यह लेख अनुच्छेद 146 (Article 146) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 146

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📜 अनुच्छेद 146 (Article 146) – Original

केंद्रीय न्यायपालिका
146. उच्चतम न्यायालय के अधिकारी और सेवक तथा व्यय — (1) उच्चतम न्यायालय के अधिकारियों और सेवकों की नियुक्तियां भारत का मुख्य न्यायमूर्ति करेगा या उस न्यायालय का ऐसा अन्य न्यायाधीश या अधिकारी करेगा जिसे वह निदिष्ट करे :

परन्तु राष्ट्रपति नियम द्वारा यह अपेक्षा कर सकेगा कि ऐसी किन्ही दशाओं में, जो नियम में विनिर्दिष्ट की जाएं, किसी ऐसे व्यक्ति को, जो पहले से ही न्यायालय से संलग्न नहीं है, न्यायालय से संबंधित किसी पद पर संघ लोक सेवा आयोग से परामर्श करके ही नियुक्त किया जाएगा, अन्यथा नहीं।

(2) संसद्‌ द्वारा बनाई गई विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, उच्चतम न्यायालय के अधिकारियों और सेवकों की सेवा की शर्तें ऐसी होंगी जो भारत के. मुख्य न्यायमूर्ति या उस न्यायालय के ऐसे अन्य न्यायाधीश या अधिकारी द्वारा, जिसे भारत के मुख्य न्यायमूर्ति ने इस प्रयोजन के लिए नियम बनाने के लिए प्राधिकृत किया है, बनाए गए नियमों द्वारा विहित की जाएं :

परन्तु इस खंड के अधीन बनाए गए नियमों के लिए, जहां तक वे वेतनों, भत्तों, छुट्टी या पेशनों से संबंधित हैं, राष्ट्रपति के अनुमोदन की अपेक्षा होगी।

(3) उच्चतम न्यायालय के प्रशासनिक व्यय, जिनके अतंर्गत उस न्यायालय के अधिकारियों और सेवकों को या उनके संबंध में संदेय सभी वेतन, भत्ते और पेंशन हैं, भारत की संचित निधि पर भारित होंगे और उस न्यायालय द्वारा ली गई फीसें और अन्य धनराशियां उस निधि का भाग होंगी।
अनुच्छेद 146

THE UNION JUDICIARY
146. Officers and servants and the expenses of the Supreme Court.— (1) Appointments of officers and servants of the Supreme Court shall be made by the Chief Justice of India or such other Judge or officer of the Court as he may direct:

Provided that the President may by rule require that in such cases as may be specified in the rule, no person not already attached to the Court shall be appointed to any office connected with the Court, save after consultation with the Union Public Service Commission.

(2) Subject to the provisions of any law made by Parliament, the conditions of service of officers and servants of the Supreme Court shall be such as may be prescribed by rules made by the Chief Justice of India or by some other Judge or officer of the Court authorised by the Chief Justice of India to make rules for the purpose:

Provided that the rules made under this clause shall, so far as they relate to salaries, allowances, leave or pensions, require the approval of the President.

(3) The administrative expenses of the Supreme Court, including all salaries, allowances and pensions payable to or in respect of the officers and servants of the Court, shall be charged upon the Consolidated Fund of India, and any fees or other moneys taken by the Court shall form part of that Fund.
Article 146

🔍 Article 146 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का चौथा अध्याय है – संघ की न्यायपालिका (The Union Judiciary)

संसद के इस अध्याय के तहत अनुच्छेद 124 से लेकर अनुच्छेद 147 तक आते हैं। इस लेख में हम अनुच्छेद 146 (Article 146) को समझने वाले हैं;

न्याय (Justice) एक जटिल और बहुआयामी अवधारणा है जो व्यक्तियों के साथ निष्पक्ष व्यवहार और न्यायपूर्ण समाज के रखरखाव को संदर्भित करता है।

न्याय लोकतंत्र का एक आधारभूत स्तंभ है क्योंकि यह व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है, कानून के शासन को बनाए रखता है, संघर्ष के समाधान की सुविधा देता है और निष्पक्षता और समानता को बढ़ावा देता है। यह लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करता है और समाज की समग्र भलाई और स्थिरता में योगदान देता है।

