कहाँ चुपचु रहने वा ले थे देश के अन्य क्षेत्रोंत् रों से भी भा षा के आधा र पर रा ज्य बना ने की मां ग उठने लगी ।
अब भा रत सरका र को समझ में आने लगा कि अगर फि र से कुछ नहीं कि या तो अन्य दूसदू रे रा ज्य भी रूठने लगेंगे और कि तने को मना एंगेएं गे।
यही सो च के भा रत सरका र ने दि सम्बर 1953 में फजल अली की अध्यक्षता में रा ज्य पुनपुर्गठन आयो ग (State Reorganization Commission) गठि त कि या । इस आयो ग के दो अन्य सदस्य भी थे – के. एम. पणि क्कर और एच. एन. कुंजुरुजु।
फजल अली को तो पहले से पता था कि अगर सि फ़ा रि श जनता के पक्ष में नहीं जा ती है तो क्या -क्या हो ता है। शा यद इसलि ए 1955 में जब इन्हो ने अपनी रि पो र्ट पेश कि तो इस बा त को व्या पक रूप से स्वी का र कि या कि रा ज्यों के पुनपुर्गठन में भा षा को मुख्मुय आधा र बना या जा ना चा हि ए।
हाँ , लेकि न मुख्मुय और बड़ी संख्या में बो ली जा ने वा ली भा षा को ही आधा र मा ना जा ना चा हि ए। [ये नि र्णय सही भी था क्यों कि अगर ऐसा नहीं हो ता तो आज देश में जि तनी भा षा यें है उतनी ही रा ज्यें हो ती ।]
इस आयो ग ने सला ह दी कि मूलमू संवि धा न के अंतर्गत स्था पि त चा र आया मी रा ज्यों के वर्गी करण को समा प्त कि या जा ए या नी कि रा ज्यों के भा ग क, भा ग ख, भा ग ग और भा ग घ वा ले वर्गी करण को समा प्त कर दि या जा ना चा हि ए और 16 रा ज्यों एवं 3 केंद्रद्शा सि त क्षेत्रोंत् रों का नि र्मा ण कि या जा ना चा हि ए।
भा रत सरका र को पूर्व का अनुभनुव था इसी लि ए इससे पहले की अन्य रा ज्य भी इसके लि ए आंदोलन करें। भा रत सरका र ने बहुत कम परि वर्तनों के सा थ इन सि फ़ा रि शों को स्वी का र कर लि या ।
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रा ज्य पुनपुर्गठन अधि नि यम 1956 और 7वें संवि धा न संशो धन अधि नि यम 1956 के द्वा रा 14 रा ज्य और 6 केंद्रद् शा सि त प्रदेशों का गठन कि या गया ।
◾रा ज्य पुनपुर्गठन अधि नि यम 1956 द्वा रा को ची न रा ज्य के त्रात् रावणको र तथा मद्राद् रास रा ज्य के मला बा र तथा दक्षि ण कन्नड के कसरगो ड़े को मि ला कर एक नया रा ज्य केरल स्था पि त कि या गया । इस तरह से मलया लयी भा षी लो गों की मां गे पूरी हुई
◾इस अधि नि यम ने हैदरा बा द रा ज्य के तेलुगूलुगूभा षी क्षेत्रोंत् रों को भी आंध्रध् रा ज्य में मि ला दी। इस तरह से हैदरा बा द आंध्रध् प्रदेश का हि स्सा बना ।
इसी प्रका र मध्य भा रत रा ज्य, विं ध्य प्रदेश रा ज्य तथा भो पा ल रा ज्य को मि ला कर मध्य प्रदेश रा ज्य बना या गया ।
◾ इस अधि नि यम के तहत सौ रा ष्ट्र और कच्छ रा ज्य को बॉ म्बे रा ज्य में मि ला दि या गया , कुर्ग रा ज्य को मैसूर रा ज्य में मि ला दि या गया (इसे ही 1973 में कर्ना टक कहा गया ), पटि या ला एवं पूर्वी पंजा ब को पंजा ब रा ज्य में मि ला दि या गया , तथा अजमेर रा ज्य को रा जस्था न रा ज्य मे मि ला दि या गया ।
इसके अला वा इस अधि नि यम द्वा रा नए संघ शा सि त प्रदेश – लक्षद्वी प, मि नि का य तथा अमी नदि वि द्वी पों का सृजन मद्राद् रास रा ज्य से का टकर कि या । इस तरह से अब देश का नक्शा अब पूरी तरह से बदल गया था । 14 रा ज्य और केंद्रद् शा सि त प्रदेश कुछ इस प्रका र था – –
रा ज्य पुनपुर्गठन अधि नि यम 1956 के तहत बने रा ज्यों की स्थि ति
रा ज्य केंद्रद्शा सि त प्रदेश
1. आंध्रध् प्रदेश 1. अंडमा न एवं नि को बा र द्वी प समूहमू
2. बि हा र 2. दि ल्ली
3. बंबई 3. हि मा चल प्रदेश
4. असम 4. लका दीव, अमी नदि वी और मि नी कॉ य द्वी प समूहमू
5. जम्मू एवं कश्मी र 5. मणि पुरपु
6. केरल 6. त्रि पुरापुरा
7. मध्य प्रदेश
8. मद्राद् रास
9. मैसूर (कर्ना टक)
10. ओड़ी सा
11. पंजा ब
12. रा जस्था न
13. उत्तर प्रदेश
14. पश्चि म बंगा ल
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इतना करने के बा द अब भा रत सरका र ने चैन की सां स ली पर ये चैन ज्या दा दि न तक नहीं टि का । 1956 में व्या पक स्तर पर रा ज्यों के पुनपुर्गठन के बा वजूदजू भी भा षा या सां स्कृति क एकरूपता एवं अन्य का रणों के चलते दूसदू रे रा ज्यों से भी अन्य रा ज्यों के नि र्मा ण की मां ग उठने लगी । यहाँ से रा ज्य नि र्मा ण ने एक दि लचस्प मो ड़ ली । ये कैसे-कैसे हुआ? आइये देखते हैं।
1956 के बा द बना ए गए नए रा ज्य एवं संघ शा सि त क्षेत्रत्
महा रा ष्ट्र और गुजगुरा त
आंध्रध् के बा द सबसे बड़ा वि वा द महा रा ष्ट्र और गुजगुरा त को लेकर हुआ। महा रा ष्ट्र और गुजगुरा त पहले एक ही रा ज्य था जि से बॉ म्बे या बंबई कहा जा ता था । पर यहाँ भी भा षा यी वि वा द ने बहुत ज्या दा तूलतू पकड़ लि या ।
बॉ म्बे सि टी जन कमेटी जि सके सदस्य पुरुपुषो तम दास ठा कुरदास एवं JRD टा टा थे। चा हते थे कि बॉ म्बे महा रा ष्ट्र से अलग रहे, क्यों कि यहाँ को ई एक भा षा बो लने वा ले लो ग नहीं रह रहे थे बल्कि कई भा षा बो लने वा ले और कई धर्मों के लो ग रह रहे थे।
और अगर बॉ म्बे महा रा ष्ट्र की रा जधा नी बन जा ती तो यहाँ मरा ठी लो गों एका धि का र स्था पि त हो जा ता । जबकि दूसदू री तरफ थे संयुक्युत महा रा ष्ट्र परि षद, जि सकी अध्यक्षता शंकरदेव कर रहे थे; ये लो ग एक वृहत महा रा ष्ट्र चा हते थे जि सका कि रा जधा नी हो ता बंबई।
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इसमें भी हद तब हो गया जब फजल अली आयो ग की रि पो र्ट 1955 में सा मने आयी । इसमें इन्हो ने वृहत महा रा ष्ट्र को नका र दि या और मरा ठी भा षी जि लों को मि ला कर एक नए रा ज्य के गठन की सि फ़ा रि श की जि सका ना म था वि दर्भ।
हा लां कि 1956 के शुरुशुआती कुछ मही नों में खूबखू वि रो ध प्रदर्शन हुए पुलिपुलिस का र्यवा ही में सैंकड़ों लो ग मा रे गए पर अंतत: संयुक्युत महा रा ष्ट्र परि षद ने बॉ म्बे को छो ड़ना कबूल नहीं कि या और इस तरह से नवम्बर 1956 में बॉ म्बे रा ज्य का गठन कर दि या गया । लेकि न ये ज्या दा दि नों तक टि क नहीं सका । सा ल 1960 में द्वि भा षी रा ज्य बंबई को दो पृथक रा ज्यों में वि भक्त करना पड़ा –
मरा ठी भा षी लो गों के लि ए महा रा ष्ट्र अस्ति त्व में आया एवं गुजगुरा ती भा षी लो गों के लि ए गुजगुरा त अस्ति त्व में आया । इस तरह गुजगुरा त भा रती य संघ का 15वां रा ज्य बना ।
फि र से एक बा र recall कर लें तो अब कुल मि ला कर 15 रा ज्य जो कि कुछ इस प्रका र है – आंध्रध् प्रदेश, बि हा र, महा रा ष्ट्र, गुजगुरा त, उत्तर प्रदेश, पश्चि म बंगा ल, ओड़ी सा , मैसूर (जि से कि 1973 से कर्ना टक कहा जा ता है), मद्राद् रास (जि से कि 1969 में तमि लना डु कर दि या गया ), पंजा ब, असम, जम्मू कश्मी र, केरल, मध्यप्रदेश और रा जस्था न।
इसी तरह से केंद्रद्शा सि त प्रदेश की बा त करें तो कुछ इस प्रका र है – त्रि पुरापुरा, मणि पुरपु, हि मा चल प्रदेश, दि ल्ली , अंडमा न और नि को बा र द्वी प समूहमू एवं लका दि व, अमि नि दि वी एवं मि नी कॉ य द्वी प समूहमू (इसे 1973 में लक्षद्वी प कर दि या गया )।
दादरा एवं नगर हवेली
यहाँ पर पुर्तपुर्तगा ल का शा सन था 1954 में भा रत सरका र ने इसे पुर्तपुर्तगा ल के शा सन से मुक्मुत करवा लि या । 1961 तक तो यहाँ लो गों द्वा रा स्वयं चुनाचुना गया प्रशा सन ही चलता रहा । आगे चलकर, 10वें संवि धा न संशो धन अधि नि यम 1961 द्वा रा इसे संघ शा सि त क्षेत्रत् में परि वर्ति त कर दि या गया ।
पुडुपुडुचेरी
यहाँ पर फ़्रां सी सि यों का शा सन था । फ्रां स ने शा यद सो चा हो गा कि भा रत इसे भी नहीं छो ड़ने वा ला , आज नहीं तो कल भा रत इसे ले ही लेगा । इससे अच्छा कि देही देते हैं।
1954 में फ्रां स ने इसे भा रत को सुपुसुर्द पु कर दि या । 1962 तक तो इसका प्रशा सन अधि गृहीगृ हीत क्षेत्रत् की तरह चलता रहा । फि र इसे 14वें संवि धा न संशो धन अधि नि यम द्वा रा संघ शा सि त प्रदेश बना या गया ।
गो वा , दमन एवं दीव
यहाँ भी पुर्तपुर्तगा ल का शा सन था पर 1961 में पुलिपुलिस का र्यवा ही के मा ध्यम से भा रत में इन ती न क्षेत्रोंत् रों को मि ला लि या गया । 12वें संवि धा न संशो धन अधि नि यम 1962 के द्वा रा इन्हे संघ शा सि त क्षेत्रत् के रूप में स्था पि त कि या गया । हा लां कि आगे चलकर, 1987 में गो वा को एक पूर्ण रा ज्य बना दि या गया ।
ना गा लैंड
अब तक जो भा रत के मुख्मुय भू भा ग पर ही नए रा ज्यों के लि ए आंदोलन हो रहे थे वो अब उत्तर-पूर्व के रा ज्यों में भी शुरूशु हो गया । ना गा ओं ने देखा कि सबकी झो लि याँ भरी जा रही है तो वो लो ग भी क्यूँ पी छे रहते। उनलो गों ने भी आंदोलन छेड़ दि या ।
आखि रका र ना गा आंदोलनका रि यों की संतुष्टितुष्टि के लि ए 1963 में ना गा पहा ड़ि यों और असम के बा हर के त्वेनसां ग क्षेत्रोंत् रों को मि ला कर ना गा लैंड रा ज्य का गठन कि या गया । इस प्रका र ना गा लैंड को भा रती य संघ के 16वें रा ज्य का दर्जा मि ला ।
हरि या णा , चंडी गढ़ और हि मा चल प्रदेश
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हमने पहले चर्चा की है कि रा ज्य पुनपुर्गठन आयो ग 1956 के तहत पंजा ब रा ज्य तो बना था लेकि न हरि या णा उसके सा थ ही था । और हरि या णा वा ले क्षेत्रत् में लो ग हि न्दी बो लते थे।
जबकि पंजा बि यों का शुरूशु से ही मां ग यही था कि पश्चि मी पंजा ब के पंजा बी भा षी क्षेत्रत् को अलग रा ज्य का दर्जा मि लना चा हि ए। 1966 में सि खों के लि ए पृथक ‘सिं ह गृहगृ रा ज्य’ की मां ग फि र से उठने लगी । ये मां ग अका ली दल के ता रा सिं ह ने ज़ो र-शो र से उठा या ’
