यह लेख अनुच्छेद 156 (Article 156) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 156 (Article 156) – Original
भाग 6 “राज्य” [अध्याय 2 — कार्यपालिका] [राज्यपाल] |
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156. राज्यपाल की पदावधि — (1) राज्यपाल, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यत पद धारण करेगा। (2) राज्यपाल, राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा। (3) इस अनुच्छेद के पूर्वगामी उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्यपाल अपने पदग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा। परन्तु राज्यपाल, अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर भी, तब तक पद धारण करता रहेगा जब तक उसका उत्तराधिकारी अपना पदग्रहण नहीं कर लेता है। |
Part VI “State” [CHAPTER II — THE EXECUTIVE] [The Governor] |
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155. Term of office of Governor — (1) The Governor shall hold office during the pleasure of the President. (2) The Governor may, by writing under his hand addressed to the President, resign his office. (3) Subject to the foregoing provisions of this article, a Governor shall hold office for a term of five years from the date on which he enters upon his office: Provided that a Governor shall, notwithstanding the expiration of his term, continue to hold office until his successor enters upon his office. |
🔍 Article 156 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | साधारण (General) | Article 152 |
II | कार्यपालिका (The Executive) | Article 153 – 167 |
III | राज्य का विधान मंडल (The State Legislature) | Article 168 – 212 |
IV | राज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor) | Article 213 |
V | राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States) | Article 214 – 232 |
VI | अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) | Article 233 – 237 |
जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 2 का नाम है “कार्यपालिका (The Executive) और इसका विस्तार अनुच्छेद 153 से लेकर अनुच्छेद 167 तक है।
इस अध्याय को तीन उप-अध्यायों में बांटा गया है – राज्यपाल (The Governor), मंत्रि-परिषद (Council of Ministers), राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General of the States) और सरकारी कार्य का संचालन (Conduct of Government Business)।
इस लेख में हम राज्यपाल के तहत आने वाले अनुच्छेद 156 को समझने वाले हैं। आइये समझें;
⚫ अनुच्छेद 152- भारतीय संविधान |
| अनुच्छेद 156 – राज्यपाल की पदावधि (Term of office of Governor):
भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और राज्य सरकार की अपनी कार्यपालिका होती है।
राज्य कार्यपालिका के मुख्यतः चार भाग होते है: राज्यपाल (Governor), मुख्यमंत्री (Chief Minister), मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) और राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General of the state)।
राज्यपाल (Governor), राज्य का संवैधानिक कार्यकारी प्रमुख होता है, जबकि मुख्यमंत्री राज्य का वास्तविक कार्यकारी प्रमुख होता है।
अनुच्छेद 156 राज्यपाल की पदावधि के बारे में हैं और इस अनुच्छेद के तीन खंड है। आइये समझें;
अनुच्छेद 156(1) के तहत कहा गया है कि राज्यपाल, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यत पद धारण करेगा। इसे दूसरे शब्दों में इस तरह से भी कह सकते हैं कि राज्यपाल राष्ट्रपति की इच्छा तक पद धारण करेगा।
दरअसल इसका अर्थ है कि भारत में किसी राज्य के राज्यपाल भारत के राष्ट्रपति के विवेक और संतुष्टि पर अपनी भूमिका निभाते हैं। राष्ट्रपति के पास किसी विशिष्ट कारण या कारण की आवश्यकता के बिना, जब भी आवश्यक हो, राज्यपाल को नियुक्त करने और पद से हटाने का अधिकार है।
यह जो प्रावधान है, यह राज्यपाल और केंद्रीय प्राधिकरण के बीच एक संबंध स्थापित करता है, जिससे राष्ट्रपति को राज्यपालों की नियुक्ति और निष्कासन के माध्यम से राज्य के कार्यकारी कार्यों पर नियंत्रण रखने की अनुमति मिलती है।
अनुच्छेद 156(2) के तहत कहा गया है कि राज्यपाल, राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा।
यहाँ यह याद रखिए कि संविधान में ऐसी कोई विधि नहीं है जिसके तहत राष्ट्रपति, राज्यपाल को हटा दे। इसीलिए जब राज्यपाल को हटाना होता है तो उससे सीधे त्यागपत्र ही मांग लिया जाता है। जैसे कि वी पी सिंह के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय मोर्चा सरकार ने 1989 में उन सभी राज्यपालों से त्यागपत्र मांग लिया था, जिन्हे कॉंग्रेस सरकार द्वारा नियुक्त किया गया था।
अनुच्छेद 156(3) के तहत कहा गया है कि इस अनुच्छेद के पूर्वगामी उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्यपाल अपने पदग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा।
