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what if superhero really existed

Superman with his cape billowing
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क्या होता अगर सुपरहिरो और सुपरविलेन सच में होता !

सुपर हीरो का तो मैं बचपन से ही फैन रहा हूँ। मैं रोमांचित हो उठता, जब टीवी पर मकड़ी मानव (spider man) को बन्दरों की तरह इस बिल्डिंग से उस बिल्डिंग पर उछल-कूद करते देखता।

हालाँकि थोड़ा बड़ा होने पर पता चला कि उसे सुपर पावर कहते हैं। इसी तरह सुपर विलेन तमराज किलविष को अंधेरा कायम करते हुए देखना बड़ा मजेदार था। उसने तो अकेले शक्तिमान के नाक में दम कर रखा था।

पर दुख की बात है कि ये लोग कभी टीवी से बाहर नहीं आ पाए। पर सच में अगर सुपर हीरो और सुपर विलेन का अस्तित्व होता तो क्या बदलाव आते,

ये जानने से पहले कुछ मूलभूत बातों पर विचार कर लेते हैं:-  गाँव में जब लोगों ने पहली बार मोबाइल फोन देखा, उनलोगों का रिएक्शन कुछ इस प्रकार था।

मुझे तो विश्वास नहीं होता…! इसमें तो बिना तार (wire) के ही बात दूसरी तरफ़ पहुँच जाता है वो भी इतने स्पीड में, ये तो गजब की चीज़ है इत्यादि.

उस समय ये किसी चमत्कार से कम नहीं था। पर आज, भाईसाहब आज कल तो बच्चे भी incognito mode में पॉर्न देखते मिल जाते हैं और किसी को ये बात अचंभित नहीं करता।

मतलब मैं बस ये कहना चाह रहा हूँ कि जब तक कोई चीज़ नई रहती है, वो हमे आकर्षित करती है, अचंभित करती है, वो हमे चमत्कार लगता है, पर बस कुछ समय तक, उसके बाद हम उसके आदी हो जाते हैं।

तो अगर सुपर हीरो और सुपर विलेन होता तो कुछ समय तक वो हमे चमत्कार लगता पर फिर हम उसके आदी हो जाते और फिर उसके द्वारा किया गया कोई सुपर हीरो काम हमे चमत्कृत नहीं करता। फिर भी कुछ बदलाव तो निश्चित तौर पर होता,

देखिये क्या सब होता !

~ परोस में एक पानी उगलने वाला बच्चा पैदा होता जो अपने मुँह से असीमित पानी उगल सकता तो लोग उसका नाम शायद fire extinguisher man रख देते, और जब वो बड़ा होता तो शायद दिल्ली सरकार द्वारा जनता को मुफ्त पानी वितरण के काम पर लगा दिया जाता।

सुपर विलेन रोकथाम अधिनियम जैसे कानून संसद में पारित हो रहे होते।

सुपर हीरो की एक अलग मंत्रालय होती।

कुछ लोग इन्हे अल्पसंख्यक कहकर आरक्षण देने की मांग कर रहे होते।

इंजीनियरों की मांग बढ़ जाती, एक भी इंजीनियर बेरोजगार नहीं रहता क्योंकि कोई hulk जैसे सुपरहीरो विलेन से लड़ते हुए बिल्डिंगे ध्वस्त कर देती, सड़क तोड़ देते, पेट्रोल पम्प उड़ा देता। मतलब इंजीनियरों के अच्छे दिन आ जाते।

शायद super man जैसा आदमी उड्डयन मंत्री होता।

Iron man जैसे इंसान को बिना रनवे के टेक ऑफ करते देखना आम बात होता।

मकड़ी मानव (spider man) को किसी विलेन से लड़ते हुए देख कर हमलोग उसका हौसला बढ़ा रहे होते। लड़ते रहो मकड़ी मानव, अच्छा लड़ रहे हो।

न्यूज चैनल पर न्यूज आ रहा होता, गौर से देखिये इस भोले से दिखने वाले अंतरिक्ष मानव को जो अपने आप को Loki बता रहा है।

किसी दूसरे चैनल पर सुपरहीरोज के मंदिर बनाने को लेकर डिबेट चल रहा होता।

अखबार में खबरें कुछ इस तरह छपती, किसान के बेटे ने किया टॉप, इस सुपरहीरो प्रतियोगिता में।

कुल मिलाकर बदलाव तो काफी होता पर ये हमारे लिए रोज की बात होता।

और ये सब ऐसे ही चलता रहता जब तक कोई Thanos जैसा सुपर विलेन आकर चुटकी नहीं बजा देता

क्योंकि तब आता एक सुपर बदलाव :

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