राज्यपाल, मुख्यमंत्री या राज्य मंत्रिपरिषद की तरह राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General) को भी राज्य कार्यपालिका का एक अंग माना जाता है।

इस लेख में हम राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General of the state) पर सरल और सहज चर्चा करेंगे एवं इसके विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने का प्रयास करेंगे; तो अच्छी तरह से समझने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़े साथ ही अन्य संबंधित लेखों को भी पढ़ें।

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अगर आप इस लेख को पढ़ने से पहले ‘भारत का महान्यायवादी (Attorney General of India)‘ पढ़ लेंगे तो आपको इसे समझने में आसानी होगी क्योंकि जो काम केंद्र के लिए भारत का महान्यायवादी करता है, कमोबेश वही काम राज्य का महाधिवक्ता राज्य के लिए करता है।

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राज्य का महाधिवक्ता (Advocate General of the state)

भारत के संविधान के अनुच्छेद 165 में राज्य के महाधिवक्ता की व्यवस्था की गई है। वह राज्य का सर्वोच्च कानून अधिकारी होता है।

जिस तरह से केंद्र में अनुच्छेद 76 के तहत महान्यायवादी (Attorney General of India) की व्यवस्था की गई है उसी तरह से राज्य में अनुच्छेद 165 के तहत महाधिवक्ता (Advocate General of the State) की व्यवस्था की गई है।

हालांकि इन दोनों पदों की भूमिका उस तरह की नहीं होती है जैसे कि किसी मंत्री का होता है लेकिन फिर भी इसे संविधान में कार्यपालिका (Executive) की श्रेणी में रखा गया है।

महान्यायवादी की नियुक्ति एवं कार्यकाल (Appointment and tenure of Attorney General)

अनुच्छेद 165(1) के अनुसार, राज्य के महाधिवक्ता की नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा होती है।

किसी राज्य का महाधिवक्ता बनने के लिए किसी व्यक्ति में उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने की योग्यता होनी चाहिए। यानि कि

1. वह भारत का नागरिक हो।
2. उसे भारत के राज्यक्षेत्र के अंदर न्यायिक कार्य में 10 वर्ष का अनुभव हो, अथवा वह उच्च न्यायालय में लगातार 10 वर्षों तक अधिवक्ता रह चुका हो।

संविधान में राज्य के महाधिवक्ता के कार्यकाल के बारे में कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं है। इसके अतिरिक्त संविधान में उसे हटाने की व्यवस्था का भी वर्णन नहीं किया गया है।

वैसे वह अपने पद पर राज्यपाल के प्रसाद्पर्यंत बना रहता है। इसका मतलब ये है कि उसे राज्यपाल द्वारा कभी भी हटाया जा सकता है। वह चाहे तो अपने पद से त्याग पत्र देकर भी कार्यमुक्त हो सकता है।

समान्य परंपरा ये है कि जब सरकार गिर जाती है तो उस समय पदासीन महाधिवक्ता (Advocate General) त्यागपत्र दे देता है क्योंकि उसकी नियुक्ति सरकार की सलाह पर होती है। जब फिर से नया सरकार बनता है तब फिर वो सरकार अपने हिसाब से महाधिवक्ता चुन लेता है।

संविधान मे महाधिवक्ता के वेतन एवं भत्तों को भी निश्चित नहीं किया गया है। उसके वेतन भत्तों का निर्धारण राज्यपाल द्वारा दिया जाता है।

महान्यायवादी की कार्य एवं शक्तियाँ (Functions and Powers of the Attorney General

राज्य के मुख्य कानून अधिकारी होने के नाते अनुच्छेद 165(2) में महाधिवक्ता के कुछ एवं कर्तव्य बताए गयें है, जो कि निम्नलिखित है;

1. राज्य सरकार की विधि संबंधी ऐसे विषयों पर सलाह दे जो राज्यपाल द्वारा सौंपे गए हो।

2. विधिक रूप से ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करे जो राज्यपाल द्वारा सौंपे गए हों।

3. संविधान या किसी अन्य विधि द्वारा प्रदान किए गए कृत्यों का निर्वहन करें।

अपने कार्य संबंधी कर्तव्यों के तहत उसे राज्य के किसी न्यायालय के समक्ष सुनवाई का अधिकार है। इसके अतिरिक्त उसे विधानमंडल के दोनों सदनों (यदि उस राज्य में विधानपरिषद भी है तो) में भाग ले सकता है। हालांकि वोटिंग प्रक्रिया में वो नहीं ले सकता है।

इसके अलावा उसे वे सभी विशेषाधिकार एवं भत्ते मिलते हैं। जो विधानसभा के किसी सदस्य को मिलते है।

अगर आप सभी राज्यों के महाधिवक्ताओं की लिस्ट देखना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करके देख सकते हैं।

समापन टिप्पणी (Closing Remarks);

Advocate General

महाधिवक्ता एक कानूनी अधिकारी होता है जो विभिन्न कानूनी मामलों में राज्य का प्रतिनिधित्व करता है। भारत में, महाधिवक्ता संविधान के अनुच्छेद 165 के तहत सृजित एक संवैधानिक पद है।

महाधिवक्ता को राज्य के राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जाता है और राज्य सरकार के कानूनी सलाहकार के रूप में कार्य करता है। महाधिवक्ता उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय सहित सभी कानूनी मामलों में राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करता है।

महाधिवक्ता राज्य सरकार को कानूनी राय देने और विभिन्न कानूनी कार्यवाही में राज्य सरकार के हितों की रक्षा करने के लिए भी जिम्मेदार है।

संयुक्त राज्य अमेरिका में, एडवोकेट जनरल को अटॉर्नी जनरल के रूप में जाना जाता है। अटॉर्नी जनरल राज्य का मुख्य कानूनी अधिकारी होता है और सभी कानूनी मामलों में राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए जिम्मेदार होता है।

महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) राज्य सरकार को कानूनी सलाह भी देता है और कानूनी कार्यवाही में राज्य सरकार के हितों की रक्षा करता है।

अटॉर्नी जनरल को राज्य के राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जाता है, और कुछ राज्यों में अटॉर्नी जनरल लोगों द्वारा चुने जाते हैं। भारत में भी अटॉर्नी जनरल होता है लेकिन केंद्र के स्तर पर और वो भी वही काम करता है जो कि महाधिवक्ता द्वारा राज्य में किया जाता है।

यूनाइटेड किंगडम में, एडवोकेट जनरल एक कानून अधिकारी है जो स्कॉटलैंड में यूके सरकार के हितों का प्रतिनिधित्व करता है। महाधिवक्ता यूके सरकार को कानूनी सलाह प्रदान करने और स्कॉटिश अदालतों में यूके सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए जिम्मेदार है। एडवोकेट जनरल यूके सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है और यूके सरकार की कानूनी टीम का सदस्य होता है।

जर्मनी में, एडवोकेट जनरल को बुंडेसनवाल्ट बीम बुंडेसगेरिच्सहोफ (Bundesanwalt beim Bundesgerichtshof) के रूप में जाना जाता है। एडवोकेट जनरल फेडरल कोर्ट ऑफ जस्टिस में जर्मन सरकार के हितों का प्रतिनिधित्व करने के लिए जिम्मेदार है। एडवोकेट जनरल भी जर्मन सरकार को कानूनी राय प्रदान करता है और कानूनी कार्यवाही में जर्मन सरकार के हितों का बचाव करता है।

कुल मिलाकर, महाधिवक्ता एक महत्वपूर्ण कानूनी अधिकारी है जो विभिन्न कानूनी मामलों में राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करता है। महाधिवक्ता राज्य सरकार को कानूनी सलाह प्रदान करने, कानूनी कार्यवाही में राज्य सरकार के हितों की रक्षा करने और राज्य सरकार को कानूनी राय प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है।

महाधिवक्ता की भूमिका अलग-अलग देशों में अलग-अलग होती है, लेकिन उनकी मुख्य जिम्मेदारी वही रहती है, जो कानूनी मामलों में सरकार के हितों का प्रतिनिधित्व करना है।

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राज्यों के महाधिवक्ता अभ्यास प्रश्न

  1. Number of Questions - 4
  2. Passing Marks - 75 %
  3. Time - 3 Minutes
  4. एक से अधिक विकल्प सही हो सकते हैं।

The Advocate General of the State is part of the State Council of Ministers;

1 / 4

राज्य का महाधिवक्ता राज्य मंत्रिपरिषद का हिस्सा होता है;

Choose the correct statements from the following with reference to the Advocate General of the State;

  1. Article 165 of the Constitution provides for the Advocate General of the State.
  2. The Advocate General of the State is appointed by the Governor.
  3. The Advocate General of the State can be removed at any time by the Governor.
  4. The salary and allowances of the Advocate General of the State are determined by the Governor.

2 / 4

राज्य के महाधिवक्ता के संदर्भ में निम्न में से सही कथनों का चुनाव करें;

  1. संविधान के अनुच्छेद 165 में राज्य के महाधिवक्ता की व्यवस्था की गई है।
  2. राज्य के महाधिवक्ता की नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा होती है।
  3. राज्य के महाधिवक्ता को राज्यपाल द्वारा कभी भी हटाया जा सकता है।
  4. राज्य के महाधिवक्ता के वेतन भत्तों का निर्धारण राज्यपाल द्वारा किया जाता है।

Choose the correct statement from the given statements regarding the functions and powers of the Advocate General of the State.

  1. The Advocate General of the State can participate in the proceedings of the Legislature.
  2. The Advocate General of the State has to perform the duties assigned by the Governor.
  3. The Advocate General of a State is the Chief Law Officer of that State.
  4. The Advocate General of the State can participate in the voting process of the Legislature.

3 / 4

राज्य के महाधिवक्ता के कार्य एवं शक्तियों के संबंध में दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें।

  1. राज्य का महाधिवक्ता विधानमंडल के कार्यवाहियों में भाग ले सकता है।
  2. राज्य के महाधिवक्ता को राज्यपाल द्वारा सौंपे गए कर्तव्यों का पालन करना होता है।
  3. राज्य का महाधिवक्ता उस राज्य के मुख्य कानून अधिकारी होते हैं।
  4. राज्य का महाधिवक्ता विधानमंडल के वोटिंग प्रक्रिया में भाग ले सकता है।

The Advocate General of the State is an unconstitutional post;

4 / 4

राज्य का महाधिवक्ता एक असंवैधानिक पद है;

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