यह लेख अनुच्छेद 109 (Article 109) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 109

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📜 अनुच्छेद 109 (Article 109) – Original

विधायी प्रक्रिया
109. धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रिया — (1) धन विधेयक राज्य सभा में पुरःस्थापित नहीं किया जाएगा।

(2) धन विधेयक लोक सभा द्वारा पारित किए जाने के पश्चात्‌ राज्य सभा को उसकी सिफारिशों के लिए पारेषित किया जाएगा और राज्य सभा विधेयक की प्राप्ति की तारीख से चौदह दिन की अवधि के भीतर विधेयक को अपनी सिफारिशों सहित लोक सभा को लौंटा देगी और ऐसा होने पर लोक सभा, राज्य सभा की सभी या किन्हीं सिफारिशों को स्वीकर या अस्वीकार कर सकेगी।

(3) यदि लोक सभा, राज्य सभा की किसी सिफारिश को स्वीकार कर लेती है तो धन विधेयक राज्य सभा द्वारा सिफारिश किए गए और लोक सभा द्वारा स्वीकार किए गए संशोधनों सहित दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया समझा जाएगा।

(4) यदि लोक सभा, राज्य सभा की किसी भी सिफारिश को स्वीकार नहीं करती है तो धन विधेयक, राज्य सभा द्वारा सिफारिश किए गए किसी संशोधन के बिना, दोनों सदनों द्वारा उस रूप में पारित किया गया समझा जाएगा जिसमें वह लोक सभा द्वारा पारित किया गया था।

(5) यदि लोक सभा द्वारा पारित और राज्य सभा को उसकी सिफारिशों के लिए पारेषित धन विधेयक उक्त चौदह दिन की अवधि के भीतर लोक सभा को नहीं लौटाया जाता है तो उक्त अवधि की समाप्ति पर वह दोनों सदनों द्वारा, उस रूप में पारित किया गया समझा जाएगा जिसमें वह लोक सभा द्वारा पारित किया गया था ।
—-अनुच्छेद 109—-

Legislative Process
109. Special procedure in respect of Money Bills — (1) A Money Bill shall not be introduced in the Council of States.

(2) After a Money Bill has been passed by the House of the People it shall be transmitted to the Council of States for its recommendations and the Council of States shall within a period of fourteen days from the date of its
receipt of the Bill return the Bill to the House of the People with its recommendations and the House of the People may thereupon either accept or reject all or any of the recommendations of the Council of States.

(3) If the House of the People accepts any of the recommendations of the Council of States, the Money Bill shall be deemed to have been passed by both Houses with the amendments recommended by the Council of States and accepted by the House of the People.

(4) If the House of the People does not accept any of the recommendations of the Council of States, the Money Bill shall be deemed to have been passed by both Houses in the form in which it was passed by the House of the People without any of the amendments recommended by the Council of States.

(5) If a Money Bill passed by the House of the People and transmitted to the Council of States for its recommendations is not returned to the House of the People within the said period of fourteen days, it shall be deemed to have been passed by both Houses at the expiration of the said period in the form in which it was passed by the House of the People.
Article 109

🔍 Article 109 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)

संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।

तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 109 (Article 109) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 109 – धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रिया

अनुच्छेद 79 के तहत, देश के सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्था के रूप में संसद की व्यवस्था की गई है। संसद तीन घटकों से मिलकर बना है; राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha)।

संसद में दो सदन है लोक सभा और राज्यसभा। लोकसभा में कुल 543 निर्वाचित सीटें हैं। भारत में संसद का दूसरा सदन भी है, जिसे राज्य सभा या राज्यों की परिषद के रूप में जाना जाता है। अभी फिलहाल 245 सीटें राज्यसभा में प्रभाव में है जिसमें से 233 सदस्यों को चुनने के लिए चुनाव होते हैं जबकि 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं।

कुल मिलाकर अभी लोक सभा और राज्य सभा में 788 सदस्य है। और यही विधायिका (Legislator) है जो कि कानून बनाता है।

संसद में कानून बनाने की प्रक्रिया विधेयक (Bill) से शुरू होती है। विधेयक दरअसल कानून का एक ड्राफ्ट होता है जो बताता है कि कानून किस बारे में है और ये क्यों लाया जा रहा है।

ये जो विधेयक है इसे मोटे तौर पर चार भागों में बांटा जाता है; (1) सामान्य विधेयक (General Bill), संविधान संशोधन विधेयक (Constitutional Amendment Bill), धन विधेयक (Money Bill) और वित्त विधेयक (Finance Bill)।

अनुच्छेद 109 के तहत धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रिया (Special Procedure) का उल्लेख किया गया है। इस अनुच्छेद के कुल 5 खंड है, आइये इसे समझते हैं;

अनुच्छेद-31 – भारतीय संविधान
Article 109 Explanation

धन विधेयक का लोक सभा में पेश किया जाना

अनुच्छेद 109(1) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि धन विधेयक राज्य सभा में पुरःस्थापित (Introduced) नहीं किया जाएगा।

भारतीय संसद में, एक धन विधेयक एक प्रस्तावित कानून है जो कराधान (Taxation), सरकार द्वारा धन उधार लेने (Borrowing by Govt.), या भारत के समेकित कोष से व्यय (Expenditure from Consolidated Fund) से संबंधित है। धन विधेयक पारित करने की प्रक्रिया सामान्य विधेयक से भिन्न होती है।

एक धन विधेयक केवल एक मंत्री द्वारा लोकसभा (निचले सदन) में पेश किया जा सकता है, किसी अन्य सदस्य द्वारा नहीं। राज्यसभा (उच्च सदन) केवल धन विधेयक पर सिफारिशें कर सकती है, जिसे लोकसभा स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है।

अब आपके मन में यह सवाल आ सकता है कि धन विधेयक को लोक सभा में ही क्यों पेश किया जाता है?

तो ऐसा इसलिए होता है क्योंकि भारत का संविधान लोकसभा को ही धन विधेयकों को शुरू करने और पारित करने की विशेष शक्ति प्रदान करता है।

इस प्रावधान के पीछे का तर्क यह सुनिश्चित करना है कि निचले सदन (लोक सभा), जो सीधे लोगों द्वारा चुने जाते हैं, का सरकार के वित्त (finance) पर नियंत्रण हो और कार्यपालिका के पास सार्वजनिक धन पर अनियंत्रित शक्ति न हो।

इसके अतिरिक्त, चूंकि लोकसभा में विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों के सदस्यों का एक बड़ा प्रतिनिधित्व है, इसलिए यह माना जाता है कि यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि देश की विविध जनसंख्या के हितों का वित्तीय मामलों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व हो।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जहां लोकसभा के पास धन विधेयकों को शुरू करने और पारित करने की विशेष शक्तियाँ हैं, वहीं संसद के दोनों सदनों के पास गैर-धन विधेयकों को पारित करने की समान शक्तियाँ हैं।

कौन-कौन सा विषय धन विधेयक के अंतर्गत आता है इसके बारे में अनुच्छेद 110 में चर्चा की गई है, उसे भी अवश्य पढ़ें;

धन विधेयक और राज्यसभा की सिफ़ारिश

अनुच्छेद 109(2) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि धन विधेयक लोक सभा द्वारा पारित किए जाने के पश्चात्‌ राज्य सभा को उसकी सिफारिशों के लिए पारेषित (Transfer) किया जाएगा और राज्य सभा विधेयक की प्राप्ति की तारीख से चौदह दिन की अवधि के भीतर विधेयक को अपनी सिफारिशों सहित लोक सभा को लौंटा देगी और ऐसा होने पर लोक सभा, राज्य सभा की सभी या किन्हीं सिफारिशों को स्वीकर या अस्वीकार कर सकेगी।

यदि लोकसभा धन विधेयक पारित कर देती है, तो इसे राज्यसभा की सिफारिशों के लिए भेजा जाता है। राज्यसभा को 14 दिनों के भीतर अपनी सिफारिशों के साथ विधेयक को लोकसभा में वापस करना होगा।

यदि लोकसभा राज्य सभा द्वारा की गई किसी भी सिफारिश को स्वीकार कर लेती है, तो विधेयक को संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित माना जाता है।

यदि लोकसभा किसी भी सिफारिश को स्वीकार नहीं करती है, तो विधेयक को दोनों सदनों द्वारा उस रूप में पारित माना जाता है जिस रूप में लोकसभा द्वारा पारित किया गया था। यानि कि धन विधेयक के मामले में राज्यसभा की शक्ति नगण्य है।

एक बार विधेयक दोनों सदनों द्वारा पारित हो जाने के बाद, इसे भारत के राष्ट्रपति के पास सहमति के लिए भेजा जाता है। राष्ट्रपति द्वारा सहमति दिए जाने के बाद, बिल संसद का एक अधिनियम बन जाता है और पूरे देश में कानून के रूप में लागू किया जाता है।

अनुच्छेद 109(3) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि यदि लोक सभा, राज्य सभा की किसी सिफारिश को स्वीकार कर लेती है तो धन विधेयक राज्य सभा द्वारा सिफारिश किए गए और लोक सभा द्वारा स्वीकार किए गए संशोधनों सहित दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया समझा जाएगा।

जैसा कि हमने ऊपर भी समझा यदि लोकसभा राज्य सभा द्वारा की गई किसी भी सिफारिश को स्वीकार कर लेती है, तो विधेयक को संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित माना जाता है।

अनुच्छेद 109(4) के तहत कहा गया है कि यदि लोक सभा, राज्य सभा की किसी भी सिफारिश को स्वीकार नहीं करती है तो धन विधेयक, राज्य सभा द्वारा सिफारिश किए गए किसी संशोधन के बिना, दोनों सदनों द्वारा उस रूप में पारित किया गया समझा जाएगा जिसमें वह लोक सभा द्वारा पारित किया गया था।

जैसा कि हमने ऊपर भी समझा यदि लोकसभा राज्यसभा द्वारा की गई किसी सिफारिश को स्वीकार नहीं करती है, तो विधेयक को दोनों सदनों द्वारा उस रूप में पारित माना जाता है जिस रूप में लोकसभा द्वारा पारित किया गया था।

अनुच्छेद 109(5) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि यदि लोक सभा द्वारा पारित और राज्य सभा को उसकी सिफारिशों के लिए पारेषित धन विधेयक उक्त चौदह दिन की अवधि के भीतर लोक सभा को नहीं लौटाया जाता है तो उक्त अवधि की समाप्ति पर वह दोनों सदनों द्वारा, उस रूप में पारित किया गया समझा जाएगा जिसमें वह लोक सभा द्वारा पारित किया गया था।

यदि लोकसभा धन विधेयक पारित कर देती है, तो इसे राज्यसभा की सिफारिशों के लिए भेजा जाता है। अनुच्छेद 109(2) के अनुसार, राज्यसभा को 14 दिनों के भीतर अपनी सिफारिशों के साथ विधेयक को लोकसभा में वापस करना होगा।

लेकिन अगर राज्यसभा द्वारा 14 दिनों के भीतर उस विधेयक को लोक सभा में नहीं लौटता है तो 14 दिनों की समाप्ति पर वह विधेयक दोनों सदनों द्वारा उसी रूप में पारित समझा जाएगा जिस रूप में लोक सभा द्वारा इसे पारित किया गया था।

कॉन्सेप्ट को विस्तार से समझने के लिए पढे; धन विधेयक और वित्त विधेयक

तो यही है अनुच्छेद 109 (Article 109), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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संसद की बेसिक्स
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FAQ. अनुच्छेद 109 (Article 109) क्या है?

संसद में कानून बनाने की प्रक्रिया विधेयक (Bill) से शुरू होती है। विधेयक दरअसल कानून का एक ड्राफ्ट होता है जो बताता है कि कानून किस बारे में है और ये क्यों लाया जा रहा है। ये जो विधेयक है इसे मोटे तौर पर चार भागों में बांटा जाता है; (1) सामान्य विधेयक (General Bill), संविधान संशोधन विधेयक (Constitutional Amendment Bill), धन विधेयक (Money Bill) और वित्त विधेयक (Finance Bill)।
अनुच्छेद 109 के तहत धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रिया (Special Procedure) का उल्लेख किया गया है। इस अनुच्छेद के कुल 5 खंड है;
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।