यह लेख अनुच्छेद 144 (Article 144) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 144


📜 अनुच्छेद 144 (Article 144) – Original

केंद्रीय न्यायपालिका
144. सिविल और न्यायिक प्राधिकारियों द्वारा उच्चतम न्यायालय की सहायता में कार्य किया जाना —-भारत के राज्यक्षेत्र के सभी सिविल और न्यायिक प्राधिकारी उच्चतम न्यायालय की सहायता में कार्य करेंगे।

1[144क. [विधियों की सांविधानिक वैधता से संबंधित प्रश्नों के निपटारे के बारे में विशेष उपबंध] — संविधान (तैतालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1977 की धारा 5 द्वारा (13- 4-1978 से) निरसित।
===========
1.संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 25 द्वारा (1-2-1977 से) अंतःस्थापित।
अनुच्छेद 144

THE UNION JUDICIARY
144. Civil and judicial authorities to act in aid of the Supreme Court.—All authorities, civil and judicial, in the territory of India shall act in aid of the Supreme Court.

1[144A. [Special provisions as to disposal of questions relating to constitutional validity of laws.].—Omitted by the Constitution (Forty-third Amendment) Act, 1977, s. 5 (w.e.f. 13-4-1978).]
===========
1. Ins. by the Constitution (Forty-second Amendment) Act, 1976, s. 25 (w.e.f. 1-2-1977).
Article 144

🔍 Article 144 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का चौथा अध्याय है – संघ की न्यायपालिका (The Union Judiciary)

संसद के इस अध्याय के तहत अनुच्छेद 124 से लेकर अनुच्छेद 147 तक आते हैं। इस लेख में हम अनुच्छेद 144 (Article 144) को समझने वाले हैं;

न्याय (Justice) एक जटिल और बहुआयामी अवधारणा है जो व्यक्तियों के साथ निष्पक्ष व्यवहार और न्यायपूर्ण समाज के रखरखाव को संदर्भित करता है।

न्याय लोकतंत्र का एक आधारभूत स्तंभ है क्योंकि यह व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है, कानून के शासन को बनाए रखता है, संघर्ष के समाधान की सुविधा देता है और निष्पक्षता और समानता को बढ़ावा देता है। यह लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करता है और समाज की समग्र भलाई और स्थिरता में योगदान देता है।

भारत में इसे सुनिश्चित करने के लिए संविधान द्वारा एकीकृत न्यायिक व्यवस्था (Integrated Judiciary System) की शुरुआत की गई है। इस व्यवस्था में उच्चतम न्यायालय सबसे शीर्ष पर आता है, उसके बाद राज्यों उच्च न्यायालय आता है और फिर उसके बाद जिलों का अधीनस्थ न्यायालय

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| अनुच्छेद 144 – सिविल और न्यायिक प्राधिकारियों द्वारा उच्चतम न्यायालय की सहायता में कार्य किया जाना

संविधान का भाग 5, अध्याय IV संघीय न्यायालय यानि कि उच्चतम न्यायालय की बात करता है। अनुच्छेद 144 सिविल और न्यायिक प्राधिकारियों द्वारा उच्चतम न्यायालय की सहायता में कार्य किया जाना (Civil and judicial authorities to act in aid of the Supreme Court) के बारे में है।

अनुच्छेद 144 कहता है कि भारत के राज्यक्षेत्र के सभी सिविल और न्यायिक प्राधिकारी उच्चतम न्यायालय की सहायता में कार्य करेंगे।

दरअसल भारतीय संविधान का अनुच्छेद 144 सर्वोच्च न्यायालय की सहायता के लिए नागरिक अधिकारियों (Civil Authorities) और न्यायिक अधिकारियों (Judicial Authorities) के दायित्वों पर चर्चा करता है।

इसके तहत सभी अधिकारियों (चाहे वो नागरिक अधिकारी हो या न्यायिक अधिकारी), को सर्वोच्च न्यायालय के समर्थन में कार्य करने के लिए निर्देशित किया गया है। यानी कि सिविल और न्यायिक प्राधिकरण सर्वोच्च न्यायालय का समर्थन करने के लिए अधीनस्थ के रूप में कार्य करते हैं।

◾ कुल मिलाकर यहां समझने की बात ये है कि, विवाद या मामले की परवाह किए बिना, एक बार जब सर्वोच्च न्यायालय अपना फैसला दे देता है, तो यह प्रत्येक व्यक्ति और प्राधिकरण का संवैधानिक दायित्व है कि वह उसके द्वारा दिए गए निर्णय को बाध्यकारी मान ले।

यहां पर दो टर्म का इस्तेमाल किया गया है, (पहला) नागरिक प्राधिकरण (Civil Authorities), और (दूसरा) न्यायिक प्राधिकरण (Judicial Authorities)। इसका क्या मतलब होता है, आइये समझें;

नागरिक प्राधिकरण (Civil Authorities) क्या है?

सिविल सेवा, जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के निर्देशन और पर्यवेक्षण के तहत और नियमों और सिद्धांतों के अनुपालन में सरकारी गतिविधियों को चलाने के लिए कार्यात्मक इकाई है।

सिविल सेवा का काम संसद की इच्छा को पूरा करना है। उनका प्रमुख लक्ष्य नीतियों के निर्माण में सरकार की मदद करना और बाद में इन नीतियों को जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करना है। भारत में नागरिक प्राधिकरण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 144 के तहत सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सहायता प्राप्त है।

भारत में सिविल सेवाओं को तीन श्रेणियों में बांटा गया है:

(1) अखिल भारतीय सेवाएं (All India Services) – इस श्रेणी के सदस्य संघ और राज्य दोनों सरकारों की सेवा करते हैं। इसके तहत तीन सेवाएं आती है;

  1. Indian Administrative Service (IAS)
  2. Indian Police Service (IPS)
  3. Indian Forest Service (IFoS)

(2) केन्द्रीय सिविल सेवा (Central Civil Services) – ये कर्मचारी केवल संघ सरकार के लिए कार्य करते हैं। इसके तहत ढेरों सेवाएं आती है; जैसे कि,

  1. Indian Audit and Accounts Service (IAAS)
  2. Indian Civil Accounts Service (ICAS)
  3. Indian Corporate Law Service (ICLS)
  4. Indian Defence Accounts Service (IDAS)

(3) राज्य सिविल सेवा (State Civil Services) – ये कर्मचारी केवल राज्य की सरकार के लिए काम करते हैं। इसके तहत Block Development Officer, District Education Officer जैसे पद आते हैं।

न्यायिक प्राधिकरण (Judicial Authorities) क्या है?

सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, जिला न्यायालय या अधीनस्थ न्यायालय भारत की न्यायिक प्रणाली का गठन करते हैं। न्यायपालिका सरकार की एक शाखा है जहां न्यायिक प्राधिकरण कानून की व्याख्या करने, विवादों को सुलझाने और सभी नागरिकों को न्याय देने के लिए जिम्मेदार है।

भारत में न्यायिक प्राधिकरण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 144 के तहत सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सहायता प्राप्त है। इसके तहत निम्नलिखित न्यायिक अधिकारी आते हैं

  1. भारत के मुख्य न्यायाधीश (The Chief Justice of India),
  2. राज्यों के मुख्य न्यायाधीश (The Chief Justices of States),
  3. न्यायिक परिषद (The Judicial Council),
  4. कोई अभियोजक (Any prosecutor),
  5. कोई भी न्यायालय मध्यस्थ (Any court arbitrator),
  6. न्यायाधिकरण (The tribunal), या किसी भी प्रकार का अन्य समान निकाय, और

कोई भी अदालत का न्यायाधीश और कोई भी सरकारी प्राधिकरण जो न्यायिक शक्तियों या किसी भी प्रकार के कार्यों का प्रयोग करता है, सभी न्यायिक प्राधिकरण (Judicial Authorities) हैं।

समापन टिप्पणी (Closing Remarks):

जैसा कि हमने समझा अनुच्छेद 144 के तहत भारत के राज्यक्षेत्र के सभी सिविल और न्यायिक प्राधिकारी उच्चतम न्यायालय की सहायता में कार्य करेंगे। सुप्रीम कोर्ट की इस शक्ति का दावा किसी अन्य प्राधिकरण द्वारा नहीं किया जा सकता है।

जब सर्वोच्च न्यायालय, विवाद या मामले की परवाह किए बिना एक निर्णायक निर्णय की घोषणा करता है, तो यह प्रत्येक व्यक्ति और प्राधिकरण का संवैधानिक दायित्व है कि वह उसके द्वारा दिए गए निर्णय को बाध्यकारी मान लें, क्योंकि यह लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर स्थापित एक संवैधानिक संरचना है जिसमें देश के कानून का शासन शामिल है।

◾ अनुच्छेद 144 सरकार, कार्यकारी अधिकारियों और भारत के सभी नागरिकों पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों और निर्देशों का पालन करने का दायित्व रखता है। यह देश के सर्वोच्च न्यायिक निकाय के निर्णयों का सम्मान करने और उनका पालन करने के महत्व पर बल देता है।

◾अनुच्छेद 144 के तहत जारी किए गए आदेशों में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को लागू करने के लिए आवश्यक विभिन्न कार्रवाइयों के निर्देश शामिल हो सकते हैं। ये आदेश सरकार, कार्यकारी अधिकारियों, व्यक्तियों, या किसी अन्य प्रासंगिक संस्थाओं से संबंधित हो सकते हैं।

कोई भी नागरिक या न्यायिक प्राधिकरण जो सुप्रीम कोर्ट के किसी भी निर्देश का पालन करने में विफल रहता है, उसे अदालती प्रक्रियाओं की अवमानना ​​और दंड का सामना करना पड़ सकता है।

यहां यह याद रखिए कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय और आदेश अनुच्छेद 142 के तहत लागू होते हैं, जिसका पालन सभी भारतीय नागरिकों को करना चाहिए।

तो यही है अनुच्छेद 144 (Article 144), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

उच्चतम न्यायालय का क्षेत्राधिकार (Jurisdiction of SC)

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial

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FAQ. अनुच्छेद 144 (Article 144) क्या है?

अनुच्छेद 144 सिविल और न्यायिक प्राधिकारियों द्वारा उच्चतम न्यायालय की सहायता में कार्य किए जाने (Civil and judicial authorities to act in aid of the Supreme Court) के बारे में है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।