यह लेख अनुच्छेद 150 (Article 150) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 150

📜 अनुच्छेद 150 (Article 150) – Original

भारत का नियंत्रक महालेखापरीक्षक
1[150. संघ के और राज्यों के लेखाओं का प्ररूप — संघ के और राज्यों के लेखाओं को ऐसे प्ररूप में रखा जाएगा जो राष्ट्रपति, भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक 2[की सलाह पर] विहित करें।]
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1.संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 27 द्वारा (1-4-1977 से) प्रतिस्थापित।
2. संविधान (चवालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1978 की धारा 22 द्वारा (20-6-1979 से) “से परामर्श के पश्चात” के स्थान पर प्रतिस्थापित।
अनुच्छेद 150

Comptroller and Auditor-General of India
1[150. Form of accounts of the Union and of the States.—The accounts of the Union and of the States shall be kept in such form as the President may, 2[on the advice of] the Comptroller and Auditor-General of India, prescribe.]
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1. Subs. by the Constitution (Forty-second Amendment) Act, 1976, s. 27, for art.150 (w.e.f. 1-4-1977).
2. Subs. by the Constitution (Forty-fourth Amendment) Act, 1978, s. 22, for “after consultation with” (w.e.f. 20-6-1979).
Article 150

🔍 Article 150 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का पांचवा अध्याय है – भारत का नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (Comptroller and Auditor-General of India)

लोकतंत्र में जिन लोगों के पास शक्तियां और जिम्मेदारियां होती है उन्हे अपने कार्यों के प्रति जवाबदेह तो होने ही चाहिए। भारतीय संविधान इसको सुनिश्चित करने के लिए कई संस्थाओं को अधिदेशित करता है जैसे कि न्यायपालिका (Judiciary)

इसी क्रम में एक सर्वोच्च लेखा परीक्षा संस्था (Supreme Audit Institution) SAI की भी स्थापना की गई है जिसे कि हम आमतौर पर भारत का नियंत्रक-महालेखापरीक्षक या CAG के नाम से जानते हैं। सविधान का अनुच्छेद 148 – 151 भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की विशेष भूमिका निर्धारित करती है।

संविधान का भाग 5, अध्याय V भारत का नियंत्रक महालेखापरीक्षक (Comptroller and Auditor-General of India) की बात करता है।

भारत के संविधान के अनुच्छेद 148 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के स्वतंत्र पद की व्यवस्था की गई है, जिसे संक्षेप में ”महालेखा परीक्षक (Auditor General)” कहा जाता है। यह भारतीय लेखा परीक्षण और लेखा विभाग का मुख्य होता है।

अनुच्छेद 148 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 150 – संघ के और राज्यों के लेखाओं का प्ररूप (Form of accounts of the Union and of the States)

अनुच्छेद 150 कहता है कि संघ के और राज्यों के लेखाओं को ऐसे प्ररूप में रखा जाएगा जो राष्ट्रपति, भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की सलाह पर विहित करें।

कहने का अर्थ है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार के सभी वित्तीय खातों को राष्ट्रपति द्वारा तय किए गए तरीके से रखना होगा। हालांकि खातों को कैसे रखा जाना चाहिए, यह तय करते समय राष्ट्रपति को भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक से परामर्श करना पड़ता है।

Overall CAG:

CAG का मतलब नियंत्रक और महालेखा परीक्षक है। यह भारत में एक महत्वपूर्ण संवैधानिक कार्यालय है जो देश के सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्थान के रूप में कार्य करता है। यहाँ CAG और उसकी भूमिका की व्याख्या है:

संवैधानिक स्थिति (Constitutional Position): CAG भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत सृजित एक संवैधानिक पद है। भारत के राष्ट्रपति CAG की नियुक्ति करते हैं, जो छह साल की अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, पद पर रहते हैं। CAG कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्र है।

भूमिका और कार्य (Role and Functions): CAG की प्राथमिक भूमिका विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) और स्वायत्त निकायों (autonomous bodies) सहित केंद्र और राज्य सरकारों के खातों और वित्त पर ऑडिट और रिपोर्ट करना है। CAG के ऑडिट वित्तीय प्रबंधन के सभी पहलुओं को कवर करते हैं, जिसमें राजस्व, व्यय, प्राप्तियां और सार्वजनिक धन का आवंटन शामिल है।

वित्तीय लेखापरीक्षा (Financial Audit): कैग वित्तीय विवरणों और लेन-देन की प्रामाणिकता, सटीकता और अनुपालन की जांच करने के लिए वित्तीय ऑडिट करता है। इसमें यह सुनिश्चित करना शामिल है कि वित्तीय नियमों और विनियमों का पालन किया जाता है, सार्वजनिक धन का विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग किया जाता है, और वित्तीय अनियमितताओं या कुप्रबंधन की पहचान की जाती है।

निष्पादन लेखापरीक्षा (Performance Audit): वित्तीय लेखापरीक्षा के अतिरिक्त सीएजी निष्पादन लेखापरीक्षा भी करता है। ये ऑडिट सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों और योजनाओं की अर्थव्यवस्था, दक्षता और प्रभावशीलता का आकलन करते हैं। इसका उद्देश्य यह मूल्यांकन करना है कि क्या सार्वजनिक संसाधनों का इष्टतम उपयोग किया जाता है और बेहतर प्रशासन के लिए सुधार की सिफारिश करना है।

रिपोर्ट प्रस्तुत करना: कैग अपनी लेखापरीक्षा रिपोर्ट संबंधित राज्य के राष्ट्रपति या राज्यपाल को प्रस्तुत करता है, जो फिर उन्हें संसद या राज्य विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत करता है। इन रिपोर्टों को आवश्यक दस्तावेज माना जाता है जो विधायिका को सरकारी खर्च की जांच करने और कार्यपालिका को जवाबदेह बनाने में सक्षम बनाता है।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक राष्ट्रपति को तीन लेखा परीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करता है: (1) विनियोग लेखाओं पर लेखा परीक्षा रिपोर्ट (Audit report on appropriation accounts), (2) वित्त लेखाओं पर लेखा परीक्षा रिपोर्ट (Audit Report on Finance Account) और (3) सरकारी उपक्रमों पर लेखा परीक्षा रिपोर्ट (Audit Report on Government Undertakings)।

स्वतंत्रता और स्वायत्तता: CAG एक स्वतंत्र निकाय है और अपने कार्यों के निष्पादन में महत्वपूर्ण स्वायत्तता प्राप्त करता है। यह कार्यपालिका या विधायिका के नियंत्रण या प्रभाव के अधीन नहीं है। यह स्वतंत्रता सीएजी को निष्पक्ष रूप से काम करने और निष्पक्ष लेखापरीक्षा टिप्पणियों और सिफारिशों को प्रद