यह लेख Article 239AA (अनुच्छेद 239AA) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 239AA (Article 239AA) – Original

भाग 8 [संघ राज्य क्षेत्र]
*[239AA. दिल्‍ली के संबंध में विशेष उपबंध (1) संविधान (उनहत्तरवां संशोधन) अधिनियम, 1991] के प्रारंभ से दिल्‍ली संघ राज्यक्षेत्र को दिल्‍ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र (जिसे इस भाग में इसके पश्चात्‌ राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र कहा गया है) कहा जाएगा और अनुच्छेद 239 के अधीन नियुक्त उसके प्रशासक का पदाभिधान उप-राज्यपाल होगा।

(2)(क) राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र के लिए एक विधान सभा होगी और ऐसी विधान सभा में स्थान राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र में प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों में से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने हुए सदस्यों से भरे जाएंगे।

(ख) विधान सभा में स्थानों की कुल संख्या, अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित स्थानों की संख्या, राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र के प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों में विभाजन (जिसके अंतर्गत ऐसे विभाजन का आधार है) तथा विधान सभा के कार्यकरण से संबंधित सभी अन्य विषयों का विनियमन, संसद्‌ द्वारा बनाई गई विधि द्वारा किया जाएगा।

(ग) अनुच्छेद 324 से अनुच्छेद 327 और अनुच्छेद 329 के उपबंध राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र, राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र की विधान सभा और उसके सदस्यों के संबंध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे, किसी राज्य, किसी राज्य की विधान सभा और उसके सदस्यों के संबंध में लागू होते हैं तथा अनुच्छेद 326 और अनुच्छेद 329 में “समुचित विधान-मंडल” के प्रति निर्देश के बारे में यह समझा जाएगा कि वह संसद्‌ के प्रति निर्देश है।

(3)(क) इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए, विधान सभा को राज्य सूची की प्रविष्टि 1 , प्रविष्टि 2 और प्रविष्टि 18 से तथा उस सूची की प्रविष्टि 64, प्रविष्टि 65 और प्रविष्टि 66 से, जहां तक उनका संबंध उक्त प्रविष्टि 1, प्रविष्टि 2 और प्रविष्टि 18 से है, संबंधित विषयों से भिन्‍न राज्य सूची में या समवर्ती सूची में प्रगणित किसी भी विषय के संबंध में, जहां तक ऐसा कोई विषय संघ राज्यक्षेत्रों को लागू है, संपूर्ण राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए विधि बनाने की शक्ति होगी।

(ख) उपखंड (क) की किसी बात से संघ राज्यक्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए किसी भी विषय के संबंध में इस संविधान के अधीन विधि बनाने की संसद्‌ की शक्ति का अल्पीकरण नहीं होगा।

(ग) यदि विधान सभा द्वारा किसी विषय के संबंध में बनाई गई विधि का कोई उपबंध संसद्‌ द्वारा उस विषय के संबंध में बनाई गई विधि के, चाहे वह विधान सभा द्वारा बनाई गई विधि से पहले या उसके बाद में पारित की गई हो, या किसी पूर्वतर विधि के, जो विधान सभा द्वारा बनाई गई विधि से भिन्न है, किसी उपबंध के विरुद्ध है तो, दोनों दशाओं में, यथास्थिति, संसद्‌ द्वारा बनाई गई विधि, या ऐसी पूर्वतर विधि अभिभावी होगी और विधान सभा द्वारा बनाई गई विधि उस विरोध की मात्रा तक शून्य होगी

परंतु यदि विधान सभा द्वारा बनाई गई किसी ऐसी विधि को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रखा गया है और उस पर उसकी अनुमति मिल गई है तो ऐसी विधि राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र में अभिभावी होगी.

परंतु यह और कि इस उपखंड की कोई बात संसद्‌ को उसी विषय के संबंध में कोई विधि, जिसके अंतर्गत ऐसी विधि है जो विधान सभा द्वारा इस प्रकार बनाई गई विधि का परिवर्धन, संशोधन, परिवर्तन या निरसन करती है, किसी भी समय अधिनियमित करने से निवारित नहीं करेगी।

(4) जिन बातों में किसी विधि द्वारा या उसके अधीन उप-राज्यपाल से यह अपेक्षित है कि वह अपने विवेकानुसार कार्य करे उन बातों को छोड़कर, उप-राज्यपाल की, उन विषयों के संबंध में, जिनकी बाबत विधान सभा को विधि बनाने की शक्ति है, अपने कृत्यों का प्रयोग करने में सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रि-परिषद्‌ होगी जो विधान सभा की कुल सदस्य संख्या के दस प्रतिशत से अनधिक सदस्यों से मिलकर बनेगी, जिसका प्रधान, मुख्यमंत्री होगा.

परंतु उप-राज्यपाल और उसके मंत्रियों के बीच किसी विषय पर मतभेद की दशा में, उप-राज्यपाल उसे राष्ट्रपति को विनिश्वय के लिए निर्देशित करेगा और राष्ट्रपति द्वारा उस पर किए गए विनिश्चय के अनुसार कार्य करेगा तथा ऐसा विनिश्वय होने तक उप-राज्यपाल किसी ऐसे मामले में, जहां वह विषय, उसकी राय में, इतना आवश्यक है जिसके कारण तुरन्त कार्रवाई करना उसके लिए आवश्यक है वहां, उस विषय में ऐसी कार्रवाई करने या ऐसा निदेश देने के लिए, जो वह आवश्यक समझे, सक्षम होगा।

(5) मुख्यमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री की सलाह पर करेगा तथा मंत्री, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त अपने पद धारण करेंगे।

(6) मंत्रि-परिषद्‌ विधान सभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी ।

1[(7)(क)] संसद, पूर्वगामी खंडों को प्रभावी करने के लिए, या उनमें अंतर्विष्ट उपबंधों की अनुपूर्ति के लिए और उनके आनुषंगिक या पारिणामिक सभी विषयों के लिए, विधि द्वारा, उपबंध कर सकेगी।

2[(ख) उपखंड (क) में निर्दिष्ट विधि को, अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए इस संविधान का संशोधन इस बात के होते हुए भी नहीं समझा जाएगा कि उसमें कोई ऐसा उपबंध अंतर्विष्ट है जो इस संविधान का संशोधन करता है या संशोधन करने का प्रभाव रखता है।]

(8) अनुच्छेद 239ख के उपबंध, जहां तक हो सके, राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र, उप-राज्यपाल और विधान सभा के संबंध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे 3[पुड़चेरी] संघ राज्यक्षेत्र, प्रशासक और उसके विधान-मंडल के संबंध में लागू होते हैं ; और उस अनुच्छेद में “अनुच्छेद 239क के खंड (1)” के प्रति निर्देश के बारे में यह समझा जाएगा कि वह, यथास्थिति, इस अनुच्छेद या अनुच्छेद 239कख के प्रति निर्देश है।
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*.संविधान (उनहतरवां संशोधन) अधिनियम, 1991 का धारा 2 द्वारा (1-2-1992 से) अंतःस्थापित।
1. संविधान (सत्तरवां संशोधन) अधिनियम, 1992 की धारा 3 द्वारा (21-12-1991 से) “(7)” के स्थान पर प्रतिस्थापित।
2. संविधान (सत्तरवां संशोधन) अधिनियम, 1992 की धारा 3 द्वारा (21-12-1991 से) अंतःस्थापित।
3. पांडिचेरी (नाम परिवर्तन) अधिनियम, 2006 (2006 का 44) की धारा 4 द्वारा (-0-2006 से) “पांडिचेरी” के स्थान पर प्रतिस्थापित।
अनुच्छेद 239AA हिन्दी संस्करण

Part VIII [THE UNION TERRITORIES]
*[239AA. Special provisions with respect to Delhi (1) As from the date of commencement of the Constitution (Sixty-ninth Amendment) Act, 1991, the Union territory of Delhi shall be called the National Capital Territory of Delhi (hereafter in this Part referred to as the National Capital Territory) and the administrator thereof appointed under article 239 shall be designated as the Lieutenant Governor.

(2)(a) There shall be a Legislative Assembly for the National Capital Territory and the seats in such Assembly shall be filled by members chosen by direct election from territorial constituencies in the National Capital Territory.

(b) The total number of seats in the Legislative Assembly, the number of seats reserved for Scheduled Castes, the division of the National Capital Territory into territorial constituencies (including the basis for such division) and all other matters relating to the functioning of the Legislative Assembly shall be regulated by law made by Parliament.

(c) The provisions of articles 324 to 327 and 329 shall apply in relation to the National Capital Territory, the Legislative Assembly of the National Capital Territory and the members thereof as they apply, in relation to a State, the Legislative Assembly of a State and the members thereof respectively; and any reference in articles 326 and 329 to “appropriate Legislature” shall be deemed to be a reference to Parliament.

(3) (a) Subject to the provisions of this Constitution, the Legislative Assembly shall have power to make laws for the whole or any part of the National Capital Territory with respect to any of the matters enumerated in the
State List or in the Concurrent List in so far as any such matter is applicable to Union territories except matters with respect to Entries 1, 2 and 18 of the State List and Entries 64, 65 and 66 of that List in so far as they relate to the said Entries 1, 2 and 18.

(b) Nothing in sub-clause (a) shall derogate from the powers of Parliament under this Constitution to make laws with respect to any matter for a Union territory or any part thereof.

(c) If any provision of a law made by the Legislative Assembly with respect to any matter is repugnant to any provision of a law made by Parliament with respect to that matter, whether passed before or after the law made by the Legislative Assembly, or of an earlier law, other than a law made by the Legislative Assembly, then, in either case, the law made by Parliament, or, as the case may be, such earlier law, shall prevail and the law made by the Legislative Assembly shall, to the extent of the repugnancy, be void:

Provided that if any such law made by the Legislative Assembly has been reserved for the consideration of the President and has received his assent, such law shall prevail in the National Capital Territory:

Provided further that nothing in this sub-clause shall prevent Parliament from enacting at any time any law with respect to the same matter including a law adding to, amending, varying or repealing the law so made by the
Legislative Assembly.

(4) There shall be a Council of Ministers consisting of not more than ten per cent. of the total number of members in the Legislative Assembly, with the Chief Minister at the head to aid and advise the Lieutenant Governor in the exercise of his functions in relation to matters with respect to which the Legislative Assembly has power to make laws, except in so far as he is, by or under any law, required to act in his discretion:

Provided that in the case of difference of opinion between the Lieutenant Governor and his Ministers on any matter, the Lieutenant Governor shall refer it to the President for decision and act according to the decision given thereon by the President and pending such decision it shall be competent for the Lieutenant Governor in any case where the matter, in his opinion, is so urgent that it is necessary for him to take immediate action, to take such action or to give such direction in the matter as he deems necessary.

(5) The Chief Minister shall be appointed by the President and other Ministers shall be appointed by the President on the advice of the Chief Minister and the Ministers shall hold office during the pleasure of the President.

(6) The Council of Ministers shall be collectively responsible to the Legislative Assembly.

1[(7) (a)] Parliament may, by law, make provisions for giving effect to, or supplementing the provisions contained in the foregoing clauses and for all matters incidental or consequential thereto.

2[(b) Any such law as is referred to in sub-clause (a) shall not be deemed to be an amendment of this Constitution for the purposes of article 368 notwithstanding that it contains any provision which amends or has the effect
of amending, this Constitution.]

(8) The provisions of article 239B shall, so far as may be, apply in relation to the National Capital Territory, the Lieutenant Governor and the Legislative Assembly, as they apply in relation to the Union territory of
3[Puducherry], the administrator and its Legislature, respectively; and any reference in that article to “clause (1) of article 239A” shall be deemed to be a reference to this article or article 239AB, as the case may be.
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* Ins. by the Constitution (Sixty-ninth Amendment) Act, 1991, s. 2 (w.e.f. 1-2-1992).
1. Subs. by the Constitution (Seventieth Amendment) Act, 1992, s. 3, for “(7)” (w.e.f. 21-12-1991).
2. Ins. by s. 3, ibid. (w.e.f. 21-12-1991).
3. Subs. by the Pondicherry (Alteration of Name) Act, 2006 (44 of 2006), s. 4, for “Pondicherry” (w.e.f. 1-10-2006).
Article 239AA English Version

🔍 Article 239AA Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 8, अनुच्छेद 239 से लेकर अनुच्छेद 242 तक विस्तारित है (जिसमें से अनुच्छेद 242 को निरसित (repealed) कर दिया गया है)।

जैसा कि हम जानते हैं कि संविधान का भाग 5 संघ सरकार के बारे में है, भाग 6 राज्य सरकार के बारे में है, उसी तरह से भाग 8 केंद्रशासित प्रदेशों के बारे में हैं। (याद रखिए संविधान में भाग 7 नहीं है, उसे साल 1956 में खत्म कर दिया गया है।) इस पूरे भाग के तहत हम मुख्य रूप से निम्नलिखित चीज़ें समझेंगे;

  • केंद्रशासित प्रदेशों का प्रशासन (administration of union territories);
  • दिल्ली के संबंध में विशेष उपबंध (Special provisions regarding Delhi);
  • केंद्रशासित प्रदेशों के लिए उच्च न्यायालय (High Court for Union Territories);
  • अध्यादेश लाने की प्रशासक की शक्ति (Administrator’s power to bring ordinance); इत्यादि।

इस लेख में हम अनुच्छेद 239A को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद 239A – भारतीय संविधान
Closely Related to Article 239AA

| अनुच्छेद 239कक – दिल्‍ली के संबंध में विशेष उपबंध (Special provisions with respect to Delhi)

भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है। लेकिन भारतीय संघीय व्यवस्था एकात्मकता (Unitary Nature) भी धारण किए हुआ है, और केंद्रशासित प्रदेश उसी को दर्शाता है, क्योंकि इसका प्रशासन केंद्र द्वारा ही किया जाता है।

भारत में अभी 8 केंद्र शासित प्रदेश है जिसमें से कुछ के पास अपना विधानमंडल भी है। और उसमें से दिल्ली सबसे प्रमुख है क्योंकि यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र है;

वैसे देखें तो यह पुडुचेरी के समान ही लगता है क्योंकि वहाँ भी एक सदनीय विधानमंडल है और यहां भी है लेकिन फिर भी दिल्ली कई मायनों में खास है; और अनुच्छेद 239AA में दिल्ली के संबंध में विशेष उपबंध (Special provisions with respect to Delhi) का जिक्र है;

अनुच्छेद 239AA के अंतर्गत कुल 8 खंड आते हैं; (आइये बारी-बारी से सभी को समझते हैं;)

Article 239AA Clause 1 Explanation

अनुच्छेद 239AA के खंड (1) के तहत कहा गया है कि संविधान (उनहत्तरवां संशोधन) अधिनियम, 1991 के प्रारंभ से दिल्‍ली संघ राज्यक्षेत्र को दिल्‍ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र (जिसे इस भाग में इसके पश्चात्‌ राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र कहा गया है) कहा जाएगा और अनुच्छेद 239 के अधीन नियुक्त उसके प्रशासक का पदाभिधान उप-राज्यपाल होगा।

अनुच्छेद 239AA मूल संविधान का हिस्सा नहीं था बल्कि इसे संविधान (उनहतरवां संशोधन) अधिनियम, 1991 की मदद से संविधान का हिस्सा बनाया गया है।

तो इस संविधान संशोधन अधिनियम के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि इस संविधान संशोधन अधिनियम के बाद से यानि कि साल 1991 से केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली को दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र (National Capital Territory of Delhi) कहा जाएगा।

दूसरी बात ये कि अनुच्छेद 239 के तहत राष्ट्रपति द्वारा जो प्रशासक (Administrator) नियुक्त किया जाएगा, उस प्रशासक को उप-राज्यपाल (Lieutenant Governor – LG) के नाम से जाना जाएगा।

Article 239AA Clause 2 Explanation

अनुच्छेद 239AA के खंड (2) तहत तीन उपखंड है;

अनुच्छेद 239AA के खंड (2) के उपखंड (क) में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र के लिए एक विधान सभा होगी और ऐसी विधान सभा में स्थान राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र में प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों में से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने हुए सदस्यों से भरे जाएंगे।

यहां दो बातें हैं;

पहली बात) राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र दिल्ली के लिए एक विधान सभा (Legislative Assembly) होगी।

दूसरी बात) इस विधान सभा के स्थानों को राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र के प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों के माध्यम से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने हुए सदस्यों से भरे जाएंगे।

प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्र (territorial constituency) – प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र चुनाव के लिए सीमांकित क्षेत्रों को संदर्भित करते हैं ताकि सभी को उचित प्रतिनिधित्व मिल सके। इसमें प्रादेशिक का आशय किसी विशेष क्षेत्र से है। निर्वाचन क्षेत्र से आशय उन लोगों के समूह से है जो किसी व्यक्ति को चुनते हैं।

प्रत्यक्ष निर्वाचन (Direct election) – प्रत्यक्ष चुनाव राजनीतिक पदाधिकारियों या जनप्रतिनिधि को चुनने की एक प्रणाली है जिसमें मतदाता सीधे उस व्यक्ति या राजनीतिक दल के लिए मतदान करते हैं जिसे वे निर्वाचित देखना चाहते हैं।

अनुच्छेद 239AA (2) के उपखंड (ख) में कहा गया है कि विधान सभा में स्थानों की कुल संख्या, अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित स्थानों की संख्या, राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र के प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों में विभाजन (जिसके अंतर्गत ऐसे विभाजन का आधार है) तथा विधान सभा के कार्यकरण से संबंधित सभी अन्य विषयों का विनियमन, संसद्‌ द्वारा बनाई गई विधि द्वारा किया जाएगा।

इस उपखंड में बताया गया है कि कौन-कौन सी चीज़ें जो इस अनुच्छेद में नहीं दी गई है जिसको लागू करने के लिए या उसे विनियमित करने के लिए संसद को विधि बनानी पड़ेगी; ऐसी चीज़ें निम्नलिखित हैं;

1) विधान सभा में स्थानों की कुल संख्या,
2) अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित स्थानों की संख्या,
3) राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र के प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों में विभाजन
4) विधान सभा के कार्यकरण से संबंधित सभी अन्य विषय

तो सवाल ये है कि क्या संसद ने ऐसी विधि बनाई है; तो जवाब है हाँ;

संसद ने साल 1991 में ही दिल्‍ली‍ राष्ट्रीय राजधानी‍ राज्‍यक्षेत्र‍ शासन‍ अधिनियम 1991 (The Government of National Capital Territory of Delhi Act, 1991) अधिनियमित किया।

इस अधिनियम के माध्यम से दिल्ली के विधानसभा और उससे संबंधित निम्नलिखित विषयों को समझ सकते हैं;

  1. Legislative Assembly and its composition.
  2. Qualifications for membership of Legislative Assembly.
  3. Duration of Legislative Assembly.
  4. Sessions of Legislative Assembly, prorogation and dissolution.
  5. Speaker and Deputy Speaker of Legislative Assembly.
  6. Speaker or Deputy Speaker not to provide while a resolution for his removal from office is under
    consideration.
  7. Right of Lieutenant Governor to address and send messages to Legislative Assembly.
  8. Special address by the Lieutenant Governor.
  9. Rights of Ministers as respects Legislative Assembly.
  10. Oath or affirmation by members.
  11. Voting in Assembly, power of Assembly to act notwithstanding vacancies and quorum.
  12. Vacation of seats.
  13. Disqualifications for membership.
  14. Disqualification on ground of defection.
  15. Penalty for sitting and voting before making oath or affirmation or when not qualified or when
    disqualified.
  16. Powers, privileges, etc., of members.
  17. Salaries and allowances of members.
  18. Exemption of property of the Union form taxation.
  19. Restrictions on laws passed by Legislative Assembly with respect to certain matters.
  20. Special provisions as to financial Bills.
  21. Procedure as to lapsing of Bills.
  22. Assent to Bills.
  23. Bills reserved for consideration.
  24. Requirements as to sanction, etc.
  25. Annual financial statement.
  26. Procedure in Legislative Assembly with respect to estimates.
  27. Appropriation Bills.
  28. Supplementary, additional or excess grants.
  29. Votes on account.
  30. Authorisation of expenditure pending its sanction by Legislative Assembly.
  31. Rules of procedure.
  32. Official language or languages of the Capital and language or languages to be used in Legislative
  33. Assembly.
  34. Language to be used for Bills, Acts, etc.
  35. Restriction on discussion in the Legislative Assembly.
  36. Courts not to inquire into proceedings of Legislative Assembly.
  37. Election Commission to delimit constituencies.
  38. Power of Election Commission to maintain delimitation orders up-to-date.
  39. Elections to the Legislative Assembly.
  40. Matters in which Lieutenant Governor to act in his sole discretion.
  41. Advice by Ministers.
  42. Other provisions as to Ministers.
  43. Conduct of business.
  44. Duties of Chief Minister as respects the furnishing of information to the Lieutenant Governor, etc.
  45. Consolidated Fund of the Capital.
  46. Contingency Fund of the Capital.
  47. Audit reports.
  48. Relation of Lieutenant Governor and his Ministers to President.
  49. Period of order made under article 239AB and approval thereof by Parliament.
  50. Authorisation of expenditure by President. Etc.

हमने यहां इस अधिनियम को विस्तार से नहीं समझाया है, क्योंकि इसे समझना कठिन नहीं है, आप नीचे दिए गए pdf को download करके पढ़ सकते हैं;

The Government of National Capital Territory of Delhi Act, 1991

दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन अधिनियम,1991

अनुच्छेद 239AA (2) के उपखंड (ग) में कहा गया है, अनुच्छेद 324 से अनुच्छेद 327 और अनुच्छेद 329 के उपबंध राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र, राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र की विधान सभा और उसके सदस्यों के संबंध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे, किसी राज्य, किसी राज्य की विधान सभा और उसके सदस्यों के संबंध में लागू होते हैं तथा अनुच्छेद 326 और अनुच्छेद 329 में “समुचित विधान-मंडल” के प्रति निर्देश के बारे में यह समझा जाएगा कि वह संसद्‌ के प्रति निर्देश है।

जैसा कि हम जानते हैं कि अनुच्छेद 324 से लेकर अनुच्छेद 329 के तहत निर्वाचन (Election) के बारे में बताया गया है। तो इस उपखंड में मुख्य रूप से दो बातें कही गई है;

पहली बात) इस उपखंड में यही बताया गया है कि अनुच्छेद 324 से अनुच्छेद 327 और अनुच्छेद 329 के उपबंध राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र, राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र की विधान सभा और उसके सदस्यों के संबंध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे, किसी राज्य, किसी राज्य की विधान सभा और उसके सदस्यों के संबंध में लागू होते हैं।

दूसरी बात) अनुच्छेद 326 और अनुच्छेद 329 में “समुचित विधान-मंडल (“appropriate Legislature)” के प्रति निर्देश के बारे में यह समझा जाएगा कि वह संसद्‌ के प्रति निर्देश है।

अनुच्छेद 324 से अनुच्छेद 329 तक क्या है इसके लिए आपको निर्वाचन समझना होगा; – भारतीय निर्वाचन व्यवस्था↗

Article 239AA Clause 3 Explanation

अनुच्छेद 239AA के खंड (3) तहत तीन उपखंड है;

अनुच्छेद 239AA के खंड (3) के उपखंड (क) के तहत कहा गया है कि इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए, विधान सभा को राज्य सूची की प्रविष्टि 1 , प्रविष्टि 2 और प्रविष्टि 18 से तथा उस सूची की प्रविष्टि 64, प्रविष्टि 65 और प्रविष्टि 66 से, जहां तक उनका संबंध उक्त प्रविष्टि 1, प्रविष्टि 2 और प्रविष्टि 18 से है, संबंधित विषयों से भिन्‍न राज्य सूची में या समवर्ती सूची में प्रगणित किसी भी विषय के संबंध में, जहां तक ऐसा कोई विषय संघ राज्यक्षेत्रों को लागू है, संपूर्ण राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए विधि बनाने की शक्ति होगी।

इस उपखंड के तहत दिल्ली के विधान सभा पर कुछ निर्बंधन (Restriction) लगाए गए हैं। इस उपखंड के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि दिल्ली विधान सभा राज्य सूची (state list) और समवर्ती सूची (concurrent list) के किसी भी विषय पर कानून बना सकती है लेकिन कुछ विषयों को छोड़कर;

वो विषय हैं राज्य सूची की प्रविष्टि 1 , प्रविष्टि 2 और प्रविष्टि 18 और साथ ही प्रविष्टि 64, प्रविष्टि 65 और प्रविष्टि 66 पर भी विधान सभा कानून नहीं बना सकती है यदि इसका संबंध प्रविष्टि 1 , प्रविष्टि 2 और प्रविष्टि 18 के साथ है।

इन प्रविष्टियों (Entries) में क्या है?

Entry 1सार्वजनिक व्यवस्था (Public order) (लेकिन इसमें किसी नौसैनिक, सैन्य या वायु सेना या संघ के किसी अन्य सशस्त्र बल या संघ के नियंत्रण के अधीन किसी अन्य बल या नागरिक शक्ति की सहायता में उसकी किसी टुकड़ी या इकाई का उपयोग शामिल नहीं है)।

Entry 2 – पुलिस (Police) (रेलवे और ग्राम पुलिस सहित) संघ सूची की प्रविष्टि 2-ए के प्रावधानों के अधीन।

Entry 18 – भूमि (Land), अर्थात् भूमि या उस पर अधिकार, भूमि का स्वामित्व जिसमें मकान मालिक और किरायेदार का संबंध और किराए का संग्रह शामिल है; कृषि भूमि का हस्तांतरण; भूमि सुधार और कृषि ऋण; उपनिवेशीकरण।

Entry 64 – इस सूची में किसी भी मामले के संबंध में कानूनों के विरुद्ध अपराध।

Entry 65 – इस सूची के किसी भी मामले के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय को छोड़कर सभी न्यायालयों का क्षेत्राधिकार और शक्तियाँ।

Entry 66 – इस सूची में किसी भी मामले के संबंध में शुल्क, लेकिन किसी भी अदालत में ली गई फीस शामिल नहीं है।

कुल मिलाकर समझने की बात ये है कि दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में न तो Public Order और Police आती है और न ही Land से संबंधित मुद्दे। ये सारे मुद्दे LG के अंदर में होते हैं वहीं इसपर प्रशासन करते हैं;

अनुच्छेद 239AA के खंड (3) के उपखंड (ख) के तहत कहा गया है कि उपखंड (क) की किसी बात से संघ राज्यक्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए किसी भी विषय के संबंध में इस संविधान के अधीन विधि बनाने की संसद्‌ की शक्ति का अल्पीकरण नहीं होगा।

यह जो उपखंड है यह पहले वाले का ही विस्तार है। इस उपखंड के माध्यम से दिल्ली के विषय में कानून बनाने की संसद की शक्ति को स्पष्ट किया गया है।

इस उपखंड में यह स्पष्ट किया गया है कि उपखंड (क) में जो भी लिखा है उसकी किसी बात से केंद्र शासित प्रदेश या उसके किसी भाग के लिए किसी भी विषय के संबंध में संसद की विधि बनाने की शक्ति कम नहीं होगी।

यहां यह याद रखिए कि भारत सरकार और दिल्ली सरकार के बीच काफी समय से Power Struggle चल रहा है ऐसे में हाल ही में (11th August, 2023) संसद ने The Government of National Capital Territory of Delhi Act, 1991 को Amend किया है और अब इस Act को नाम मिला है THE GOVERNMENT OF NATIONAL CAPITAL TERRITORY OF DELHI (AMENDMENT) ACT, 2023।

इस नए Act के तहत दिल्ली सरकार के कुछ शक्तियों को कम करने का प्रयास किया गया है। दरअसल इस अधिनियम के माध्यम से राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (National Capital Civil Service Authority) की स्थापना करता है, जिसमें मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और दिल्ली के प्रधान गृह सचिव शामिल होंगे। यह प्राधिकरण अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग और अनुशासनात्मक मामलों के संबंध में उपराज्यपाल (एलजी) को सिफारिशें करेगा।

इसके अलावा विधेयक एलजी को राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण द्वारा अनुशंसित मामलों और दिल्ली विधानसभा को बुलाने, स्थगित करने और भंग करने सहित कई मामलों पर अपने विवेक का प्रयोग करने का अधिकार देता है।

कुल मिलाकर NCCSA केंद्र सरकार को अधिकारियों के कार्यकाल, वेतन, भत्ते, शक्तियों और कर्तव्यों के संबंध में निर्णय लेने की अधिक शक्ति देता है। इस अधिनियम को Delhi Services Act के नाम से भी जाना जाता है।

इस Amendment Act में क्या-क्या बदलाव किया गया है इसे आप इस Gazette में देख सकते हैं; Click Here↗

अनुच्छेद 239AA के खंड (3) के उपखंड (ग) के तहत कहा गया है कि यदि विधान सभा द्वारा किसी विषय के संबंध में बनाई गई विधि का कोई उपबंध संसद्‌ द्वारा उस विषय के संबंध में बनाई गई विधि के, चाहे वह विधान सभा द्वारा बनाई गई विधि से पहले या उसके बाद में पारित की गई हो, या किसी पूर्वतर विधि के, जो विधान सभा द्वारा बनाई गई विधि से भिन्न है, किसी उपबंध के विरुद्ध है तो, दोनों दशाओं में, यथास्थिति, संसद्‌ द्वारा बनाई गई विधि, या ऐसी पूर्वतर विधि अभिभावी होगी और विधान सभा द्वारा बनाई गई विधि उस विरोध की मात्रा तक शून्य होगी;

मोटे तौर पर इस उपखंड के तहत कहा यह गया है कि अगर एक ही विषय पर संसद भी कानून बनाता है और दिल्ली विधान सभा भी कानून बनाता है और दोनों के मध्य किसी प्रकार का Conflict होता है तो ऐसी स्थिति में संसद द्वारा बनाई गई विधि ही लागू होगी, और विधान सभा द्वारा बनाई गई विधि उस मात्रा तक शून्य हो जाएगी जिस मात्रा तक वो संसद के विधि के विरुद्ध है।

हालांकि यहां यह याद रखिए कि यदि विधान सभा द्वारा बनाई गई किसी ऐसी विधि को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रखा गया है और उस पर उसकी अनुमति मिल गई है तो ऐसी विधि राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र में लागू होगी।

लेकिन इसके बावजूद भी संसद चाहे तो विधान सभा द्वारा बनाई गई विधि को परिवर्धित (modified), संशोधित (Amend) या निरसित (Repeal) कर सकती है।

कुल मिलाकर एक तरह से देखें तो दिल्ली पर केंद्र सरकार की शक्तियां बहुत ही ज्यादा है, और वही इसका शासन करती है।

Article 239AA Clause 4 Explanation

अनुच्छेद 239AA के खंड (4) के तहत कहा गया है कि जिन बातों में किसी विधि द्वारा या उसके अधीन उप-राज्यपाल से यह अपेक्षित है कि वह अपने विवेकानुसार कार्य करे उन बातों को छोड़कर, उप-राज्यपाल की, उन विषयों के संबंध में, जिनकी बाबत विधान सभा को विधि बनाने की शक्ति है, अपने कृत्यों का प्रयोग करने में सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रि-परिषद्‌ होगी जो विधान सभा की कुल सदस्य संख्या के दस प्रतिशत से अनधिक सदस्यों से मिलकर बनेगी, जिसका प्रधान, मुख्यमंत्री होगा.

इस खंड के तहत मुख्य रूप से चार बातें कही गई है;

पहली बात) राज्यपाल या राष्ट्रपति की तरह ही कई विषयों के मामले में उप-राज्यपाल के पास विवेकाधीन शक्तियां (discretionary powers) है, इन मामलों में उनसे यह अपेक्षित है कि वह अपने विवेकानुसार कार्य करे।

दूसरी बात) विवेकाधीन विषयों को छोड़कर और जो अन्य विषय हैं जिसपर कि विधान सभा को विधि बनाने की शक्ति है उन विषयों पर उप-राज्यपाल अपने कृत्यों का निर्वहन कर सके इसके लिए एक मंत्रि-परिषद्‌ (CoM) की व्यवस्था की गई है;

तीसरी बात) यह जो मंत्री-परिषद होगी यह विधानसभा के कुल सदस्यों के 10% से अधिक नहीं हो सकती है; और,

चौथी बात) इस मंत्रिपरिषद का मुखिया मुख्यमंत्री (Chief Minister) होगा।

कुल मिलाकर इस खंड के तहत किसी राज्य की तरह ही उप-राज्यपाल को सहायता व सलाह प्रदान करने के लिए एक मंत्रिपरिषद की व्यवस्था की गई है जिसका अध्यक्ष मुख्यमंत्री होगा।

हालांकि यहां यह याद रखिए कि उप-राज्यपाल और उसके मंत्रियों के बीच किसी विषय पर मतभेद की दशा में, उप-राज्यपाल उसे राष्ट्रपति को विचार (decision) के लिए भेज सकता है; और उप-राज्यपाल राष्ट्रपति द्वारा उस पर लिए गए निर्णय (decision) के अनुसार कार्य करेगा।

लेकिन जब तक राष्ट्रपति किसी निर्णय पर नहीं पहुंचता है और उस दरम्यान उप-राज्यपाल को ऐसा लगता है कि किसी मामले में, तुरन्त कार्रवाई करना उसके लिए आवश्यक है तो वहां, उस विषय में ऐसी कार्रवाई करने या ऐसा निदेश देने के लिए, उप-राज्यपाल सक्षम होगा।

Article 239AA Clause 5 Explanation

अनुच्छेद 239AA के खंड (5) के तहत कहा गया है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री की सलाह पर करेगा तथा मंत्री, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त अपने पद धारण करेंगे।

यहां पर तीन बातें हैं;

पहली बात) मुख्यमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा;

दूसरी बात) अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री की सलाह पर करेगा; और,

तीसरी बात) सभी मंत्री राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत (During the pleasure of the President अपना पद धारण करेंगे।

Q. राष्ट्रपति के प्रसाद्पर्यंत (During the Pleasure of the Governor) का क्या मतलब है?
शब्द “राष्ट्रपति के प्रसाद्पर्यंत” एक कानूनी शब्द है जिसका अर्थ है कि किसी मंत्रियों को राष्ट्रपति द्वारा बिना कोई कारण बताए किसी भी समय पद से हटाया जा सकता है। आमतौर राज्यों के मामले में यह काम राज्यपाल का होता है लेकिन दिल्ली के मामले में यह काम राष्ट्रपति का है।
हालांकि यहां यह याद रखिए कि राष्ट्रपति बिना किसी कारण के किसी पदाधिकारी को नहीं हटा सकते। राष्ट्रपति के पास हटाने का वैध कारण होना चाहिए, और निष्कासन कानून के अनुसार होना चाहिए।
जैसा कि हम जानते हैं, राष्ट्रपति उन्ही व्यक्तियों को मंत्री नियुक्त कर सकता है जिनकी सिफ़ारिश मुख्यमंत्री द्वारा की जाती है और मुख्यमंत्री चूंकि मंत्रिपरिषद का अध्यक्ष होता है इसीलिए मुख्यमंत्री चाहे तो किसी मंत्री को त्यागपत्र देने को कह सकता है अथवा राष्ट्रपति को उसे बर्खास्त करने की सलाह दे सकता है।
मंत्रिपरिषद राष्ट्रपति के प्रसाद्पर्यंत काम कर रहे होते हैं इसीलिए राष्ट्रपति उस अमुक मंत्री को पद से हटा सकता है। इसके अलावा जब मंत्रिपरिषद के पास बहुमत नहीं रह जाता है तब भी राष्ट्रपति उसे पद से हटा सकता है।

Article 239AA Clause 6 Explanation

अनुच्छेद 239AA के खंड (6) के तहत कहा गया है कि मंत्रि-परिषद्‌ विधान सभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी।

Q. सामूहिक रूप से उत्तरदायी (Collectively responsible) होने का क्या मतलब है?

सामूहिक उत्तरदायित्व (Collective Responsibility) सरकार की संसदीय प्रणाली का एक सिद्धांत है जिसके तहत संपूर्ण कैबिनेट अपने व्यक्तिगत सदस्यों के कार्यों के लिए विधायिका के प्रति जिम्मेदार होता है।

इसका मतलब यह है कि यदि कोई मंत्री कानून या सरकार की नीतियों का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है, तो पूरा मंत्रिमंडल जिम्मेदार है और उसे इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा सकता है।

सामूहिक उत्तरदायित्व का सिद्धांत भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75(3) और अनुच्छेद 164(2) में निहित है, और इसी सिद्धांत को दिल्ली के मामले में भी लागू किया गया है; जिसमें कहा गया है कि “मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होगी”।

सामूहिक उत्तरदायित्व का सिद्धांत कई कारणों से महत्वपूर्ण है।

◾ सबसे पहले, यह सुनिश्चित करता है कि सरकार लोगों के प्रति जवाबदेह है।
◾ दूसरा, सामूहिक उत्तरदायित्व का सिद्धांत सरकार में स्थिरता को बढ़ावा देने में मदद करता है। यदि व्यक्तिगत मंत्री अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं, तो उनके जोखिम लेने या अलोकप्रिय निर्णय लेने की अधिक संभावना हो सकती है।
◾ तीसरा, सामूहिक जिम्मेदारी का सिद्धांत यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि सरकार एकजुट है।

Article 239AA Clause 7 Explanation

अनुच्छेद 239AA के खंड (7) तहत दो उपखंड है;

अनुच्छेद 239AA के खंड (7) के उपखंड (क) के तहत कहा गया है कि संसद, इस अनुच्छेद के पहले के खंडों को प्रभावी करने के लिए, या उनमें अंतर्विष्ट उपबंधों की अनुपूर्ति के लिए और उनके आनुषंगिक (incidental) या पारिणामिक (consequential) सभी विषयों के लिए, विधि द्वारा, उपबंध कर सकेगी।

अनुच्छेद 239AA के खंड (7) के उपखंड (ख) के तहत कहा गया है कि उपखंड (क) में निर्दिष्ट विधि को, अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए इस संविधान का संशोधन इस बात के होते हुए भी नहीं समझा जाएगा कि उसमें कोई ऐसा उपबंध अंतर्विष्ट है जो इस संविधान का संशोधन करता है या संशोधन करने का प्रभाव रखता है।

इस उपखंड में कहा गया है कि उपखंड (क) के तहत अगर कोई विधि बनाई जाती है तो उसे अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन नहीं माना जाएगा भले ही उस विधि से संविधान में संशोधन हो रहा हो।

इसका मतलब ये है कि इस अनुच्छेद के खंडों को प्रभावी करने के लिए या उनके आनुषंगिक (incidental) या पारिणामिक (consequential) सभी विषयों के लिए संसद द्वारा जो विधि बनाई जाएगी उसे संसद में साधारण बहुमत (simple majority से पारित किया जा सकता है।

Article 239AA Clause 8 Explanation

अनुच्छेद 239AA के खंड (8) के तहत कहा गया है कि अनुच्छेद 239B के उपबंध, जहां तक हो सके, राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र, उप-राज्यपाल और विधान सभा के संबंध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे पुड़चेरी संघ राज्यक्षेत्र, प्रशासक और उसके विधान-मंडल के संबंध में लागू होते हैं ; और उस अनुच्छेद में “अनुच्छेद 239A के खंड (1)” के प्रति निर्देश के बारे में यह समझा जाएगा कि वह, यथास्थिति, इस अनुच्छेद या अनुच्छेद 239AB के प्रति निर्देश है।

दरअसल अनुच्छेद 239B के तहत पुडुचेरी संघ राज्यक्षेत्र के लिए सदन न चलने की स्थिति में अध्यादेश (Ordinance) जारी करने की शक्ति उप-राज्यपाल को प्रदान की गई है। तो इस उपखंड में इसी के संबंध में दो बातें कही गई है;

पहली बात) दिल्ली के उप-राज्यपाल भी सदन के न चलने की स्थिति में अध्यादेश जारी कर सकता है, बिलकुल वैसे ही जैसे कि पुडुचेरी का प्रशासक कर सकता है।

दूसरी बात) दरअसल अनुच्छेद 239क के खंड (1) के तहत संसद को यह शक्ति दी गई है कि पुडुचेरी के लिए एक विधानमंडल बनाए या उसके संचालन के संबंध में कोई विधि बनाए।

