यह लेख अनुच्छेद 118 (Article 118) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 118

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📜 अनुच्छेद 118 (Article 118) – Original

साधारणतया प्रक्रिया
118. प्रक्रिया के नियम — (1) इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए. संसद्‌ का प्रत्येक सदन अपनी प्रक्रिया* और अपने कार्य संचालन के विनियमन के नियम बना सकेगा।

(2) जब तक खंड (1) के अधीन नियम नहीं बनाए जाते हैं तब तक इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले भारत डोमिनियन के विधान-मंडल के संबंध में जो प्रक्रिया के नियम और स्थायी आदेश प्रवृत्त थे वे ऐसे उपांतरणों और अनुकूलनों के अधीन रहते हुए संसद्‌ के संबंध में प्रभावी होंगे जिन्हें, यथास्थिति, राज्य सभा का सभापति या लोक सभा का अध्यक्ष उनमें करे।

(3) राष्ट्रपति, राज्य सभा के सभापति और लोक सभा के अध्यक्ष से परामर्श करने के पश्चात्‌, दोनों सदनों की संयुक्त बैठकों से संबंधित और उनमें परस्पर संचार से संबंधित प्रक्रिया के नियम बना सकेगा।

(4) दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में लोक सभा का अध्यक्ष या उसकी अनुपस्थिति में ऐसा व्यक्ति पीठासीन होगा जिसका खंड (3) के अधीन बनाई गई प्रक्रिया के नियमों के अनुसार अवधारण किया जाए।
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* संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम 1976, धारा 22 द्वारा “जिसके अंतर्गत सदन की बैठक का गठन करने के लिए गणपूर्ति सम्मिलित है)” शब्द और कोष्ठक (तारीख अधिसूचित नहीं) से अंतःस्थापित। इस संशोधन को संविधान (चवालीसवां संशोधन) अधिनियम 1978, धारा 45 (20-6-1979 से प्रभावी) द्वारा हटा दिया गया था।
अनुच्छेद 118

Procedure Generally
118. Rules of procedure.— (1) Each House of Parliament may make rules for regulating, subject to the provisions of this Constitution, its procedure* and the conduct of its business.

(2) Until rules are made under clause (1), the rules of procedure and standing orders in force immediately before the commencement of this Constitution with respect to the Legislature of the Dominion of India shall have
effect in relation to Parliament subject to such modifications and adaptations as may be made therein by the Chairman of the Council of States or the Speaker of the House of the People, as the case may be.

(3) The President, after consultation with the Chairman of the Council of States and the Speaker of the House of the People, may make rules as to the procedure with respect to joint sittings of, and communications between, the two Houses.

(4) At a joint sitting of the two Houses the Speaker of the House of the People, or in his absence such person as may be determined by rules of procedure made under clause (3), shall preside.
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* The brackets and words “(including the quorum to constitute a meeting of the House” ins. by the Constitution (Forty-second Amendment) Act, 1976, s. 22 (date not notified). This amendment was omitted by the Constitution (Forty-fourth Amendment) Act, 1978, s. 45 (w.e.f. 20-6-1979).
Article 118

🔍 Article 118 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)

संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।

तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 118 (Article 118) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 118 – प्रक्रिया के नियम

अनुच्छेद 79 के तहत, देश के सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्था के रूप में संसद की व्यवस्था की गई है। संसद तीन घटकों से मिलकर बना है; राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha)।

संसद में दो सदन है लोक सभा (House of the People) और राज्यसभा (Council of States)। लोकसभा में कुल 543 निर्वाचित सीटें हैं, जो कि प्रत्यक्ष मतदान द्वारा चुनकर आते हैं।

वहीं राज्यसभा में अभी फिलहाल 245 सीटें है जिसमें से 233 सदस्यों को चुनने के लिए चुनाव होते हैं जबकि 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं।

राज्य सभा और लोक सभा के बारे में बहुत सारे प्रावधानों का उल्लेख संविधान में ही कर दिया गया है। संसद के बारे में भी बहुत सारे प्रावधानों का उल्लेख संविधान में है। जैसा कि हम पढ़ते आ रहें है।

कहने का अर्थ है कि संसद के सदनों के बारे में मोटा-मोटी प्रावधान तो संविधान में कर दिया गया है लेकिन सदन संचालन के सूक्ष्म नियम संविधान में नहीं है।

अनुच्छेद 118 के तहत संसद को यह शक्ति दी गई है कि वे सदनों के प्रक्रिया संबंधी नियम बनाए। इस अनुच्छेद के कुल 4 खंड है। आइये समझें;

अनुच्छेद-19- भारतीय संविधान

Article 118(1) Explanation

अनुच्छेद 118(1) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए. संसद्‌ का प्रत्येक सदन अपनी प्रक्रिया और अपने कार्य संचालन के विनियमन के नियम बना सकेगा।

नियम बनाए भी गए लोक सभा के लिए बनाए गए नियम पुस्तिका कोRULES OF PROCEDURE AND CONDUCT OF BUSINESS IN LOK SABHA” कहा जाता है।

संविधान सभा (विधायी) के प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम भारत के संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले लागू थे। संविधान के अनुच्छेद 118(2) द्वारा अध्यक्ष को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लोक सभा के अध्यक्ष द्वारा इसे संशोधित किया गया और अपनाया गया था।

17 अप्रैल 1952 को इसे भारत के राजपत्र असाधारण में “लोक सभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम (Rules of Procedure and Conduct of Business in the House of the People)” शीर्षक के तहत प्रकाशित किया गया।

वहीं राज्य सभा के लिए बनाए गए पुस्तिका कोRULES OF PROCEDURE AND CONDUCT OF BUSINESS IN RAJYA SABHA” कहा जाता है।

जैसा कि हमने समझा संविधान का अनुच्छेद 118(1) संसद के प्रत्येक सदन को अपनी प्रक्रिया और अपने कार्य के संचालन को विनियमित करने के लिए नियम बनाने का अधिकार देता है।

संविधान के इस प्रावधान के तहत, राज्यसभा ने 2 जून, 1964 को अपनी प्रक्रिया और अपने कामकाज के संचालन को विनियमित करने के लिए नियमों को अपनाया। ये नियम 1 जुलाई, 1964 से प्रभावी हुए।

Article 118(2) Explanation

अनुच्छेद 118(2) के तहत यह व्यवस्था किया गया कि जब तक खंड (1) के अधीन नियम नहीं बनाए जाते हैं तब तक इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले भारत डोमिनियन के विधान-मंडल के संबंध में जो प्रक्रिया के नियम और स्थायी आदेश लागू थे वे जरूरी बदलावों और अनुकूलनों के साथ संसद्‌ के संबंध में प्रभावी होंगे। और इनमें जरूरी बदलाव और अनुकूलन लाने का काम राज्य सभा का सभापति या लोक सभा का अध्यक्ष करेंगे।

जैसा कि हमने ऊपर भी समझा कि संविधान सभा (विधायी) के प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम भारत के संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले लागू थे। संविधान के अनुच्छेद 118(2) द्वारा अध्यक्ष को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लोक सभा के अध्यक्ष द्वारा इसे संशोधित किया गया और अपनाया गया था।

17 अप्रैल 1952 को इसे भारत के राजपत्र असाधारण (Gazette Extraordinary) में “लोक सभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम (Rules of Procedure and Conduct of Business in the House of the People)” शीर्षक के तहत प्रकाशित किया गया।

सदन की नियम समिति (Rules Committee) की सिफारिशों पर अध्यक्ष द्वारा समय-समय पर उन नियमों में सितंबर, 1954 तक संशोधन किया गया।

सितंबर, 1954 में नियम समिति ने निर्णय लिया कि संशोधनों को लागू करने से पहले उनकी सिफारिशों को सदन द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।

नतीजतन, चौथे संस्करण के नियम 306 (वर्तमान संस्करण के नियम 331) में दी गई नियमों में संशोधन की प्रक्रिया 15 अक्टूबर, 1954 से लागू हुई।

दिसंबर, 1956 में, नियम समिति ने सिफारिश की कि समय-समय पर संशोधित नियमों के चौथे संस्करण में शामिल नियमों को संविधान के अनुच्छेद 118(1) के तहत सदन द्वारा अनुमोदित किया जा सकता है। सदन इस पर सहमत हो गया।

और इस तरह से, 28 मार्च, 1957 तक किए गए संशोधनों को शामिल करते हुए नियमों का पांचवां संस्करण उस दिन लोक सभा के पटल पर रखा गया।

तीसरी लोकसभा के दौरान, नियम समिति द्वारा अनुशंसित और सदन द्वारा स्वीकृत संशोधनों को पांचवें संस्करण के ‘मार्च, 1967 पुनर्मुद्रण’ में शामिल किया गया था।

चौथी लोकसभा के दौरान, नियम समिति द्वारा अनुशंसित और सदन द्वारा स्वीकृत संशोधनों को पांचवें संस्करण के ‘मार्च, 1971 पुनर्मुद्रण’ में शामिल किया गया था।

