यह लेख Article 241 (अनुच्छेद 241) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें,

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📜 अनुच्छेद 241 (Article 241) – Original

भाग 8 [संघ राज्य क्षेत्र]
241. संघ राज्यक्षेत्रों के लिए उच्च न्यायालय (1) संसद विधि द्वारा, किसी 1[संघ राज्यक्षेत्र] के लिए उच्च न्यायालय गठित कर सकेगी या 2[ऐसे राज्यक्षेत्र] में किसी न्यायालय को इस संविधान के सभी या किन्हीं प्रयोजनों के लिए उच्च न्यायालय घोषित कर सकेगी।

(2) भाग 6 के अध्याय 5 के उपबंध, ऐसे उपांतरणों या अपवादों के अधीन रहते हुए, जो संसद्‌ विधि द्वारा उपबंधित करे, खंड (1) में निर्दिष्ट प्रत्येक उच्च न्यायालय के संबंध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे अनुच्छेद 214 में निर्दिष्ट किसी उच्च न्यायालय के संबंध में लागू होते हैं ।

3[(3) इस संविधान के उपबंधों के और इस संविधान द्वारा या इसके अधीन समुचित विधान-मंडल को प्रदत्त शक्तियों के आधार पर बनाई गई उस विधान-मंडल की किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, प्रत्येक उच्च न्यायालय, जो संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 के प्रारंभ से ठीक पहले किसी संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग करता था, ऐसे प्रारंभ के पश्चात्‌ उस राज्यक्षेत्र के संबंध में उस अधिकारिता का प्रयोग करता रहेगा।

(4) इस अनुच्छेद की किसी बात से किसी राज्य के उच्च न्यायालय की अधिकारिता का किसी संघ राज्यक्षेत्र या उसके भाग पर विस्तार करने या उससे अपवर्जन करने की संसद्‌ की शक्ति का अल्पीकरण नहीं होगा।]
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1. संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 का धारा 29 और अनुसूची द्वारा (1-11-1956 से) “पहली अनुसूची के भाग ग में विनिर्दिष्ट राज्य” शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित।
2. संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 का धारा 29 और अनुसूची द्वारा (1-11-1956 से) “ऐसा राज्य” शब्दो के स्थान पर प्रतिस्थापित।
2. संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा (1-11-1956 से) खंड (3) और खंड (4) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
अनुच्छेद 241 हिन्दी संस्करण

Part VIII [THE UNION TERRITORIES]
241. High Courts for Union territories — (1) Parliament may by law constitute a High Court for a 1[Union territory] or declare any court in any 2[such territory] to be a High Court for all or any of the purposes of this Constitution.

(2) The provisions of Chapter V of Part VI shall apply in relation to every High Court referred to in clause (1) as they apply in relation to a High Court referred to in article 214 subject to such modifications or exceptions as
Parliament may by law provide.

3[(3) Subject to the provisions of this Constitution and to the provisions of any law of the appropriate Legislature made by virtue of powers conferred on that Legislature by or under this Constitution, every High Court exercising
jurisdiction immediately before the commencement of the Constitution (Seventh Amendment) Act, 1956, in relation to any Union territory shall continue to exercise such jurisdiction in relation to that territory after such commencement.

(4) Nothing in this article derogates from the power of Parliament to extend or exclude the jurisdiction of a High Court for a State to, or from, any Union territory or part thereof.]
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1. Subs. by the Constitution (Seventh Amendment) Act, 1956, s. 29 and Sch., for “State specified in Part C of the First Schedule” (w.e.f. 1-11-1956).
2. Subs. by s. 29 and Sch., ibid., for “such State” (w.e.f. 1-11-1956).
3. Subs. by s. 29 and Sch., ibid., for cls. (3) and (4) (w.e.f. 1-11-1956)
Article 241 English Version

🔍 Article 241 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 8, अनुच्छेद 239 से लेकर अनुच्छेद 242 तक विस्तारित है (जिसमें से अनुच्छेद 242 को निरसित (repealed) कर दिया गया है)।

जैसा कि हम जानते हैं कि संविधान का भाग 5 संघ सरकार के बारे में है, भाग 6 राज्य सरकार के बारे में है, उसी तरह से भाग 8 केंद्रशासित प्रदेशों के बारे में हैं। (याद रखिए संविधान में भाग 7 नहीं है, उसे साल 1956 में खत्म कर दिया गया है।) इस पूरे भाग के तहत हम मुख्य रूप से निम्नलिखित चीज़ें समझेंगे;

  • केंद्रशासित प्रदेशों का प्रशासन (administration of union territories);
  • दिल्ली के संबंध में विशेष उपबंध (Special provisions regarding Delhi);
  • केंद्रशासित प्रदेशों के लिए उच्च न्यायालय (High Court for Union Territories);
  • अध्यादेश लाने की प्रशासक की शक्ति (Administrator’s power to bring ordinance); इत्यादि।

इस लेख में हम अनुच्छेद 239A को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद 214 – भारतीय संविधान
Closely Related to Article 241

| अनुच्छेद 241 – संघ राज्यक्षेत्रों के लिए उच्च न्यायालय (High Courts for Union territories)

भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है। लेकिन भारतीय संघीय व्यवस्था एकात्मकता (Unitary Nature) भी धारण किए हुआ है, और केंद्रशासित प्रदेश उसी को दर्शाता है, क्योंकि इसका प्रशासन केंद्र द्वारा ही किया जाता है।

भारत में अभी 8 केंद्र शासित प्रदेश है जिसमें से कुछ के पास अपना विधानमंडल भी है। अनुच्छेद 241 में संघ राज्यक्षेत्रों के लिए उच्च न्यायालय (High Courts for Union territories) का जिक्र है;

अनुच्छेद 241 के तहत कुल 4 खंड है;

अनुच्छेद 241 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि संसद विधि द्वारा, किसी संघ राज्यक्षेत्र के लिए उच्च न्यायालय गठित कर सकेगी या ऐसे राज्यक्षेत्र में किसी न्यायालय को इस संविधान के सभी या किन्हीं प्रयोजनों के लिए उच्च न्यायालय घोषित कर सकेगी।

इस अनुच्छेद के तहत संसद को यह अधिकार है कि विधि द्वारा वह किसी केंद्रशासित प्रदेश के लिए उच्च न्यायालय का गठन करें;

दूसरी बात संसद के पास यह भी अधिकार है कि ऐसे संघ राज्यक्षेत्र में किसी न्यायालय को इस संविधान के सभी या किन्हीं प्रयोजनों के लिए उच्च न्यायालय घोषित करें।

दिल्ली एकमात्र केंद्र शासित प्रदेश है जिसका अपना उच्च न्यायालय है। हालांकि अब चूंकि जम्मू और कश्मीर भी एक केंद्र शासित प्रदेश हो गया है तो वो भी इस लिस्ट में आ जाएगा।

अनुच्छेद 241 के खंड (2) के तहत कहा गया है कि भाग 6 के अध्याय 5 के उपबंध, ऐसे उपांतरणों या अपवादों के अधीन रहते हुए, जो संसद्‌ विधि द्वारा उपबंधित करे, खंड (1) में निर्दिष्ट प्रत्येक उच्च न्यायालय के संबंध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे अनुच्छेद 214 में निर्दिष्ट किसी उच्च न्यायालय के संबंध में लागू होते हैं।

संविधान के भाग 6 के अध्याय 5 के तहत राज्यों के लिए उच्च न्यायालय की व्यवस्था किया गया है, जो कि अनुच्छेद 214 से 231 तक आता है।

इस खंड में कहा गया है कि खंड (1) के तहत केंद्र शासित प्रदेश के लिए जो उच्च न्यायालय की स्थापना की जाएगी उस पर भाग 6 के अध्याय 5 के उपबंध वैसे ही लागू होंगे जैसे अनुच्छेद 214 में निर्दिष्ट किसी उच्च न्यायालय के संबंध में लागू होते हैं।

हालांकि यहां यह याद रखिए कि संसद चाहे तो विधि बनाकर इसमें कुछ अपवाद जोड़ सकता है या कुछ modification कर सकता है।

अनुच्छेद 241 के खंड (3) के तहत कहा गया है कि इस संविधान के उपबंधों के और इस संविधान द्वारा या इसके अधीन समुचित विधान-मंडल को प्रदत्त शक्तियों के आधार पर बनाई गई उस विधान-मंडल की किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, प्रत्येक उच्च न्यायालय, जो संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 के प्रारंभ से ठीक पहले किसी संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग करता था, ऐसे प्रारंभ के पश्चात्‌ उस राज्यक्षेत्र के संबंध में उस अधिकारिता का प्रयोग करता रहेगा।

इस संविधान के प्रावधानों और इस संविधान द्वारा या इसके तहत उस विधानमंडल को दी गई शक्तियों के अनुसरण में उपयुक्त विधानमंडल द्वारा बनाए गए किसी भी कानून के प्रावधानों के अधीन, संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की प्रभावी तिथि से ठीक पहले किसी भी केंद्र शासित प्रदेश पर अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने वाला प्रत्येक उच्च न्यायालय, ऐसी प्रभावी तिथि के बाद भी उस क्षेत्र पर ऐसे क्षेत्राधिकार का प्रयोग जारी रखेगा।

अनुच्छेद 241 के खंड (4) के तहत कहा गया है कि इस अनुच्छेद की किसी बात से किसी राज्य के उच्च न्यायालय की अधिकारिता का किसी संघ राज्यक्षेत्र या उसके भाग पर विस्तार करने या उससे अपवर्जन करने की संसद्‌ की शक्ति का अल्पीकरण नहीं होगा।

इसका अर्थ है इस अनुच्छेद में ऐसा कुछ भी नहीं है जो किसी राज्य के उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को किसी केंद्र शासित प्रदेश या उसके किसी हिस्से तक विस्तारित करने या बाहर करने की संसद की क्षमता को छीनता हो।

इस अनुच्छेद में कुछ भी किसी राज्य के उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को किसी केंद्र शासित प्रदेश या उसके हिस्से तक बढ़ाने या बाहर करने की संसद की शक्ति का अपमान नहीं करता है।

तो यही है अनुच्छेद 241 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

◾ उच्च न्यायालय (High Court): गठन, भूमिका, स्वतंत्रता
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भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
Important Pages of Compilation
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।