यह लेख Article 224 (अनुच्छेद 224) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 224 (Article 224) – Original

भाग 6 “राज्य” [अध्याय 5 — राज्य का विधान मंडल] [राज्यों के उच्च न्यायालय]
1[224. अपर और कार्यकारी न्यायाधीशों की नियुक्ति — (1) यदि किसी उच्च न्यायालय के कार्य में किसी अस्थायी वृद्धि के कारण या कार्य की बकाया के कारण राष्ट्रपति को यह प्रतीत होता है कि उस न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या को तत्समय बढ़ा देना चाहिए 2[तो राष्ट्रपति, राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के परामर्श से, सम्यक्‌ रूप से] अर्हित व्यक्तियों को दो वर्ष से अनधिक की ऐसी अवधि के लिए जो वह विनिर्दिष्ट करे, उस न्यायालय के अपर न्यायाधीश नियुक्त कर सकेगा।

(2) जब किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायमूर्ति से भिन्‍न कोई न्यायाधीश अनुपस्थिति के कारण या अन्य कारण से अपने पद के कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ है या मुख्य न्यायमूर्ति के रूप में अस्थायी रूप से कार्य करने के लिए नियुक्त किया जाता है 3[तो राष्ट्रपति, राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के परामर्श से, सम्यक्‌ रूप से] अर्हित किसी व्यक्ति को तब तक के लिए उस न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करने के लिए नियुक्त कर सकेगा जब तक स्थायी न्यायाधीश अपने कर्तव्यों को फिर से नहीं संभाल लेता हैं।

(3) उच्च न्यायालय के अपर या कार्यकारी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त कोई व्यक्ति 4[बासठ वर्ष] की आयु प्राप्त कर लेने के पश्चात्‌ पद धारण नहीं करेगा।
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1. संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 5 द्वारा अनुच्छेद 224 के स्थान पर (1-11-1956 से) प्रतिस्थापित।
2. संविधान (निन्यानवेवां संशोधन) अधिनियम, 2014 की धारा 8 द्वारा (13-4-2015 से) “तो राष्ट्रपति सम्यक रुप से” के स्थान पर प्रतिस्थापित। यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स आन रिकार्ड एसोसिएशन बनाम भारत संघ ए.आई.आर. 2016 एस.सी. 117 में उच्चतम न्यायालय के तारीख 16 अक्तूबर, 2015 के आदेश द्वारा अभिखंडित कर दिया गया है।
3. संविधान (निन्यानवेवां संशोधन) अधिनियम, 2014 का धारा 8 द्वारा (13-4-2015 से) “तब राष्ट्रपति सम्यक्‌ रुप से” के स्थान पर प्रतिस्थापित। यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स आन रिकार्ड एसोसिएशन बनाम भारत संघ ए.आई.आर. 2016 एस.सी. 117 में उच्चतम न्यायालय के तारीख 16 अक्तूबर, 2015 के आदेश द्वारा अभिखंडित कर दिया गया है।
4. संविधान (पंद्रहवां संशोधन) अधिनियम, 1963 की धारा 6 द्वारा साठ वर्ष” के स्थान पर (5-10-1963 से) प्रतिस्थापित।
अनुच्छेद 224 हिन्दी संस्करण

Part VI “State” [CHAPTER V — The State Legislature] [The High Courts in the States]
1[224. Appointment of additional and acting Judges— (1) If by reason of any temporary increase in the business of a High Court or by reason of arrears of work therein, it appears to the President that the number of the Judges of that Court should be for the time being increased, 2[the President may, in consultation with the National Judicial Appointments Commission, appoint] duly qualified persons to be additional Judges of the Court for such period not exceeding two years as he may specify.

(2) When any Judge of a High Court other than the Chief Justice is by reason of absence or for any other reason unable to perform the duties of his office or is appointed to act temporarily as Chief Justice, 3[the President may,
in consultation with the National Judicial Appointments Commission, appoint] a duly qualified person to act as a Judge of that Court until the permanent Judge has resumed his duties.

(3) No person appointed as an additional or acting Judge of a High Court shall hold office after attaining the age of 4[sixty-two years.]]
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1. Subs. by the Constitution (Seventh Amendment) Act, 1956, s. 15 for art. 224 (w.e.f. 1-11-1956).
2. Subs. by the Constitution (Ninety-ninth Amendment) Act, 2014, s. 8, for “the President may appoint” (w.e.f. 13-4-2015). This amendment has been struck down, by the Supreme Court in the case of Supreme Court Advocates-on-Record Association and Another Vs. Union of India in its judgment, dated 16-10-2015, AIR 2016 SC 117.
3. Subs. by the Constitution (Ninety-ninth Amendment) Act, 2014, s. 8 for “the President may appoint” (w.e.f. 13-4-2015). This amendment has been struck down by the Supreme Court in the case of Supreme Court Advocates-on-Record Association and Another Vs. Union of India in its judgment, dated 16-10-2015, AIR 2016 SC 117.
5. Subs. by the Constitution (Fifteenth Amendment) Act, 1963, s. 6, for “sixty years” (w.e.f. 5-10-1963).
Article 224 English Version

🔍 Article 224 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iसाधारण (General)Article 152
IIकार्यपालिका (The Executive)Article 153 – 167
IIIराज्य का विधान मंडल (The State Legislature)Article 168 – 212
IVराज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor)Article 213
Vराज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States)Article 214 – 232
VIअधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts)Article 233 – 237
[Part 6 of the Constitution]

जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 5 का नाम है “राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 214 से लेकर 232 तक है। इस लेख में हम अनुच्छेद 224 को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद 217 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 224 – अपर और कार्यकारी न्यायाधीशों की नियुक्ति (Appointment of additional and acting Judges)

न्याय (Justice) लोकतंत्र का एक आधारभूत स्तंभ है क्योंकि यह व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है, कानून के शासन को बनाए रखता है, संघर्ष के समाधान की सुविधा देता है और निष्पक्षता और समानता को बढ़ावा देता है। यह लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करता है और समाज की समग्र भलाई और स्थिरता में योगदान देता है।

भारत में इसे सुनिश्चित करने के लिए संविधान द्वारा एकीकृत न्यायिक व्यवस्था (Integrated Judiciary System) की शुरुआत की गई है। इस व्यवस्था में उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) सबसे शीर्ष पर आता है, उसके बाद राज्यों उच्च न्यायालय (High Court) आता है और फिर उसके बाद जिलों का अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Court)।

संविधान का भाग 6, अध्याय V, राज्यों के उच्च न्यायालय की बात करता है। अनुच्छेद 224 के तहत उच्च न्यायालय के संदर्भ में अपर और कार्यकारी न्यायाधीशों की नियुक्ति (Appointment of additional and acting Judges) का वर्णन है। इस अनुच्छेद के तहत कुल तीन खंड है;

अनुच्छेद 224 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि यदि किसी उच्च न्यायालय के कार्य में किसी अस्थायी वृद्धि के कारण या कार्य की बकाया के कारण राष्ट्रपति को यह प्रतीत होता है कि उस न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या को तत्समय बढ़ा देना चाहिए तो राष्ट्रपति, सम्यक्‌ रूप से अर्हित व्यक्तियों को दो वर्ष से अनधिक की ऐसी अवधि के लिए जो वह विनिर्दिष्ट करे, उस न्यायालय के अपर न्यायाधीश नियुक्त कर सकेगा।

राष्ट्रपति कुछ खास परिस्थितियों में योग्य व्यक्तियों को हाई कोर्ट के अपर या अतिरिक्त न्यायाधीश (Additional Judge) के रूप में अस्थायी रूप से नियुक्त कर सकते हैं, जिसकी अवधि और दो वर्ष से अधिक की नहीं होगी;

(1) यदि अस्थायी रूप से हाई कोर्ट का कामकाज बढ़ गया हो; या,
(2) उच्च न्यायालय में बकाया कार्य अधिक हो।

अनुच्छेद 224 के खंड (2) के तहत कहा गया है कि जब किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायमूर्ति से भिन्‍न कोई न्यायाधीश अनुपस्थिति के कारण या अन्य कारण से अपने पद के कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ है या मुख्य न्यायमूर्ति के रूप में अस्थायी रूप से कार्य करने के लिए नियुक्त किया जाता है तो राष्ट्रपति, सम्यक्‌ रूप से अर्हित किसी व्यक्ति को तब तक के लिए उस न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करने के लिए नियुक्त कर सकेगा जब तक स्थायी न्यायाधीश अपने कर्तव्यों को फिर से नहीं संभाल लेता हैं।

राष्ट्रपति कुछ खास परिस्थितियों में योग्य व्यक्तियों को हाई कोर्ट के कार्यकारी न्यायाधीश (Acting Judges) के रूप में अस्थायी रूप से नियुक्त कर सकते हैं;

(1) जब हाई कोर्ट का न्यायाधीश (मुख्य न्यायाधीश के अलावा) अनुपस्थिति हो; या,
(2) अन्य कारणों से अपने कार्यों का निष्पादन करने में असमर्थ हो; या,
(3) किसी न्यायाधीश को अनुच्छेद 223 के तहत अस्थायी तौर पर संबन्धित उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया हो।

