यह लेख Article 214 (अनुच्छेद 214) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 214 (Article 214) – Original
भाग 6 “राज्य” [अध्याय 5 — राज्य का विधान मंडल] [राज्यों के उच्च न्यायालय] |
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214. राज्यों के लिए उच्च न्यायालय— 1*** प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय होगा। ================ 1. संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा (1-11-1956 से) कोष्ठक और अंक “(1)” का लोप किया गया। |
Part VI “State” [CHAPTER V — The State Legislature] [The High Courts in the States] |
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214. High Courts for States— 1*** There shall be a High Court for each State. 2(2)* * * * 2(3)* * * * =================== 1. The bracket and figure “(1)” omitted by the Constitution (Seventh Amendment) Act, 1956, s. 29 and Sch. (w.e.f. 1-11-1956). 2. Cls. (2) and (3) omitted by s. 29 and Sch., ibid. (w.e.f. 1-11-1956). |
🔍 Article 214 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | साधारण (General) | Article 152 |
II | कार्यपालिका (The Executive) | Article 153 – 167 |
III | राज्य का विधान मंडल (The State Legislature) | Article 168 – 212 |
IV | राज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor) | Article 213 |
V | राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States) | Article 214 – 232 |
VI | अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) | Article 233 – 237 |
जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 5 का नाम है “राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 214 से लेकर 232 तक है। इस लेख में हम अनुच्छेद 214 को समझने वाले हैं;
⚫ अनुच्छेद 124 – भारतीय संविधान |
| अनुच्छेद 214 – राज्यों के लिए उच्च न्यायालय (High Courts for States)
न्याय (Justice) लोकतंत्र का एक आधारभूत स्तंभ है क्योंकि यह व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है, कानून के शासन को बनाए रखता है, संघर्ष के समाधान की सुविधा देता है और निष्पक्षता और समानता को बढ़ावा देता है। यह लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करता है और समाज की समग्र भलाई और स्थिरता में योगदान देता है।
भारत में इसे सुनिश्चित करने के लिए संविधान द्वारा एकीकृत न्यायिक व्यवस्था (Integrated Judiciary System) की शुरुआत की गई है। इस व्यवस्था में उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) सबसे शीर्ष पर आता है, उसके बाद राज्यों उच्च न्यायालय (High Court) आता है और फिर उसके बाद जिलों का अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Court)।
संविधान का भाग 5, अध्याय IV संघीय न्यायालय यानि कि उच्चतम न्यायालय की बात करता है (जिसे कि हम पहले ही समझ चुके हैं)। संविधान का भाग 6, अध्याय V, राज्यों के उच्च न्यायालय की बात करता है (इसे ही हम आने वाले अनुच्छेदों में समझने वाले हैं)।
अनुच्छेद 214 के तहत कहा गया है कि प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय होगा।
भारत के उच्च न्यायालय भारत के प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में अपीलीय क्षेत्राधिकार की सर्वोच्च अदालतें हैं। वे कुछ मामलों में मूल क्षेत्राधिकार वाली अदालतें भी हैं, जैसे रिट जारी करना।
उच्च न्यायालयों की स्थापना भारत के संविधान के अनुच्छेद 214 के तहत की जाती है। हालांकि भारत में हाइ कोर्ट का इतिहास सुप्रीम कोर्ट से भी पुराना है। कितना पुराना है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि तीन उच्च न्यायालय का गठन 1862 में ही हो चुका था; कलकत्ता, बंबई और मद्रास में। उस समय ब्रिटिश भारत के जिस-जिस प्रांत में उच्च न्यायालय की स्थापना हुई वही स्वतंत्रता के बाद उस राज्य का उच्च न्यायालय बन गया।
उच्च न्यायालयों के पास शक्तियों और कार्यों की एक विस्तृत श्रृंखला है। वे दीवानी और फौजदारी दोनों निचली अदालतों से अपील सुन सकते हैं। वे व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, जैसे रिट भी जारी कर सकते हैं।
भारतीय न्यायिक प्रणाली में उच्च न्यायालय एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि देश के कानून निष्पक्ष और उचित तरीके से लागू हों।
यहाँ उच्च न्यायालयों के कुछ महत्वपूर्ण कार्य हैं:
- निचली अदालतों, दीवानी और फौजदारी दोनों से अपीलें सुनना।
- व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए रिट जारी करना।
- चुनाव याचिकाओं की सुनवाई करना और अपने संबंधित राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में चुनावों की निगरानी करना।
- संविधान और देश के कानूनों की व्याख्या करना।
- अल्पसंख्यकों और वंचितों के अधिकारों की रक्षा करना।
- सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों को बढ़ावा देना।
कुल मिलाकर उच्च न्यायालय भारतीय लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने और कानून के शासन को कायम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस अनुच्छेद में और ज्यादा कुछ नहीं है, आगे आने वाले अनुच्छेदों में हम इसे और विस्तार से समझेंगे;
तो यही है अनुच्छेद 214, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India): Overview ◾ उच्च न्यायालय (High Court): गठन, भूमिका, स्वतंत्रता |
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |