यह लेख अनुच्छेद 16 (Article 16) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

There shall be equality of opportunity for all citizens in matters relating to employment or appointment to any office under the State.

अपील - Bell आइकॉन पर क्लिक करके हमारे नोटिफ़िकेशन सर्विस को Allow कर दें ताकि आपको हरेक नए लेख की सूचना आसानी से प्राप्त हो जाए। साथ ही हमारे सोशल मीडिया हैंडल से जुड़ जाएँ और नवीनतम विचार-विमर्श का हिस्सा बनें;
📌 Join YouTube📌 Join FB Group
📌 Join Telegram📌 Like FB Page
अगर टेलीग्राम लिंक काम न करे तो सीधे टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
अनुच्छेद 16

📥 All Articles
Browse from here

📜 अनुच्छेद 16 (Article 16) Original Version

भाग 3 “मौलिक अधिकार” [समता का अधिकार]
16. लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता — (1) राज्य के अधीन किसी पद पर नियोजन या नियुक्ति से संबंधित विषयों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समता होगी।

(2) राज्य के अधीन किसी नियोजन या पद के संबंध में केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, उद्भव, जन्मस्थान, निवास या इनमें से किसी के आधार पर न तो कोई नागरिक अपात्र होगा और न उससे विभेद किया जाएगा।

(3) इस अनुच्छेद की कोई बात संसद्‌ को कोई ऐसी विधि बनाने से निवारित नहीं करेगी जो 1[किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र की सरकार के या उसमें के किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन वाले किसी वर्ग या वर्गों के पद पर नियोजन या नियुक्ति के संबंध में ऐसे नियोजन या नियुक्ति से पहले उस राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के भीतर निवास विषयक कोई अपेक्षा विहित करती है।]

(4) इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को पिछड़े हुए नागरिकों के किसी वर्ग के पक्ष में, जिनका प्रतिनिधित्व राज्य की राय में राज्य के अधीन सेवाओं में पर्याप्त नहीं है, नियुक्तियों या पदों के आरक्षण के लिए उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी ।

2[(4क) इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के पक्ष में, जिनका प्रतिनिधित्व राज्य की राय में राज्य के अधीन सेवाओं में पर्याप्त नहीं है, राज्य के अधीन सेवाओं में 3[किसी वर्ग या वर्गों के पदों पर, पारिणामिक ज्येष्ठता सहित, प्रोन्नति के मामलों में] आरक्षण के लिए उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी।]

4[(4ख) इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को किसी वर्ष में किन्हीं न भरी गई ऐसी रिक्तियों को, जो खंड (4) या खंड (4क) के अधीन किए गए आरक्षण के लिए किसी उपबंध के अनुसार उस वर्ष में भरी जाने के लिए आरक्षित हैं, किसी उत्तरवर्ती वर्ष या वर्षों में भरे जाने के लिए पृथक्‌ वर्ग की रिक्तियों के रूप में विचार करने से निवारित नहीं करेगी और ऐसे वर्ग की रिक्तियों पर उस वर्ष की रिक्तियों के साथ जिसमें वे भरी जा रही हैं, उस वर्ष की रिक्तियों की कुल संख्या के संबंध में पचास प्रतिशत आरक्षण की अधिकतम सीमा का अवधारण करने के लिए विचार नहीं किया जाएगा।]

(5) इस अनुच्छेद की कोई बात किसी ऐसी विधि के प्रवर्तन पर प्रभाव नहीं डालेगी जो यह उपबंध करती है कि किसी धार्मिक या सांप्रदायिक संस्था के कार्यकलाप से संबंधित कोई पदधारी या उसके शासी निकाय का कोई सदस्य किसी विशिष्ट धर्म का मानने वाला या विशिष्ट संप्रदाय का ही हो।

5[(6) इस अनुच्छेद की कोई बात, राज्य को विद्यमान आरक्षण के अतिरिक्त तथा प्रत्येक प्रवर्ग में पदों के अधिकतम दस प्रतिशत से अध्यधीन, खंड (4) में उल्लिखित वर्गों से भिन्न नागरिकों के आर्थिक रूप से दुर्बल किन्ही वर्गों के पक्ष में नियुक्तियों और पदों के आरक्षण के लिए कोई भी उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी।]
———————————
1. संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 का धारा 29 और अनुसूची द्वारा “पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट किसी राज्य के या उसके क्षेत्र में किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन उस राज्य के भीतर निवास विषयक कोई अपेक्षाविहित करती हो” के स्थान पर (1-11-1956 से) प्रतिस्थापित।
2. संविधान (सतहत्तरवां संशोधन) अधिनियम, 1995 का धारा 2 द्वारा (17-6-1995 से) अंतःस्थापित।
3. संविधान (पचासीवां संशोधन) अधिनियम, 2001 का धारा 2 द्वारा भूततक्षी प्रभाव से (17-6-1995 से) कतिपय शब्दो के स्थान पर प्रातिस्थापित।
4. संविधान (इक्यासीवां संशोधन) अधिनियम, 2000 का धारा 2 द्वारा (9-6-2000 से) अंतःस्थापित।
5. संविधान (एक सौ तीनवां संशोधन) अधिनियम, 2019 की धारा 3 द्वारा (14-1-2019 से) अन्तःस्थापित।
अनुच्छेद 15 हिन्दी संस्करण
Part 3 “Fundamental Rights” [Right to Equality]
16. Equality of opportunity in matters of public employment — (1) There shall be equality of opportunity for all citizens in matters relating to employment or appointment to any office under the State.

(2) No citizen shall, on grounds only of religion, race, caste, sex, descent, place of birth, residence or any of them, be ineligible for, or discriminated against in respect of, any employment or office under the State.

(3) Nothing in this article shall prevent Parliament from making any law prescribing, in regard to a class or classes of employment or appointment to an office 1[under the Government of, or any local or other authority within, a State or Union territory, any requirement as to residence within that State or Union territory] prior to such employment or appointment.]

(4) Nothing in this article shall prevent the State from making any provision for the reservation of appointments or posts in favour of any backward class of citizens which, in the opinion of the State, is not adequately represented in the services under the State.

2[(4A) Nothing in this article shall prevent the State from making any provision for reservation 3[in matters of promotion, with consequential seniority, to any class] or classes of posts in the services under the State in favour of the Scheduled Castes and the Scheduled Tribes which, in the opinion of the State, are not adequately represented in the services under the State.]

4[(4B) Nothing in this article shall prevent the State from considering any unfilled vacancies of a year which are reserved for being filled up in that year in accordance with any provision for reservation made under clause (4) or Clause (4A) as a separate class of vacancies to be filled up in any succeeding year or years and such class of vacancies shall not be considered together with the vacancies of the year in which they are being filled up for determining the ceiling of fifty per cent. reservation on total number of vacancies of that year.]

(5) Nothing in this article shall affect the operation of any law which provides that the incumbent of an office in connection with the affairs of any religious or denominational institution or any member of the governing body thereof shall be a person professing a particular religion or belonging to a particular denomination.

5[(6) Nothing in this article shall prevent the State from making any provision for the reservation of appointments or posts in favour of any economically weaker sections of citizens other than the classes mentioned in clause (4), in addition to the existing reservation and subject to a maximum of ten per cent. of the posts in each category. ]
— — — — — — — — — — — — —
1. Subs. by the Constitution (Seventh Amendment) Act, 1956, s. 29 and Sch., for “under any State specified in the First Schedule or any local or other authority within its territory, any requirement as to residence within that State” (w.e.f. 1-11-1956)
2. Ins. by the Constitution (Seventy-seventh Amendment) Act, 1995, s. 2 (w.e.f. 17-6-1995).
3. Subs. by the Constitution (Bighty-fifth Amendment) Act, 2001, s. 2, for certain words
(retrospectively) (w.e.f. 17-6-1995).
4. Ins. by the Constitution (Eighty-first Amendment) Act, 2000, s. 2 (w.e.f. 9-6-2000).
Article 15 English Version

🔍 Article 16 Explanation in Hindi

संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 14 से लेकर 18 तक समता का अधिकार (Right to Equality) वर्णित किया गया है। जिसे कि आम नीचे चार्ट में देख सकते हैं। इसी का तीसरा अनुच्छेद है अनुच्छेद 16, जो कि “अनुच्छेद 16 – लोक नियोजन में अवसर की समता” की बात करता है।

समता का अधिकार (Right to Equality)
अनुच्छेद 14 – विधि के समक्ष समता एवं विधियों का समान संरक्षण (Equality before law Equal Protection of Law)
⚫ अनुच्छेद 15 (Article 15)  धर्म, मूलवंश, लिंग एवं जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (Prohibition of discrimination on grounds of religion, race, caste, sex or place of birth.)
अनुच्छेद 16 – लोक नियोजन में अवसर की समता (Equality of opportunity in matters of public employment.)
अनुच्छेद 17 – अस्पृश्यता का अंत (Abolition of Untouchability.)
अनुच्छेद 18 – उपाधियों का अंत (Abolition of titles.)
Part 3 “Fundamental Rights” [Right to Equality] Article 16

समता का आशय समानता से होता है, एक लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए समानता एक मूलभूत तत्व है क्योंकि ये हमें सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक वंचितता (deprivation) से रोकता है।

हमने अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 15 के तहत क्रमशः समझा कि किस तरह से “विधि के समक्ष समता और विधियों का समान संरक्षण” सिद्धांत की मदद से और “धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध” करके समानता स्थापित करने की कोशिश की गई है।

उसी की अगली कड़ी है अनुच्छेद 16 (Article 16), यह अनुच्छेद सिर्फ भारतीय नागरिकों के लिए है, इससे पहले कि हम इसके एक-एक प्रावधान को समझें; आइये समझते हैं कि अवसर की समता (Equality of opportunity) क्या होता है?

अवसर की समानता सामाजिक और राजनीतिक दर्शन में एक मौलिक सिद्धांत है जो सभी व्यक्तियों के लिए उनकी पृष्ठभूमि, विशेषताओं या परिस्थितियों की परवाह किए बिना, अवसरों और संसाधनों तक निष्पक्ष और उचित पहुंच की वकालत करता है।

यह सामाजिक न्याय के क्षेत्र में एक मूल अवधारणा है और इसे न्यायसंगत एवं उदरवादी समाज का एक बुनियादी पहलू माना जाता है। इसके कुछ मुख्य बिन्दु इस प्रकार है;

  1. समान प्रारंभिक बिंदु (same starting point): अवसर की समानता इस बात पर जोर देती है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन के लक्ष्यों और महत्वाकांक्षाओं को पूरा करते समय एक समान स्थिति से शुरुआत करनी चाहिए। इसका मतलब है कि जाति, लिंग, सामाजिक आर्थिक स्थिति, धर्म या विकलांगता जैसे कारक ऐसे अवरोध नहीं होने चाहिए जो किसी व्यक्ति की अवसरों तक पहुंच को सीमित करते हैं।
  2. योग्यता और प्रयास (ability and effort): यह इस बात पर जोर देता है कि व्यक्तियों को उनकी योग्यता और प्रयास के आधार पर पुरस्कृत और मान्यता दी जानी चाहिए न कि उन विशेषताओं के आधार पर जिन्हें वे नियंत्रित नहीं कर सकते। कहने का अर्थ यह है कि सफलता और उन्नति व्यक्ति की योग्यता, कौशल और कड़ी मेहनत से निर्धारित होनी चाहिए न कि जाति, धर्म या लिंग से।
  3. शिक्षा (Education): शिक्षा उन प्रमुख क्षेत्रों में से एक है जहां अवसर की समानता आवश्यक है। यह सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान पहुंच की वकालत करता है, क्योंकि शिक्षा को अक्सर किसी के जीवन की संभावनाओं को बेहतर बनाने के प्राथमिक साधन के रूप में देखा जाता है।
  4. संसाधनों तक समान पहुंच (equal access to resources): यह उन नीतियों और उपायों की मांग करता है जो यह सुनिश्चित करते हैं कि व्यक्तियों को स्वास्थ्य देखभाल, रोजगार, आवास और कानूनी सुरक्षा जैसे संसाधनों तक समान पहुंच मिले, जो उनके जीवन के अवसरों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं।
  5. सामाजिक गतिशीलता (social mobility): अवसर की समानता सामाजिक गतिशीलता की अवधारणा से निकटता से जुड़ी हुई है। यह सुझाव देता है कि व्यक्तियों को अपने प्रयासों और प्रतिभाओं के माध्यम से अपनी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार करने का मौका मिलना चाहिए, भले ही उनका शुरुआती बिंदु कुछ भी हो।