भारत में इसे सुनिश्चित करने के लिए संविधान द्वारा एकीकृत न्यायिक व्यवस्था (Integrated Judiciary System) की शुरुआत की गई है। इस व्यवस्था में उच्चतम न्यायालय सबसे शीर्ष पर आता है, उसके बाद राज्यों उच्च न्यायालय आता है और फिर उसके बाद जिलों का अधीनस्थ न्यायालय

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| अनुच्छेद 146 – उच्चतम न्यायालय के अधिकारी और सेवक तथा व्यय

संविधान का भाग 5, अध्याय IV संघीय न्यायालय यानि कि उच्चतम न्यायालय की बात करता है। अनुच्छेद 146 उच्चतम न्यायालय के अधिकारी और सेवक तथा व्यय (Officers and servants and the expenses of the Supreme Court) के बारे में है।

इस अनुच्छेद के तीन खंड है, आइये समझें;

अनुच्छेद 146(1) के तहत कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय के अधिकारियों और सेवकों की नियुक्तियां भारत का मुख्य न्यायमूर्ति करेगा या उस न्यायालय का ऐसा अन्य न्यायाधीश या अधिकारी करेगा जिसे वह निदिष्ट करे :

यहाँ दो बातें हैं;

(पहली बात), उच्चतम न्यायालय के अधिकारियों (officers) और सेवकों (servants ) की नियुक्तियां भारत का मुख्य न्यायमूर्ति (CJI) करता है।

(दूसरी बात), उच्चतम न्यायालय के अधिकारियों (officers) और सेवकों (servants ) की नियुक्तियां अन्य न्यायाधीश या अधिकारी भी कर सकता है, अगर उसे मुख्य न्यायमूर्ति (CJI) द्वारा इस काम के लिए निर्दिष्ट किया गया है।

कुल मिलाकर कहने का अर्थ यह है कि अगर किसी अधिकारी या नौकर के संबंध में नियुक्ति करनी हो तो भारत के मुख्य न्यायाधीश करेंगे। और अगर भारत के मुख्य न्यायाधीश किसी भी कारण से कर्मचारियों की नियुक्ति के अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करने में सक्षम नहीं हैं, तो वह इसे किसी अन्य न्यायाधीश को सौंप सकते हैं और ऐसे न्यायाधीश नियुक्ति के लिए जिम्मेदार होंगे।

हालांकि यहाँ यह याद रखिए कि अगर कोई व्यक्ति पहले से ही न्यायालय से संलग्न नहीं है लेकिन फिर भी अगर उसे न्यायालय से संबन्धित किसी पद पर नियुक्त करना है तो फिर ऐसी स्थिति में UPSC से परामर्श करना जरूरी होता है।

अनुच्छेद 146(2) के तहत कहा गया है कि संसद्‌ द्वारा बनाई गई विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, उच्चतम न्यायालय के अधिकारियों और सेवकों की सेवा की शर्तें ऐसी होंगी जो भारत के. मुख्य न्यायमूर्ति या उस न्यायालय के ऐसे अन्य न्यायाधीश या अधिकारी द्वारा, जिसे भारत के मुख्य न्यायमूर्ति ने इस प्रयोजन के लिए नियम बनाने के लिए प्राधिकृत किया है, बनाए गए नियमों द्वारा विहित की जाएं :

यहाँ दो बातें हैं;

(पहली बात), उच्चतम न्यायालय के अधिकारियों (officers) और सेवकों (servants ) की सेवा शर्तें भारत के मुख्य न्यायमूर्ति (CJI) द्वारा बनाए गए नियमों द्वारा तय होगा। हालांकि ये संसद द्वारा बनाई गई विधि के उपबंधों के अधीन होगा।

(दूसरी बात), उच्चतम न्यायालय के अधिकारियों (officers) और सेवकों (servants ) की सेवा शर्तें अन्य न्यायाधीश या अधिकारी द्वारा बनाए गए नियमों द्वारा भी तय किया जा सकता है, अगर उसे मुख्य न्यायमूर्ति (CJI) द्वारा इस काम के लिए निर्दिष्ट किया गया है। हालांकि ये भी संसद द्वारा बनाई गई विधि के उपबंधों के अधीन होगा।

