यह लेख Article 223 (अनुच्छेद 223) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
Bell आइकॉन पर क्लिक करके हमारे नोटिफ़िकेशन सर्विस को Allow कर दें ताकि आपको हरेक नए लेख की सूचना आसानी से प्राप्त हो जाए। साथ ही नीचे दिए गए हमारे सोशल मीडिया हैंडल से जुड़ जाएँ और नवीनतम विचार-विमर्श का हिस्सा बनें। खासकर के टेलीग्राम और यूट्यूब से जरूर जुड़ जाएं; |
📜 अनुच्छेद 223 (Article 223) – Original
भाग 6 “राज्य” [अध्याय 5 — राज्य का विधान मंडल] [राज्यों के उच्च न्यायालय] |
---|
223. कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति की नियुक्ति — जब किसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति का पद रिक्त हैं या जब ऐसा मुख्य न्यायमूर्ति अनुपस्थिति के कारण या अन्यथा अपने पद के कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ है तब न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों में से ऐसा एक न्यायाधीश, जिसे राष्ट्रपति इस प्रयोजन के लिए नियुक्त करे, उस पद के कर्तव्यों का पालन करेगा। |
Part VI “State” [CHAPTER V — The State Legislature] [The High Courts in the States] |
---|
223. Appointment of acting Chief Justice— When the office of Chief Justice of a High Court is vacant or when any such Chief Justice is, by reason of absence or otherwise, unable to perform the duties of his office, the duties of the office shall be performed by such one of the other Judges of the Court as the President may appoint for the purpose. |
🔍 Article 223 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
---|---|---|
I | साधारण (General) | Article 152 |
II | कार्यपालिका (The Executive) | Article 153 – 167 |
III | राज्य का विधान मंडल (The State Legislature) | Article 168 – 212 |
IV | राज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor) | Article 213 |
V | राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States) | Article 214 – 232 |
VI | अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) | Article 233 – 237 |
जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 5 का नाम है “राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 214 से लेकर 232 तक है। इस लेख में हम अनुच्छेद 223 को समझने वाले हैं;
⚫ अनुच्छेद 126 – भारतीय संविधान |
| अनुच्छेद 223 – कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति की नियुक्ति (Appointment of acting Chief Justice)
न्याय (Justice) लोकतंत्र का एक आधारभूत स्तंभ है क्योंकि यह व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है, कानून के शासन को बनाए रखता है, संघर्ष के समाधान की सुविधा देता है और निष्पक्षता और समानता को बढ़ावा देता है। यह लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करता है और समाज की समग्र भलाई और स्थिरता में योगदान देता है।
भारत में इसे सुनिश्चित करने के लिए संविधान द्वारा एकीकृत न्यायिक व्यवस्था (Integrated Judiciary System) की शुरुआत की गई है। इस व्यवस्था में उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) सबसे शीर्ष पर आता है, उसके बाद राज्यों उच्च न्यायालय (High Court) आता है और फिर उसके बाद जिलों का अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Court)।
संविधान का भाग 6, अध्याय V, राज्यों के उच्च न्यायालय की बात करता है। जिस तरह से अनुच्छेद 126 के तहत सुप्रीम कोर्ट के संदर्भ में कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति की नियुक्ति (Appointment of acting Chief Justice) की व्यवस्था की गई है उसी तरह से अनुच्छेद 223 के तहत उच्च न्यायालय के संदर्भ में कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति की नियुक्ति का वर्णन है।
अनुच्छेद 223 के तहत कहा गया है कि जब किसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति का पद रिक्त हैं या जब ऐसा मुख्य न्यायमूर्ति अनुपस्थिति के कारण या अन्यथा अपने पद के कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ है तब न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों में से ऐसा एक न्यायाधीश, जिसे राष्ट्रपति इस प्रयोजन के लिए नियुक्त करे, उस पद के कर्तव्यों का पालन करेगा।
सुप्रीम कोर्ट की तरह ही राष्ट्रपति किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उस उच्च न्यायालय का कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश (Acting Chief Justice) नियुक्त कर सकता है। जब,
(1) या तो उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पद रिक्त हो; या,
(2) उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश अस्थायी रूप से अनुपस्थित हो; या,
(3) यदि मुख्य न्यायाधीश अपने कार्य निर्वाहन में अक्षम हो।
ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों में से किसी एक न्यायाधीश को इस पद के लिए नियुक्त कर सकता है। और वह उस पद के कर्तव्यों का पालन करेगा।
तो यही है अनुच्छेद 223, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
Related MCQs with Explanation
| Related Article
⚫ अनुच्छेद 224 – भारतीय संविधान |
⚫ अनुच्छेद 222 – भारतीय संविधान |
⚫ भारतीय संविधान ⚫ संसद की बेसिक्स ⚫ मौलिक अधिकार बेसिक्स ⚫ भारत की न्यायिक व्यवस्था ⚫ भारत की कार्यपालिका |
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |