Table of Post Contents
इस लेख में हम राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General of the state) पर सरल और सहज चर्चा करेंगे तो लेख को अंत तक जरूर पढ़े।
राज्य के महाधिवक्ता को समझिये
जैसा कि हम जानते है राज्य के स्तर पर मुख्य रूप से चार प्रकार के कार्यपालिका होते हैं। राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राज्य मंत्रिपरिषद और राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General of the state)। हम अब तक पहले तीन की चर्चा कर चुके हैं, ये लेख उस शृंखला का अंतिम लेख है।
अगर आप पढ़ने को इच्छुक है तो नीचे सभी का लिंक दिया हुआ है आप वहाँ से उसे पढ़ सकते हैं। इसके अलावा एक और बात ये है कि अगर आप इस लेख को पढ़ने से पहले ‘भारत का महान्यायवादी‘ पढ़ लेंगे तो आपको इसे समझने में आसानी होगी क्योंकि जो काम केंद्र के लिए भारत का महान्यायवादी करता है, कमोबेश वही काम राज्य का महाधिवक्ता राज्य के लिए करता है।
राज्य का महाधिवक्ता
Advocate General of the state
भारत के संविधान के अनुच्छेद 165 में राज्य के महाधिवक्ता की व्यवस्था की गई है। वह राज्य का सर्वोच्च कानून अधिकारी होता है। इस तरह हम कह सकते है कि वह भारत के महान्यायवादी का ही अनुपूरक (Supplement) होता है।
नियुक्ति एवं कार्यकाल
राज्य के महाधिवक्ता की नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा होती है। किसी राज्य का महाधिवक्ता बनने के लिए किसी व्यक्ति में उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने की योग्यता होनी चाहिए। साथ ही उसे दस वर्ष तक न्यायिक अधिकारी के रूप में या उच्च न्यायालय में दस वर्षों तक वकालत करने का अनुभव होना चाहिए। उसे भारत का नागरिक भी होना चाहिए,
संविधान में राज्य के महाधिवक्ता के कार्यकाल के बारे में कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं है। इसके अतिरिक्त संविधान में उसे हटाने की व्यवस्था का भी वर्णन नहीं किया गया है। वैसे वह अपने पद पर राज्यपाल के प्रसाद्पर्यंत बना रहता है। इसका मतलब ये है कि उसे राज्यपाल द्वारा कभी भी हटाया जा सकता है। वह चाहे तो अपने पद से त्याग पत्र देकर भी कार्यमुक्त हो सकता है।
समान्य परंपरा ये है कि जब सरकार गिर जाये तो वे त्यागपत्र दे दे क्योंकि उसकी नियुक्ति सरकार की सलाह पर होती है। जब फिर से नया सरकार बनेगा तब फिर वो सरकार अपने हिसाब से महाधिवक्ता चुन लेगा।
◼ संविधान मे महाधिवक्ता के वेतन एवं भत्तों को भी निश्चित नहीं किया गया है। उसके वेतन भत्तों का निर्धारण राज्यपाल द्वारा दिया जाता है।
कार्य एवं शक्तियाँ
राज्य के मुख्य कानून अधिकारी होने के नाते महाधिवक्ता के कार्य निम्नलिखित हैं। 1. राज्य सरकार की विधि संबंधी ऐसे विषयों पर सलाह दे जो राष्ट्रपति द्वारा सौंपे गए हो 2. विधिक रूप से ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करे जो राज्यपाल द्वारा सौंपे गए हों 3. संविधान या किसी अन्य विधि द्वारा प्रदान किए गए कृत्यों का निर्वहन करें।
अपने कार्य संबंधी कर्तव्यों के तहत उसे राज्य के किसी न्यायालय के समक्ष सुनवाई का अधिकार है। इसके अतिरिक्त उसे विधानमंडल के दोनों सदनों (यदि उस राज्य में विधानपरिषद भी है तो) में भाग ले सकता है। हालांकि वोटिंग प्रक्रिया में वो नहीं ले सकता है। इसके अलावा उसे वे सभी विशेषाधिकार एवं भत्ते मिलते हैं। जो विधानसभा के किसी सदस्य को मिलते है।
अगर आप सभी राज्यों के महाधिवक्ताओं की लिस्ट देखना चाहते हैं
तो यहाँ क्लिक करके देख सकते हैं।
Advocate General of the state
⏬Download Article
🔷🔷◼◼◼🔷🔷
Related Articles⬇️
Follow me on….⬇️
अन्य बेहतरीन लेख⬇️
⏫राज्य मंत्रिपरिषद को समझिये
State council of ministers explained in hindi