हालांकि यहां याद रखिए कि कुछ मामलों में, अवसर की समानता को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक कार्रवाई कार्यक्रमों (affirmative action programs) की आवश्यकता होती है, भारत में आमतौर इसे आरक्षण के तौर पर दिया जाता है। (इसके बारे में आगे आप और भी विस्तार से जान पाएंगे;)

| अनुच्छेद 16 – लोक नियोजन में अवसर की समता (Equality of opportunity in matters of public employment)

अनुच्छेद 16 उन अनुच्छेदों में से एक है जो कि सिर्फ भारतीय नागरिकों के लिए है। यह अनुच्छेद हमें बताता है कि अवसर की समानता होगी, लेकिन लोक नियोजन (Public Employment) में न कि निजी नियोजन (Private Employment) में।

इस अनुच्छेद के तहत कुल छह खंड है, जो कि कुछ इस प्रकार है;

Article 16(1) Explanation :-

अनुच्छेद 16(1) के तहत कहा गया है कि राज्य के अधीन किसी पद पर नियोजन या नियुक्ति से संबन्धित विषयों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समता होगी।

इसका मतलब यह है कि राज्य, उसके अधीन किसी भी पद पर ‘नियुक्ति (Appointment)’ या ‘रोजगार (Employment)’ से संबंधित मामलों में अवसर की समानता की गारंटी देता है।

यानी कि अनुच्छेद 16(1) सभी नागरिकों को राज्य के अधीन नौकरी करने का अधिकार देता है। और यह केवल संगठित लोक सेवाओं और संविदा (Contract) के आधार पर धारित बाह्य पदों तक ही सीमित नहीं है बल्कि गाँवों के उन रूढ़िगत पदों पर भी लागू होता है जिसकी नियुक्ति राज्य करता है।

तो कुल मिलाकर अनुच्छेद 16(1) के अंतर्गत मूलरूप से दो अधिकार सम्मिलित हैं –

(पहला) सरकार के अधीन किसी पद के लिए आवेदन करने का अधिकार; और

(दूसरा) जिस पद के लिए आवेदन किया गया है उस पद के लिए गुणों (Quality) के आधार पर विचार किए जाने का अधिकार।

| याद रखने योग्य बातें –

(1) चूंकि यह अनुच्छेद अनुच्छेद 14 और 15 का ही विस्तार है इसीलिए यहाँ भी युक्तियुक्त वर्गीकरण (reasonable classification) का सिद्धांत काम करता है।

यानी कि सरकार सेवा या पद की आवश्यकता को ध्यान में रखकर ये तय कर सकता है किस अनुपात में प्रत्यक्ष भर्ती (direct recruitment) करनी है या प्रोन्नति (Promotion) के माध्यम से भर्ती करनी है।

हालांकि इस सब में सरकार को ये ध्यान में रखना होता है कि कहीं ये विभेदकारी (discriminatory) न हो जाए। जैसे कि मान लीजिये कि किसी कर्मचारी की सेवा को बिना किसी उपयुक्त कारण के समाप्त कर दिया जाए तो ये विभेदकारी माना जाएगा।

लेकिन अगर कोई कर्मचारी अपने पद पर रहते हुए किसी विध्वंशकारी (subversive) कार्य में लगा हो और तब सरकार द्वारा उसकी छंटनी कर दी जाए तो इसे विभेदकारी नहीं माना जाएगा।

(2) दूसरी बात ये कि सरकार नियुक्त होने वाले व्यक्ति के लिए ऐसी पूर्व शर्ते रख सकता है जो सरकारी कर्मचारियों में दक्षता (efficiency) या समुचित अनुशासन (proper discipline) बनाए रखने के लिए सहायक हो।

यहाँ यह याद रखिए कि प्रोन्नति (Promotion) और सेवा की समाप्ति (termination of service) को भी नियुक्ति (Appointment) या रोजगार (Employment) के अंतर्गत ही रखा जाता है।

Article 16(2) Explanation :-

अनुच्छेद 16(2) के तहत कहा गया है कि राज्य के अधीन किसी नियोजन या पद के संबंध में केवल धर्म (Religion), मूलवंश (Race), जाति (Caste), लिंग (Sex), उद्भव (Descent) जन्मस्थान (Place of Birth), निवास (Residence) या इनमें से किसी के आधार पर न तो कोई नागरिक अपात्र होगा और न उससे विभेद किया जाएगा।

यहां पर 7 ऐसे कारकों को चिन्हित किया गया है जिसके आधार पर राज्य द्वारा अपने नागरिकों के साथ सार्वजनिक रोजगार में भेदभाव नहीं किया जा सकता है।

कुल मिलाकर जहां अनुच्छेद 16(1) यह कहता है कि राज्य के अधीन किसी पद पर नियोजन या नियुक्ति के मामले में अवसर की समानता होगी वहीं अनुच्छेद 16(2) यह स्पष्ट करता है कि किन आधारों पर बिलकुल भी भेदभाव नहीं की जाएगी।

लेकिन यहाँ पर आप देख सकते हैं कि ‘केवल’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है यानी कि धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान और निवास इत्यादि के आधार पर आपसे सरकारी नौकरियों में कोई विभेद नहीं किया जाएगा लेकिन इसके अलावे अन्य आधारों पर किया जा सकता है, जैसे कि आपकी योग्यता, दिव्याङ्गता, उम्र इत्यादि के आधार पर।

इसीलिए आगे आने वाला जो खंड है (यानि कि अनुच्छेद 16 का खंड 3, 4, 5 और 6) वो अनुच्छेद 16 के पहले और दूसरे खंड का ही अपवाद स्वरूप है। कैसे है इसे आप आगे समझेंगे;

[यहां पर याद भी याद रखिए कि अनुच्छेद 15 में केवल 5 शब्दों का जिक्र है {यानि कि धर्म (Religion), मूलवंश (race), जाति (Caste), लिंग (sex) और जन्मस्थान (Place of Birth)} जबकि अनुच्छेद 16 में 7 शब्दों का जिक्र है, दो शब्दों “उद्भव (Descent)” और “निवास (Residence)” वे अतिरिक्त शब्द है जिसे कि इसमें जोड़ा गया है।]

Article 16(3) Explanation :-

अनुच्छेद 16(3) के तहत संसद अगर चाहे तो किसी विशेष रोजगार के लिए निवास की शर्त आरोपित कर सकती है।

यह जो प्रावधान है यह अनुच्छेद 16 के पहले और दूसरे प्रावधान का अपवाद है। अभी हमने अनुच्छेद 16(2) के तहत समझा कि निवास (Residence) के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा। लेकिन इस अनुच्छेद का यह खंड इसे अपवाद बनाता है।

इसे आप इस तरह से समझ सकते हैं कि यदि एक विकसित राज्य के लोग अविकसित राज्यों में जाकर नौकरियाँ ले रहा है, तो जाहिर है इससे अविकसित राज्यों के विकास में काफी बाधाएं आ सकती है।

