यह लेख अनुच्छेद 114 (Article 114) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 114

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📜 अनुच्छेद 114 (Article 114) – Original

वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया
114. विनियोग विधेयक — (1) लोक सभा द्वारा अनुच्छेद 113 के अधीन अनुदान किए जाने के पश्चात्‌, यथाशक्य शीघ्र, भारत की संचित निधि में से —
(क) लोक सभा द्वारा इस प्रकार किए गए अनुदानों की, और
(ख) भारत की संचित निधि पर भारित, किन्तु संसद्‌ के समक्ष पहले रखे गए विवरण में दर्शित रकम से किसी भी दशा में अनधिक व्यय की,
पूर्ति के लिए अपेक्षित सभी धनराशियों के विनियोग का उपबंध करने के लिए विधेयक पुरःस्थापित किया जाएगा।

(2) इस प्रकार किए गए किसी अनुदान की रकम में परिवर्तन करने या अनुदान के लक्ष्य को बदलने अथवा भारत की संचित निधि पर भारित व्यय की रकम में परिवर्तन करने का प्रभाव रखने वाला कोई संशोधन, ऐसे किसी विधेयक में संसद्‌ के किसी सदन में प्रस्थापित नहीं किया जाएगा और पीठासीन व्यक्ति का इस बारे में विनिश्वय अंतिम होगा कि कोई संशोधन इस खंड के अधीन अग्राह्म है या नहीं।

(3) अनुच्छेद 115 और अनुच्छेद 116 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, भारत की संचित निधि में से इस अनुच्छेद के उपबंधों के अनुसार पारित विधि द्वारा किए गए विनियोग के अधीन ही कोई धन निकाला जाएगा, अन्यथा नहीं।
—-अनुच्छेद 114—-

Procedure in Financial Matter
114. Appropriation Bills. — (1) As soon as may be after the grants under article 113 have been made by the House of the People, there shall be introduced a Bill to provide for the appropriation out of the Consolidated Fund of India of all moneys required to meet—
(a) the grants so made by the House of the People; and
(b) the expenditure charged on the Consolidated Fund of India but not exceeding in any case the amount shown in the statement previously laid before Parliament.

(2) No amendment shall be proposed to any such Bill in either House of Parliament which will have the effect of varying the amount or altering the destination of any grant so made or of varying the amount of any expenditure charged on the Consolidated Fund of India, and the decision of the person presiding as to whether an amendment is inadmissible under this clause shall be final.

(3) Subject to the provisions of articles 115 and 116, no money shall be withdrawn from the Consolidated Fund of India except under appropriation made by law passed in accordance with the provisions of this article.
Article 114

🔍 Article 114 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)

संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।

तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 114 (Article 114) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 114 – विनियोग विधेयक

अनुच्छेद 79 के तहत, देश के सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्था के रूप में संसद की व्यवस्था की गई है। संसद तीन घटकों से मिलकर बना है; राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha)।

संसद में दो सदन है लोक सभा और राज्यसभा। लोकसभा में कुल 543 निर्वाचित सीटें हैं। भारत में संसद का दूसरा सदन भी है, जिसे राज्य सभा या राज्यों की परिषद के रूप में जाना जाता है। अभी फिलहाल 245 सीटें राज्यसभा में प्रभाव में है जिसमें से 233 सदस्यों को चुनने के लिए चुनाव होते हैं जबकि 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं।

कुल मिलाकर अभी लोक सभा और राज्य सभा में 788 सदस्य है। और यही वो लोग हैं जो कि देश का बजट (वार्षिक वित्तीय विवरण तैयार करते हैं।

भारत का बजट संसद में भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत वार्षिक वित्तीय विवरण को संदर्भित करता है, जो आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अपने राजस्व और व्यय की रूपरेखा तैयार करता है। भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से अगले वर्ष 31 मार्च तक चलता है।

अनुच्छेद 112 के तहत वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement) की व्यवस्था की गई है जिसे कि हम बजट के नाम से भी जानते हैं।

अनुच्छेद 113 संसद में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in Parliament with respect to estimates) के बारे में है जो कि संचित निधि पर भारित व्यय और संचित निधि से व्यय के बारे में कुछ विशेष प्रावधानों की व्यवस्था करता है।

अनुच्छेद 114 विनियोग विधेयक (Appropriation Bill) के बारे में है जो कि अनुच्छेद 113 के तहत लोकसभा द्वारा अनुदान किए जाने के पश्चात की कार्रवाहियों से संबंधित है। इस अनुच्छेद के तहत कुल 3 खंड है। आइये समझें;

बजट – पूरी प्रक्रिया और क्रियान्वयन
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Article 114(1) Explanation

अनुच्छेद 114(1) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि जैसे ही लोक सभा द्वारा अनुच्छेद 113 के अधीन अनुदान किए जाते हैं, वैसे ही एक विधेयक सदन में पेश किया जाएगा जो कि भारत की संचित निधि से विनियोग के संबंध में होगा। इसे ही विनियोग विधेयक (Bill of Appropriation) कहा जाएगा।

इस विनियोग विधेयक में दो चीज़ें सम्मिलित होगी —

(क) लोक सभा द्वारा इस संबंध में किए गए अनुदान (Grants made in this regard by the Lok Sabha), और
(ख) भारत की संचित निधि पर भारित रकम (Expenditure Charged Upon Consolidated Fund)।
लेकिन यह रकम संसद्‌ के समक्ष पहले रखे गए विवरण में दर्शित रकम से किसी भी दशा में ज्यादा नहीं होना चाहिए।

दरअसल होता ये है कि बजट कई चरणों से होकर गुजरता है।

सबसे पहले बजट का प्रस्तुतीकरण होता है – बजट को प्रस्तुत करने का काम वित्त मंत्री सदन में करते हैं उस दौरान जो वे भाषण देते हैं, उसे बजट भाषण कहा जाता हैं। जब भाषण खत्म हो जाता है तब बजट को सदन के समक्ष रखा जाता है।

उसके बाद आम बहस होता है – बजट को प्रस्तुत करने के कुछ दिन बाद तक उस बजट पर आम बहस चलती रहती है। दोनों सदन इस पर तीन से चार दिन बहस करते हैं। इस पर बहस के दौरान कई प्रश्न भी उठाये जाते हैं बहस के अंत में वित्त मंत्री को अधिकार होता है कि वह इसका जवाब दे।

उसके बाद विभागीय समितियों द्वारा जांच की जाती है – बजट पर आम बहस पूरी होने के बाद सदन तीन या चार हफ्तों के लिए स्थगित हो जाता है। इस अंतराल के दौरान संसद कि स्थायी समितियां (Standing committees) अनुदान की मांग आदि की विस्तार से जांच-पड़ताल करती है और एक रिपोर्ट तैयार करती है।

इसके बाद अनुदान की मांगों पर मतदान होता है – विभागीय स्थायी समितियों के रिपोर्ट पर विचार किए जाने के बाद लोकसभा में अनुदान की मांगों के लिए मतदान होता है। मांगे मंत्रालयवार प्रस्तुत की जाती है और उस पर पूर्ण मतदान होता है ऐसा होने के बाद वो मांगे अनुदान (Grant) बन जाती है।

अनुदान मांग (Demand for Grant) क्या होता है?

अनुच्छेद 112 के अनुसार, बजट में दो प्रकार के व्यय शामिल होते हैं – (1) भारत की संचित निधि पर भारित व्यय (expenditure charged upon the Consolidated Fund) एवं (2) भारत की संचित निधि से किए गए व्यय (expenditure from the Consolidated Fund)।

(1) भारत की संचित निधि पर भारित व्यय से आशय ऐसे व्यय से है जिसे अनिवार्य रूप से करना ही होता है, इसीलिए भारित व्ययों पर सदन में चर्चा तो की जा सकती है लेकिन मतदान नहीं।

(2) भारत की संचित निधि से किए गए व्यय का आशय ऐसे व्यय से है जो कि बदलता रहता है और जरूरी नहीं होता है कि हर साल उतना ही खर्च हो जितना की पहले हुआ था, जैसे कि किसी योजना से संबन्धित व्यय आदि। इसे ही अनुच्छेद 113 के तहत अनुदान मांग के रूप में रखा जाता है। इसीलिए सदन में इसपर मतदान होता है । ये लोक सभा पर निर्भर करता है कि उस मांग को अनुमति दे या न दें।

अनुच्छेद 114 (1) के तहत, इन दोनों को ही विनियोग विधेयक (Appropriation bill) के रूप में प्रस्तुत किया किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो विनियोग विधेयक संचित निधि से विधि सम्मत धन निकालने की एक प्रक्रिया है ये इसीलिए किया जाता है ताकि धन को लोकसभा में मत द्वारा दिये गए अनुदान तथा भारत की संचित निधि पर भारित व्यय आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

Article 114(2) Explanation

अनुच्छेद 114(2) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि विनियोग विधेयक की रकम में परिवर्तन करने या अनुदान के लक्ष्य को बदलने अथवा भारत की संचित निधि पर भारित व्यय की रकम में परिवर्तन करने का प्रभाव रखने वाला कोई संशोधन, संसद के किसी सदन में पेश और पारित नहीं किया जा सकता है।

जैसा कि हमने ऊपर समझा कि संचित निधि से धन निकालने के लिए विनियोग विधेयक पारित करना जरूरी होता है। इस विनियोग विधेयक में दो चीज़ें होती है, अनुदान मांग (Demand for Grant) जो कि लोकसभा द्वारा पहले ही पारित किया गया होता है और दूसरा होता है संचित निधि पर भारित व्यय (expenditure charged upon the Consolidated Fund)।

अनुच्छेद के इस खंड के अनुसार किसी संशोधन प्रस्ताव से इस विनियोग विधेयक की रकम में कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। इसके तहत तय किए गये अनुदान के लक्ष्य को नहीं बदला जा सकता है और संचित निधि पर भारित व्यय को नहीं बदला जा सकता है। हालांकि इस संबंध में अंतिम फैसला पीठासीन अधिकारी (अध्यक्ष) करता है।

Article 114(3) Explanation

अनुच्छेद 114(3) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि अनुच्छेद 115 और अनुच्छेद 116 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, भारत की संचित निधि में से इस अनुच्छेद के उपबंधों के अनुसार पारित विधि द्वारा किए गए विनियोग के अधीन ही कोई धन निकाला जाएगा, अन्यथा नहीं।

जैसा कि हमने ऊपर भी समझा भारत की संचित निधि से विधि सम्मत विनियोग (appropriation) के सिवाय धन की निकासी नहीं होगी। इसका मतलब आप इस तरह से भी समझ सकते हैं कि, विनियोग विधेयक जब तक लागू नहीं हो जाता तब तक सरकार भारत की संचित निधि से कोई धन निकासी नहीं कर सकती है।

लेकिन यह जो खंड है वो अनुच्छेद 115 और 116 के अधीन है। इसे समझने के लिए आप दोनों अनुच्छेदों को अवश्य पढ़ें;

अनुच्छेद 115 के तहत अनुपूरक (Supplementary), अतिरिक्त (additional) और अधिक अनुदान (excess grants) की व्यवस्था की गई है। और,

अनुच्छेद 116 के तहत लेखानुदान (Votes on account), प्रत्ययानुदान (votes of credit) और अपवादानुदान (exceptional
grants) की व्यवस्था की गई है।

तो यही है अनुच्छेद 114 (Article 114), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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FAQ. अनुच्छेद 114 (Article 114) क्या है?

अनुच्छेद 114 विनियोग विधेयक (Appropriation Bill) के बारे में है जो कि अनुच्छेद 113 के तहत लोकसभा द्वारा अनुदान किए जाने के पश्चात की कार्रवाहियों से संबंधित है। इस अनुच्छेद के तहत कुल 3 खंड है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रसिद्ध पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप आदि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।