यहाँ यह याद रखिए कि इस खंड के अधीन बनाए गए नियमों के लिए, जहां तक वे वेतनों, भत्तों, छुट्टी या पेशनों से संबंधित हैं, राष्ट्रपति के अनुमोदन (Approval) की अपेक्षा होगी।

अनुच्छेद 146(3) के तहत कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय के प्रशासनिक व्यय, जिनके अतंर्गत उस न्यायालय के अधिकारियों और सेवकों को या उनके संबंध में संदेय सभी वेतन, भत्ते और पेंशन हैं, भारत की संचित निधि पर भारित होंगे और उस न्यायालय द्वारा ली गई फीसें और अन्य धनराशियां उस निधि का भाग होंगी।

यहाँ पर दो बातें हैं;

(पहली बात), उच्चतम न्यायालय के प्रशासनिक व्यय (Administrative Expenses) भारत के संचित निधि पर भारित होते हैं। इसके अंतर्गत अधिकारियों और सेवकों के संबंध में संदेय सभी वेतन, भत्ते और पेंशन आते हैं।

(दूसरी बात), उच्चतम न्यायालय द्वारा जो फ़ीसें या अन्य धनराशियाँ ली जाती है वो भी भारत के संचित निधि का भाग होती है।

कुल मिलाकर, अधिकारियों और कर्मचारियों को भुगतान करने के लिए वेतन, भत्ते और पेंशन सहित सर्वोच्च न्यायालय के सभी खर्च भारत के संचित निधि (Consolidated Fund) से लिए जाएंगे। .

साथ ही, न्यायालय द्वारा लिया गया कोई शुल्क या अन्य मौद्रिक शुल्क भारत के संचित निधि का हिस्सा होगा।

⚫ ⚫ उच्चतम न्यायालय का क्षेत्राधिकार (Jurisdiction of SC)

Q. संचित निधि क्या है?

इसे भारत का राजकोष या खज़ाना के नाम से भी जाना जाता है। संविधान का अनुच्छेद 266(1), भारत के लिए और भारत के राज्यों के लिए संचित निधि की व्यवस्था करता है।

यह भारत की सर्वाधिक बड़ी निधि है जो कि संसद के अधीन रखी गयी है यानी कि कोई भी धन इसमे बिना संसद की पूर्व स्वीकृति के निकाला/जमा या भारित नहीं किया जा सकता है।

संचित निधि से धन निकालने के लिए जिस विधेयक का प्रयोग किया जाता है उसे विनियोग विधेयक (Appropriation Bill) कहा जाता है। ये कैसे होता है इसके लिए बजट (Budget) पढ़ें।

संचित निधि (Consolidated Fund) से दो प्रकार का व्यय होता है;

(1) संचित निधि पर भारित व्यय (Expenditure Charged upon Consolidated Fund of India);

इसके लिए संसद में मतदान नहीं होता है क्योंकि संसद को ये पता होता है कि ये धन खर्च करनी ही पड़ेगी। ऐसा इसीलिए क्योंकि ये पहले से संसद द्वारा तय कर दिया गया होता है। हालांकि उस पर चर्चा जरूर होती है। भारित व्यय में निम्नलिखित व्यय आते हैं;

