यह लेख अनुच्छेद 125 (Article 125) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 125

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📜 अनुच्छेद 125 (Article 125) – Original

केंद्रीय न्यायपालिका
125. न्यायाधीशों के वेतन, आदि. 1[(1) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को ऐसे वेतनों का संदाय किया जाएगा जो संसद, विधि द्वारा, अवधारित करे और जब तक इस निमित्त इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक ऐसे वेतनों का संदाय किया जाएगा जो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं।]

(2) प्रत्येक न्यायाधीश ऐसे विशेषाधिकारों और भत्तों का तथा अनुपस्थिति छुट्टी और पेंशन के संबंध में ऐसे अधिकारों का, जो संसद द्वारा बनाई गई विधि द्वारा या उसके अधीन समय-समय पर अवधारित किए जाएं जब तक इस प्रकार अवधारित नहीं किए जाते हैं तब तक ऐसे विशेषाधिकारों, भत्तों और अधिकारों का जो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं, हकदार होगा :

परन्तु किसी न्यायाधीश के विशेषाधिकारों और भत्तों में तथा अनुपस्थिति छुट्टी या पेंशन के संबंध में उसके अधिकारों में उसकी नियुक्ति के पश्चात्‌ उसके लिए अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जाएगा।
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1. संविधान (चौंवनवां संशोधन) अधिनियम, 1986 की धारा 2 द्वारा (1-4-1986 से) खंड (1) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
अनुच्छेद 125

THE UNION JUDICIARY
125. Salaries, etc., of Judges.1[(1) There shall be paid to the Judges of the Supreme Court such salaries as may be determined by Parliament by law and, until provision in that behalf is so made, such salaries as are specified in the Second Schedule.]
(2) Every Judge shall be entitled to such privileges and allowances and to such rights in respect of leave of absence and pension as may from time to time be determined by or under law made by Parliament and, until so determined, to such privileges, allowances and rights as are specified in the Second Schedule:

Provided that neither the privileges nor the allowances of a Judge nor his rights in respect of leave of absence or pension shall be varied to his disadvantage after his appointment.
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1 . Subs. by the Constitution (Fifty-fourth Amendment) Act, 1986, s. 2, for cl. (1) (w.e.f. 1-4-1986).
Article 124

🔍 Article 125 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का चौथा अध्याय है – संघ की न्यायपालिका (The Union Judiciary)

संसद के इस अध्याय के तहत अनुच्छेद 124 से लेकर अनुच्छेद 147 तक आते हैं। इस लेख में हम अनुच्छेद 125 (Article 125) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 125 – न्यायाधीशों के वेतन, आदि

न्याय (Justice) एक जटिल और बहुआयामी अवधारणा है जो व्यक्तियों के साथ निष्पक्ष व्यवहार और न्यायपूर्ण समाज के रखरखाव को संदर्भित करता है।

न्याय लोकतंत्र का एक आधारभूत स्तंभ है क्योंकि यह व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है, कानून के शासन को बनाए रखता है, संघर्ष के समाधान की सुविधा देता है और निष्पक्षता और समानता को बढ़ावा देता है। यह लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करता है और समाज की समग्र भलाई और स्थिरता में योगदान देता है।

भारत में इसे सुनिश्चित करने के लिए संविधान द्वारा एकीकृत न्यायिक व्यवस्था (Integrated Judiciary System) की शुरुआत की गई है। इस व्यवस्था में उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) सबसे शीर्ष पर आता है, उसके बाद राज्यों उच्च न्यायालय (High Court) आता है और फिर उसके बाद जिलों का अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Court)।

संविधान का भाग 5, अध्याय IV संघीय न्यायालय यानि कि उच्चतम न्यायालय की बात करता है। अनुच्छेद 125 न्यायाधीशों के वेतन आदि (Salaries, etc., of Judges) के बारे में है। इस अनुच्छेद के 2 खंड है आइये समझें;

Article 125(1) Explanation

अनुच्छेद 125(1) कहता है कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को ऐसे वेतनों का संदाय किया जाएगा जो संसद, विधि द्वारा, अवधारित करे और जब तक इस निमित्त इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक ऐसे वेतनों का संदाय किया जाएगा जो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं।

इस खंड के तहत दो बातें कही गई है;

पहली बात – उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को ऐसा वेतन दिया जाएगा जो संसद, विधि द्वारा, निर्धारित करेगा।

दूसरी बात – अगर संसद ने ऐसा कोई कानून नहीं बनाया है तो फिर ऐसा वेतन दिया जाएगा जो कि दूसरी अनुसूची[p. 298] में बताया गया है।

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन (Salary), ग्रेच्युटी (Gratuity), पेंशन (Pension), भत्ते (Allowances) आदि के बारे में पहली बात लागू होती है क्योंकि साल 1958 में संसद ने इस संबंध में एक कानून बनाया था जिसका नाम है – सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश (वेतन और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1958 [Supreme Court Judges (Salaries and Conditions of Service) Act, 1958]।

7वें वेतन आयोग के सिफ़ारिशों को लागू करने के उद्देश्य से साल 2017 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया गया और संशोधन के पश्चात अब जो वेतन और भत्ते मिलते हैं, वो कुछ इस प्रकार है;

DesignationSalaryPensionGratuity*
Chief Justice of IndiaRs.2,80,000/-p.m.Rs.16,80,000/- per annum
+Dearness Relief
Rs.20,00,000/-
Judges of Supreme CourtRs.2,50,000/-p.m.Rs.15,00,000/- per annum
+Dearness Relief
Rs.20,00,000/-
Source – https://doj.gov.in/pay-allowance/

* Gratuity – किसी कर्मचारी को नौकरी छोड़ने या सेवानिवृत्त होने पर मिलने वाली बड़ी धनराशि; उपदान

◾ वहीं भत्तों (Allowances) की बात करें तो 2017 के संशोधन के पश्चात अब स्थिति कुछ इस प्रकार है;

DesignationFurnishing
Allowance
HRA*Sumptuary Allowance*
Chief Justice of IndiaRs.10,00,000/-24% of Basic SalaryRs.45,000/-
per month
Judges of Supreme CourtRs.8,00,000/-24% of Basic SalaryRs.34,000/-
per month

* HRA का मतलब House Rent Allowance है। HRA कर्मचारी द्वारा किराए के भुगतान के लिए नियोक्ताओं या सरकार द्वारा भुगतान किए जाने वाले वेतन का एक घटक है।

*सत्कार भत्ता (Sumptuary Allowance) क्या है?

सत्कार भत्ता सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली धनराशि है जिसका उपयोग विलासिता की वस्तुओं को खरीदने के लिए किया जा सकता है।
आगंतुकों (Visitors) के मनोरंजन पर किए गए खर्च की भरपाई के लिए केंद्र सरकार के विभिन्न ग्रेड के कर्मियों को सत्कार भत्ते दिए जाते हैं।
CJI को 45,000 रुपए प्रति महिना इसके लिए मिलता है।

Note – सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन, पेंशन और भत्ते भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं, जबकि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन और भत्ते राज्यों की संचित निधि पर और पेंशन भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं। .

अनुच्छेद-31- भारतीय संविधान

Article 125(2) Explanation

अनुच्छेद 125(2) के तहत कहा गया है कि प्रत्येक न्यायाधीश ऐसे विशेषाधिकारों और भत्तों का तथा अनुपस्थिति छुट्टी और पेंशन के संबंध में ऐसे अधिकारों का, जो संसद द्वारा बनाई गई विधि द्वारा या उसके अधीन समय-समय पर अवधारित किए जाएं जब तक इस प्रकार अवधारित नहीं किए जाते हैं तब तक ऐसे विशेषाधिकारों, भत्तों और अधिकारों का जो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं, हकदार होगा :

यहाँ पर दो बातें हैं;

पहली बात – प्रत्येक न्यायाधीश विशेषाधिकारों और भत्तों तथा अनुपस्थिति, छुट्टी और पेंशन के संबंध में ऐसे अधिकार मिलेंगे, जो संसद द्वारा निर्धारित किया जाएगा।

दूसरी बात – जब तक इस प्रकार निर्धारित नहीं किए जाते हैं तब तक ऐसे विशेषाधिकारों, भत्तों और अधिकारों का लाभ मिलेगा जो कि दूसरी अनुसूची में दिया हुआ है।

पेंशन, छुट्टी एवं अनुपस्थिति आदि को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश (वेतन और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1958 [Supreme Court Judges (Salaries and Conditions of Service) Act, 1958] के तहत ही कवर किया गया है।

यहाँ पर यह याद रखिए कि किसी न्यायाधीश के विशेषाधिकारों और भत्तों में तथा अनुपस्थिति छुट्टी या पेंशन के संबंध में उसके अधिकारों में उसकी नियुक्ति के पश्चात्‌ उसके लिए अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जाएगा।

तो यही है अनुच्छेद 125 (Article 125), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

| Related Article

अनुच्छेद 126 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद- 124 – भारतीय संविधान
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भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
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FAQ. अनुच्छेद 125 (Article 125) क्या है?

अनुच्छेद 125 न्यायाधीशों के वेतन आदि (Salaries, etc., of Judges) के बारे में है। अभी फिलहाल CJI को 2,80,000 रुपए वेतन प्रति महिना मिलता है। और अन्य न्यायाधीशों को 2,50,000 रुपए प्रति महिना मिलता है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।