इस लेख में बेरोज़गारी निवारण के उपाय (solution of unemployment) पर सरल और सहज चर्चा करेंगे एवं इसके विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने का प्रयास करेंगे,

तो अच्छी तरह से समझने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें और साथ ही बेरोजगारी से संबंधित अन्य लेखों को भी पढ़ें, लिंक नीचे दिया हुआ है;

“Unemployment is a situation where people wake up every morning and find themselves not needed.”

– E. W. Howe
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| बेरोज़गारी क्या है?

जब व्यक्ति कुछ काम करके धन कमाना चाहता है और वो इसके लिए काम की तलाश भी करता है लेकिन उसे काम नहीं मिलता है, ऐसे व्यक्तियों को बेरोजगार कहा जाता है, और इस स्थिति को बेरोज़गारी (unemployment) कहा जाता है।

आज के समय में, बेरोजगारी किसी देश विशेष की समस्या नहीं है, बल्कि ये सभी राष्ट्रों की समस्या है। क्योंकि बेरोजगारी उस देश को तो नुकसान पहुंचाता ही है लेकिन साथ में पूरे मानवता को भी किसी न किसी रूप में नुकसान पहुंचाता है।

इसके बावजूद भी स्थिति ये है कि हर समय हर देश में एक बड़ी संख्या में अकुशल श्रमिकों के साथ-साथ कुशल व विशिष्ट प्रशिक्षण प्राप्त श्रमिक भी बेरोजगार होते है।

ऐसे श्रमिक देश में प्रचलित मजदूरी की दरों पर काम करने के लिए तैयार होते है, किन्तु काम न मिलने के कारण बेरोजगार होते है। एक बड़ी संख्या में बेरोजगारी अशुभ का सूचक है, सामाजिक व्याधि ग्रस्तता का सूचक है।

तो कुल मिलाकर हम इतना तो जानते हैं कि बेरोज़गारी स्वस्थ समाज के लिए खतरनाक है लेकिन सवाल यही आता है कि बेरोज़गारी को खत्म कैसे किया जाये, बेरोज़गारी निवारण के उपाय क्या है? इत्यादि। तो आइये इसे समझते हैं;

भारत में बेरोजगारी : अर्थ, कारण, प्रकार व समाधान आदि [Complete Concept]

| बेरोज़गारी निवारण के उपाय

बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है। इसके परिणाम बड़े ही घातक है। इसका दूर होना व्यक्ति और समाज दोनों के हित में है। इसे संगठित एवं योजनाबद्ध रूप में ही दूर किया जा सकता है सिर्फ सरकारी प्रयास से ही यह संभव नहीं है।

बेरोजगारी निवारण में व्यक्ति, समाज और सरकार तीनों के संयुक्त सच्चे प्रयास की जरुरत है। इस सन्दर्भ में निम्न उपाय कारगर सिद्ध हो सकते है।

| जनसँख्या वृद्धि को नियंत्रित करना

बेरोजगारी को दूर करने में जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण आवश्यक है। जिस अनुपात में रोजगार से साधन बढ़ते है, उससे कई गुना अनुपात में जनसंख्या में वृद्धि देखी जाती है। इसीलिए जनसंख्या में वृद्धि पर रोक आवश्यक है।

ऐसे देखो तो ये बस एक कारण नजर आता है पर अगर इसके तह में जाये तो ये एक कारण कई अन्य कारणों की जननी है। क्योंकि इस पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में सब कुछ पैसे से जुड़ा हुआ है।

अगर रोजगार नहीं मिलेगा तो पैसे नहीं आएंगे। पैसे नहीं आएंगे तो गरीबी बढ़ेगी। गरीबी बढ़ेगी तो रहन सहन से स्तर में गिरावट आएगा। रहन-सहन के स्तर में गिरावट आएंगी तो अस्वच्छता उसके दोस्त हो जाएँगे। अस्वच्छता से दोस्ती उसे महंगी पड़ेगी। इसे तरह-तरह की बीमारियाँ बढ़ेंगी और अस्वस्थ लोगों की संख्या बढ़ेगी।

अब जो अबतक शरीर से अस्वस्थ था वो अब मेंटली भी अस्वस्थ होने लगेगा। मेंटली अस्वस्थ होगा तो मन में गंदे विचार आएंगे। और जैसे ही मन में गंदे विचार आने शुरू होंगे। चोरी, डकैती, लूट, रेप, हत्या, देशद्रोह, आतंकवाद जैसे अपराध बढ़ेगा।

ये स्थिति ऐसे ही बस एक ऑर्डर में चलते चले जाते है अब जिसके पास रोजगार नहीं है अगर उसके बच्चे होंगे तो खराब आर्थिक स्थिति के कारण उसे अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाएगा, पौष्टिक आहार नहीं मिल पाएगा, स्वस्थ माहौल नहीं मिल पाएगा।

इससे वो एक संकीर्ण मानसिकता वाले व्यक्तित्व को अपना लेगा। जरूरी स्किल नहीं रहने के कारण उसे अच्छी नौकरी नहीं मिलेगी और फिर से वही स्थिति दोहराती चली जाएगी। इससे समझा जा सकता है कि जनसंख्या वृद्धि दर में कमी लाना कितना महत्वपूर्ण है।

[बढ़ती आबादी – व्यंगात्मक कविता]

| कृषि का विकास

भारत एक कृषि-प्रधान राष्ट्र है। कृषि विकास होने से बेरोजगारी में कमी आ सकती है।  कृषि में नवीन उपकरणों, कृत्रिम खादों, उन्नत बीजों, सिंचाई योजनाओं, कृषि योग्य नई भूमि तोड़ने, वृक्षा-रोपण, बाग़-बगीचे लगाने व सघन खेती से रोजगार के अवसर बढ़ाये जा सकते है।

कृषि विकास से व्यक्ति की आय में वृद्धि होगी, जीवन स्तर ऊँचा उठेगा, इच्छा व क्षमता में विकास होगा। ये सब बेरोजगारी को कम करेगी।

| शिक्षा-पद्धति में सुधार (Education reform)

शिक्षितों की बेरोजगारी आज एक ज्वलंत प्रश्न है। हमारे देश में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। इससे जाहिर होता है कि समकालीन भारत की शिक्षा-व्यवस्था दोषपूर्ण है। आज विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों से निकलकर युवक नौकरी की तरफ भागते है। उन्हें शारीरिक श्रम व हाथ से काम करने में लज्जा लगती है .

फिर भी जहाँ  तक उच्च शिक्षा का प्रश्न है वह केवल उन्हीं लोगों के लिए खुली होनी चाहिए जो वास्तव में प्रतिभाशाली हो अथवा वास्तव में उसके योग्य हो। यदि ये साड़ी बाते कार्यरूप में परिणत कर दी जाए तो अवश्य ही बेरोजगारों की बेतहाशा बढ़ती दर में कमी आएगी। हाल ही में भारत सरकार ने नई शिक्षा नीति पेश की है। इससे आने वाले वक्त में अच्छे नतीजे आने की उम्मीद है।

| रोजगार दफ्तरों की स्थापना

बेरोजगारी का एक कारण जानकारी का अभाव भी है। इस सन्दर्भ में बड़े पैमाने पर रोजगार दफ्तरों की स्थापना की आवश्यकता है। देश के अन्दर रोजगार शिक्षित एवं प्रशिक्षित, कुशल एवं अकुशल श्रमिकों तथा अपढ़ किन्तु शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ बेकारों को रोजगार सुविधाओं व सुअवसरों से अवगत कराया जा सकता है।

इसकी शाखा ग्रामीण क्षेत्रों में तथा उन क्षेत्रों में हो जहाँ बेरोजगार श्रमिक की आवश्यकता है। इससे कम से कम ये तो होगा कि जो रोजगार उपलब्ध है वो सही लोगों को आवंटित हो जाएगा।

| रचनात्मक कार्य (creative work)

राष्ट्रीय स्तर पर श्रमिकों और मध्य-वर्गीय लोगों के लिए भवनों का निर्माण सभी क्षेत्रों में किया जाना चाहिए। इससे एक तरफ लोगों को रोजगार निवेश दूसरी तरफ श्रमिकों को अच्छे निवास मिलने से उनके स्वास्थ्य में सुधार हो सकेगा।

शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सेवाओं तथा कार्यालयों का विस्तार एवं विकास होने से रोजगार के अवसर बढ़ेगा। इसी तरह बाँध, पुल, सड़क, पार्क एवं नदी-घाटी आदि के निर्माण के कार्यों को बढ़ावा देकर अनेक बेरोजगार व्यक्तियों के श्रम का उपयोग किया जा सकता है।  

| देश की वर्तमान अर्थ-व्यवस्था में सुधार

बेरोजगारी की समस्या एक आर्थिक समस्या है। जब तक देश की वर्तमान अर्थ-व्यवस्था में सुधार नहीं होगा तब तक यह समस्या ज्यों की त्यों अजगर की भांति बनी रहेगी।

इस महामारी को तभी हटाया जा सकता है, जब देश में औद्योगिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया जाए। ऐसा होने पर ही देश आर्थिक दृष्टि से समृद्ध होगा और अनेक बेरोजगार लोगों को रोजगार मिलेगा और देश में औद्योगिक विकास के कार्यक्रम बेरोजगारी से मुक्ति दिला सकेगी।

। सूक्ष्म, लघु और माध्यम उद्योगों का विकास

आंकड़ों से साबित हो चुका है कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग सबसे अधिक रोजगार पैदा करने वाला क्षेत्र है। ये अकेला क्षेत्र लगभग 12 करोड़ रोजगार उपलब्ध करवाता है इसीलिए इसे भारतीय अर्थव्यवस्था का ग्रोथ इंजन भी कहा जाता है।

दरअसल होता है ये है कि इस तरह के उद्योगों में पूंजी कम लगती है और ये परिवार के सदस्यों द्वारा संचालित किया जा सकता है। इसके द्वारा बेकार बैठे किसानों और अन्य लोगों को भी ये रोजगार देता है। ऐसे में ये जरूरी हो जाता है कि सरकार इनके विकास के लिये पूंजी उपलब्ध कराये।

| व्यावसायिक शिक्षा (Vocational education)

देश की शिक्षा पद्धति में सुधार बहुत ही जरूरी है ताकि बच्चे जॉब रेडी होकर स्कूल या कॉलेज से निकले। इसके लिए हाईस्कूल पास करने के बाद विद्यार्थियों की रुचि के अनुसार व्यावसायिक शिक्षा चुनने के लिए जोर देना चाहिए, या फिर इस तरह की जागरूकता फैलानी चाहिए ताकि स्टूडेंट्स खुद ही ऐसे क्षेत्र को चुने। इस संदर्भ में नई शिक्षा नीति 2020 से काफी उम्मीदें है।

| बेरोजगारी निवारण के अन्य उपाय

इन उपायों के अतिरिक्त बेरोजगारी निवारण में अग्रलिखित सुझाव महत्वपूर्ण हो सकते है –

(1) श्रम की गतिशीलता को संतुलित करके कुछ हद तक बेरोज़गारी को कम किया जा सकता है।
(2) बेरोजगारी बीमा योजना या बेरोज़गारी भत्ता आदि का प्रावधान सरकारों द्वारा तब तक किया जा सकता है, जब तक कि उसे रोजगार प्राप्त न हो जाये।
(3) गाँव-नगर सम्बन्ध को और अधिक विकसित करके सही जगह पर सही स्किल वाले लोगों को भेजा जा सकता है साथ ही शहरों की कुछ खूबियों को गाँव में क्रियान्वित करके कुछ रोजगार का सृजन किया जा सकता है।
(4) सरकार द्वारा चीन के बाजार को भारतीय बाजार में आने से रोक कर और खुद सस्ते और टिकाऊ प्रॉडक्ट बनाकर, उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है, इससे भी बड़ी मात्रा में रोजगार का सृजन हो सकता है।

इस प्रकार बेरोजगारी को अनेक प्रयासों की संयुक्तता से दूर किया जा सकता है। इसके अनेक रूप है इसलिए अनेक प्रयास की आवश्यकता है। इसमें सरकार की भूमिका के साथ-साथ पूंजीपतियों तथा उद्योगपतियों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं का योगदान उल्लेखनीय हो सकता है ।

| बेरोजगारी निवारण के सरकारी प्रयास

बेरोजगारी एक अत्यधिक गंभीर समस्या है। इसके परिणाम बड़े ही घातक है। इसके दुष्परिणामों को देखते हुए सरकार ने इसे दूर करने के लिए अनेक कदम उठाये है

⚫ भारत सरकार द्वारा पिछले लगभग 3-4 सालों (2014, 2015, 2016 और 2017) में कई योजनाओं की शुरुआत की गई। जिनका लाभ सीधे भारत के जनता को मिल रहा है उन सरकारी योजनाओं की सूची निम्न है |

(1) प्रधानमंत्री आवास योजना (2) मुद्रा ऋण योजना (3) सुरक्षा बीमा योजना (4) अटल पेंशन योजना (5) प्रधानमंत्री युवा योजना (6) प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (7) प्रधानमंत्री मुद्रा योजना और 1500 रूपये मासिक भत्ता योजना-बेरोजगार और गरीब लोगों के लिए।

इस प्रकार उपर्युक्त वर्णन से स्पष्ट होता है कि सरकार विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से बेरोजगारी को दूर करने में कार्यरत रही है। लेकिन ये सभी प्रयास बहुत कारगर सिद्ध नहीं हुई है। इस सन्दर्भ में सच्चे और वास्तविक प्रयास की आवश्यकता है ।

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