यह लेख Article 203 (अनुच्छेद 203) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 203 (Article 203) – Original

भाग 6 “राज्य” [अध्याय 3 — राज्य का विधान मंडल] [वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया]
203. विधान-मंडल में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया — (1) प्राककलनों में से जितने प्राककलन राज्य की संचित निधि पर भारित व्यय से संबंधित हैं वे विधान सभा में मतदान के लिए नहीं रखे जाएंगे, किन्तु इस खंड की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह विधान-मंडल में उन प्राक्कलनों में से किसी प्राक्कलन पर चर्चा को निवारित करती है।

(2) उक्त प्राक्कलनों में से जितने प्राककलन अन्य व्यय से संबंधित हैं वे विधान सभा के समक्ष अनुदानों की मांगों के रूप में रखे जाएंगे और विधान सभा को शक्ति होगी कि वह किसी मांग को अनुमति दे या अनुमति देने से इंकार कर दे अथवा किसी मांग को, उसमें विनिर्दिष्ट रकम को कम करके, अनुमति दे।

(3) किसी अनुदान की मांग राज्यपाल की सिफारिश पर ही की जाएगी, अन्यथा नहीं।
अनुच्छेद 203 हिन्दी संस्करण

Part VI “State” [CHAPTER III — The State Legislature] [Procedure in respect of financial matters]
203. Procedure in Legislature with respect to estimates.— (1) So much of the estimates as relates to expenditure charged upon the Consolidated Fund of a State shall not be submitted to the vote of the Legislative Assembly, but nothing in this clause shall be construed as preventing the discussion in the Legislature of any of those estimates.

(2) So much of the said estimates as relates to other expenditure shall be submitted in the form of demands for grants to the Legislative Assembly, and the Legislative Assembly shall have power to assent, or to refuse to assent, to any demand, or to assent to any demand subject to a reduction of the amount specified therein.

(3) No demand for a grant shall be made except on the recommendation of the Governor.
Article 203 English Version

🔍 Article 203 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iसाधारण (General)Article 152
IIकार्यपालिका (The Executive)Article 153 – 167
IIIराज्य का विधान मंडल (The State Legislature)Article 168 – 212
IVराज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor)Article 213
Vराज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States)Article 214 – 232
VIअधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts)Article 233 – 237
[Part 6 of the Constitution]

जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 3 का नाम है “राज्य का विधान मंडल (The State Legislature)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 158 से लेकर अनुच्छेद 212 तक है।

इस अध्याय को आठ उप-अध्यायों (sub-chapters) में बांटा गया है, जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;

Chapter 3 [Sub-Chapters]Articles
साधारण (General)Article 168 – 177
राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी (Officers of the State Legislature)Article 178 – 187
कार्य संचालन (Conduct of Business)Article 188 – 189
सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualifications of Members)Article 190 – 193
राज्यों के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (Powers, privileges and immunities of State Legislatures and their members)Article 194 – 195
विधायी प्रक्रिया (Legislative Procedure)Article 196 – 201
वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in respect of financial matters)Article 202 – 207
साधारण प्रक्रिया (Procedure Generally)Article 208 – 212
[Part 6 of the Constitution]

इस लेख में हम वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in respect of financial matters) के तहत आने वाले अनुच्छेद 203 को समझने वाले हैं।

अनुच्छेद 79 – भारतीय संविधान
Closely Related to Article 203

| अनुच्छेद 203 – विधान-मंडल में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in Legislature with respect to estimates)

भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और जिस तरह से केंद्र में विधायिका (Legislature) होता है उसी तरह से राज्य का भी अपना एक विधायिका होता है।

केन्द्रीय विधायिका (Central Legislature) को भारत की संसद (Parliament of India) कहा जाता है। यह एक द्विसदनीय विधायिका है, जिसका अर्थ है कि इसमें दो सदन हैं: लोकसभा (लोगों का सदन) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद)। इसी तरह से राज्यों के लिए भी व्यवस्था की गई है।

अनुच्छेद 168(1) के तहत प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमंडल (Legislature) की व्यवस्था की गई है और यह विधानमंडल एकसदनीय (unicameral) या द्विसदनीय (bicameral) हो सकती है।

जिस तरह से अनुच्छेद 113 के तहत केंद्र के लिए संसद में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया की व्यवस्था की गई है उसी तरह से अनुच्छेद 203 के तहत राज्यों के लिए विधान-मंडल में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया की व्यवस्था की गई है।

अनुच्छेद 203 के तहत कुल 3 खंड आते हैं;

अनुच्छेद 203 के खंड (1)  के तहत कहा गया है कि प्राककलनों (Estimates) में से जितने प्राककलन राज्य की संचित निधि पर भारित व्यय से संबंधित हैं वे विधान सभा में मतदान के लिए नहीं रखे जाएंगे, किन्तु इस खंड की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह विधान-मंडल में उन प्राक्कलनों में से किसी प्राक्कलन पर चर्चा को निवारित करती है।

अनुच्छेद 202 के खंड (2) के तहत हमने समझा था कि संचित निधि (Consolidated Fund) से दो प्रकार का व्यय (Expenditure) होता है, जिसे कि बजट में अलग-अलग दिखाया जाना होता है;

(1) संचित निधि पर भारित व्यय (expenditure charged upon the Consolidated Fund), और
(2) संचित निधि से किए गए व्यय (expenditure from the Consolidated Fund);

यहां पर संचित निधि पर भारित व्यय के संबंध में यह उपबंध किया गया है कि संचित निधि पर भारित व्यय (expenditure charged upon the Consolidated Fund) के लिए विधानमंडल में मतदान नहीं होगा क्योंकि विधानमंडल को ये पता होता है कि ये धन खर्च करनी ही पड़ेगी। ऐसा इसीलिए क्योंकि ये पहले से विधानमंडल द्वारा तय कर दिया गया होता है। हालांकि उस पर चर्चा जरूर होती है या हो सकती है।

अनुच्छेद 203 के खंड (2)  के तहत व्यवस्था किया गया है कि उक्त प्राक्कलनों में से जितने प्राककलन अन्य व्यय से संबंधित हैं वे विधान सभा के समक्ष अनुदानों की मांगों के रूप में रखे जाएंगे और विधान सभा को शक्ति होगी कि वह किसी मांग को अनुमति दे या अनुमति देने से इंकार कर दे अथवा किसी मांग को, उसमें विनिर्दिष्ट रकम को कम करके, अनुमति दे।

जैसा कि अभी हमने ऊपर समझा कि संचित निधि से दो प्रकार के व्यय होते हैं; संचित निधि से किए गए व्यय (expenditure from the Consolidated Fund) वे व्यय हैं जिसे कि हरेक वर्ष खर्च अनुमानों के मुताबिक तय किया जाता है। और इसे विधान सभा के समक्ष अनुदानों के मांग के रूप में प्रस्तुत किया जाता है जिस पर सदन में मतदान कराया जाता है।

विधान सभा के पास यह शक्ति होती है कि वह इस तरह के किसी मांग को अनुमति दे या अनुमति देने से इंकार कर दे। या फिर किसी मांग को अनुमति तो दे लेकिन उसमें रकम को कम दे।

अनुच्छेद 203 के खंड (3)  के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि किसी अनुदान की मांग राज्यपाल की सिफारिश पर ही की जाएगी, अन्यथा नहीं।

कहने का अर्थ है कि राज्यपाल की सिफ़ारिश के बिना अनुदान की मांग (demand for a grant) नहीं की जा सकती है।

⚫ प्राक्कलन समिति (Estimate Committee) क्या होती है?

प्राक्कलन समिति (Estimate Committee) ‘स्थायी मितव्ययता समिति‘ के रूप में काम करता है इसका मुख्य उद्देश्य है सरकारी फिजूलखर्ची पर रोक लगाना। (मितव्ययता का मतलब है – एक तरह से कंजूसी करना या फिर सार्थक खर्च करना)।
विस्तार से समझें; संसदीय समितियां : तदर्थ व स्थायी समितियां

तो यही है अनुच्छेद 203 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि
भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview
Must Read

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Chapter Wise Polity Quiz

बजट – प्रक्रिया और क्रियान्वयन अभ्यास प्रश्न

  1. Number of Questions – 10
  2. Passing Marks – 80 %
  3. Time – 8 Minutes
  4. एक से अधिक विकल्प सही हो सकते हैं।

1 / 10

जब किसी विशिष्ट सेवा के लिए मंजूर की गई राशि उस वर्ष के प्रयोजनों के लिए अपर्याप्त पाई जाए, तो कौन सा अनुदान स्वीकृत किया जाता है?

2 / 10

निम्नलिखित तथ्यों पर गौर करें एवं सही कथनों का चुनाव करें;

  1. राज्यसभा के उपसभापति, की वेतन एवं भत्ते भारत की संचित निधि पर भारित व्यय है।
  2. अनुच्छेद 114 के तहत बजट पेश करने से पहले हलवा समारोह किया जाता है।
  3. 2021-22 वित्तीय वर्ष के लिए पपेरलेस बजट पेश किया गया।
  4. साल 2016 से बजट को 1 फरवरी को पेश किए जाने की परंपरा की शुरुआत हुई।

3 / 10

दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. विनियोग विधेयक जब तक लागू नहीं हो जाता तब तक सरकार भारत की संचित निधि से कोई धन निकासी नहीं कर सकती है।
  2. अनुच्छेद 113 के अनुसार भारत की संचित निधि पर भारित व्यय एक अनिवार्य व्यय है।
  3. राष्ट्रपति बजट को हर वित्त वर्ष में संसद के दोनों सदनों में पेश करवाता है।
  4. विधि द्वारा पारित विनियोग के अलावा भारत की संचित निधि से कोई धन नहीं निकाला जाएगा।

4 / 10

बजट पास होने की प्रक्रिया के संबंध में दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. बजट को प्रस्तुत करने के कुछ दिन बाद तक उस बजट पर आम बहस चलती रहती है।
  2. स्थायी समितियां अनुदान की मांग की विस्तार से जांच-पड़ताल करती है और एक रिपोर्ट तैयार करती है।
  3. अनुदान मांगों पर मतदान दोनों सदनों में होता है।
  4. वित्त विधेयक में संशोधन प्रस्तावित किए जा सकते हैं।

5 / 10

अनुदान मांगों पर विभिन्न प्रकार के प्रस्तावों के संबंध में दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें।

6 / 10

बजट के संबंध में इनमें से कौन सा तथ्य सही है?

  1. बजट एक संवैधानिक टर्म है जिसे कि अनुच्छेद 112 में परिभाषित किया गया है।
  2. बजट एक वित्त वर्ष के दौरान भारत सरकार के अनुमानित प्राप्तियों और खर्च का विवरण है।
  3. भारत में बजट वित्त मंत्री बजट संसद में पेश करता है।
  4. भारत में बजट एक वर्ष से कम के लिए नहीं बनाया जा सकता है।

7 / 10

बजट से संबन्धित अनुदानों के संबंध में दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. जब किसी सेवा या मद के लिए आकस्मिक रूप से धन की अत्यधिक एवं तुरंत सहायता आवश्यक हो तो प्रत्ययानुदान का इस्तेमाल होता है।
  2. जब किसी वित्त वर्ष में धन शेष बच जाये तो उसे अतिरिक्त अनुदान के रूप में समझा जाता है।
  3. अपवादानुदान वर्तमान वित्तीय वर्ष या सेवा से संबन्धित नहीं होती है।
  4. किसी वित्तीय वर्ष में पिछले वित्तीय वर्ष से अधिक धन निकासी को अधिक अनुदान कहा जाता है।

8 / 10

विनियोग विधेयक जब तक लागू नहीं हो जाता तब तक सरकार भारत की संचित निधि से कोई धन निकासी नहीं कर सकती है, ऐसी स्थिति में उन कुछ दिनों में खर्च करने के लिए कौन से अनुदान का इस्तेमाल किया जाता है?

9 / 10

भारत में वित्त वर्ष कब से लेकर कब तक चलता है?

10 / 10

बजट के संबंध में कटौती प्रस्ताव को कब स्वीकृति मिल सकती है?

  1. जब इसमें भारत की संचित निधि पर भारित व्यय से संबन्धित कोई विषय नहीं होगा।
  2. जब इसके द्वारा किसी विशेषाधिकार प्रश्न को शामिल किया जाएगा।
  3. जब इसमें किसी न्यायालयीन प्रकरण का उल्लेख होगा।
  4. जब इसमें संशोधन संबंधी या वर्तमान नियम को परिवर्तित करने संबन्धित कोई सुझाव नहीं होगा।

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अनुच्छेद 204 – भारतीय संविधान
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।