सरकारी एजेंसियों या उसके काम-काज में भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सके इसीलिए 1964 में केंद्रीय सतर्कता आयोग की स्थापना की गई।

इस लेख में हम केंद्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission) पर सरल और सहज चर्चा करेंगे, एवं इसके विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को समझेंगे; इसीलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें, उम्मीद है सारी महत्वपूर्ण जानकारी आपको यहाँ मिल जाएंगी।

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केंद्रीय सतर्कता आयोग
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केंद्रीय सतर्कता आयोग की पृष्ठभूमि

सन 1962 में उस समय के केंद्रीय कैबिनेट मंत्री लाल बहादुर शास्त्री द्वारा के. संथानम की अध्यक्षता में एक भ्रष्टाचार विरोधी समिति का गठन किया गया।

इसी समिति की सिफ़ारिश पर केंद्रीय अन्वेषन ब्यूरो को भी स्थापित किया गया और 1964 में भारत सरकार द्वारा एक प्रस्ताव पारित करके, सतर्कता के क्षेत्र में केन्‍द्रीय सरकारी एजेंसियों को सलाह तथा मार्गदर्शन देने एवं भ्रष्टाचार रोकने हेतु केंद्रीय सतर्कता आयोग (Central vigilance commission) की भी स्थापना की गई।

चूंकि ये एक प्रस्ताव के तहत गठित हुआ था इसीलिए उस समय न तो ये सांविधिक संस्था (Statutory body) था और न ही संवैधानिक (Constitutional)। बाद में चलकर इस आयोग को केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम 2003 के माध्यम से स्वतंत्र सांविधिक प्राधिकरण का दर्जा दिया गया।

इस संस्था का विजन (vision) है – भ्रष्टाचार से लड़ना और लोक प्रशासन में सत्यनिष्ठा (Integrity) सुनिश्चित करना।

और इसका मिशन (Mission) है – शासन प्रक्रियाओं में सत्यनिष्ठा (Integrity) को बढ़ावा देने के लिए:-

(1) भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों और विनियमों के त्वरित प्रवर्तन के माध्यम से भ्रष्टाचार के खिलाफ एक अवरोध उत्पन्न करना।
(2) भ्रष्टाचार के दायरे को कम करने के लिए प्रभावी निवारक उपायों को रेखांकित करना।
(3) नैतिक मूल्यों को विकसित करने और भ्रष्टाचार के प्रति समाज की सहिष्णुता को कम करने के लिए सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना।

अप्रैल 2004 के ”लोकहित प्रकटीकरण एवं मुखबिर संरक्षण (Public Interest Disclosure and Informant Protection)’’ पर भारत सरकार के संकल्‍प द्वारा भारत सरकार ने भ्रष्‍टाचार के किसी भी आरोप को प्रकट करने अथवा कार्यालय का दुरूपयोग करने सम्‍बन्धित लिखित शिकायतें प्राप्‍त करने तथा उचित कार्रवाई की सिफारिश करने वाली एक ‘’नामित एजेंसी’’ के रूप में केन्‍द्रीय सतर्कता आयोग को प्राधिकृत किया है।

कुल मिलाकर केन्‍द्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission) की अवधारणा एक शीर्षस्‍थ केन्‍द्रीय सतर्कता संस्‍थान के रूप में की गई है जो किसी भी कार्यकारी प्राधिकारी के नियंत्रण से मुक्‍त है तथा केन्‍द्रीय सरकार के अन्‍तर्गत सभी सतर्कता गतिविधियों की निगरानी करता है।

इसके अलावा केन्‍द्रीय सरकारी संगठनों में विभिन्‍न प्राधिकारियों को उनके सतर्कता कार्यों की योजना बनाने, निष्‍पादन करने, समीक्षा करने तथा सुधार करने में सलाह भी देता है।

ये एक स्वतंत्र संस्था है जो सीधे संसद के प्रति उत्तरदायी होता है इसीलिए इसे किसी मंत्रालय को रिपोर्ट करने की जरूरत नहीं होती है।

केन्द्रीय सर्तकता आयोग की संरचना

केन्द्रीय सर्तकता आयोग एक बहुसदस्यीय संस्था है, जिसमें अध्यक्ष के रूप में एक केंद्रीय सतर्कता आयुक्त होता है और दो या दो से कम अन्य सतर्कता आयुक्त होते हैं।

इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक तीन सदस्यीय समिति की सिफारिश पर होती है। इस समिति के प्रमुख प्रधानमंत्री व अन्य सदस्य लोकसभा में विपक्ष के नेता व केंद्रीय गृहमंत्री होते हैं।

इनका कार्यकाल 4 वर्ष अथवा 65 वर्ष तक, जो भी पहले हो, तक होता है। अपने कार्यकाल के पश्चात वे केंद्र अथवा राज्य सरकार के किसी भी पद के योग्य नहीं होते हैं।

इसके अलावा राष्ट्रपति, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त या अन्य सतर्कता आयुक्‍त को, उनके पद से किसी भी समय निम्नलिखित परिस्थितियों में हटा सकते हैं;

(1) यदि वह दिवालिया (Bankrupt) घोषित हो, अथवा
(2) केंद्र सरकार की निगाह में यदि वह नैतिक चरित्रहीनता के आधार पर किसी अपराध में दोषी पाया गया हों, अथवा

(3) यदि वह अपने कार्यकाल में, अपने कार्यक्षेत्र से बाहर से किसी प्रकार के लाभ के पद को ग्रहण करता है, अथवा

(4) राष्ट्रपति के अनुसार यदि वह मानसिक अथवा शारीरिक कारणों से कार्य करने में असमर्थ हो, अथवा,

(5) यदि वह कोई आर्थिक या इस प्रकार के अन्य लाभ प्राप्त करता हों, जिससे कि आयोग के कार्य में वह पूर्वाग्रह युक्त हों।

इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त तथा अन्य आयुक्तों को उनके दुराचरण व अक्षमता के आधार पर भी उनके पद से हटा सकता है, लेकिन इस स्थिति में राष्ट्रपति को इस विषय को उच्चतम न्यायालय को जांच के लिए भेजना होगा। यदि जांच के उपरांत उच्चतम न्यायालय इन आरोपों को सही पाता है तो उसकी सलाह पर राष्ट्रपति उन्हें पद से हटा सकता है।

केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के वेतन, भत्ते व अन्य सेवा शर्ते संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के समान ही होती हैं परंतु नियुक्ति के उपरांत उनमें किसी प्रकार का अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।

संगठन संरचना (organization structure)

केन्‍द्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission) का अपना स्‍वयं का सचिवालय (Secretariat), मुख्‍य तकनीकी परीक्षक खंड (Chief technical examiner section) तथा एक विभागीय जांच आयुक्‍त (Departmental Inquiry Commissioner) खंड है।

सचिवालय (Secretariat)

सचिवालय में भारत सरकार के अपर सचिव स्‍तर के एक सचिव, संयुक्‍त सचिव स्‍तर के चार अधिकारी, निदेशक या उप-सचिव के स्‍तर के 30 अधिकारी (दो विशेष कार्य अधिकारियों सहित), चार अवर सचिव (under secretary) तथा कार्यालय स्‍टाफ होते हैं।

मुख्‍य तकनीकी परीक्षक खंड (Chief technical examiner section)

इसमें मुख्‍य इंजीनियर के स्‍तर के दो इंजीनियर (मुख्‍य तकनीकी परीक्षक के रूप में पदनामित) तथा सहायक इंजीनियरिंग स्‍टाफ होते है। इस संगठन को सौंपे गए मुख्‍य कार्य निम्‍न हैं:

  • सरकारी संगठनों के निर्माण कार्यों का सतर्कता की दृष्टि से तकनीकी ऑडिट करना
  • निर्माण कार्यों से संबंधित शिकायतों के विशिष्‍ट मामलों का अन्‍वेषण करना
  • तकनीकी मामलों वाले अन्‍वेषणों तथा दिल्‍ली में संपत्तियों का मूल्‍यांकन करने में केन्‍द्रीय अन्‍वेषण ब्‍यूरो (सीबीआई) की सहायता करना, तथा तकनीकी मामलों वाले सतर्कता मामलों में आयोग तथा मुख्‍य सतर्कता अधिकारियों को सलाह/सहायता देना।

विभागीय जांच आयुक्‍त (Departmental Inquiry Commissioner)

विभागीय जांच आयुक्‍त, लोक सेवकों के विरूद्ध प्रारंभ की गई विभागीय कार्यवाहियों में मौखिक जांच करने के लिए जांच अधिकारी के रूप में कार्य करते हैं। इसमें विभागीय जांच आयुक्‍तों के 14 पद होते हैं जिनमें से 11 पद निदेशक स्‍तर के तथा 03 पद उप सचिव स्‍तर के हैं।

मंत्रालयों में सतर्कता इकाइयाँ

केन्द्र सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों में एक मुख्य सतर्कता अधिकारी होता है जो कि संबंधित संगठन के सतर्कता प्रभाग का प्रमुख होता है तथा सतर्कता से संबंधित सभी मामलों में सचिव तथा कार्यालय प्रमुख को सहायता एवं सलाह देता है।

वह सम्बद्ध संस्था तथा केन्द्रीय सतर्कता आयोग के बीच एक कड़ी होता है तथा दूसरी ओर सम्बद्ध संस्था तथा सी.बी.आई के बीच भी एक कड़ी होता है।

केंद्रीय सतर्कता आयोग की शक्तियाँ एवं कार्य

यहाँ पर एक बात याद रखिए कि केन्द्रीय सर्तकता आयोग एक जांच एजेंसी नहीं है। ये जांच करवाने वाली एजेंसी है। CVC या तो CBI के माध्यम से या विभागीय मुख्य सतर्कता अधिकारियों के माध्यम से जांच करवाता है। और दूसरी बात कि सीवीसी केंद्र सरकार के विभागों के अधिकारियों के मामलों में जांच का आदेश देता है। इस तरह इसके कार्य एवं शक्तियाँ कुछ इस प्रकार है –

1. केंद्र सरकार के निर्देश पर ऐसे किसी विषय या मामले की जांच करना जिसमें केंद्र सरकार या इसके प्राधिकरण के किसी कर्मचारी द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत कोई अपराध किया गया हों।

2. निम्नलिखित श्रेणियों से संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध किसी भी शिकायत की जांच करना जिसमें उस पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत किसी अपराध का आरोप हो:

(अ) भारत सरकार के ग्रुप ‘ए’ के कर्मचारी एवं अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी; तथा

(ब) केन्द्र सरकार के प्राधिकरणों के निर्दिष्ट स्तर के अधिकारी।

(स) सरकारी कंपनियों, समाजों और अन्य स्थानीय प्राधिकारियों, जिसपर केंद्र सरकार का स्वामित्व या नियंत्रण है;

3. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत अपराधों की जाँच से संबंधित सीबीआई के कार्यकरण का अधीक्षण (Supervision) करना और अपराधों की जाँच से संबंधित मामले में सीबीआई को निर्देश देना।

4. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अंतर्गत किए गए अपराध की विशेष दिल्‍ली पुलिस बल द्वारा की गई जांच की समीक्षा करना।

5. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अंतर्गत मुकदमा चलाने हेतु संबंधित प्राधिकरणों को दिए गए लंबित प्रार्थना पत्रों की समीक्षा करना।

6. केन्‍द्रीय सरकार तथा इसके संगठनों को ऐसे मामलों पर सलाह देना जो इनके द्वारा आयोग को भेजे जाएंगे

7. केंद्र सरकार के मंत्रालयों व प्राधिकरणों के सतर्कता प्रशासन पर नजर रखना।

8. केंद्रीय सतर्कता आयोग को मनी लॉन्डिंग प्रिवेंशन अधिनियम (Money Laundering Prevention Act 2002) के तहत संदेहास्पद कार्यों या लेनदेन संबंधी सूचना को प्राप्त करने का विशेषाधिकार दिया गया है।

किसी भी जांच का संचालन करते समय आयोग को सिविल न्‍यायालय के सभी अधिकार प्राप्‍त होंगे एवं केन्द्र सरकार केन्द्रीय सेवाओं तथा अखिल भारतीय सेवाओं से संबंधित सतर्कता एवं अनुशासनिक मामलों में नियम-कानून बनाने के लिए सतर्कता आयोग से सलाह लेगी।

2013 के लोकपाल तथा लोकयुक्त एक्ट के तहत केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम 2003 में तथा दिल्ली विशेष स्थापना अधिनियम 1946 में संशोधन किया गया तथा केन्द्रीय सतर्कता आयोग के कार्यों में कुछ बदलाव किए, जैसे कि

CVC, लोकपाल द्वारा ग्रुप A, B, C एवं D के अधिकारियों के विरुद्ध भेजी गई शिकायतों की प्राथमिक जांच कर सकता है। इस प्रकार के मामलों की प्राथमिक जांच-पड़ताल की रिपोर्ट (ग्रुप A और B के संबंध में) लोकपाल को भेजी जाती है।

इसके अलावा, मैंडेट के अनुसार आयोग लोकपाल द्वारा भेजे गए मामलों की आगे की जाँच करेगा। ये जाँच ग्रुप C तथा D अधिकारियों के बारे में होंगी। जाँच में दोषी पाए गए अधिकारों पर आगे की कार्रवाई के बारे में आयोग फैसला करेगा।

केंद्रीय सतर्कता आयोग की कार्यप्रणाली

केन्द्रीय सतर्कता आयोग, अपनी कार्यवाही अपने मुख्यालय नई दिल्ली से संचालित करता है । हमने ऊपर ही पढ़ा है कि इसके पास दीवानी न्यायालय जैसी सभी शक्तियां होती हैं इसका मतलब इन निम्नलिखित शक्तियों से है –

(a) गवाहों की उपस्थिति हेतु समन करना तथा हाजिर करना तथा शपथ पर उनकी जांच करना
(b) किसी दस्तावेज को ढूंढना एवं प्रस्तुत करना
(c) हलफनामे (Affidavit) पर साक्ष्य प्राप्त करना
(d) किसी पब्लिक रिकॉर्ड को मांगना अथवा किसी न्यायालय अथवा कार्यालय से उनकी प्रति मांगना
(e) निर्धारित किया गया कोई अन्य काम करना।

केन्द्रीय सतर्कता आयोग, अपने निर्देश पर किसी जांच एजेंसी द्वारा की गई जांच रिपोर्ट को प्राप्त करने के बाद सरकार अथवा इसके प्राधिकरण को आगे की कार्यवाही करने की सलाह देता है।

केंद्रीय सरकार अथवा इसके प्राधिकरण सीवीसी की सलाह पर विचार कर आवश्यक कदम उठाते हैं। यदि केंद्र सरकार या इसके प्राधिकरण, किसी सलाह से सहमत न हों तो उसे लिखित रूप में इसके कारणों को केंद्रीय सतर्कता आयोग को बताना होता है।

केंद्रीय सतर्कता आयोग को अपनी वार्षिक कार्यकलापों की रिपोर्ट राष्ट्रपति को देनी होती है । राष्ट्रपति इस रिपोर्ट को संसद के प्रत्येक सदन में प्रस्तुत करते हैं ।

central vigilance commission pledge

अगर आप भ्रष्टाचार खत्म करना चाहते है और खुद को इस प्रकार के गतिविधियों में शामिल होने से रोकना चाहते हैं तो फिर आप दिये गए लिंक पर जाकर प्रतिज्ञा ले सकते हैं। इसके बदले आपको एक सर्टिफिकेट भी मिलेगा। लिंक – https://pledge.cvc.nic.in/

Important LInk

Lodge Online Complaint – http://portal.cvc.gov.in/cvproject/
केन्द्रीय सतर्कता आयोग मुख्य साइट – https://cvc.gov.in/?q=hi

तो ये रहा कुल मिलाकर केन्द्रीय सतर्कता आयोग (central vigilance commission), इसी से संबन्धित एक अन्य टॉपिक है व्हिसिल ब्लोवर (Whistle blower) इसे अलग लेख में समझेंगे। अन्य आयोगों का लिंक नीचे दिया जा रहा है उसे भी जरूर समझें।

केंद्रीय सतर्कता आयोग प्रैक्टिस क्विज


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केंद्रीय सतर्कता आयोग – CVC अभ्यास प्रश्न

  1. Number of Questions - 5 
  2. Passing Marks - 80 %
  3. Time - 4 Minutes
  4. एक से अधिक विकल्प सही हो सकते हैं।

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केन्द्रीय सर्तकता आयोग एक बहुसदस्यीय संस्था है, जिसमें अध्यक्ष के रूप में एक केंद्रीय सतर्कता आयुक्त होता है और दो या दो से कम अन्य सतर्कता आयुक्त होते हैं। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक तीन सदस्यीय समिति की सिफारिश पर होती है। इस समिति के प्रमुख प्रधानमंत्री व अन्य सदस्य लोकसभा में विपक्ष के नेता व सेवानिवृत न्यायाधीश होते हैं।

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केंद्रीय सतर्कता आयोग के बारे में इनमें से कौन सा कथन सत्य है?

  1. इसकी स्थापना के. संथानम समिति की सिफ़ारिश पर हुआ।
  2. ये न तो सांविधिक संस्था है और न ही संवैधानिक।
  3. इसका विजन है, भ्रष्टाचार से लड़ना और लोक प्रशासन में सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करना।
  4. ये एक स्वतंत्र संस्था है जो सीधे संसद के प्रति उत्तरदायी होता है।

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केन्द्रीय सतर्कता आयोग की संरचना के संबंध में इनमें से कौन सा कथन सही है?

  1. सीवीसी के अध्यक्ष की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है।
  2. सीवीसी के अध्यक्ष का कार्यकाल 5 वर्ष या 65 वर्ष जो भी पहले हो; तक होता है।
  3. सीवीसी में अध्यक्ष के अलावा दो या दो से कम अन्य सतर्कता आयुक्त होते हैं।
  4. यदि सीवीसी का सदस्य दिवालिया घोषित हो जाये तो प्रधानमंत्री उसे हटा सकता है।

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केन्द्र सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों में एक मुख्य सतर्कता अधिकारी होता है जो कि संबंधित संगठन के सतर्कता प्रभाग का प्रमुख होता है तथा सतर्कता से संबंधित सभी मामलों में सचिव तथा कार्यालय प्रमुख को सहायता एवं सलाह देता है।

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