इसी को ध्यान में रखकर अनुच्छेद 16 के तीसरे प्रावधान के तहत यह व्यवस्था की गई है कि जहां पर नौकरियाँ उत्पन्न हुई है वहाँ के लोकल लोगों को इसमें प्राथमिकता दी जाए।

लेकिन यहाँ पर याद रखिए कि इसका ये मतलब नहीं है कि अगर किसी गाँव में नौकरियाँ निकली है तो सिर्फ गाँव के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी। बल्कि उस राज्य के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी। यानी कि इस प्रावधान का लाभ लेने के लिए राज्य को एक यूनिट माना जाता है न कि गाँव, प्रखण्ड या जिले को।

अनुच्छेद 16(3) के इन्ही शक्तियों का प्रयोग करते हुए, संसद ने सार्वजनिक रोजगार (निवास के अनुसार आवश्यकता) अधिनियम 1957 (The Public Employment (Requirement as to Residence) Act, 1957) अधिनियमित किया है।

यह अधिनियम यह सुनिश्चित करने के लिए अधिनियमित किया गया था कि जो लोग त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर और तेलंगाना प्रदेश के निवासी हैं, उन्हें उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में अधीनस्थ सेवाओं या पदों पर नियुक्ति में प्राथमिकता दी जाए।

कहने का अर्थ है कि इसका उद्देश्य स्थानीय लोगों के हितों को बढ़ावा देना और यह सुनिश्चित करना है कि उन्हें सरकारी सेवाओं में रोजगार पाने का उचित मौका मिले।

Article 16(4) Explanation :-

अनुच्छेद 16(4) के तहत कहा गया है कि इस अनुच्छेद में किसी बात के होते हुए भी, राज्य पिछड़े हुए नागरिकों के किसी वर्ग के पक्ष में, जिनका प्रतिनिधित्व राज्य के अधीन सेवाओं में पर्याप्त नहीं है, नियुक्तियों में आरक्षण की व्यवस्था कर सकता है।

यह प्रावधान बहुत ही महत्वपूर्ण है, ऐसा इसीलिए क्योंकि सरकारी नौकरियों में पिछड़े वर्गों (Backward Class) को जो आरक्षण मिलता है वो इसी के तहत दी जाती है। यानी कि यह प्रावधान भी अनुच्छेद 16 के पहले और दूसरे प्रावधान के अपवाद हैं।

लेकिन यहां पर यह याद रखिए कि केवल तभी लागू हो सकता है जब दो शर्तें पूरी होती हों; यानि कि (पहला) नागरिकों का वह वर्ग पिछड़ा (Backward) होना चाहिए; और (दूसरा) इस वर्ग का प्रतिनिधित्व राज्य सेवाओं में कम होना चाहिए।

[अब ये पिछड़ा वर्ग कौन है या फिर कौन पिछड़ा वर्ग हो सकता है इसकी चर्चा अनुच्छेद 342A के तहत किया गया है, अनुच्छेद 16 में इसे परिभाषित नहीं किया गया है।]

यहाँ यह याद रखिए कि अनुच्छेद 16 के खंड 1 और 2 के कुछ प्रावधान ऐसे हैं जो कि आरक्षित लोगों पर समान रूप से लागू होता है जैसे कि पेंशन, वेतनवृद्धि, नियोजन की शर्तें इत्यादि। कहने का अर्थ है कि वेतन (Salary), वेतनवृद्धि (increment), उपदान (Gratuity), पेंशन आदि में कोई आरक्षण काम नहीं करता है।

यहाँ पर एक बात और याद रखने वाली है कि दो संशोधनों के माध्यम से अनुच्छेद 16(4) में कुछ अन्य प्रावधान भी जोड़े गए है। 77वें संविधान संशोधन 1995 की मदद से एससी एवं एसटी वर्ग के लोगों के लिए प्रोन्नति (Promotion) में पारिणामिक ज्येष्ठता (Consequential seniority) को जोड़ा गया है। और,

81वां संविधान संशोधन अधिनियम 2000 की मदद से बैकलॉग रिक्तियों (backlog vacancies) को आगे आने वाले वर्षों में भरे जाने की व्यवस्था की गई है। 

पारिणामिक ज्येष्ठता (Consequential seniority) और बैकलॉग रिक्तियां (backlog vacancies) क्या है इसे आप अच्छे से समझ पाएंगे जब आप आरक्षण (Reservation) समझेंगे (इसीलिए हम इसे यहां पर छोड़ रहें हैं, आपको यह सलाह है कि आरक्षण (Reservation) को पढ़ें और समझें; अभी के आप बस इतना समझिए;

परिणामिक वरिष्ठता (Consequential seniority) – मान लीजिये एक सामान्य वर्ग का आदमी सरकारी नौकरी में लेवल 3 पर है। अनुसूचित जाति (Schedule caste) के एक आदमी को उसी लेवल पर लेकिन सामान्य वर्ग के आदमी से जूनियर नियुक्त किया जाता है। चूंकि प्रोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था है इसीलिए अनुसूचित जाति के आदमी को सामान्य वर्ग से पहले प्रोन्नति मिल जाता है और वो अब उस सामान्य वर्ग के आदमी से सीनियर हो जाता है। परिणामिक वरिष्ठता (Consequential seniority) कहता है कि अब अगर वो सामान्य वर्ग के आदमी को प्रोन्नति मिल भी जाता है तो भी वो अनुसूचित जाति के आदमी से जूनियर ही रहेगा।
https://wonderhindi.com/evolution-of-reservation/
Carry Forward Rule – मान लीजिए कि किसी वर्ष कुल 100 सीटों में से 15 सीटें SC वर्ग के व्यक्तियों से भरा जाना था लेकिन उस वर्ष सिर्फ 5 ही सीटें भर पायी और 10 सीटें खाली रह गई। मान लीजिए फिर से अगले साल 100 सीटों पर रिक्तियाँ निकलता है और 15 सीटें SC वर्ग के व्यक्तियों के लिए है तो पिछले साल वाली 10 सीटें इसमें नहीं जुड़ेंगे बल्कि ये 15 ही रहेगा और उन 10 सीटों को उससे अलग काउंट किया जाएगा।
https://wonderhindi.com/evolution-of-reservation/

Article 16(5) Explanation :-

अनुच्छेद 16(5) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि विधि के तहत किसी संस्था या इसके कार्यकारी परिषद (executive Council) के सदस्य किसी विशिष्ट धर्म को मानने वाला हो सकता है।

इसे इस तरह से समझिए – मान लीजिए कि किसी मंदिर ट्रस्ट का संचालन मौलवी कर रहा हो तो स्थिति कैसी होगी। इसका ये मतलब नहीं है कि ऐसा नहीं हो सकता है लेकिन अगर संसद ने कोई विधि बना दी कि मंदिर ट्रस्ट का संचालन हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग ही कर सकते हैं या फिर उसके सर्वोच्च अधिकारी (highest authority) हिन्दू ही होंगे; तो अनुच्छेद के इस खंड के तहत ऐसा हो सकता है।

Article 16(6) Explanation :-

अनुच्छेद 16(6) के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (economically weaker section – EWS) के व्यक्तियों के लिए अलग से 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है;

लेकिन यहां पर यह याद रखिए कि केवल तभी लागू हो सकता है जब दो शर्तें पूरी होती हों; यानि कि (पहला) अनुच्छेद 16(4) के तहत मिल रहे पिछड़े वर्गों के आरक्षण के अंतर्गत वह न आता हो; और (दूसरा) आर्थिक रूप से कमजोर या दुर्बल हो।

इसे साल 2019 में 103वें संविधान संशोधन अधिनियम की मदद से संविधान में जोड़ा गया है। और इसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के व्यक्तियों को 10 प्रतिशत अतिरिक्त आरक्षण का लाभ दिया गया है। 