इस तरह से लगभग हरेक लोक सभा के गठन पर इन नियमों में कुछ बदलाव होते रहें है। अभी की बात करें तो फिलहाल “RULES OF PROCEDURE AND CONDUCT OF BUSINESS IN LOK SABHA” का सोलहवां संस्करण चल रहा है।

यहाँ से देखें; लोक सभा प्रक्रिया नियम पीडीएफ़

राज्य सभा की बात करें तो संविधान के अनुच्छेद 118(1) के तहत, राज्यसभा ने 2 जून, 1964 को अपनी प्रक्रिया और अपने कामकाज के संचालन को विनियमित करने के लिए नियमों को अपनाया। ये नियम 1 जुलाई, 1964 से प्रभावी हुए।

यहाँ से देखें; राज्य सभा प्रक्रिया नियम पीडीएफ़

⚫ नियम समिति (Rules Committee) किसे कहते हैं?
यह समिति सदन में कार्य पद्धति तथा संचालन से संबन्धित मामलों पर विचार करती है और साथ ही सदन के नियमों में आवश्यक संशोधन भी सुझाती है। लोकसभा की बात करें तो उसमें 15 सदस्य होते हैं तथा लोकसभाध्यक्ष इसके पदेन अध्यक्ष होते हैं। इसी प्रकार राज्यसभा समिति में 16 सदस्य होते है और सभापति इसके पदेन अध्यक्ष होते है।
समितियों के बारे में विस्तार से समझें; संसदीय समितियां : तदर्थ व स्थायी समितियां

Article 118(3) Explanation

अनुच्छेद 118(3) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि राष्ट्रपति, राज्य सभा के सभापति और लोक सभा के अध्यक्ष से परामर्श करने के पश्चात्‌, दोनों सदनों की संयुक्त बैठकों से संबंधित और उनमें परस्पर संचार से संबंधित प्रक्रिया के नियम बना सकेगा।

अभी की बात करें तो लोकसभा के प्रक्रिया नियम पुस्तिका के Appendix 1 में Joint Sittings and Communications Rules को देखा जा सकता है। इन नियमों में निम्नलिखित विषयों को शामिल किया गया है;

  1. सदस्यों को कैसे बुलाया जाएगा (Summons to members)
  2. बैठक का समय कैसे तय होगा (Time of sitting)
  3. बैठक की अध्यक्षता कौन करेगा (Presiding Officers)
  4. गणपूर्ति का निर्धारण कैसे होगा (Quorum)
  5. प्रक्रिया क्या होगी (Procedure)
  6. संयुक्त बैठक की कार्यवाही की रिपोर्ट (Report of proceedings of joint sittings)
  7. दोनों सदनों के बीच संचार कैसे होगा (Communications between Houses)
  8. संदेश द्वारा संचार (Communication by messages)
  9. संदेश कैसे भेजा जाएगा (Mode of sending messages)
  10. सदन के सदस्यों को संदेश कैसे भेजा जाएगा (Communication of messages to members)

Article 118(4) Explanation

अनुच्छेद 118(4) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में लोक सभा का अध्यक्ष या उसकी अनुपस्थिति में ऐसा व्यक्ति पीठासीन होगा जिसका खंड (3) के अधीन बनाई गई प्रक्रिया के नियमों के अनुसार अवधारण किया जाए।

नियम के अनुसार, दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोकसभा का अध्यक्ष करता है तथा उसकी अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष इस दायित्व को निभाता है। यदि उपाध्यक्ष भी अनुपस्थित हो तो राज्यसभा का उप-सभापति यह दायित्व निभाता है।

यदि राज्यसभा का उप-सभापति भी अनुपस्थित हो तो संयुक्त बैठक में उपस्थित सदस्यों द्वारा इस बात का निर्णय किया जाता है कि इस संयुक्त बैठक अध्यक्षता कौन करेगा। लेकिन राज्यसभा का सभापति इसकी अध्यक्षता नहीं करता है।

नियमों को विस्तार से समझें; ◾ दोनों सदनों की संयुक्त बैठक

तो यही है अनुच्छेद 118 (Article 118), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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अनुच्छेद 119 – भारतीय संविधान
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संसद की बेसिक्स
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FAQ. अनुच्छेद 118 (Article 118) क्या है?

अनुच्छेद 118 के तहत संसद को यह शक्ति दी गई है कि वे सदनों के प्रक्रिया संबंधी नियम बनाए। इस अनुच्छेद के कुल 4 खंड है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।