यह लेख Article 161 (अनुच्छेद 161) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 161 (Article 161) – Original

भाग 6 “राज्य” [अध्याय 2 — कार्यपालिका] [राज्यपाल]
161. क्षमा, आदि की और कुछ मामलों में दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की राज्यपाल की शक्ति — किसी राज्य के राज्यपाल को उस विषय संबंधी, जिस विषय पर उस राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार है, किसी विधि के विरुद्ध किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा, उसका प्रविलंबन, विराम या परिहार करने की अथवा दंडादेश में निलंबन, परिहार या लघुकरण की शक्ति होगी।
अनुच्छेद 161 हिन्दी संस्करण

Part VI “State” [CHAPTER II — THE EXECUTIVE] [The Governor]
161. Power of Governor to grant pardons, etc., and to suspend, remit or commute sentences in certain cases.— The Governor of a State shall have the power to grant pardons, reprieves, respites or remissions of punishment or to suspend, remit or commute the sentence of any person convicted of any offence against any law relating to a matter to which the executive power of the State extends.
Article 161 English Version

🔍 Article 161 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iसाधारण (General)Article 152
IIकार्यपालिका (The Executive)Article 153 – 167
IIIराज्य का विधान मंडल (The State Legislature)Article 168 – 212
IVराज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor)Article 213
Vराज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States)Article 214 – 232
VIअधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts)Article 233 – 237
[Part 6 of the Constitution]

जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 2 का नाम है “कार्यपालिका (The Executive) और इसका विस्तार अनुच्छेद 153 से लेकर अनुच्छेद 167 तक है।

इस अध्याय को तीन उप-अध्यायों में बांटा गया है – राज्यपाल (The Governor), मंत्रि-परिषद (Council of Ministers), राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General of the States) और सरकारी कार्य का संचालन (Conduct of Government Business)।

इस लेख में हम राज्यपाल के तहत आने वाले अनुच्छेद 161 को समझने वाले हैं। आइये समझें;

अनुच्छेद 152- भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 161 – क्षमा, आदि की और कुछ मामलों में दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की राज्यपाल की शक्ति:

राज्य कार्यपालिका के मुख्यतः चार भाग होते है: राज्यपाल (Governor)मुख्यमंत्री (Chief Minister)मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) और राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General of the state)

भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और राज्य सरकार की अपनी कार्यपालिका होती है।

राज्यपाल (Governor), राज्य का संवैधानिक कार्यकारी प्रमुख होता है, जबकि मुख्यमंत्री राज्य का वास्तविक कार्यकारी प्रमुख होता है।

अनुच्छेद 161, क्षमा, आदि की और कुछ मामलों में दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की राज्यपाल की शक्ति से संबंधित है।

अनुच्छेद 161 कहता है कि जिन विषयों पर राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार है, उन विषयों के अंतर्गत अगर किसी विधि के विरुद्ध किसी अपराध के लिए किसी को दोषी ठहराया जाता है तो राज्यपाल उस व्यक्ति के दंड को क्षमा, उसका प्रविलंबन, विराम या परिहार अथवा दंडादेश (sentence) में निलंबन, परिहार या लघुकरण कर सकता है। [इसका क्या मतलब है आइये विस्तार से समझते हैं]

राज्यपाल की क्षमादान की शक्ति (Pardoning Power of the Governor):

क्षमा करने का उद्देश्य किसी दोषसिद्ध व्यक्ति को दुबारा एक ज़िंदगी देना या फिर से मुख्य धारा में लौटाना होता है। राजा-महाराजाओं के दौर में यह व्यवस्था काफी महत्वपूर्ण था। ब्रिटिश राज के दौरान भी इसका इस्तेमाल होता रहा है। आजादी के बाद संविधान ने राष्ट्रपति और राज्यपाल को यह शक्ति दी।

◾ राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति का विस्तार पूरे भारत में होता है जबकि राज्यपाल का क्षेत्राधिकार राज्यों तक सीमित होता है।

हालांकि याद रखिए कि क्षमादान का उद्देश्य न केवल किसी व्यक्ति को दंड या अपराध के दंडात्मक परिणामों से मुक्त करना है बल्कि नागरिक अयोग्यताओं से भी मुक्त करना है।

उदाहरण के लिए, दोषसिद्धि के बाद अगर किसी ने अपनी नौकरी या पद खोया है तो उसे भी लौटाया जाता है, ताकि व्यक्ति को उसी स्थिति में रखा जा सके जैसे कि उसने कभी भी अपराध ही नहीं हो।

◾ भारतीय संविधान का अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति के लिए क्षमादान की व्यवस्था करता है वहीं अनुच्छेद 161 राज्यपाल के लिए क्षमादान की व्यवस्था करता है।

हालाँकि, (जैसा कि हमने ऊपर भी समझा है) राज्यपाल के पास ऐसी शक्ति का प्रयोग करने का अधिकार केवल तभी होता है जब विचाराधीन अपराध उस कानून से संबंधित हो जिस तक राज्य की कार्यकारी शक्ति का विस्तार होता है।

उदाहरण के लिए, राज्यपाल के पास भारतीय दंड संहिता की धारा 489ए-डी के तहत किए गए अपराध के लिए सजा को माफ करने, निलंबित करने या कम करने की शक्ति नहीं है, क्योंकि यह “मुद्रा और बैंक” से संबंधित है। और “मुद्रा और बैंक” केंद्रीय विषय है।

राष्ट्रपति की तरह राज्यपाल को भी क्षमादान की शक्ति प्राप्त है, और राज्य के अपने दायरे में रहकर वो भी निम्नलिखित चीज़ें कर सकता है;

1. क्षमा (Pardon) इसमें दंड और बंदीकरण (imprisonment) दोनों को हटा दिया जाता है तथा दोषी को सभी दंड (Punishment), दंडदेशों (Penalties) और निर्रहता (Disqualification) से पूर्णत: मुक्त कर दिया जाता है।

कुल मिलाकर कहने का अर्थ यह है कि राज्यपाल, किसी दोषी की दोषसिद्धि और सजा दोनों को माफ कर सकता है। हालांकि राज्यपाल कोर्ट-मार्शल द्वारा दोषी ठहराए गए व्यक्ति को या मौत की सजा प्राप्त व्यक्ति को माफ नहीं कर सकता है।

2. प्रविलंबन (Reprieve) इसका अर्थ है किसी दंड विशेषकर मृत्यु दंड पर अस्थायी रोक लगाना या टाल देना। इसका उद्देश्य, दोषी व्यक्ति को क्षमा याचना अथवा दंड के स्वरूप परिवर्तन की याचना के लिए समय देना है।

दूसरे शब्दों में कहें तो राज्यपाल किसी दोषी को अस्थायी अवधि के लिए सजा से मुक्त कर सकता है।

3. विराम (Respite) इसका आशय “राहत” देने से है। यह राहत सजा देने में देरी करके दी जा सकती है। हालांकि याद रखिए कि सजा की प्रकृति में कोई बदलाव नहीं किया जाता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो इसका अर्थ है किसी दोषी को मूल रूप में दी गयी सजा को किन्ही विशेष परिस्थिति में Postpone करना, जैसे – शारीरिक अपंगता अथवा महिलाओं को गर्भावस्था की अवधि के कारण।

4. परिहार (Remissions) परिहार का मतलब है, दंड के प्रकृति में परिवर्तन किए बिना उसकी अवधि कम करना। उदाहरण के लिए दो वर्ष के कठोर कारावास को एक वर्ष के कठोर कारावास में परिहार करना। यानि कि अगर कारावास की प्रकृति कठोर है तो वो कठोर ही रहता है।

5. लघुकरण (Commute) इसका अर्थ है कि दंड के स्वरूप को बदलकर कम करना। उदाहरण के लिए, मृत्युदण्ड का लघुकरण कर कठोर कारावास में परिवर्तित करना। कहने का अर्थ है कि राज्यपाल मौत की सजा को माफ तो नहीं कर सकता है लेकिन उसका लघुकरण जरूर कर सकता है। साथ ही विराम (Respite) या प्रविलंबन (Reprieve) भी कर सकता है।

कुछ ऐसे मामले भी हैं जो कि राज्यपाल को क्षमादान की शक्तियों को विस्तार देता है;

PowersCases
राज्यपाल राजनीतिक या गैर-राजनीतिक अपराधों के आरोप में दोषी ठहराए गए या विचाराधीन कैदियों को माफी या सामान्य क्षमा प्रदान कर सकता है।Maddela Yerra Channugadu vs Unknown on 11 February, 1954
राज्यपाल, सजा सुनाने वाले अदालत के फैसले के बावजूद ऐसी सज़ा माफ कर सकता है जिससे अभियुक्त को सज़ा भुगतने से छूट मिल जाए।Hukam Singh vs The State Of Punjab And Ors. on 12 November, 1974
राज्यपाल किसी सजा के निष्पादन को अस्थायी अवधि के लिए स्थगित कर सकता है।K.M. Nanavati vs The State Of Bombay on 5 September, 1960
राष्ट्रपति एवं राज्यपाल की क्षमादान की शक्ति [ Full Concept]
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राष्ट्रपति और राज्यपाल की क्षमादान शक्तियों की तुलना (Comparison of the pardoning powers of the President and the Governor):

राष्ट्रपतिराज्यपाल
1. वह केन्द्रीय विधि के विरुद्ध किसी अपराध के लिए दोष सिद्ध ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा, उसक प्रतिलंबन, विराम अथवा दंडादेश का निलंबन, परिहार या लघुकरण कर सकता है।1. वह राज्य विधि के तहत किसी अपराध मे सजा प्राप्त व्यक्ति को वह क्षमादान कर सकता है या दंड को स्थगित कर सकता है।
2. वह सजा-ए मौत को क्षमा कर सकता है, कम कर सकता है या स्थगित कर सकता है या बदल सकता है। एकमात्र उसे ही यह अधिकार है कि वह मृत्युदंड की सजा को माफ कर दे।2. वह मृत्युदंड की सजा को माफ नहीं कर सकता, चाहे किसी को राज्य विधि के तहत मौत की सजा मिली भी हो, तो भी उसे राज्यपाल की बजाए राष्ट्रपति से क्षमा याचना करनी होगी। लेकिन राज्यपाल इसे स्थगित कर सकता है। या पुनर्विचार के लिय कह सकता है।
3. वह कोर्ट मार्शल (सैन्य अदालत) के तहत सजा प्राप्त व्यक्ति की सजा माफ कर सकता है, कम कर सकता है या बदल सकता है।3. उसे कोर्ट मार्शल (सैन्य अदालत) के तहत सजा प्राप्त व्यक्ति की सजा माफ करने की कोई शक्ति प्राप्त नहीं है।

तो यही है अनुच्छेद 161, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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राष्ट्रपति की क्षमादान के बारे में विस्तार से समझें; अनुच्छेद 72- भारतीय संविधान
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MCQs Related to Article 161

  1.  What does Article 161 of the Indian Constitution deal with?
    • The powers of the Governor to grant pardons, reprieves, and remissions of punishment.
    • The discharge of the functions of the Governor of a State in certain contingencies.
    • The appointment of the Governor of a State.
    • The qualifications for appointment as the Governor of a State.

Explanation: The correct answer is (a). Article 161 of the Indian Constitution deals with the powers of the Governor to grant pardons, reprieves, and remissions of punishment.

  1.  What are the powers of the Governor under Article 161 of the Indian Constitution?
    • To grant pardons, reprieves, and remissions of punishment in all cases where the sentence has been imposed by a court of law, except in cases where the death sentence has been awarded.
    • To suspend, remit, or commute the sentence of any person convicted of any offence against any law relating to a matter with respect to which the Legislature of the State has power to make laws.
    • To refer any matter relating to the grant of pardons, reprieves, and remissions of punishment to the High Court for its opinion.
    • All of the above.

Explanation: The correct answer is (d). Article 161 of the Indian Constitution states that the Governor has the following powers:

* To grant pardons, reprieves, and remissions of punishment in all cases where the sentence has been imposed by a court of law, except in cases where the death sentence has been awarded.

* To suspend, remit, or commute the sentence of any person convicted of any offence against any law relating to a matter with respect to which the Legislature of the State has power to make laws.

* To refer any matter relating to the grant of pardons, reprieves, and remissions of punishment to the High Court for its opinion.

  1.  Can the Governor grant a pardon to a person who has been convicted of a death sentence?
    • No, the Governor cannot grant a pardon to a person who has been convicted of a death sentence.
    • Yes, the Governor can grant a pardon to a person who has been convicted of a death sentence, but only with the consent of the President of India.
    • The Governor can grant a pardon to a person who has been convicted of a death sentence, but only if the High Court recommends it.
    • The Governor can grant a pardon to a person who has been convicted of a death sentence, but only if the State Legislature approves it.

Explanation: The correct answer is (a). Article 161 of the Indian Constitution states that the Governor cannot grant a pardon to a person who has been convicted of a death sentence.

  1.  What is the purpose of the provisions of Article 161 of the Indian Constitution?
    • To ensure that the Governor has the power to pardon criminals.
    • To ensure that the Governor has the power to commute the sentences of criminals.
    • To ensure that the Governor has the power to refer matters relating to pardons to the High Court.
    • All of the above.

Explanation: The correct answer is (d). The provisions of Article 161 of the Indian Constitution are intended to ensure that the Governor has the power to pardon criminals, commute the sentences of criminals, and refer matters relating to pardons to the High Court.

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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।
special credit – https://blog.ipleaders.in/article-161-of-the-indian-constitution/#What_is_pardoning_power