यह लेख Article 212 (अनुच्छेद 212) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 212 (Article 212) – Original
भाग 6 “राज्य” [अध्याय 3 — राज्य का विधान मंडल] [साधारण प्रक्रिया] |
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212. न्यायालयों द्वारा विधान-मंडल की कार्यवाहियों की जांच न किया जाना — (1) राज्य के विधान-मंडल की किसी कार्यवाही की विधिमान्यता को प्रक्रिया की किसी अभिकथित अनियमितता के आधार पर प्रश्नगत नहीं किया जाएगा। (2) राज्य के विधान-मंडल का कोई अधिकारी या सदस्य, जिसमें इस संविधान द्वारा या इसके अधीन उस विधान-मंडल में प्रक्रिया या कार्य संचालन का विनियमन करने की अथवा व्यवस्था बनाए रखने की शक्तियां निहित हैं, उन शक्तियों के अपने द्वारा प्रयोग के विषय में किसी न्यायालय की अधिकारिता के अधीन नहीं होगा। |
Part VI “State” [CHAPTER III — The State Legislature] [Procedure Generally] |
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212. Courts not to inquire into proceedings of the Legislature—(1) The validity of any proceedings in the Legislature of a State shall not be called in question on the ground of any alleged irregularity of procedure. (2) No officer or member of the Legislature of a State in whom powers are vested by or under this Constitution for regulating procedure or the conduct of business, or for maintaining order, in the Legislature shall be subject to the jurisdiction of any court in respect of the exercise by him of those powers. |
🔍 Article 212 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | साधारण (General) | Article 152 |
II | कार्यपालिका (The Executive) | Article 153 – 167 |
III | राज्य का विधान मंडल (The State Legislature) | Article 168 – 212 |
IV | राज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor) | Article 213 |
V | राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States) | Article 214 – 232 |
VI | अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) | Article 233 – 237 |
जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 3 का नाम है “राज्य का विधान मंडल (The State Legislature)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 158 से लेकर अनुच्छेद 212 तक है।
इस अध्याय को आठ उप-अध्यायों (sub-chapters) में बांटा गया है, जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;
Chapter 3 [Sub-Chapters] | Articles |
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साधारण (General) | Article 168 – 177 |
राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी (Officers of the State Legislature) | Article 178 – 187 |
कार्य संचालन (Conduct of Business) | Article 188 – 189 |
सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualifications of Members) | Article 190 – 193 |
राज्यों के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (Powers, privileges and immunities of State Legislatures and their members) | Article 194 – 195 |
विधायी प्रक्रिया (Legislative Procedure) | Article 196 – 201 |
वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in respect of financial matters) | Article 202 – 207 |
साधारण प्रक्रिया (Procedure Generally) | Article 208 – 212 |
इस लेख में हम साधारण प्रक्रिया (Procedure Generally) के तहत आने वाले अनुच्छेद 212 को समझने वाले हैं।
⚫ अनुच्छेद 122 – भारतीय संविधान |
| अनुच्छेद 212 – न्यायालयों द्वारा विधान-मंडल की कार्यवाहियों की जांच न किया जाना (Courts not to inquire into proceedings of the Legislature)
भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और जिस तरह से केंद्र में विधायिका (Legislature) होता है उसी तरह से राज्य का भी अपना एक विधायिका होता है।
◾ केन्द्रीय विधायिका (Central Legislature) को भारत की संसद (Parliament of India) कहा जाता है। यह एक द्विसदनीय विधायिका है, जिसका अर्थ है कि इसमें दो सदन हैं: लोकसभा (लोगों का सदन) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद)। इसी तरह से राज्यों के लिए भी व्यवस्था की गई है।
अनुच्छेद 168(1) के तहत प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमंडल (Legislature) की व्यवस्था की गई है और यह विधानमंडल एकसदनीय (unicameral) या द्विसदनीय (bicameral) हो सकती है।
जिस तरह से अनुच्छेद 122 के तहत केंद्र के लिए न्यायालयों द्वारा संसद की कार्यवाहियों की जांच न किए जाने की व्यवस्था की गई है उसी तरह से अनुच्छेद 212 के तहत राज्यों के लिए न्यायालयों द्वारा विधान-मंडल की कार्यवाहियों की जांच न किए जाने की व्यवस्था की गई है।
अनुच्छेद 212 के तहत दो खंड आते हैं;
अनुच्छेद 212 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि राज्य के विधान-मंडल की किसी कार्यवाही की विधिमान्यता को प्रक्रिया की किसी अभिकथित अनियमितता के आधार पर प्रश्नगत नहीं किया जाएगा।
हमने अनुच्छेद 194 के तहत विधानमंडलों के सदस्यों की विशेषाधिकार के बारे में समझा था कि विधानमंडल की कार्रवाई के दौरान जो भी बोला जाता है या किया जाता है उसे न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
कहने का मतलब है कि विधानमंडल में जो भी कार्यवाही होती है, उसकी विधिमान्यता को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है। भले ही उसका आधार तथाकथित प्रक्रिया की अनियमितता हो।
अनुच्छेद 122 के खंड (2) के तहत कहा गया है कि राज्य के विधान-मंडल का कोई अधिकारी या सदस्य, जिसमें इस संविधान द्वारा या इसके अधीन उस विधान-मंडल में प्रक्रिया या कार्य संचालन का विनियमन करने की अथवा व्यवस्था बनाए रखने की शक्तियां निहित हैं, उन शक्तियों के अपने द्वारा प्रयोग के विषय में किसी न्यायालय की अधिकारिता के अधीन नहीं होगा।
हम जानते हैं कि विधानमंडल के ऐसे कई सदस्य होते हैं जिनके पास विधानमंडल में प्रक्रिया या कार्य संचालन का विनियमन करने की शक्ति होती है। या उनके पास व्यवस्था बनाए रखने की शक्तियां होती है।
ये जो शक्तियाँ उन्हे प्राप्त होता है वो न्यायालय की अधिकारिता में नहीं आता है। यानि कि विधानमंडल के ऐसे सदस्यों या अधिकारी द्वारा उन शक्तियों का उपयोग कैसे किया जा रहा है, यह न्यायालय का विषय नहीं है।
कहने का अर्थ है कि विधान मण्डल के ऐसे सदस्य या अधिकारी अपनी शक्तियों का खुल कर प्रयोग कर सकते हैं। जैसे कि उदाहरण के लिए पीठासीन अध्यक्ष के पास ये शक्ति है कि अगर कोई सदस्य विधानमंडलीय आचार संहिता का पालन नहीं करता है तो उसे सदन से निष्कासित कर दें। तो ऐसे में वो व्यक्ति इस विषय को लेकर न्यायालय नहीं जा सकता है।
कुल मिलाकर, भारत की विधानमंडल की कार्यवाही भारतीय लोकतंत्र के कामकाज का एक महत्वपूर्ण पहलू है, और निर्वाचित प्रतिनिधियों को राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर चर्चा और बहस करने और भारत के नागरिकों के जीवन को प्रभावित करने वाले निर्णय लेने के लिए एक मंच प्रदान करती है।
तो यही है अनुच्छेद 212 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि ◾ भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview |
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |