यह लेख अनुच्छेद 113 (Article 113) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 113

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📜 अनुच्छेद 113 (Article 113) – Original

वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया
113. संसद में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया — (1) प्राक्कलनों में से जितने प्राक्कलन भारत की संचित निधि पर भारित व्यय से संबंधित हैं वे संसद्‌ में मतदान के लिए नहीं रखे जाएंगे, किन्तु इस खंड की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह संसद्‌ के किसी सदन में उन प्राक्कलनों में से किसी प्राककलन पर चर्चा को निवारित करती है।

(2) उक्त प्राक्कलनों में से जितने प्राक्कलन अन्य व्यय से संबंधित हैं वे लोक सभा के समक्ष अनुदानों की मांगों के रूप में रखे जाएंगे और लोक सभा को शक्ति होगी कि वह किसी मांग को अनुमति दे या अनुमति देने से इंकार कर दे अथवा किसी मांग को, उसमें विनिर्दिष्ट रकम को कम करके, अनुमति दे।
(3) किसी अनुदान की मांग राष्ट्रपति की सिफारिश पर ही की जाएगी, अन्यथा नहीं।
—-अनुच्छेद 113 —-

Procedure in Financial Matter
113. Procedure in Parliament with respect to estimates — (1) So much of the estimates as relates to expenditure charged upon the Consolidated Fund of India shall not be submitted to the vote of Parliament, but nothing in
this clause shall be construed as preventing the discussion in either House of Parliament of any of those estimates.

(2) So much of the said estimates as relates to other expenditure shall be submitted in the form of demands for grants to the House of the People, and the House of the People shall have power to assent, or to refuse to assent, to any demand, or to assent to any demand subject to a reduction of the amount specified therein.

(3) No demand for a grant shall be made except on the recommendation of the President.
Article 113

🔍 Article 113 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)

संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।

तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 113 (Article 113) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 113 – संसद में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया

अनुच्छेद 79 के तहत, देश के सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्था के रूप में संसद की व्यवस्था की गई है। संसद तीन घटकों से मिलकर बना है; राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha)।

संसद में दो सदन है लोक सभा और राज्यसभा। लोकसभा में कुल 543 निर्वाचित सीटें हैं। भारत में संसद का दूसरा सदन भी है, जिसे राज्य सभा या राज्यों की परिषद के रूप में जाना जाता है। अभी फिलहाल 245 सीटें राज्यसभा में प्रभाव में है जिसमें से 233 सदस्यों को चुनने के लिए चुनाव होते हैं जबकि 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं।

कुल मिलाकर अभी लोक सभा और राज्य सभा में 788 सदस्य है। और यही वे लोग हैं जो कि देश का बजट (वार्षिक वित्तीय विवरण) तैयार करते हैं।

भारत का बजट संसद में भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत वार्षिक वित्तीय विवरण को संदर्भित करता है, जो आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अपने राजस्व और व्यय की रूपरेखा तैयार करता है। भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से अगले वर्ष 31 मार्च तक चलता है।

अनुच्छेद 112 के तहत वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement) की व्यवस्था की गई है जिसे कि हम बजट के नाम से भी जानते हैं।

इसी के तहत हमने समझा था कि संचित निधि (Consolidated Fund) से दो प्रकार का व्यय होता है; (1) संचित निधि पर भारित व्यय (expenditure charged upon the Consolidated Fund), और (2) संचित निधि से किए गए व्यय (expenditure from the Consolidated Fund);

अनुच्छेद 113 संसद में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in Parliament with respect to estimates) के बारे में है जो कि संचित निधि पर भारित व्यय और संचित निधि से व्यय के बारे में कुछ विशेष प्रावधानों की व्यवस्था करता है। इस अनुच्छेद के तहत कुल 3 खंड है। आइये समझें;

बजट – पूरी प्रक्रिया और क्रियान्वयन
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अनुच्छेद 113(1) के तहत कहा गया है कि प्राक्कलनों (Estimates) में से जितने प्राक्कलन भारत की संचित निधि पर भारित व्यय से संबंधित हैं वे संसद्‌ में मतदान के लिए नहीं रखे जाएंगे, किन्तु इस खंड की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह संसद्‌ के किसी सदन में उन प्राक्कलनों में से किसी प्राककलन पर चर्चा को निवारित करती है।

कहने का अर्थ है कि संचित निधि पर भारित व्यय (expenditure charged upon the Consolidated Fund) के लिए संसद में मतदान नहीं होता है क्योंकि संसद को ये पता होता है कि ये धन खर्च करनी ही पड़ेगी। ऐसा इसीलिए क्योंकि ये पहले से संसद द्वारा तय कर दिया गया होता है। हालांकि उस पर चर्चा जरूर होती है या हो सकती है।

अनुच्छेद 113(2) के तहत व्यवस्था किया गया है कि उक्त प्राक्कलनों में से जितने प्राक्कलन अन्य व्यय से संबंधित हैं वे लोक सभा के समक्ष अनुदानों की मांगों के रूप में रखे जाएंगे और लोक सभा को शक्ति होगी कि वह किसी मांग को अनुमति दे या अनुमति देने से इंकार कर दे अथवा किसी मांग को, उसमें विनिर्दिष्ट रकम को कम करके, अनुमति दे।

कहने का अर्थ है कि संचित निधि से किए गए व्यय (expenditure from the Consolidated Fund) वे व्यय हैं जिसे कि हरेक वर्ष खर्च अनुमानों के मुताबिक तय किया जाता है। और इसे लोक सभा के समक्ष अनुदानों के मांग के रूप में प्रस्तुत किया जाता है जिस पर सदन में मतदान कराया जाता है।

लोक सभा के पास यह शक्ति होती है कि वह इस तरह के किसी मांग को अनुमति दे या अनुमति देने से इंकार कर दे। या फिर किसी मांग को अनुमति तो दे लेकिन उसमें रकम को कम दे।

अनुच्छेद 113(3) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि किसी अनुदान की मांग राष्ट्रपति की सिफारिश पर ही की जाएगी, अन्यथा नहीं।

राष्ट्रपति की सिफ़ारिश के बिना अनुदान की मांग (demand for a grant) नहीं की जा सकती है।

तो यही है अनुच्छेद 113 (Article 113), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

प्राक्कलन समिति (Estimate Committee) क्या होती है?

संसद की समितियां सरकार के खर्चे की और कार्य निष्पादन की विस्तृत छानबीन करने का काम करती है जिससे कि सरकार का वित्तीय मामलों में संसद के प्रति उत्तरदायित्व सुनिश्चित होता है। तीन ऐसी वित्तीय समितियां (लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति और सार्वजनिक उद्यम समिति) हैं जो संसद द्वारा बनाई गई नीतियों और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में अकुशलताओं और अपव्यय को प्रकाश में लाती है।

प्राक्कलन समिति (Estimate Committee) ‘स्थायी मितव्ययता समिति‘ के रूप में काम करता है इसका मुख्य उद्देश्य है सरकारी फिजूलखर्ची पर रोक लगाना। (मितव्ययता का मतलब है – एक तरह से कंजूसी करना या फिर सार्थक खर्च करना)। विस्तार से समझें; संसदीय समितियां : तदर्थ व स्थायी समितियां
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FAQ. अनुच्छेद 113 (Article 113) क्या है?

अनुच्छेद 113 संसद में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in Parliament with respect to estimates) के बारे में है जो कि संचित निधि पर भारित व्यय और संचित निधि से व्यय के बारे में कुछ विशेष प्रावधानों की व्यवस्था करता है। इस अनुच्छेद के तहत कुल 3 खंड है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रसिद्ध पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप आदि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।