अनुच्छेद 239AB में कहा गया है कि अगर राष्ट्रपति को उप-राज्यपाल के द्वारा ऐसी खबर दी जाती है कि दिल्ली का संवैधानिक तंत्र (Constitutional machinery) विफल हो चुका है तो ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति दिल्ली में संवैधानिक आपातकाल लगा सकता है।

अनुच्छेद 239AA के खंड (8) में यही कहा गया है कि अनुच्छेद 239B में जो “अनुच्छेद 239A के खंड (1)” के प्रति निर्देश दिया गया है उसके बारे में यही समझा जाएगा कि वह, यथास्थिति, इस अनुच्छेद (यानि कि अनुच्छेद 239AA) या अनुच्छेद 239AB के प्रति निर्देश है।

Delhi in Nutshell

◾ वर्तमान में, दिल्ली का NCT एक डिवीजन, 11 जिलों, 33 उपखंडों, 59 जनगणना कस्बों और 300 गांवों से बना है।

◾ दिल्ली का एनसीटी तीन नगर पालिकाओं में विभाजित है। 1) दिल्ली नगर निगम (MCD), 2) नई दिल्ली नगर पालिका, और 3) दिल्ली छावनी (Delhi Cantonment)।

◾ दिल्ली में दिल्ली उच्च न्यायालय है। दिल्ली उच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय से पहले दिल्ली में सर्वोच्च है। दिल्ली में वर्तमान में सात जिला अदालतें हैं, जिनके नाम हैं तीस हजारी कोर्ट कॉम्प्लेक्स, कड़कड़डूमा कोर्ट कॉम्प्लेक्स, पटियाला हाउस कोर्ट कॉम्प्लेक्स, रोहिणी कोर्ट कॉम्प्लेक्स, द्वारका कोर्ट कॉम्प्लेक्स, साकेत कोर्ट कॉम्प्लेक्स और राउज़ एवेन्यू कोर्ट। जिला अदालतों के अलावा दिल्ली में उपभोक्ता अदालतें, सीबीआई अदालतें भी हैं।

◾ प्रथम-स्तरीय प्रशासनिक प्रभाग के रूप में, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की अपनी विधान सभा, उपराज्यपाल, मंत्रिपरिषद और मुख्यमंत्री हैं। विधान सभा के सदस्य एनसीटी में क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों से सीधे चुने जाते हैं।

◾ दिल्ली विधान सभा को 1956 में समाप्त कर दिया गया था, और प्रत्यक्ष संघीय नियंत्रण लागू किया गया था लेकिन फिर से साल 1993 में विधान सभा को स्थापित किया गया।

◾ भारत सरकार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार संयुक्त रूप से नई दिल्ली का प्रशासन करती हैं। नगर निगम पंचायती राज अधिनियम के हिस्से के रूप में शहर के नागरिक प्रशासन को संभालता है।

◾ दिल्ली में 70 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र और सात लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं।

तो यही है अनुच्छेद 239AA , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

अनुच्छेद 239AB
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Question 1: What does Article 239AA of the Indian Constitution specifically address?

a) Administration of Union Territories
b) Special provisions for the State of Jammu and Kashmir
c) Special provisions for the Union Territory of Delhi
d) Distribution of powers between the Union and States

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Explanation: Answer: c) Special provisions for the Union Territory of Delhi.

Question 2: When was Article 239AA inserted into the Indian Constitution?

a) 42nd Amendment
b) 44th Amendment
c) 69th Amendment
d) 73rd Amendment

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Explanation: Answer: c) 69th Amendment. Article 239AA was inserted into the Indian Constitution by the 69th Amendment in 1991.

Question 3: What significant provision does Article 239AA make for Delhi?

a) It grants full statehood to Delhi
b) It provides for a Legislative Assembly and a Council of Ministers
c) It reserves all legislative powers for the President
d) It allows Delhi to have its own currency

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Explanation: Answer: b) It provides for a Legislative Assembly and a Council of Ministers. Article 239AA provides for the establishment of a Legislative Assembly and a Council of Ministers for the Union Territory of Delhi.

Question 4: How is the Chief Minister of Delhi appointed according to Article 239AA?

a) By the President
b) By the Lieutenant Governor
c) By the Legislative Assembly
d) By direct election

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Explanation: Answer: a) By the President. The Chief Minister of Delhi is appointed by the President of India, as per Article 239AA.

Question 5: What is the extent of the legislative powers of the Legislative Assembly of Delhi according to Article 239AA?

a) Exclusive legislative powers
b) Concurrent legislative powers
c) Limited legislative powers
d) No legislative powers

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Explanation: Answer: b) Concurrent legislative powers. The Legislative Assembly of Delhi, as per Article 239AA, has concurrent legislative powers with respect to matters in the State List and the Concurrent List.

Question 6: What is the role of the Lieutenant Governor in Delhi as per Article 239AA?

a) Direct rule over Delhi
b) Executive powers equivalent to the Chief Minister
c) Exercising powers on the advice of the Chief Minister
d) No role in the governance of Delhi

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Explanation: Answer: c) Exercising powers on the advice of the Chief Minister. According to Article 239AA, the Lieutenant Governor of Delhi exercises powers on the aid and advice of the Council of Ministers headed by the Chief Minister, except in matters of discretionary powers.

Question 7: Under Article 239AA, what subjects fall under the exclusive executive powers of the Lieutenant Governor?

a) All subjects
b) Police and Public Order
c) Land and Services
d) Education and Health

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Explanation: Answer: b) Police and Public Order. Article 239AA specifies that matters relating to Police, Public Order, and Land fall within the exclusive executive powers of the Lieutenant Governor.

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अनुच्छेद 239AB – भारतीय संविधान
अनुच्छेद 239A – भारतीय संविधान
Next and Previous to Article 239AA
भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
Important Pages of Compilation
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।