यह लेख अनुच्छेद 139 (Article 139) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 139


📜 अनुच्छेद 139 (Article 139) – Original

केंद्रीय न्यायपालिका
139. कुछ रिट निकालने की शक्तियों का उच्चतम न्यायालय को प्रदत्त किया जाना — संसद्‌ विधि द्वारा उच्चतम न्यायालय को अनुच्छेद 32 के खंड (2) में वर्णित प्रयोजनों से भिन्‍न किन्हीं प्रयोजनों के लिए ऐसे निदेश, आदेश या रिट, जिनके अंतर्गत बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार पृच्छा और उप्रेषण रिट हैं, या उनमें से कोई निकालने की शक्ति प्रदान कर सकेगी।
अनुच्छेद 139

THE UNION JUDICIARY
139. Conferment on the Supreme Court of powers to issue certain writs.—Parliament may by law confer on the Supreme Court power to issue directions, orders or writs, including writs in the nature of habeas corpus, mandamus, prohibition, quo warranto and certiorari, or any of them, for any purposes other than those mentioned in clause (2) of article 32.
Article 139

🔍 Article 139 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का चौथा अध्याय है – संघ की न्यायपालिका (The Union Judiciary)

संसद के इस अध्याय के तहत अनुच्छेद 124 से लेकर अनुच्छेद 147 तक आते हैं। इस लेख में हम अनुच्छेद 139 (Article 139) को समझने वाले हैं;

न्याय (Justice) एक जटिल और बहुआयामी अवधारणा है जो व्यक्तियों के साथ निष्पक्ष व्यवहार और न्यायपूर्ण समाज के रखरखाव को संदर्भित करता है।

न्याय लोकतंत्र का एक आधारभूत स्तंभ है क्योंकि यह व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है, कानून के शासन को बनाए रखता है, संघर्ष के समाधान की सुविधा देता है और निष्पक्षता और समानता को बढ़ावा देता है। यह लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करता है और समाज की समग्र भलाई और स्थिरता में योगदान देता है।

भारत में इसे सुनिश्चित करने के लिए संविधान द्वारा एकीकृत न्यायिक व्यवस्था (Integrated Judiciary System) की शुरुआत की गई है। इस व्यवस्था में उच्चतम न्यायालय सबसे शीर्ष पर आता है, उसके बाद राज्यों उच्च न्यायालय आता है और फिर उसके बाद जिलों का अधीनस्थ न्यायालय

अनुच्छेद-138 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 139 – कुछ रिट निकालने की शक्तियों का उच्चतम न्यायालय को प्रदत्त किया जाना

संविधान का भाग 5, अध्याय IV संघीय न्यायालय यानि कि उच्चतम न्यायालय की बात करता है। अनुच्छेद 139 कुछ रिट निकालने की शक्तियों का उच्चतम न्यायालय को प्रदत्त किए जाने (Conferment on the Supreme Court of powers to issue certain writs) के बारे में है।

अनुच्छेद 139 के तहत कहा गया है कि संसद्‌ विधि द्वारा उच्चतम न्यायालय को अनुच्छेद 32 के खंड (2) में वर्णित प्रयोजनों से भिन्‍न किन्हीं प्रयोजनों के लिए ऐसे निदेश, आदेश या रिट, जिनके अंतर्गत बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार पृच्छा और उप्रेषण रिट हैं, या उनमें से कोई निकालने की शक्ति प्रदान कर सकेगी।

इसे ऐसे समझिए –

जब भी मूल अधिकारों का उल्लंघन होगा कोई भी व्यक्ति संविधान के अनुच्छेद 32 का सहारा लेकर सीधे उच्चतम न्यायालय जा सकता है। तो अगर कोई व्यक्ति ऐसे में उच्चतम न्यायालय आता है तो उसके मूल अधिकार को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट क्या कर सकता है उसी के बारे में अनुच्छेद 32(2) में बताया गया है।

अनुच्छेद 32(2) के अनुसार, मूल अधिकार को प्रवर्तित कराने के लिए उच्चतम न्यायालय को ऐसे निदेश या आदेश, रिट या प्रादेश जारी करने की शक्ति होगी, जिसके तहत वे बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas corpus),  परमादेश (mandamus),  प्रतिषेध (prohibition),  उत्प्रेषण  (certiorari) एवं  अधिकार पृच्छा (quo warranto) रिट जारी कर सकती है।

अनुच्छेद 139 के तहत, अगर संसद चाहे तो विधि द्वारा सुप्रीम को मूल अधिकारों से भिन्न अन्य प्रयोजनों के लिए भी रिट जारी करने की शक्ति दे सकती है। क्योंकि अनुच्छेद 32 के तहत वो बस मूल अधिकारों के लिए ही रिट जारी कर सकता है। [बस इतनी सी बात इस अनुच्छेद में कही गई है।]

⚫ ⚫ विस्तार से समझेंउच्चतम न्यायालय का क्षेत्राधिकार (Jurisdiction of Supreme Court)

तो यही है अनुच्छेद 139 (Article 139), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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FAQ. अनुच्छेद 139 (Article 139) क्या है?

अनुच्छेद 139 कुछ रिट निकालने की शक्तियों का उच्चतम न्यायालय को प्रदत्त किए जाने (Conferment on the Supreme Court of powers to issue certain writs) के बारे में है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।