इस तरह से नियुक्त किसी व्यक्ति को तब तक के लिए उस न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करने के लिए नियुक्त किया जा सकेगा जब तक स्थायी न्यायाधीश अपने कर्तव्यों को फिर से नहीं संभाल लेता हैं।

अनुच्छेद 224 के खंड (3) के तहत कहा गया है कि उच्च न्यायालय के अपर या कार्यकारी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त कोई व्यक्ति बासठ वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने के पश्चात्‌ पद धारण नहीं करेगा।

आपको याद होगा कि अनुच्छेद 217 के खंड (1) के तहत हमने समझा था कि संविधान में हाई कोर्ट के न्यायाधीशों का कार्यकाल निर्धारित किया नहीं गया है, बस यह बताया गया है कि उच्च न्यायालय का न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपना पद धारण कर सकता है।

लेकिन अपर (Additional) या कार्यकारी न्यायाधीश (acting Judge) की दशा में उच्च न्यायालय का न्यायाधीश अनुच्छेद 224 में उपबंधित प्रावधान के अनुसार अपना पद धारण करेगा।

तो अनुच्छेद 224 के इस खंड के तहत अपर या कार्यकारी न्यायाधीश (Additional or Acting Judge) के रूप में नियुक्त कोई व्यक्ति बासठ वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने के पश्चात्‌ पद धारण नहीं करेगा।

कुल मिलाकर उच्च न्यायालय का न्यायाधीश (अपर या कार्यकारी न्यायाधीश सहित) 62 वर्ष की आयु तक अपना पद धारण कर सकता है।

तो यही है Article 224 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

◾ उच्च न्यायालय (High Court): गठन, भूमिका, स्वतंत्रता
Article 224

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial

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Chapter Wise Polity Quiz

उच्च न्यायालय बेसिक्स अभ्यास प्रश्न

  1. Number of Questions – 8 
  2. Passing Marks – 75  %
  3. Time – 6 Minutes
  4. एक से अधिक विकल्प सही हो सकते हैं।

1 / 8

उच्च न्यायालय (high Court) के संबंध में दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. अनुच्छेद 214 के तहत प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय की व्यवस्था की गई है.
  2. उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार केवल उस राज्य तक ही सीमित रह सकती है।
  3. 2021 तक भारत में 24 उच्च न्यायालय अस्तित्व में है।
  4. बंबई उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित है।

2 / 8

दिए गए कथनों में से सही कथन की पहचान करें;

  1. अनुच्छेद 224 के तहत राष्ट्रपति कुछ खास परिस्थितियों में योग्य व्यक्तियों को हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीशों के रूप में अस्थायी रूप से नियुक्त कर सकते हैं.
  2. उच्च न्यायालय में सेवानिवृत न्यायाधीश भी काम कर सकते हैं।
  3. अनुच्छेद 224 (क) अतिरिक्त और कार्यकारी न्यायाधीश से संबंधित है।
  4. उच्च न्यायालय के न्यायधीश को संसद द्वारा उसी विधि से हटाया जा सकता है जिस विधि से उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है।

3 / 8

संविधान का कौन सा भाग उच्च न्यायालय से संबन्धित है?

4 / 8

दिए गए कथनों में से सही कथन की पहचान करें;

  1. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा का शपथ लेता है।
  2. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के कार्यकाल की समाप्ति 65 वर्ष की आयु में होती है।
  3. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने के लिए न्यायाधीश जांच अधिनियम 1968 का सहारा लेना पड़ सकता है।
  4. अनुच्छेद 222 उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के स्थानांतरण से संबन्धित है।

5 / 8

संविधान के किस संशोधन द्वारा संसद को अधिकार दिया गया है कि वह दो या दो से अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय की स्थापना कर सकेगी?

6 / 8

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के संदर्भ में दिए गए कथनों में से सही कथन की पहचान करें;

  1. उच्च न्यायालय में कितने न्यायाधीश होंगे यह उच्चतम न्यायालय तय करता है।
  2. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राज्यपाल करता है।
  3. किसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए कम से कम 10 वर्षों तक उसी न्यायालय में अधिवक्ता रहना जरूरी है।
  4. संविधान में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्त के लिए कोई न्यूनतम आयु सीमा निर्धारित नहीं है

7 / 8

निम्न में से कौन सी बातें उच्च न्यायालय की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करता है?

8 / 8

किन स्थितियों में अनुच्छेद 223 के तहत राष्ट्रपति किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उच्च न्यायालय का ‘कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश’ नियुक्त कर सकता है?

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संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
Important Pages of Compilation
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।