संसदीय कार्यवाही के साधन (Device of Parliamentary Proceedings) के रूप में विभिन्न प्रकार के संसदीय प्रस्ताव (Motions in Parliament), संसदीय संकल्प (Parliamentary Resolutions), प्रश्नकाल एवं शून्यकाल आदि आते हैं।

इस लेख में हम संसदीय प्रस्ताव (Parliamentary motions) उसके प्रकार एवं विशेषताओं पर सरल और सहज चर्चा करेंगे, एवं इसके विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं पर नजर डालेंगे, तो अच्छी तरह से समझने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें साथ ही अन्य संबन्धित लेखों को भी पढ़ें – 🏢 Parliament

संसदीय कार्यवाही के साधन (Device of Parliamentary Proceedings)
प्रश्नकाल एवं शून्यकाल (Question Hour and Zero Hour)
Parliamentary Motions
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संसदीय प्रस्ताव (Parliamentary Motions) क्या है?

सदन का फैसला या उसकी राय जानने हेतु सदन के समक्ष लाये गए सुझाव को प्रस्ताव (Motion) है। दूसरे शब्दों में कहें तो संसदीय प्रस्ताव (Parliamentary Motions) एक प्रक्रियात्मक उपकरण (Procedural Devices) हैं जो सदन को सामान्य जनहित के विषय पर बहस करने की अनुमति देते हैं।

कुछ अपवादों को छोड़कर, एक सदस्य या मंत्री एक प्रस्ताव पेश करके सदन में बहस शुरू करता है। शब्द ‘प्रस्ताव’ सदन में विचार के लिए रखे गए किसी भी प्रस्ताव को संदर्भित करता है।

सदन में सदस्यों की संख्या ज्यादा होती है और समय कम होता है, ऐसे में सदन की राय या इच्छा जानना कठिन काम है। इसीलिए प्रस्ताव की व्यवस्था की गई है।

कोई भी सदस्य अपनी राय या इच्छा सदन से समक्ष रख सकता है यदि वो सदन द्वारा स्वीकृत कर ली जाती है तो इसका मतलब माना जाता है कि पूरे सदन की यही इच्छा या राय है।

लेकिन जरूरी तो नहीं है कि उस प्रस्ताव से सभी सदस्य सहमत ही हो, ऐसे में सदस्यों के पास उसमें संशोधन और उसे बदलने का भी अधिकार होता है।

◾ अगर कोई सदस्य मूल प्रस्ताव से सहमत न हो तो वे संशोधन या स्थानापन्न प्रस्ताव (Substitute Motion) पेश कर सकते हैं।

◾ अगर सरकार की तरफ से कोई प्रस्ताव पेश किया जाता है तो उसे सरकारी प्रस्ताव (Government Motion) कहा जाता है और अन्य सदस्यों की तरफ से पेश किया गया प्रस्ताव गैर-सरकारी प्रस्ताव (Non-Government Motion) कहलाता है।

◾ सरकारी प्रस्ताव आमतौर पर किसी नीति या कार्यवाही के लिए सदन से अनुमोदन प्राप्त करने के लिए होता है। वहीं गैर-सरकारी प्रस्ताव आमतौर पर किसी मुद्दे पर सरकार की राय या विचार जानने के लिए होता है।

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संसदीय प्रस्तावों का वर्गीकरण (Categories of Parliamentary Motions):

संसदीय प्रस्ताव (Parliamentary motions) को तीन मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया जाता है। 1. मूल प्रस्ताव (Substantive-Motion) 2. स्थानापन्न प्रस्ताव (Substitute Motion) 3. सहायक प्रस्ताव (Subsidiary Motion)।

1. मूल प्रस्ताव (Substantive-Motion) :- यह प्रस्ताव अपने आप में एक स्वतंत्र प्रस्ताव होता है यानी कि यह न तो किसी अन्य प्रस्ताव पर निर्भर करता है और न ही किसी अन्य प्रस्ताव से उत्पन्न होता है। उदाहरण के लिए – धन्यवाद प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव, महाभियोग प्रस्ताव, लोक महत्व के किसी मामले पर स्थगन प्रस्ताव आदि। इसके अलावा सभी संकल्प मूल प्रस्ताव होते हैं।

2. स्थानापन्न प्रस्ताव (Substitute Motion) :- यह वह प्रस्ताव है, जो मूल प्रस्ताव के स्थान पर विकल्प के रूप में पेश किया जाता है। यदि सदन इसे स्वीकार कर लेता है तो मूल प्रस्ताव स्थगित हो जाता है।

3. सहायक प्रस्ताव (Subsidiary Motion) :- यह ऐसा प्रस्ताव है, जिसका स्वयं कोई अर्थ नहीं होता इसे सदन में तब तक पारित नहीं किया जा सकता जब तक इसके मूल प्रस्ताव का संदर्भ न हो। यानी कि इस श्रेणी के प्रस्ताव किसी अन्य प्रस्ताव पर निर्भर करते हैं या किसी अन्य प्रस्ताव से संबन्धित होते हैं। इसकी तीन श्रेणियाँ होती है।

(1) अनुषंगी प्रस्ताव (Ancillary Motion) :- इस प्रस्ताव को विभिन्न प्रकार के कार्यों की आगे की कार्यवाही के लिए नियमित उपाय के रूप में मान्यता दी जाती है, जैसे कि किसी विधेयक को प्रवर या संयुक्त समिति को भेजा जाये या फिर उस उस विधेयक पर विचार किया जाये या फिर उस विधेयक को पास कर दिया जाय।

(2) प्रतिस्थापक प्रस्ताव (Superseding Motion) : इसे स्थान लेने वाला प्रस्ताव भी कहा जाता है क्योंकि इसे किसी मसले पर वाद-विवाद के दौरान किसी अन्य मामले के संबंध में लाया जाता है और यह उस मामले का स्थान लेने के लिए लाया जाता है। जैसे कि – विधेयक को फिर से किसी समिति के पास भेजे जाने संबंधी प्रस्ताव, विधेयक पर वाद-विवाद स्थगित करने संबंधी प्रस्ताव, आदि।

(3) संशोधन प्रस्ताव (Amendment Motion) :- यह मूल प्रस्ताव के केवल कुछ भाग को परिवर्तित या स्थान लेने के लिए लाया जाता है।

संसदीय प्रस्ताव कैसे पेश किया जाता है?

सदन के अध्यक्ष (यानी कि स्पीकर या सभापति) प्रस्तावक को प्रस्ताव पेश करने और उस पर भाषण देने के लिए एक तय दिन निर्धारित करता है।

उसके बाद अध्यक्ष उस प्रस्ताव को सदन के समक्ष रखता है। फिर संशोधन या स्थानापन्न प्रस्ताव पेश किए जाते है (अगर हो तो)।

सदस्यों और मंत्री को उस पर बोल लेने के बाद प्रस्तावक फिर बोल सकता है और जितने भी प्रश्न उस पर उठाए गए हो उसका जवाब भी दे सकता है। इस चर्चा के बाद उसे मतदान के लिए रख दिया जाता है। दोनों सदनों में यही प्रक्रिया अपनायी जाती है।

संसदीय प्रस्तावों के लिए सामान्य नियम

सदनों के प्रक्रिया और कार्य-संचालन के नियमों के अनुसार:-

(1) लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा सभापति की सहमति से किए गए प्रस्ताव के अलावा सामान्य सार्वजनिक महत्व के मामले पर कोई चर्चा नहीं हो सकती है। यानि कि प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए अध्यक्ष या सभापति की सहमति आवश्यक होती है।

(2) इसके बाद सभापति/अध्यक्ष प्रस्ताव के विषय पर बहस के लिए समय निर्धारित करते हैं। हालांकि याद रखिए प्रस्ताव की एक लिखित सूचना महासचिव को दी जानी होती है।

(3) प्रस्ताव की स्वीकार्यता निश्चित मानदंडों के एक सेट द्वारा निर्धारित की जाती है। अध्यक्ष या सभापति उन्ही मापदंडों के आधार पर प्रस्तावों की स्वीकार्यता पर निर्णय लेते हैं।