जब सबकी सुनीसुनी ही जा रही थी तो इनकी भला कैसे नहीं सुनीसुनी जा ती । शा ह आयो ग ने सि फ़ा रि श की और इस प्रका र 1966 में पंजा बी भा षी क्षेत्रत् से हि न्दी भा षी क्षेत्रत् को का टकर उसे हरि या णा रा ज्य के रूप मे स्था पि त कि या गया एवं इससे लगे पहा ड़ी क्षेत्रत् को केंद्रद् शा सि त प्रदेश चंडी गढ़ का रूप दि या गया इस प्रका र हरि या णा भा रती य संघ का 17वां रा ज्य बना ।
चंडी गढ़ को केंद्रद्शा सि त प्रदेश ही रहने दि या गया जबकि हि मा चल प्रदेश जो कि एक केंद्रद्शा सि त प्रदेश था ; को 1971 में पूर्ण रा ज्य का दर्जा देदि या गया । इस प्रका र हि मा चल प्रदेश भा रती य संघ का 18वां रा ज्य बन गया ।
मणि पुरपु, त्रि पुरापुरा एवं मेघा लय
1971 के युद्धयु से पहले पा कि स्ता न ने जो बां ग्ला देश में तबा ही मचा यी उससे करो ड़ों बां ग्ला देशी भा रत भा ग आए और भा रत सरका र ने उसको शरण दी।
अब अगर आपको उत्तरपूर्व भा रत का नक्शा या द हो तो आपको या द आ गया हो गा कि ये बां ग्ला देशी मणि पुरपु, त्रि पुरापुरा, असम, मेघा लय एवं पश्चि म बंगा ल भा गे। क्यों कि यहीं भा रती य रा ज्य बां ग्ला देश से सटा हुआ है।
पश्चि म बंगा ल तो पहले से एक रा ज्य था , असम तो पहले से ही एक रा ज्य था पर मणि पुरपु, त्रि पुरापुरा और मेघा लय एक रा ज्य नहीं था । इसका प्रशा सन व्यवस्था केंद्रद् संभा लता था ।
जब बां ग्ला देशी बहुत ज्या दा इन क्षेत्रोंत् रों में आ गए तब इन क्षेत्रोंत् रों ने इन्दि रा गां धी सरका र से पूर्ण-रा ज्य का दर्जा देने को कहा । ता कि वहाँ का प्रशा सन अपने हि सा ब से संभा ल सकें। तो कुल मि लका र उस समय देश की स्थि ति ऐसी बन गयी कि इन ती नों को 1972 में रा ज्य का दर्जा देदि या गया ।
इस तरह दो केंद्रद् शा सि त प्रदेश मणि पुरपु व त्रि पुरापुरा एवं उप-रा ज्य मेघा लय को रा ज्य का दर्जा मि ला । (मेघा लय पहले असम के उप-रा ज्य के रूप में जा ना जा ता था ) ।
इसके सा थ ही भा रती य संघ में रा ज्यों की संख्या 21 हो गई – मणि पुरपु 19वां , त्रि पुरापुरा 20वां और मेघा लय 21वां ।
इसके अला वे संघ शा सि त प्रदेश मि ज़ो रम और अरुणा चल प्रदेश (जि से पूर्वो त्तर सी मां त एजेंसी -NEFA के ना म से जा ना जा ता था ) भी अस्ति त्व में आए।
सि क्कि म
1947 तक सि क्कि म भा रत का एक शा ही रा ज्य था , जहां चो गया ल का शा सन था । 1947 में ब्रि टि श शा सन के समा प्त हो ने पर सि क्कि म को भा रत द्वा रा रक्षि त कि या गया । 1974 में भा रत सरका र ने सि क्कि म को एक संबद्ध रा ज्य का दर्जा दि या ।
लेकि न वहाँ के लो गों का रा जशा ही व्यवस्था पर से भरो सा उठने लगा था । क्यों कि बा की सभी रा ज्य लो कतंत्रत् को फॉ लो कर रहे थे और बेशुमाशुमार आजा दी को एंजॉएं जॉय कर रहे थे।
इसी लि ए 1975 में वहाँ एक जनमत संग्रग् ह करवा या गया । जनता ने एक जनमत के दौरा न चो गया ल के शा सन को समा प्त करने के लि ए मत दि या ।
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और इस तरह सि क्कि म भा रत का एक अभि न्न हि स्सा बन गया । 36वें संवि धा न संशो धन अधि मि यम 1975 के प्रभा वी हो ने के बा द सि क्कि म को पूर्ण रा ज्य बना दि या गया और इस तरह ये भा रती य संघ का 22वां रा ज्य बना ।
मि ज़ो रम, अरुणा चल प्रदेश एवं गो वा
नये-नये रा ज्यों का गठन करते-करते सरका र को भी इसमें मजा आने लगा था । इसलि ए 1987 में ती न और रा ज्यों का गठन कि या गया ।
मि ज़ो रम जो पहले संघशा सि त प्रदेश था उसे पूर्ण रा ज्य का दर्जा देदि या गया और मि ज़ो रम भा रती य संघ का 23वां रा ज्य बना । अरुणा चल प्रदेश को भी पूर्ण रा ज्य का दर्जा दि या गया और ये भा रती य संघ का 24वां रा ज्य बना ।
और, गो वा जो पहले केंद्रद्शा सि त प्रदेश था उसे भी पूर्ण रा ज्य का दर्जा देदि या गया । और ये भा रती य संघ का 25वां रा ज्य बना ।
छती सगढ़, उत्तरा खंडखं और झा रखंडखं
1987 के बा द एक लंबे समय तक को ई नया रा ज्य अस्ति त्व में नहीं आया । इसी लि ए लो गों का मन नहीं लग रहा था और सरका र के हा थों में भी खुजखुली हो ने लगी थी ।
तो जैसे ही लो गों ने नये रा ज्यों की मां ग की , सरका र तो तैया र ही बैठी थी ; उसने मां ग भर दी । देखते ही देखते सन 2000 में ती न नये रा ज्यों का जन्म हुआ। मुबामुबारक हो !!
मध्य प्रदेश को का टकर छती सगढ़ बना या गया । उत्तर प्रदेश को का टकर उत्तरा खंडखं बना या गया , तथा बि हा र को का टकर झा रखंडखं बना या गया ।
इस प्रका र छती सगढ़ भा रती य संघ का 26वां , वां उत्तरा खंडखं 27वां और झा रखंडखं 28वां रा ज्य बना ।
तेलंगा ना
अब या द की जि ये तो यही आंध्रध् प्रदेश था जो सबसे पहले बना था । फि र भी इसे संतुष्टितुष्टि नहीं मि ली । वर्ष 2014 में आंध्रध् प्रदेश रा ज्य को का टकर तेलंगा ना रा ज्य बना या गया । और ये भा रती य संघ का 29वां रा ज्य बना । और इस प्रका र 29 रा ज्य और 7 केंद्रद् शा सि त प्रदेश हो गए
सभी को 29 रा ज्यों और 7 केंद्रद् शा सि त प्रदेशों की आदत सी हो गयी थी । पर ये आदत फि र से जल्द ही बदल गयी
सा ल 2019 में एक ऐति हा सि क घटना क्रम के फलस्वरूप जम्मू कश्मी र को दो केंद्रद्शा सि त प्रदेशों में बाँ ट दि या गया । जम्मू कश्मी र एवं लद्दा ख। और इस तरह से जब तक और नये रा ज्य नहीं बनते, आज हमा रे देश में 28 रा ज्य और 8 केंद्रद्शा सि त प्रदेश है।
भा रती य रा ज्यों की वर्तमा न स्थि ति
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भा रती य रा ज्यों के बनने की कहा नी
Union territory Capital UT established
Officiallanguages
Andaman and Nicobar Islands
Port Blair 1 November 1956
Hindi
Chandigarh Chandigarh 1 November 1966
English
Dadra and Nagar Haveli and Daman and Diu
Daman 26 January 2020
Gujarati, Hindi
Delhi New Delhi 1 November 1956
Hindi, English
Jammu and Kashmir Srinagar (Summer Jammu (Winter)
Ladakh Leh (Summer) Kargil (Winter)
31 October 2019
31 October 2019
Kashmiri, Urdu Hindi, English
Lakshadweep Kavaratti 1 November 1956
Puducherry
Malayalam, English
तो ये थी भा रती य रा ज्यों की बनने की कहा नी (story of formation of the indian states), उम्मी द है समझ में आया हो गा । नी चे दि ये गए लेखों को भी अवश्य पढ़ें।