यह लेख अनुच्छेद 132 (Article 132) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 132


📜 अनुच्छेद 132 (Article 132) – Original

केंद्रीय न्यायपालिका
132. कुछ मामलों में उच्च न्यायालयों से अपीलों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता —(1) भारत के राज्यक्षेत्र में किसी उच्च न्यायालय की सिविल, दांडिक या अन्य कार्यवाही में दिए गए किसी निर्णय, डिक्री या अंतिम आदेश की अपील उच्चतम न्यायालय में होगी 1[यदि वह उच्च न्यायालय अनुच्छेद 134क के अधीन प्रमाणित कर देता है] कि उस मामले में इस संविधान के निर्वर्चन के बारे में विधि का कोई सारवान प्रश्न अंतर्वलित है ।

2(2) * * * * *

(3) जहां ऐसा प्रमाणपत्र दे दिया गया है 3*** वहां उस मामले में कोई पक्षकार इस आधार पर उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकेगा कि पूर्वोक्त किसी प्रश्न का विनिश्चय गलत किया गया है 4***।

स्पष्टीकरण — इस अनुच्छेद के प्रयोजनों के लिए, “अंतिम आदेश” पद के अंतर्गत ऐसे विवाद्यक का विनिश्चय करने वाला आदेश है जो, यदि अपिलार्थी के पक्ष में विनिश्चित किया जाता है तो, उस मामले के अंतिम निपटारे के लिए पर्याप्त होगा।
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1. संविधान (चवालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1978 की धारा 17 द्वारा (1-8-1979 से) “यदि उच्च न्यायालय प्रमाणित कर दे” के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
2. संविधान (चवालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1978 की धारा 17 द्वारा (1-8-979 से) खंड (2) का लोप किया गया।
3. संविधान (चवालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1978 की धारा (1-8-1979 से) कतिपय शब्दों का लोप किया गया।
4. संविधान (तीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1972 की धारा 2 द्वारा (27-2-1973 से) खंड (1) स्थान पर प्रतिस्थापित।
अनुच्छेद 132

THE UNION JUDICIARY
132. Appellate jurisdiction of Supreme Court in appeals from High Courts in certain cases.—(1) An appeal shall lie to the Supreme Court from any judgment, decree or final order of a High Court in the territory of India, whether in a civil, criminal or other proceeding, 1[if the High Court certifies under article 134A] that the case involves a substantial question of law as to the interpretation of this Constitution.

2(2) * * * * *

(3) Where such a certificate is given, 3* any party in the case may appeal to the Supreme Court on the ground that any such question as aforesaid has been wrongly decided 4***.

Explanation.—For the purposes of this article, the expression “final order” includes an order deciding an issue which, if decided in favour of the appellant, would be sufficient for the final disposal of the case.
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1. Subs. by the Constitution (Forty-fourth Amendment) Act, 1978, s. 17, for “if the High Court certifies” (w.e.f. 1-8-1979).
2. Cl. (2) omitted by the Constitution (Forty-fourth Amendment) Act, 1978, s. 17, for “if the High Court certifies” (w.e.f. 1-8-1979).
3. Certain words omitted by s. 17, ibid. (w.e.f. 1-8-1979).
4. Certain words omitted by s. 17, ibid. (w.e.f. 1-8-1979).
Article 132

🔍 Article 132 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का चौथा अध्याय है – संघ की न्यायपालिका (The Union Judiciary)

संसद के इस अध्याय के तहत अनुच्छेद 124 से लेकर अनुच्छेद 147 तक आते हैं। इस लेख में हम अनुच्छेद 132 (Article 132) को समझने वाले हैं;

न्याय (Justice) एक जटिल और बहुआयामी अवधारणा है जो व्यक्तियों के साथ निष्पक्ष व्यवहार और न्यायपूर्ण समाज के रखरखाव को संदर्भित करता है।

न्याय लोकतंत्र का एक आधारभूत स्तंभ है क्योंकि यह व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है, कानून के शासन को बनाए रखता है, संघर्ष के समाधान की सुविधा देता है और निष्पक्षता और समानता को बढ़ावा देता है। यह लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करता है और समाज की समग्र भलाई और स्थिरता में योगदान देता है।

भारत में इसे सुनिश्चित करने के लिए संविधान द्वारा एकीकृत न्यायिक व्यवस्था (Integrated Judiciary System) की शुरुआत की गई है। इस व्यवस्था में उच्चतम न्यायालय सबसे शीर्ष पर आता है, उसके बाद राज्यों उच्च न्यायालय आता है और फिर उसके बाद जिलों का अधीनस्थ न्यायालय

अनुच्छेद-131 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 132 – कुछ मामलों में उच्च न्यायालयों से अपीलों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता

संविधान का भाग 5, अध्याय IV संघीय न्यायालय यानि कि उच्चतम न्यायालय की बात करता है। अनुच्छेद 132 कुछ मामलों में उच्च न्यायालयों से अपीलों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता (Appellate jurisdiction of Supreme Court in appeals from High Courts in certain cases) के बारे में है।

इस अनुच्छेद के तहत कुल दो खंड आते हैं; [यहाँ यह याद रखें कि इस अनुच्छेद के खंड (2) को 44वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा हटा दिया गया था, इसीलिए खंड (1) के बाद सीधे खंड (3) आता है। आइये इसे समझें;

अनुच्छेद 132(1) कहता है कि भारत के राज्यक्षेत्र में किसी उच्च न्यायालय की सिविल, दांडिक या अन्य कार्यवाही में दिए गए किसी निर्णय, डिक्री या अंतिम आदेश की अपील उच्चतम न्यायालय में होगी यदि वह उच्च न्यायालय अनुच्छेद 134क के अधीन प्रमाणित कर देता है कि उस मामले में इस संविधान के निर्वर्चन के बारे में विधि का कोई सारवान प्रश्न अंतर्वलित है।

चूंकि हमारी न्यायिक व्यवस्था एकीकृत व्यवस्था पर आधारित है जहां सुप्रीम कोर्ट सबसे ऊपर चोटी पर स्थित है। यह अपील का अंतिम न्यायालय है एवं यह संविधान और भारत के नागरिकों के अधिकारों का व्याख्याता एवं गारंटर भी है।

अनुच्छेद 132 सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय क्षेत्राधिकार (Appellate jurisdiction) से संबंध रखता है। होता ये है कि अगर किसी को अधीनस्थ न्यायालय का फैसला उचित नहीं लगता है तो उच्च न्यायालय में अपील कर देता है, अगर उच्च न्यायालय का फैसला भी उचित नहीं जान पड़ता है तो फिर इसे उच्चतम न्यायालय में अपील कर देता है।

अब सवाल ये है कि किस प्रकार का अपील उच्चतम न्यायालय में किया जाता है। तो इसे निम्नलिखित चार भागों में बाँट कर देखा जा सकता है।

(1) संवैधानिक मामलों में अपील,
(2) दीवानी मामलों में अपील,
(3) आपराधिक मामलों में अपील, और
(4) विशेष अनुमति द्वारा अपील।

इनमें से अनुच्छेद 132 संवैधानिक मामलों में अपील (Appeal in constitutional matters) से संबंधित है।

संवैधानिक मामलों में अपील (Appeal in constitutional matters) – अनुच्छेद 132 के तहत, संवैधानिक मामलों में उच्चतम न्यायालय में उच्च न्यायालय के किसी भी फैसले के खिलाफ अपील की जा सकती है, भले ही वह आपराधिक मामला हो या फिर दीवानी।

लेकिन उच्च न्यायालय को अनुच्छेद 134 (A) के तहत बताना होगा कि (पहली बात) ये एक ऐसा मामला है जिसका निराकरन उच्चतम न्यायालय ही कर सकता है, और (दूसरी बात) इसमें संवैधानिक व्याख्या की जरूरत पड़ेगी।

अनुच्छेद 132(3) कहता है कि जहां ऐसा प्रमाणपत्र दे दिया गया है वहां उस मामले में कोई पक्षकार इस आधार पर उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकेगा कि पूर्वोक्त किसी प्रश्न का विनिश्चय गलत किया गया है

विस्तार से समझेंउच्चतम न्यायालय का क्षेत्राधिकार (Jurisdiction of Supreme Court)

तो यही है अनुच्छेद 132 (Article 132), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial

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⚫ अनुच्छेद 124 – भारतीय संविधान
⚫ अनुच्छेद- 122 – भारतीय संविधान
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संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
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FAQ. अनुच्छेद 132 (Article 132) क्या है?

अनुच्छेद 132 कुछ मामलों में उच्च न्यायालयों से अपीलों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता (Appellate jurisdiction of Supreme Court in appeals from High Courts in certain cases) के बारे में है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।