(4) न्यायाधिकरणों (Tribunals) या आयोगों (Commissions) के सामने दायर प्रस्तावों को स्वीकार नहीं किया जाता है।

(5) सभापति या अध्यक्ष दिए गए दिन मूल प्रश्न पर सदन के निर्णय का पता लगाने के लिए आवश्यक सभी प्रश्न पूछ सकते हैं।

(6) किसी प्रस्ताव को कितना समय दिया जाएगा यह अध्यक्ष या सभापति द्वारा तय किया जा सकता है।

महत्वपूर्ण संसदीय प्रस्ताव (Important Parliamentary Motions)

संसदीय कार्यवाही के साधन के रूप में उपरोक्त प्रस्तावों के अलावा भी अन्य ढेरों प्रकार के प्रस्ताव होते हैं जिसका समय-समय पर इस्तेमाल किया जाता रहता है। इस प्रकार के प्रस्तावों को नीचे देखा जा सकता है;

अविश्वास प्रस्ताव (No confidence motion)

संविधान के अनुच्छेद 75 में साफ-साफ कहा गया है कि मंत्रिपरिषद, लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगा। इसका अभिप्राय है कि मंत्रिपरिषद तभी तक है, जब तक कि उसे सदन में बहुमत प्राप्त है या यूं कहें कि जब तक सदन का उसमें विश्वास है। इसी विश्वास का पता लगाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है। इस प्रस्ताव को लाने के लिए पूर्व सूचना देनी आवश्यक होती है।

प्रस्ताव के समर्थन में कम से कम 50 सदस्यों की सहमति अनिवार्य है। अगर इतना हो जाता है तो अध्यक्ष उसे सदन में पेश करने की इजाज़त दे देता है। अनुमति मिल जाने के बाद 10 दिनों के अंदर उस पर बहस करना होता है। सरकार से उसका विचार जाना जाता है और तब अध्यक्ष चर्चा के लिए दिन तय करता है।

यदि सरकार चाहे तो उसी समय उस पर बहस आरंभ की जा सकती है। जब सदस्य इस प्रस्ताव पर अपने-अपने विचार रख लेते हैं तब सरकार के विरुद्ध जितने भी आरोप लगाए गए होते हैं उसका जवाब आमतौर पर प्रधानमंत्री खुद देते हैं। जब इस पर चर्चा खत्म हो जाती है तब इसपर मतदान की प्रक्रिया शुरू होती है।

जिन सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव लाया हो उसे इसे वापस लेने का भी अधिकार होता है। राज्यसभा के पास अविश्वास प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कोई शक्ति नहीं होती है।

⚫ अविश्वास प्रस्ताव पूरे मंत्रिपरिषद के विरुद्ध लाया जाता है और यदि वो लोकसभा से पारित हो जाये तो मंत्रिपरिषद को त्याग-पत्र देना पड़ता है।

निंदा प्रस्ताव (Censure motion)

निंदा प्रस्ताव अविश्वास प्रस्ताव से भिन्न होता है क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव में उन कारणों का कोई उल्लेख नहीं होता है जिस पर वो आधारित होता है जबकि निंदा प्रस्ताव में यह उल्लेख करना आवश्यक होता है कि वह क्यों लाया जा रहा है और किस विषय से संबन्धित है।

⚫निंदा प्रस्ताव पूरे मंत्रिपरिषद के विरुद्ध, कुछ मंत्रियों के विरुद्ध या फिर किसी एक मंत्री के विरुद्ध उसके किसी काम के बदले खेद, रोष, आश्चर्य प्रकट करने या निंदा करने के लिए लाया जाता है।

⚫यदि ये प्रस्ताव सदन से पास हो भी जाता है तो सरकार को त्याग-पत्र देने की जरूरत नहीं होती है।

कटौती प्रस्ताव (Closure Motion)

इस प्रकार के प्रस्ताव किसी सदस्य द्वारा वाद-विवाद को समाप्त करने के लिए लाया जाता है। यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है तो वाद-विवाद को वहीं रोककर इसे मतदान के ली रखा जाता है। सामान्यतः चार प्रकार के कटौती प्रस्ताव (Closure Motion) होते हैं :-

1. साधारण कटौती (Simple Closure): इस प्रस्ताव को किसी सदस्य द्वारा इस आशय से रखा जाता है कि इस मामले पर पर्याप्त चर्चा हो चुकी है अब इसे मतदान के लिए रखा जाय।

2. घटकों में कटौती (Closure by Compartments): इस प्रस्ताव में, किसी विधेयक के किसी खास-खास हिस्सों का एक समूह बना लिया जाता है और बहस के दौरान सिर्फ उसी पर बहस होती है और सम्पूर्ण भाग को मतदान के लिए रखा जाता है।

3. कंगारू कटौती (Kangaroo Closure): इस प्रकार के प्रस्ताव में, केवल महत्वपूर्ण खंडों पर बहस होती है और उसी पर मतदान होता है। शेष खंडों को छोड़ दिया जाता है और उन्हे पारित मान लिया जाता है।

4. गिलोटिन प्रस्ताव (Guillotine Closure): जब किसी विधेयक या संकल्प के किसी भाग पर चर्चा नहीं हो पाती है तो उस पर मतदान से पूर्व चर्चा कराने के लिए इस प्रस्ताव लाया जाता है।

विशेषाधिकार प्रस्ताव (Privilege motion)

यह किसी मंत्री द्वारा विशेषाधिकारों के उल्लंघन से संबन्धित है। यह प्रस्ताव किसी सदस्य द्वारा तब पेश किया जाता है, जब उसे लगता है कि मंत्री ने सही तथ्यों को प्रकट नहीं किया या गलत सूचना देकर सदन या सदन के एक या अधिक सदस्यों के विशेषाधिकार का उल्लंघन किया है। इसका उद्देश्य भी एक प्रकार से निंदा करना ही होता है।

ध्यानाकर्षण प्रस्ताव (Calling Attention Motion)

यह प्रस्ताव तब लाया जाता है, जब सदन का कोई सदस्य, सदन के पीठासीन अधिकारी की अग्रिम अनुमति से, किसी मंत्री का ध्यान अविलंबनीय लोक महत्व के किसी मामले पर आकृष्ट करना चाहता हो। जैसे कि – कोई दुर्घटना, उपद्रव, हड़ताले आदि। इस व्यवस्था को 1954 में शुरू किया गया था।

ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का मुख्य प्रयोजन यह है कि किसी अविलंबनीय स्वरूप के मामले पर मंत्री प्राधिकृत वक्तव्य दे। यानी कि ये बस ध्यान दिलाने के लिए ही होता है इस पे न तो नियमित रूप से चर्चा होती है और न ही मतदान। इसी का एक जुड़वा भाई है स्थगन प्रस्ताव, जिसमें थोड़ा सा फैलाव है।

स्थगन प्रस्ताव (Adjournment Motion)

यह किसी अविलंबनीय लोक महत्व के मामले पे सदन में चर्चा करने के लिए सदन की कार्यवाही को स्थगित करने का प्रस्ताव है, इसके लिए 50 सदस्यों का समर्थन आवश्यक होता है। इस प्रस्ताव को लोकसभा एवं राज्य सभा दोनों में पेश किया जा सकता है। सदन का कोई भी सदस्य इस प्रस्ताव को पेश कर सकता है।

स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा ढाई घंटे से कम की नहीं होती है। इसीलिए सदन की कार्यवाही के लिए स्थगन प्रस्ताव की कुछ सीमाएं भी हैं –

1. इसके माध्यम से ऐसे मुद्दों को ही उठाया जा सकता है जो कि निश्चित, तथ्यात्मक, अत्यंत जरूरी एवं लोक महत्व का हो

2. इसमें एक से अधिक मुद्दों को शामिल नहीं किया जा सकता है

3. इसके माध्यम से वर्तमान घटनाओं के किसी महत्वपूर्ण विषय को ही उठाया जा सकता है न कि साधारण महत्व के विषय को

4. इसके माध्यम से विशेषाधिकार से संबन्धित प्रश्न को नहीं उठाया जा सकता है

5. इसके माध्यम से ऐसी किसी भी विषय पर चर्चा नहीं की जा सकती है, जिस पर उसी सत्र में चर्चा हो चुकी है

6. इसके माध्यम से किसी ऐसी विषय पर चर्चा नहीं की जा सकती है जो न्यायालय में विचाराधीन हो

7. इसके तहत राजनीतिक स्थिति, अराजकता, बेरोजगारी, रेल दुर्घटनाएँ आदि जैसे मामलों को उठाना उचित नहीं समझा जाता है।

⚫ इस प्रस्ताव में ऐसे विषयों को उठाए जा सकते है जिसका संबंध प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भारत सरकार के आचरण या उसकी किसी त्रुटि से हो।

⚫ इस प्रस्ताव पर चर्चा आमतौर पर 4 बजे शुरू होती है शाम के 6:30 तक चलती है। सबको बोल लेने के बाद मंत्री बोलता है और सवालों का जवाब भी देता है। फिर इसपर मतदान होता है।

अगर ये पारित नहीं होता है तो सदन फिर से वहीं से काम करना शुरू कर देता है जहां से इस प्रस्ताव के कारण रूक गया था। और अगर ये पारित हो जाता है तो इसे सरकार की निंदा मानी जाती है।

धन्यवाद प्रस्ताव (Motion of Thanks)

प्रत्येक आम चुनाव के पहले सत्र एवं हरेक वित्तीय वर्ष के पहले सत्र में राष्ट्रपति सदन को संबोधित करता है। अपने सम्बोधन में राष्ट्रपति पूर्ववर्ती वर्ष और आने वाले वर्ष में सरकार की नीतियों एवं योजनाओं का खाका खींचता है।

राष्ट्रपति के इस भाषण की दोनों सदनों में चर्चा होती है, उस पर वाद-विवाद होता है। इसी को धन्यवाद प्रस्ताव कहा जाता है।

बहस खत्म होने के बाद प्रस्ताव को मतदान के लिए रखा जाता है। इस प्रस्ताव का सदन में पारित होना आवश्यक होता है। अगर ये पारित नहीं होता है तो इसे सरकार की पराजय मानी जाती है।

अनियत दिवस (No-Day-Yet-Named-Motion) – यह एक ऐसा प्रस्ताव है, जिसे अध्यक्ष चर्चा के लिए बिना किसी तिथि को निर्धारित किए रखता है। अध्यक्ष सदन के नेता से चर्चा करके या सदन की कार्य मंत्रणा समिति की परामर्श से इस प्रकार के प्रस्ताव के लिए कोई दिन या समय नियत करता है।

औचित्य प्रश्न (Point of Order) – जब सदन संचालन के दौरान सामान्य नियमों का पालन नहीं किया जा रहा हो तो सदस्य औचित्य प्रश्न के माध्यम से सदन का ध्यान आकर्षित कर सकता है।

यह सामान्यतः विपक्षी सदस्य द्वारा सरकार पर नियंत्रण के लिए उठाया जाता है क्योंकि इससे सदन की कार्यवाही समाप्त हो जाती है। औचित्य प्रश्न में किसी तरह की बहस की अनुमति नहीं होती है।

यह एक असाधारण उपाय है क्योंकि यह सदन के समक्ष कार्यवाही को स्थगित करता है। व्यवस्था के प्रश्न पर बहस की अनुमति नहीं है।

आधे घंटे की बहस (Half an hour debate) – यह पर्याप्त लोक महत्व के मामलों आदि पर चर्चा के लिए है। अध्यक्ष ऐसी बहस के लिए सप्ताह में तीन दिन निर्धारित कर सकता है। इसके लिए सदन में कोई औपचारिक प्रस्ताव या मतदान नहीं होता है।

अल्पकालिक चर्चा (Short term discussion) – इसे दो घंटे का चर्चा भी कहते है क्योंकि इस तरह की चर्चा के लिए दो घंटे से अधिक का समय नहीं लगता। संसद सदस्य किसी जरूरी सार्वजनिक महत्व के मामले को इस प्रकार के बहस के लिए रख सकते है। अध्यक्ष एक सप्ताह में इस पर बहस के लिए तीन दिन उपलब्ध करा सकता है।

विशेष उल्लेख या नियम 377 (Special Mention or Rule 377) – जो मामला प्रश्नकाल, आधे घंटे की चर्चा, अल्पावधि चर्चा या स्थगन प्रस्ताव के तहत, ध्यानाकर्षण सूचना या सदन के किसी नियम के तहत नहीं उठाया जा सकता है या वो मामला सदन के विशेष उल्लेख (Special Mention) के तहत राज्यसभा में उठाया जा सकता है। लोकसभा में इसके समकक्ष प्रक्रियात्मक उपकरण को ‘नियम 377 के तहत नोटिस (उल्लेख)’ के रूप में जाना जाता है।

? कुल मिलाकर यही हैं संसदीय प्रस्ताव (Parliamentary motions) जो कि संसदीय कार्यवाही के दौरान इस्तेमाल में लाया जाता है।

संसदीय कार्यवाही का ही एक और साधन है संसदीय संकल्प संकल्प (resolution)↗️ , जो कि प्रस्ताव के जैसा ही संसद में इस्तेमाल होता है। ये लेख बड़ा हो जाता इसीलिए संकल्प (resolution) की चर्चा अगले लेख में की गई है। इसे अवश्य पढ़ें।

Parliamentary Motions Practice Quiz


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Chapter Wise Polity Quiz

संसदीय प्रस्ताव : अभ्यास प्रश्न

  1. Number of Questions - 8
  2. Passing Marks - 75 %
  3. Time - 6 Minutes
  4. एक से अधिक विकल्प सही हो सकते हैं।

Which of the following statements is correct regarding the proposal?

  1. It is brought before the House for its decision or opinion.
  2. A member other than the government cannot move a motion.
  3. An independent motion is called a substantive motion.
  4. A motion which takes the place of an original motion is called a substitute motion.

1 / 8

प्रस्ताव के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

  1. यह सदन का फैसला या उसकी राय जानने हेतु सदन के समक्ष लाया जाता है।
  2. सरकार के अलावा अन्य सदस्य प्रस्ताव पेश नहीं कर सकता है।
  3. एक स्वतंत्र प्रस्ताव को मूल प्रस्ताव कहा जाता है।
  4. मूल प्रस्ताव की जगह लेने वाले प्रस्ताव को स्थानापन्न प्रस्ताव कहा जाता है।

An Unalloted day is a motion that the Speaker fixes for discussion on a Sunday.

2 / 8

अनियत दिवस एक ऐसा प्रस्ताव है, जिसे अध्यक्ष चर्चा के लिए रविवार के दिन को निर्धारित किए रखता है।

When any part of a bill or resolution cannot be discussed, then this motion is brought to discuss it before voting; What is this proposition called?

3 / 8

जब किसी विधेयक या संकल्प के किसी भाग पर चर्चा नहीं हो पाती है तो उस पर मतदान से पूर्व चर्चा कराने के लिए इस प्रस्ताव लाया जाता है; इसे कौन सा प्रस्ताव कहा जाता है?

Choose the correct statement from the given statements.

  1. A calling attention motion is brought by a member to call the attention of a minister to a matter of urgent public importance.
  2. In the first session of every financial year, the discussion on the President's address in both the Houses is called the Motion of Thanks.
  3. The government has to resign when the censure motion is passed by the Parliament.
  4. When a member feels that the minister has not presented the correct facts, he can use the privilege motion.

4 / 8

दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें।

  1. ध्यानाकर्षण प्रस्ताव किसी सदस्य द्वारा किसी मंत्री का ध्यान अविलंबनीय लोक महत्व के किसी मामले पर ध्यान आकृष्ट करने के लिए लाया जाता है।
  2. हरेक वित्तीय वर्ष के पहले सत्र में राष्ट्रपति के सम्बोधन पर दोनों सदनों में होने वाली चर्चा को धन्यवाद प्रस्ताव कहा जाता है।
  3. निंदा प्रस्ताव संसद से पास हो जाने पर सरकार को त्यागपत्र देना पड़ता है।
  4. जब किसी सदस्य को लगता है की मंत्री ने सही तथ्य प्रस्तुत नहीं किए हैं तो वे विशेषाधिकार प्रस्ताव का इस्तेमाल कर सकते हैं।

Choose the correct statement from the given statements;

  1. Adjournment day is a motion which the Speaker puts up for discussion without fixing any date.
  2. The half-hour debate does not require any formal voting in the House.
  3. No debate is allowed on a point of order.
  4. Censure motion can be brought only against the Council of Ministers and not against certain ministers.

5 / 8

दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. अनियत दिवस एक ऐसा प्रस्ताव है, जिसे अध्यक्ष चर्चा के लिए बिना किसी तिथि को निर्धारित किए रखता है।
  2. आधे घंटे की बहस के लिए सदन में कोई औपचारिक मतदान कराने की आवश्यकता नहीं होती है।
  3. औचित्य प्रश्न में किसी तरह की बहस की अनुमति नहीं होती है।
  4. निंदा प्रस्ताव सिर्फ मंत्रिपरिषद के विरुद्ध लाया जा सकता है कुछ खास मंत्रियों के विरुद्ध नहीं।

Which of the following statements is correct regarding Adjournment Motion?

  1. Cannot include more than one issue
  2. Through this only an important topic of current events can be raised and not a topic of ordinary importance.
  3. Through this question of privilege cannot be raised
  4. Through this, no such subject can be discussed which is under consideration in the court.

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स्थगन प्रस्ताव के संबंध में इनमें से कौन सा कथन सही है?

  1. इसमें एक से अधिक मुद्दों को शामिल नहीं किया जा सकता है
  2. इसके माध्यम से वर्तमान घटनाओं के किसी महत्वपूर्ण विषय को ही उठाया जा सकता है न कि साधारण महत्व के विषय को
  3. इसके माध्यम से विशेषाधिकार से संबन्धित प्रश्न को नहीं उठाया जा सकता है
  4. इसके माध्यम से किसी ऐसी विषय पर चर्चा नहीं की जा सकती है जो न्यायालय में विचाराधीन हो

Which one of the following statements is/are not correct regarding the no-confidence motion?

  1. The approval of at least 50 members is necessary before it can be introduced in the House.
  2. After getting permission, it has to be debated within 10 days.
  3. Once introduced it cannot be withdrawn.
  4. It needs to be passed by a two-thirds majority in the Rajya Sabha.

7 / 8

अविश्वास प्रस्ताव के संबंध में निम्न में से कौन सा कथन सही नहीं है?

  1. इसे सदन में पेश करने से पहले कम से कम 50 सदस्यों की स्वीकृति जरूरी होती है।
  2. अनुमति मिल जाने के बाद 10 दिनों के अंदर उस पर बहस करना होता है।
  3. एक बार पेश किए जाने के बाद इसे वापस नहीं लिया जा सकता है।
  4. राज्यसभा में इसे दो तिहाई बहुमत से पास होना जरूरी होता है।

What is meant by Kangaroo cut motion?

  1. Debate and vote on only important clauses of the motion
  2. Detailed debate on a motion and voting on important clauses
  3. Debate and vote on only one-fourth of the clauses of the motion
  4. Debate on only a quarter of the clauses of the motion and voting on the entire motion

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कंगारू कटौती प्रस्ताव से क्या आशय है?

  1. प्रस्ताव के केवल महत्वपूर्ण खंडों पर बहस और उसी पर मतदान
  2. किसी प्रस्ताव पर विस्तारपूर्वक बहस और महत्वपूर्ण खंडों पर मतदान
  3. प्रस्ताव के केवल एक चौथाई खंडों पर बहस और उसी पर मतदान
  4. प्रस्ताव के केवल एक चौथाई खंडों पर बहस और सम्पूर्ण प्रस्ताव पर मतदान

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धन विधेयक और वित्त विधेयक
भारतीय संसद में मतदान की प्रक्रिया
बजट – प्रक्रिया, क्रियान्वयन
दोनों सदनों की संयुक्त बैठक
संसदीय समितियां
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