इसे आरक्षण क्यों दिया गया है, या फिर इसके पीछे का क्या गणित है इस सब को आप तभी समझ पाएंगे जब आप आरक्षण (Reservation) को समझेंगे;

अभी हमने यहाँ जो भी बातें की है उसे अच्छे से समझने के लिए हमें आरक्षण को समझना होगा। आरक्षण पर चार खंडों में लेख उपलब्ध है। आरक्षण से संबन्धित अपने सभी डाउट को क्लियर करने के लिए आप क्रम से सभी लेखों को समझें;

भारत में आरक्षण [Reservation in India] [1/4]

आरक्षण का संवैधानिक आधार एवं इसके विभिन्न पहलू [2/4]

आरक्षण का विकास क्रम (Evolution of Reservation) [3/4]

रोस्टर (Roster) – आरक्षण के पीछे का गणित [4/4]

🎮 Play Online Games

Related MCQs with Explanation


MCQ 1: Which article of the Indian Constitution deals with the equality of opportunity in matters of public employment?

A) Article 14
B) Article 15
C) Article 16
D) Article 17

💡 View Answer
Answer: C) Article 16 Explanation: Article 16 of the Indian Constitution deals with the equality of opportunity in matters of public employment.

MCQ 2: Article 16(2) of the Indian Constitution prohibits discrimination on the grounds of:

A) Descent

B) Sex

C) Residence

D) All of the above

💡 View Answer
Answer: D) All of the above Explanation: Article 16(2) prohibits discrimination in public employment on the grounds of religion, race, caste, sex, place of birth, or any of them.

MCQ 3: Article 16(4) of the Indian Constitution allows for:

A) Reservation of seats in educational institutions

B) Reservation of seats in the Lok Sabha

C) Reservation of seats in public employment for backward classes

D) Reservation of seats in the Rajya Sabha

💡 View Answer
Answer: C) Reservation of seats in public employment for backward classes Explanation: Article 16(4) allows the state to make provisions for the reservation of posts in favor of backward classes of citizens, which are not adequately represented in the services under the state.

MCQ 4: Which of the following statements regarding Article 16(4) of the Indian Constitution is correct?

A) It provides for reservation in promotions for Scheduled Castes and Scheduled Tribes.

B) It allows for reservation in educational institutions.

C) It deals with the prohibition of discrimination based on race.

D) It is related to the right to equality before law.

💡 View Answer
Answer: A) It provides for reservation in promotions for Scheduled Castes and Scheduled Tribes. Explanation: Article 16(4) allows the state to make provisions for the reservation of appointments or posts in favor of any backward class of citizens, which, in the opinion of the state, is not adequately represented in the services under the state. see article 16(4A).

MCQ 5: Which of the following is a Social Right before right related to equality in the Indian Constitution?

A) Article 16

B) Article 17

C) Article 14

D) Article 15

💡 View Answer
Answer: B) Article 17 Explanation: Article 17 deals with the abolition of “untouchability” and is related to social rights rather than equality in public employment.

Question: The Public Employment (Requirement as to Residence) Act, 1957 was enacted in pursuance of which of the following provisions of the Indian Constitution?

A. Article 14
B. Article 15
C. Article 16
D. Article 335

💡 View Answer
Explanation: Article 16 of the Indian Constitution guarantees equality of opportunity in matters of employment to all citizens of India. However, it allows Parliament to make special provisions for the appointment of any class of persons in any public services in connection with the affairs of any State or Union territory. The Public Employment (Requirement as to Residence) Act, 1957 was enacted in pursuance of clause (3) of Article 16 of the Constitution. So the answer is (C).

| Related Article

अनुच्छेद 14
अनुच्छेद 15
अनुच्छेद 17
अनुच्छेद 18
Related to Article 16
Constitution
Basics of Parliament
Fundamental Rights
Judiciary in India
Executive in India
Article 16
अस्वीकरण - यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।