भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं मंत्रिपरिषद के साथ-साथ भारत के महान्यायवादी भी कार्यपालिका (executive) होते हैं।

इस लेख में हम भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) पर सरल और सहज चर्चा करेंगे एवं इसके विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को समझेंगे,

तो अच्छी तरह से समझने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें, साथ ही संबंधित अन्य लेख भी पढ़ें। Link is given below;

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भारत के महान्यायवादी
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भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India)

संघ के स्तर पर मुख्यतः 5 कार्यपालिका होते हैं। राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केन्द्रीय मंत्रिपरिषद और भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India)।

दरअसल जब भी लॉ डिग्रीधारी अधिवक्ता (Advocate) बन जाता है यानी कि किसी की तरफ से केस लड़ने के योग्य हो जाता है तो फिर आगे वो व्यक्ति इस क्षेत्र में बहुत कुछ बन सकता है; जैसे कि यदि वो न्यायालय में राज्य की तरफ से किसी पीड़ित का पक्ष लेता है तो उसे लोक अभियोजक (Public prosecutor) कहा जाता है।

यदि वो व्यक्ति न्यायालय में न्यायालय में राज्य सरकार की तरफ से खड़ा होता है तो उसे राज्य का महाधिवक्ता (Advocate General of State)↗️ कहा जाता है।

यदि वो व्यक्ति न्यायालय में केंद्र सरकार की तरफ से खड़ा होता है तो उसे महान्यायवादी (Attorney General) कहा जाता है। (इसी के बारे में आज हम बात करने वाले हैं।)

इसी महान्यायवादी के सहायक (Assistant) के रूप में काम करने वाले को अधिकारी को महा याचक/ महा न्यायभिकर्ता (solicitor general) कहते हैं।

भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) दरअसल देश के सर्वोच्च कानून अधिकारी होते हैं। संविधान में अनुच्छेद 76 में भारत के महान्यायवादी के पद की व्यवस्था की गई है। यानी कि ये एक संवैधानिक पद है।

भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति एवं कार्यकाल

अनुच्छेद 76(1) के अनुसार भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा, लेकिन राष्ट्रपति उसी व्यक्ति को नियुक्त करेगा जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के योग्य हो।

दूसरे शब्दों में कहें तो भारत के महान्यायवादी में उन योग्यताओं का होना आवश्यक होता है जो उच्चतम न्यायालय के किसी न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए होता है; यानी कि

(1) वह भारत का नागरिक हो,

(2) उसे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में काम करने का पाँच वर्षों का अनुभव हो या किसी उच्च न्यायालय में वकालत का 10 वर्षों का अनुभव हो, या

(3) राष्ट्रपति के नज़र वह न्यायिक मामलों का योग्य व्यक्ति हो।

महान्यायवादी का कार्यकाल

संविधान में महान्यायवादी के कार्यकाल को लेकर कोई निश्चित व्यवस्था नहीं किया गया है। इसके साथ ही संविधान में उसको हटाने को लेकर भी कोई मूल व्यवस्था नहीं दी गई है। हालांकि अनुच्छेद 76(4) में ये बताया गया है कि वह राष्ट्रपति के प्रसाद्पर्यंत पद धारण करेगा इसके साथ ही वेतन और भत्ते भी वही प्राप्त करेगा जो राष्ट्रपति तय करेगा।

इसका तात्पर्य यह है कि महान्यायवादी को राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय हटाया जा सकता है। या फिर वो खुद भी चाहे तो राष्ट्रपति को कभी भी अपना त्यागपत्र सौंपकर पदमुक्त हो सकता है।

वैसे परंपरा ये है कि जब सरकार त्यागपत्र दे दे या फिर वो गिर जाये तो उसे त्यागपत्र देना होता है क्योंकि उसकी नियुक्ति सरकार की सिफ़ारिश से ही होती है। फिर जब नया सरकार बनेगा तब वो जो सिफ़ारिश करेगा वो भारत का महान्यायवादी बनेगा।

महान्यायवादी की कार्य एवं शक्तियाँ

भारत सरकार के मुख्य कानून अधिकारी के रूप में महान्यायवादी के निम्नलिखित कर्तव्य हैं:-

1. भारत सरकार को विधि संबंधी ऐसे विषयों पर सलाह दे जो राष्ट्रपति द्वारा सौपे गए हो
2. संविधान या किसी अन्य विधि द्वारा प्रदान किए गए कृत्यों का निर्वहन करें।

राष्ट्रपति भी महान्यायवादी को कार्य सौंपता है जैसे कि –

1. भारत सरकार से संबन्धित मामलों को लेकर उच्चतम न्यायालय में भारत सरकार की ओर से पेश होना।
2. संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत, राष्ट्रपति के द्वारा उच्चतम न्यायालय में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करना।
3. सरकार से संबन्धित किसी मामले में उच्च न्यायालय में सुनवाई का अधिकार।

भारत के किसी भी अदालत में महान्यायवादी को सुनवाई का अधिकार है। इसके अतिरिक्त संसद के दोनों सदनों मे बोलने या कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है। हालांकि वो वोटिंग प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकता है। एक संसद सदस्य की तरह महान्यायवादी को भी सभी भत्ते एवं विशेषाधिकार मिलते है।

भारत के महान्यायवादी की सीमाएं

महान्यायवादी की निम्नलिखित सीमाएं भी है ताकि वो क्या कर सकता है और क्या नहीं उसके बीच स्पष्ट अंतर रहे।
1. वह भारत सरकार के खिलाफ कोई सलाह या विश्लेषण नहीं कर सकता
2. जिस मामले में उसे भारत की ओर से पेश होना है, उस पर वह कोई टिप्पणी नहीं कर सकता है
3. बिना भारत सरकार की अनुमति के वह किसी आपराधिक मामले में किसी व्यक्ति का बचाव नहीं कर सकता है
4. बिना भारत सरकार की अनुमति के वह किसी परिषद या कंपनी के निदेशक का पद ग्रहण नहीं कर सकता है।

महान्यायवादी से जुड़े अन्य तथ्य

महान्यायवादी के अतिरिक्त भी भारत सरकार के अन्य कानूनी अधिकारी होते हैं। इसमें एक Solicitor General of India एवं 4 Additional Solicitors General for India होते हैं। ये लोग महान्यायवादी को उसकी ज़िम्मेदारी पूरी करने में सहायता करते हैं।

यहाँ एक बात ध्यान में रखिए कि महान्यायवादी का पद एक संवैधानिक पद है जिसका कि अनुच्छेद 76 में उल्लेख किया गया है। वहीं Solicitor General of India एवं Additional Solicitors General for India की बात करें तो संविधान में उसकी चर्चा नहीं की गयी है।

कहने को तो इसे कार्यपालक की श्रेणी में रखा गया है, लेकिन महान्यायवादी केंद्रीय कैबिनेट का सदस्य नहीं होता है। सरकारी स्तर पर विधिक मामलों को देखने के लिय केन्द्रीय कैबिनेट (cabinet) में एक अलग से विधि मंत्री (Law minister) होता है। जबकि अमेरिका के महान्यायवादी को कार्यकारी प्राधिकार भी होता है।

महान्यायवादियों की सूची

महान्यायवादीकार्यकालउस समय के प्रधानमंत्री
एम सी सीतलवाड28 Jan 1950 – 1 Mar 1963जवाहरलाल नेहरू
सी के दफतरी2 Mar 1963 – 30 Oct 1968जवाहरलाल नेहरू;
लाल बहादुर शास्त्री
नीरेन डे1 Nov 1968 – 31 Mar 1977इन्दिरा गांधी
एस वी गुप्ते1 Apr 1977 – 8 Aug 1979मोरारजी देशाई
एल एन सिन्हा9 Aug 1979 – 8 Aug 1983इन्दिरा गांधी
के परासरण9 Aug 1983 – 8 Dec 1989इन्दिरा गांधी;
राजीव गांधी
सोली सोराबजी9 Dec 1989 – 2 Dec 1990वी पी सिंह ;
चन्द्रशेखर
जी रामास्वामी3 Dec 1990 – 23 Nov 1992चन्द्रशेखर;
पी वी नरसिम्हाराव
मिलन के बनर्जी21 Nov 1992 – 8 July 1996पी वी नरसिम्हा राव
अशोक देशाई9 July 1996 – 6 April 1998एच डी देवगौड़ा;
इंद्र कुमार गुजराल
सोली सोराबजी7 April 1998 – 4 June 2004अटल बिहारी बाजपेयी
मिलन के बनर्जी5 June 2004 – 7 June 2009मनमोहन सिंह
गूलम इस्साजी वेहनवती8 June 2009 – 11 June 2014मनमोहन सिंह
मुकुल रोहतगी19 June 2014 – 18 June 2017नरेंद्र मोदी
के के वेणुगोपाल1 July 2017 – 30 Sep 2022नरेंद्र मोदी
आर वेंकटरमन1 Oct 2022 – Incumbentनरेंद्र मोदी
Article 76

कुल मिलाकर यही है भारत के महान्यायवादी (Attorney-General for India), उम्मीद है समझ में आया होगा। नीचे अन्य लेखों का लिंक है उसे भी अवश्य पढ़ें।

भारत के महान्यायवादी प्रैक्टिस क्विज यूपीएससी


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Chapter Wise Polity Quiz

भारत के महान्यायवादी (Attorney General) अभ्यास प्रश्न

  1. Number of Questions - 5
  2. Passing Marks - 80 %
  3. Time - 4 Minutes
  4. एक से अधिक विकल्प सही हो सकते हैं।

Choose the correct statement from the given statements regarding the qualifications of an Attorney General;

  1. He should be a citizen of India.
  2. He should have five years' experience of working as a High Court Judge.
  3. In the eyes of the Chief Justice of the Supreme Court, he should be a knower of the law.
  4. He should be a member of Rajya Sabha.

1 / 5

एक महान्यायवादी के योग्यता के संबंध में दिए गए कथनों में सही कथन का चुनाव करें;

  1. उसे भारत का नागरिक होना चाहिए।
  2. उसे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में काम करने का पाँच वर्षों का अनुभव होना चाहिए।
  3. उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के नजरों में उसे विधि का ज्ञाता होना चाहिए।
  4. उसे राज्यसभा का सदस्य होना चाहिए।

Choose the correct statement from the given statements;

  1. The Attorney General works during the pleasure of the Prime Minister.
  2. The salary and allowances of the Attorney General are fixed by the President.
  3. The Attorney General has to take membership of the party of the government of the day so that the ideology remains the same.
  4. The Attorney General can be relieved of his office at any time by submitting his resignation to the Speaker of the Lok Sabha.

2 / 5

दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. महान्यायवादी प्रधानमंत्री के प्रसाद्पर्यंत काम करते हैं।
  2. महान्यायवादी के वेतन एवं भत्ते राष्ट्रपति द्वारा तय की जाती है।
  3. महान्यायवादी को तत्कालीन सरकार के पार्टी की सदस्यता लेनी पड़ती है ताकि विचारधारा समान रहे।
  4. महान्यायवादी कभी भी लोकसभा के अध्यक्ष को त्यागपत्र सौंपकर पदमुक्त हो सकता है।

Choose the correct statement from the given statements;

  1. The post of Solicitor General of India is not a constitutional post.
  2. The Attorney General is not a member of the Union Cabinet.
  3. MC Setalvad was the first Attorney General of India.
  4. According to Article 76, in the year 2026, the post of Attorney General will be abolished permanently.

3 / 5

दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. Solicitor General of India का पद एक संवैधानिक पद नहीं है।
  2. महान्यायवादी केंद्रीय कैबिनेट का सदस्य नहीं होता है।
  3. एम सी सीतलवाड भारत के पहले महान्यायवादी थे।
  4. अनुच्छेद 76 के अनुसार साल 2026 में महान्यायवादी के पद को स्थायी रूप से समाप्त कर दिया जाएगा।

Choose the incorrect statement from the given statements with reference to the Attorney General of India;

  1. The Attorney General represents the Central Government in the Supreme Court.
  2. It is also a part of the central executive.
  3. Under Article 76, provision has been made for the post of Attorney General.
  4. The Attorney General is appointed by the Chief Justice of the Supreme Court.

4 / 5

भारत के महान्यायवादी के संदर्भ में दिए गए कथनों में से गलत कथन का चुनाव करें;

  1. महान्यायवादी उच्चतम न्यायालय में केंद्र सरकार का पक्ष रखता है।
  2. ये भी केंद्रीय कार्यपालिका का हिस्सा होता है।
  3. अनुच्छेद 76 के तहत महान्यायवादी पद की व्यवस्था की गई है।
  4. महान्यायवादी की नियुक्ति उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा की जाती है।

What can't the Attorney General do?

  1. He cannot give any advice or analysis against the Government of India.
  2. He cannot defend any person in any criminal case without the permission of the Government of India.
  3. He cannot comment on the case in which he has to appear on behalf of India.
  4. He cannot take part in the proceedings of the House.

5 / 5

महान्यायवादी क्या नहीं कर सकता है?

  1. वह भारत सरकार के खिलाफ कोई सलाह या विश्लेषण नहीं कर सकता।
  2. वह बिना भारत सरकार की अनुमति के किसी आपराधिक मामले में किसी व्यक्ति का बचाव नहीं कर सकता है।
  3. जिस मामले में उसे भारत की ओर से पेश होना है, उस पर वह कोई टिप्पणी नहीं कर सकता।
  4. वह सदन की कार्यवाही में भाग नहीं ले सकता है।

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मूल संविधान भाग 5↗️
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