1. राष्ट्रपति की परिलब्धियाँ एवं भत्ते तथा उसके कार्यालय के अन्य व्यय;
2. उपराष्ट्रपतिलोकसभा अध्यक्षराज्यसभा के उपसभापति, लोकसभा के उपाध्यक्ष के वेतन एवं भत्ते;
3. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन, भत्ते एवं पेंशन;
4. उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की पेंशन (यहाँ ये याद रखिए कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का वेतन उस राज्य के संचित निधि पर भारित होता है।);
5. भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के वेतन, भत्ते एवं पेंशन;
6. संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों के वेतन, भत्ते एवं पेंशन;
7. उच्चतम न्यायालय, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के कार्यालय एवं संघ लोक सेवा आयोग के कार्यालय के प्रशासनिक व्यय, जिनमें इन कार्यालयों में कार्यरत कर्मियों के वेतन, भत्ते एवं पेंशन भी शामिल होते हैं
8. ऐसे ऋण भार, जिनका दायित्व भारत सरकार पर है, जिनके अंतर्गत ब्याज, निक्षेप, निधि भार और तथा उधार लेने और ऋण सेवा और ऋण मोचन (Debt redemption) से संबन्धित अन्य व्यय हैं;
9. किसी न्यायालय के निर्णय, डिक्री या पंगर की तुष्टि के लिए अपेक्षित राशियाँ;
10. संसद द्वारा विहित कोई अन्य व्यय।

(2) सामान्य व्यय या संचित निधि से किए गए व्यय (Expenditure From Consolidated Fund of India):

इस तरह के व्यय के लिए संसद में मतदान होता है उसके बाद पारित होने पर ही इसे जारी किया जा सकता है। पूरे कॉन्सेप्ट को विस्तार से समझने के लिए अनुच्छेद 112 जरूर पढ़ें;

तो यही है अनुच्छेद 146 (Article 146), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

Concept MCQs

  1. Which article of the Indian Constitution deals with the “Officers and servants and the expenses of the Supreme Court”?
    a) Article 113
    b) Article 146
    c) Article 148
    d) Article 156
💡View Answer

Explanation: The correct answer is (b) Article 146. Article 146 of the Indian Constitution deals with the Officers and servants and the expenses of the Supreme Court.

  1. According to the Indian Constitution, the administrative expenses of the Supreme Court are charged upon:
    a) Consolidated Fund of India
    b) Consolidated Fund of the State
    c) Contingency Fund of India
    d) Contingency Fund of the State
💡View Answer

Explanation: The correct answer is a) Consolidated Fund of India. As per Article 146 of the Indian Constitution, the administrative expenses of the Supreme Court, including the salaries and allowances of the judges and the officers and servants of the Court, are charged upon the Consolidated Fund of India. This ensures the financial independence of the Supreme Court.

  1. The salaries and allowances of the judges of the Supreme Court are determined by:
    a) President of India
    b) Parliament of India
    c) Chief Justice of India
    d) Union Cabinet
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Explanation: The correct answer is b) Parliament of India. Article 125 of the Indian Constitution empowers the Parliament to determine the salaries, allowances, and other conditions of service of the judges of the Supreme Court. The President of India then issues an order specifying these salaries and allowances based on the laws passed by Parliament.

  1. As per the provisions of the Indian Constitution, the Supreme Court has the power to appoint its own:
    a) Judges
    b) Chief Justice
    c) Registrar
    d) Secretary
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Explanation: The correct answer is c) Registrar. Article 146 of the Indian Constitution grants the Supreme Court the power to appoint its own officers and servants, including the Registrar. The Registrar is responsible for the administrative and managerial functions of the Court.

  1. According to the Constitution of India, which of the following statements is true regarding the expenses of the Supreme Court?
    a) The expenses of the Supreme Court are audited by the President of India.
    b) The expenses of the Supreme Court are approved by the Chief Justice of India.
    c) The expenses of the Supreme Court are included in the Annual Financial Statement of the Government of India.
    d) The expenses of the Supreme Court are met from the revenue generated by the Supreme Court’s judgments.
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Explanation: The correct answer is c) The expenses of the Supreme Court are included in the Annual Financial Statement of the Government of India. As per Article 146(3) of the Indian Constitution, the administrative expenses of the Supreme Court, including the salaries, allowances, and pensions of the judges and the officers and servants of the Court, are charged upon the Consolidated Fund of India. These expenses are included in the Annual Financial Statement, which is a comprehensive statement of the estimated receipts and expenditure of the Government of India.

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FAQ. अनुच्छेद 146 (Article 146) क्या है?

अनुच्छेद 146 उच्चतम न्यायालय के अधिकारी और सेवक तथा व्यय (Officers and servants and the expenses of the Supreme Court) के बारे में है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।