कहने का अर्थ है कि अगर राज्यपाल को कार्यकाल के बीच में ही हटा नहीं दिया जाता है तो ऐसी स्थिति में राज्यपाल अपनी नियुक्ति की तारीख से पाँच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा।
हालांकि यहाँ यह याद रखिए कि अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर भी, राज्यपाल तब तक पद धारण करता रहेगा जब तक उसका उत्तराधिकारी अपना पदग्रहण नहीं कर लेता है।
राज्यपाल के कार्यकाल के संबन्धित कुछ तथ्य:
सामान्यतः राज्यपाल का कार्यकाल पदग्रहण से पाँच वर्ष कि अवधि के लिए होता है। लेकिन चूंकि वह वास्तव मे वह राष्ट्रपति के प्रसाद्पर्यंत पद धारण करता है, और राष्ट्रपति मंत्रिमंडल के निर्णयों को फॉलो करता है इसीलिए मंत्रिमंडल की इच्छानुसार उसे समय पूर्व भी पदत्याग करवाया जा सकता है।
इसके अलावा अगर राज्यपाल खुद चाहे तो वह कभी भी राष्ट्रपति को संबोधित कर अपना त्यागपत्र दे सकता है।
◼ राष्ट्रपति, एक राज्यपाल को उसके बचे हुए कार्यकाल के लिए किसी दूसरे राज्य में स्थानांतिरित कर सकता हैं। इसके अलावा अगर एक राज्यपाल, जिसका कार्यकाल पूरा हो चुका है; को उसी राज्य या अन्य राज्य में दोबारा भी नियुक्त किया जा सकता है।
◼ एक राज्यपाल पाँच वर्ष के अपने कार्यकाल के बाद भी तब तक पद पर बना रह सकता है जब तक कि उसका उत्तराधिकारी कार्य ग्रहण न कर ले। इसके पीछे यह तर्क है कि राज्य में अनिवार्य रूप से एक राज्यपाल रहना चाहिए ताकि रिक्तता की कोई स्थिति पैदा न होने पाए।
◼ राष्ट्रपति को जब ऐसा लगता है कि कोई ऐसी परिस्थिति आ गई है जिसका संविधान में उल्लेख नहीं है तो वह राज्यपाल के कार्यों के निर्वहन के लिए उपबंध बना सकता है, जैसे कि – वर्तमान राज्यपाल का अगर निधन हो जाये तो ऐसी परिस्थिति में संबन्धित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को अस्थायी तौर पर राज्यपाल का कार्यभार सौपा जा सकता है।
तो यही है अनुच्छेद 156 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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⚫ विस्तार से समझें; अनुच्छेद 148 – भारतीय संविधान |
MCQs Related to Article 156
MCQ 1: What does Article 156 of the Indian Constitution pertain to?
a) Prime Minister’s term of office
b) Governor’s term of office
c) President’s term of office
d) Chief Justice of India’s term of office
Explanation: b) Governor’s term of office. Article 156 of the Indian Constitution deals with the term of office of the Governor of a state. It specifies the duration for which a Governor holds office and the conditions for reappointment.
MCQ 2: How long can a person hold the office of a Governor under Article 156?
a) 4 years
b) 5 years
c) 6 years
d) 7 years
Explanation: b) 5 years. Article 156 states that a Governor shall hold office for a term of 5 years from the date they assume office. This term can be cut short if the Governor resigns, is removed, or if their successor takes office earlier.
MCQ 3: Can a Governor be reappointed for more than one term under Article 156?
a) No, a Governor can only serve one term
b) Yes, a Governor can be reappointed for additional terms
c) Reappointment is determined by the state legislature
d) Reappointment is determined by the Prime Minister
Explanation: b) Yes, a Governor can be reappointed for additional terms. Article 156 allows a Governor to be reappointed for more than one term. If a Governor’s term comes to an end and they are reappointed, they can continue in office for another term of 5 years.
MCQ 4: Who appoints and removes the Governor under Article 156?
a) Prime Minister of India
b) Chief Minister of the state
c) President of India
d) Speaker of the Lok Sabha
Explanation: c) President of India. Article 156 states that the Governor of a state is appointed by the President of India. The President also has the authority to remove a Governor from office.
MCQ 5: Can the President remove a Governor before the completion of their 5-year term?
a) No, the President cannot remove a Governor before the term ends
b) Yes, the President can remove a Governor before the term ends
c) Removal is determined by the Chief Minister
d) Removal is determined by the state legislature
Explanation: b) Yes, the President can remove a Governor before the term ends. Article 156 gives the President the authority to remove a Governor before the completion of their 5-year term. However, this is generally done in exceptional circumstances and based on valid reasons, ensuring the balance of power between the center and the state.
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |