यह लेख अनुच्छेद 149 (Article 149) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 149

📜 अनुच्छेद 149 (Article 149) – Original

भारत का नियंत्रक महालेखापरीक्षक
149. नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के कर्तव्य और शक्तियाँ — नियंत्रक-महालेखापरीक्षक संघ के और राज्यों के तथा किसी अन्य प्राधिकारी या निकाय के लेखाओं के संबंध में ऐसे कर्तव्यों का पालन और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा जिन्हे संसद द्वारा बनाई गई विधि द्वारा या उसके अधीन विहित किया जाए और जब तक इस निमित्त इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक संघ के और और राज्यों के लेखाओं के संबंध में ऐसे कर्तव्यों का पालन और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा जो इस संविधान के प्रारम्भ से ठीक पहले क्रमशः भारत डोमिनियन के और प्रान्तों के लेखाओं के संबंध में भारत के महालेखापरीक्षक को प्रदत थी या उसके द्वारा प्रयोग करने योग्य थी।
अनुच्छेद 149

Comptroller and Auditor-General of India
149. Duties and powers of the Comptroller and Auditor-General.— The Comptroller and Auditor-General shall perform such duties and exercise such powers in relation to the accounts of the Union and of the States and of any other authority or body as may be prescribed by or under any law made by Parliament and, until provision in that behalf is so made, shall perform such duties and exercise such powers in relation to the accounts of the Union and of the States as were conferred on or exercisable by the Auditor-General of India immediately before the commencement of this Constitution in relation to the accounts of the Dominion of India and of the Provinces respectively.
Article 149

🔍 Article 149 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का पांचवा अध्याय है – भारत का नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (Comptroller and Auditor-General of India)

संसद के इस अध्याय के तहत अनुच्छेद 148 से लेकर अनुच्छेद 151 तक आता है। जिसमें से इस लेख में हम अनुच्छेद 149 (Article 149) को समझने वाले हैं;

लोकतंत्र में जिन लोगों के पास शक्तियां और जिम्मेदारियां होती है उन्हे अपने कार्यों के प्रति जवाबदेह तो होने ही चाहिए। भारतीय संविधान इसको सुनिश्चित करने के लिए कई संस्थाओं को अधिदेशित करता है जैसे कि न्यायपालिका (Judiciary)

इसी क्रम में एक सर्वोच्च लेखा परीक्षा संस्था (Supreme Audit Institution) SAI की भी स्थापना की गई है जिसे कि हम आमतौर पर भारत का नियंत्रक-महालेखापरीक्षक या CAG के नाम से जानते हैं। सविधान का अनुच्छेद 148 – 151 भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की विशेष भूमिका निर्धारित करती है।

भारत के संविधान के अनुच्छेद 148 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के स्वतंत्र पद की व्यवस्था की गई है, जिसे संक्षेप में ”महालेखा परीक्षक (Auditor General)” कहा जाता है। यह भारतीय लेखा परीक्षण और लेखा विभाग का मुख्य होता है।

अनुच्छेद 148 – भारतीय संविधान
Must Read before this article

| अनुच्छेद 149 – नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के कर्तव्य और शक्तियाँ (Duties and powers of the Comptroller and Auditor-General)

अनुच्छेद 149 नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के कर्तव्य और शक्तियों (Duties and powers of the Comptroller and Auditor-General) के बारे में है।

इस अनुच्छेद के तहत कहा गया है कि नियंत्रक-महालेखापरीक्षक संघ के और राज्यों के तथा किसी अन्य प्राधिकारी या निकाय के लेखाओं के संबंध में ऐसे कर्तव्यों का पालन और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा जिन्हे संसद द्वारा बनाई गई विधि द्वारा या उसके अधीन विहित किया जाएगा।

और जब तक इस निमित्त इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक संघ के और और राज्यों के लेखाओं के संबंध में ऐसे कर्तव्यों का पालन और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा जो इस संविधान के प्रारम्भ से ठीक पहले क्रमशः भारत डोमिनियन के और प्रान्तों के लेखाओं के संबंध में भारत के महालेखापरीक्षक को प्रदत थी या उसके द्वारा प्रयोग करने योग्य थी।

शक्तियों एवं कर्तव्यों के संदर्भ में साल 1971 में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कर्तव्य, शक्तियाँ और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971 [The Comptroller and Auditor-General (Duties, Powers and Conditions of Service) Act, 1971] अधिनियमित किया गया। तो आइये समझते हैं कि CAG के क्या कर्तव्य है और कितनी शक्तियाँ प्राप्त है;

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की कर्तव्य और शक्तियाँ:-

संसद एवं संविधान द्वारा स्थापित नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India) के कार्य एवं कर्तव्य निम्नलिखित हैं:

1. यह भारत की संचित निधि, प्रत्येक राज्य की संचित निधि और प्रत्येक संघ शासित प्रदेश, जहां विधानसभा हो, में सभी व्यय (Expenditure) संबंधी लेखाओं की लेखा परीक्षा करता है।

3. यह केंद्र सरकार और अन्य सरकारों के किसी विभाग द्वारा सभी ट्रेडिंग, विनिर्माण लाभ (Manufacturing profit) और हानि लेखाओं (Non-profit accounts), तुलन पत्रों (Balance sheets) और अन्य अनुषंगी लेखाओं (Subsidiary accounts) की लेखा परीक्षा करता है।

2. यह भारत के लोक लेखा (Public Accounts) सहित प्रत्येक राज्य की आकस्मिकता निधि (Contingency fund) और प्रत्येक राज्य के लोक लेखा से सभी खर्चे की लेखा परीक्षा करता है।

4. यह निम्नांकित संस्थाओं के प्राप्तियों और व्ययों का भी लेखा परीक्षण करता है:

  • भारतीय रेल, रक्षा, डाक और दूरसंचार सहित सभी संघ और राज्य सरकार विभाग जिन्हे केंद्र या राज्य सरकारों से अनुदान मिलता है:
  • संघ और राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित लगभग 1500 सार्वजनिक वाणिज्यक उद्यम (Commercial enterprise), जैसे सरकारी कंपनियां और निगम;  एवं,
  • संघ और राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित और स्वामित्व वाले लगभग 400 गैर वाणिज्यिक स्वायत्त निकाय (Non-commercial autonomous bodies) और प्राधिकरण।

5. यह राष्ट्रपति या राज्यपाल के निवेदन पर किसी अन्य प्राधिकारण के लेखाओं की भी लेखा परीक्षा करता है। जैसे कि स्थानीय निकायों की लेखा परीक्षा। इसके साथ ही यह राष्ट्रपति को इस संबंधी में सलाह भी देता है कि केंद्र और राज्यों के लेखा किस प्रारूप में रखे जाने चाहिए।

6. यह अनुच्छेद 279 के तहत, किसी टैक्स या शुल्क की शुद्ध आगमों (net revenue) का निर्धारण और प्रमाणन करता है इस संबंध में उसका प्रमाण पत्र अंतिम होता है।

यहाँ पर शुद्ध आगमों (net revenue) का अर्थ है – कर या शुल्क की प्राप्तियाँ, जिसमें संग्रहण की लागत सम्मिलित न हो।

7. यह संसद की लोक लेखा समिति (Public accounts committee) के गाइड और मित्र के रूप में कार्य करता है।

8. यह राज्य सरकारों के लेखाओं का संकलन (Compilation)और अनुरक्षण (maintenance) करता है। पहले भारत सरकार का भी करता था लेकिन 1976 में इसे केन्द्रीय सरकार के लेखाओं के संकलन और अनुरक्षण कार्य से मुक्त कर दिया गया।

Role of Comptroller and Auditor General of India

कैग (Comptroller and Auditor General of India) को यह निर्धारण करना होता है कि विधिक रूप में जिस प्रयोजन हेतु धन आवंटित किया गया था, वह उसी प्रयोजन या सेवा हेतु प्रयुक्त किया गया है।

अपने लेखा परीक्षा का कार्य निर्बाध रूप से करने के लिए CAG को कुछ शक्तियाँ दी गई है जैसे कि –

(1) लेखापरीक्षा के अधीन किसी कार्यालय या संगठन के निरीक्षण करने की शक्ति।
(2) सभी लेन-देनों की जांच और कार्यकारी से प्रश्न करने की शक्ति।
(3) किसी भी लेखा परीक्षित (Audited Entity) से कोई भी रिकार्ड, पेपर, दस्तावेज मांगने की शक्ति।
(4) लेखा परीक्षा की सीमा और स्वरूप पर निर्णय लेने की शक्ति।

◾यह सरकारी व्यय की तर्कसंगतता, निष्ठा और मितव्ययता (Economy) की भी जांच कर सकता है और ऐसे व्यय की व्यर्थता और दिखावे पर टिप्पणी भी कर सकता है।

वित्तीय प्रशासन के क्षेत्र में भारत के संविधान एवं संसदीय विधि के अनुरक्षण (Maintenance) के प्रति महालेखा परीक्षक उत्तरदायी (Auditor General) होता है। महालेखा परीक्षक संसद का एजेंट होता है और उसी के माध्यम से खर्चों का लेखा परीक्षण करता है। इस तरह वह केवल संसद के प्रति जिम्मेदार होता है।

◾कैग के अपने संवैधानिक भूमिका निभाने में Indian Audit and Accounts Department (IA&AD) मदद करता है। जिसके अधिकारी आमतौर पर यूपीएससी द्वारा आयोजित लोक सेवा परीक्षा द्वारा चुन कर आते हैं।

◾सार्वजनिक निगमों की लेखा परीक्षा में कैग की भूमिका सीमित है। मोटे तौर पर सार्वजनिक निगमों के साथ इसके संबंध को निम्नलिखित तीन कोटियों के अंतर्गत देखा जा सकता है:

  • कुछ निगमों की लेखा परीक्षा पूरी तरह एवं प्रत्यक्ष तौर पर कैग द्वारा की जाती है। उदाहरण के लिए दामोदर घाटी निगम, तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग, एयर इंडिया, इंडियन एयरलाइन्स कॉपोरेशन आदि
  • कुछ अन्य निगमों की लेखा परीक्षा निजी पेशेवर अकेंक्षकों (Private professional auditors) के द्वारा की जाती है, जो कैग की सलाह पर केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते है। उदाहरण केंद्रीय भंडारण निगम, औद्योगिक वित्त निगम एवं अन्य।
  • कुछ अन्य निगमों की लेखा परीक्षा पूरी तरह निजी पेशेवर अंकेक्षकों (Private professional auditors) के द्वारा की जाती है तथा इसमे कैग कि कोई भूमिका नही होती है। उदाहरण जीवन बीमा निगम, भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, भारतीय खाद्य निगम इत्यादि।

◾1968 मे भारतीय प्रशासनिक सुधार आयोग की अनुशंसाओं पर कैग कार्यालय के एक अंग के रूप मे लेखा परीक्षा बोर्ड (Audit board) की स्थापना की गई थी। जिससे की विशेषज्ञता आधारित विशेष उद्यमों, जैसे इंजीनियरिंग, लौह एवं इस्पात रसायन इत्यादि के लेखा परीक्षा के तकनीकी पक्षों का ध्यान रखा जा सके।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [CAG]

Overall CAG: Article 149

CAG का मतलब नियंत्रक और महालेखा परीक्षक है। यह भारत में एक महत्वपूर्ण संवैधानिक कार्यालय है जो देश के सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्थान के रूप में कार्य करता है। यहाँ CAG और उसकी भूमिका की व्याख्या है:

संवैधानिक स्थिति (Constitutional Position): CAG भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत सृजित एक संवैधानिक पद है। भारत के राष्ट्रपति CAG की नियुक्ति करते हैं, जो छह साल की अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, पद पर रहते हैं। CAG कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्र है।

भूमिका और कार्य (Role and Functions): CAG की प्राथमिक भूमिका विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) और स्वायत्त निकायों (autonomous bodies) सहित केंद्र और राज्य सरकारों के खातों और वित्त पर ऑडिट और रिपोर्ट करना है। CAG के ऑडिट वित्तीय प्रबंधन के सभी पहलुओं को कवर करते हैं, जिसमें राजस्व, व्यय, प्राप्तियां और सार्वजनिक धन का आवंटन शामिल है।

वित्तीय लेखापरीक्षा (Financial Audit): कैग वित्तीय विवरणों और लेन-देन की प्रामाणिकता, सटीकता और अनुपालन की जांच करने के लिए वित्तीय ऑडिट करता है। इसमें यह सुनिश्चित करना शामिल है कि वित्तीय नियमों और विनियमों का पालन किया जाता है, सार्वजनिक धन का विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग किया जाता है, और वित्तीय अनियमितताओं या कुप्रबंधन की पहचान की जाती है।

निष्पादन लेखापरीक्षा (Performance Audit): वित्तीय लेखापरीक्षा के अतिरिक्त सीएजी निष्पादन लेखापरीक्षा भी करता है। ये ऑडिट सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों और योजनाओं की अर्थव्यवस्था, दक्षता और प्रभावशीलता का आकलन करते हैं। इसका उद्देश्य यह मूल्यांकन करना है कि क्या सार्वजनिक संसाधनों का इष्टतम उपयोग किया जाता है और बेहतर प्रशासन के लिए सुधार की सिफारिश करना है।

रिपोर्ट प्रस्तुत करना: कैग अपनी लेखापरीक्षा रिपोर्ट संबंधित राज्य के राष्ट्रपति या राज्यपाल को प्रस्तुत करता है, जो फिर उन्हें संसद या राज्य विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत करता है। इन रिपोर्टों को आवश्यक दस्तावेज माना जाता है जो विधायिका को सरकारी खर्च की जांच करने और कार्यपालिका को जवाबदेह बनाने में सक्षम बनाता है।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक राष्ट्रपति को तीन लेखा परीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करता है: (1) विनियोग लेखाओं पर लेखा परीक्षा रिपोर्ट (Audit report on appropriation accounts), (2) वित्त लेखाओं पर लेखा परीक्षा रिपोर्ट (Audit Report on Finance Account) और (3) सरकारी उपक्रमों पर लेखा परीक्षा रिपोर्ट (Audit Report on Government Undertakings)।

स्वतंत्रता और स्वायत्तता: CAG एक स्वतंत्र निकाय है और अपने कार्यों के निष्पादन में महत्वपूर्ण स्वायत्तता प्राप्त करता है। यह कार्यपालिका या विधायिका के नियंत्रण या प्रभाव के अधीन नहीं है। यह स्वतंत्रता सीएजी को निष्पक्ष रूप से काम करने और निष्पक्ष लेखापरीक्षा टिप्पणियों और सिफारिशों को प्रदान करने की अनुमति देती है।

विस्तार से समझने के लिए पढ़ें – अनुच्छेद 148 – भारतीय संविधान
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तो यही है अनुच्छेद 149 (Article 149), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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Concept MCQs

  1. Which of the following is NOT a power or function of the Comptroller and Auditor General (CAG) of India?
    a) Auditing and reporting on the accounts of the President of India
    b) Auditing and reporting on the accounts of the state governments
    c) Auditing and reporting on the accounts of government-owned companies
    d) Auditing and reporting on the accounts of private sector companies

Explanation: The correct answer is d) Auditing and reporting on the accounts of private sector companies. The primary functions of the Comptroller and Auditor General (CAG) include auditing and reporting on the accounts of the President of India, state governments, and government-owned companies. However, auditing private sector companies is not within the purview of the CAG’s responsibilities.

  1. The reports of the Comptroller and Auditor General (CAG) are examined by:
    a) The President of India
    b) The Supreme Court of India
    c) The Union Cabinet
    d) The Public Accounts Committee (PAC) of the Parliament

Explanation: The correct answer is d) The Public Accounts Committee (PAC) of the Parliament. The reports of the Comptroller and Auditor General (CAG) are examined by the Public Accounts Committee, which is a committee of the Parliament. The PAC scrutinizes the audit observations and recommendations made by the CAG and submits its report to the Parliament.

  1. The Comptroller and Auditor General (CAG) is eligible for reappointment for:
    a) One additional term
    b) Two additional terms
    c) Three additional terms
    d) No reappointment is allowed

Explanation: The correct answer is a) One additional term. The Comptroller and Auditor General (CAG) of India is eligible for reappointment for one additional term, subject to a maximum age limit of 65 years. After completing the initial term of six years, the CAG can be reappointed for another term, ensuring continuity in the office.

  1. The Comptroller and Auditor General (CAG) is a part of which organ of the government?
    a) Executive
    b) Legislature
    c) Judiciary
    d) Constitutional

Explanation: The correct answer is d) Constitutional. The Comptroller and Auditor General (CAG) of India is a constitutional office established under Article 148 of the Indian Constitution. It is an independent institution that operates separately from the executive, legislature, and judiciary, ensuring its autonomy in carrying out audit functions.

  1. The reports of the Comptroller and Auditor General (CAG) are laid before the Parliament under:
    a) Article 152
    b) Article 148
    c) Article 151
    d) Article 149

Explanation: The correct answer is c) Article 151. The reports of the Comptroller and Auditor General (CAG) are laid before the Parliament under Article 151 of the Indian Constitution. This article empowers the CAG to submit its audit reports to the President or the Governor (in the case of state governments), who then presents them to the Parliament or state legislature, respectively.

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संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
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FAQ. Article 149 क्या है?

अनुच्छेद 149 नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के कर्तव्य और शक्तियों (Duties and powers of the Comptroller and Auditor-General) के बारे में है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।