यह लेख Article 243D (अनुच्छेद 243घ) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें,

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📜 अनुच्छेद 243D (Article 243घ) – Original

भाग 9 [पंचायत]
243D. स्थानों का आरक्षण (1) प्रत्येक पंचायत में

(क) अनुसूचित जातियों ; और
(ख) अनुसूचित जनजातियों, के लिए स्थान आरक्षित रहेंगे और इस प्रकार आरक्षित स्थानों की संख्या का अनुपात, उस पंचायत में प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा भरे जाने वाले स्थानों की कुल संख्या से यथाशक्य वही होगा जो उस पंचायत क्षेत्र में अनुसूचित जातियों की अथवा उस पंचायत क्षेत्र में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या का अनुपात उस क्षेत्र की कुल जनसंख्या से है और ऐसे स्थान किसी पंचायत में भिन्न-भिन्न निर्वाचन क्षेत्रों को चक्रानुक्रम से आबंटित किए जा सकेंगे।

(2) खंड (1) के अधीन आरक्षित स्थानों की कुल संख्या के कम से कम एक-तिहाई स्थान, यथास्थिति, अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों की स्त्रियों के लिए आरक्षित रहेंगे।

(3) प्रत्येक पंचायत में प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा भरे जाने वाले स्थानों की कुल संख्या के कम से कम एक-तिहाई स्थान (जिनके अंतर्गत अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की स्त्रियों के लिए आरक्षित स्थानों की संख्या भी है) स्त्रियों के लिए आरक्षित रहेंगे और ऐसे स्थान किसी पंचायत में भिन्न-भिन्न निर्वाचन-क्षेत्रों को चक्रानुक्रम से आबंटित किए जा सकेंगे।

(4) ग्राम या किसी अन्य स्तर पर पंचायतों में अध्यक्षों के पद अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और स्त्रियों के लिए ऐसी रीति से आरक्षित रहेंगे, जो राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, उपबंधित करे:

परंतु किसी राज्य में प्रत्येक स्तर पर पंचायतों में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित अध्यक्षों के पदों की संख्या का अनुपात, प्रत्येक स्तर पर उन पंचायतों में ऐसे पदों की कुल संख्या से यथाशक्‍्य वही होगा, जो उस राज्य में अनुसूचित जातियों की अथवा उस राज्य में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या का अनुपात उस राज्य की कुल जनसंख्या से है:

परंतु यह और कि प्रत्येक स्तर पर पंचायतों में अध्यक्षों के पदों की कुल संख्या के कम से कम एक-तिहाई पद स्त्रियों के लिए आरक्षित रहेंगे:

परंतु यह भी कि इस खंड के अधीन आरक्षित पदों की संख्या प्रत्येक स्तर पर भिन्न-भिन्न पंचायतों को चक्रानुक्रम से आबंटित की जाएगी।

(5) खंड (1) और खंड (2) के अधीन स्थानों का आरक्षण और खंड (4) के अधीन अध्यक्षों के पदों का आरक्षण (जो स्त्रियों के लिए आरक्षण से भिन्न है) अनुच्छेद 334 में विनिर्दिष्ट अवधि की समाप्ति पर प्रभावी नहीं रहेगा।

(6) इस भाग की कोई बात किसी राज्य के विधान-मंडल को पिछड़े हुए नागरिकों के किसी वर्ग के पक्ष में किसी स्तर पर किसी पंचायत में स्थानों के या पंचायतों में अध्यक्षों के पदों के आरक्षण के लिए कोई उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी।
अनुच्छेद 243D हिन्दी संस्करण

Part IX [THE PANCHAYATS]
243D. Reservation of seats—(1) Seats shall be reserved for—
(a) the Scheduled Castes; and
(b) the Scheduled Tribes, in every Panchayat and the number of seats so reserved shall bear, as nearly as may be, the same proportion to the total number of seats to be filled by direct election in that Panchayat as the population of the Scheduled Castes in that Panchayat area or of the Scheduled Tribes in that Panchayat area bears to the total population of that area and such seats may be allotted by rotation to different constituencies in a Panchayat.

(2) Not less than one-third of the total number of seats reserved under clause (1) shall be reserved for women belonging to the Scheduled Castes or, as the case may be, the Scheduled Tribes.

(3) Not less than one-third (including the number of seats reserved for women belonging to the Scheduled Castes and the Scheduled Tribes) of the total number of seats to be filled by direct election in every Panchayat shall be
reserved for women and such seats may be allotted by rotation to different constituencies in a Panchayat.

(4) The offices of the Chairpersons in the Panchayats at the village or any other level shall be reserved for the Scheduled Castes, the Scheduled Tribes and women in such manner as the Legislature of a State may, by law,
provide:

Provided that the number of offices of Chairpersons reserved for the Scheduled Castes and the Scheduled Tribes in the Panchayats at each level in any State shall bear, as nearly as may be, the same proportion to the total
number of such offices in the Panchayats at each level as the population of the Scheduled Castes in the State or of the Scheduled Tribes in the State bears to the total population of the State:

Provided further that not less than one-third of the total number of offices of Chairpersons in the Panchayats at each level shall be reserved for women:

Provided also that the number of offices reserved under this clause shall be allotted by rotation to different Panchayats at each level.

(5) The reservation of seats under clauses (1) and (2) and the reservation of offices of Chairpersons (other than the reservation for women) under clause (4) shall cease to have effect on the expiration of the period specified in article 334.

(6) Nothing in this Part shall prevent the Legislature of a State from making any provision for reservation of seats in any Panchayat or offices of Chairpersons in the Panchayats at any level in favour of backward class of citizens.
Article 243D English Version

🔍 Article 243D Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 9, अनुच्छेद 243 से लेकर अनुच्छेद 243-O तक विस्तारित है। यह भाग भारत में स्थानीय स्व:शासन की नींव रखता है जो कि हमेशा से संविधान का हिस्सा नहीं था बल्कि इसे साल 1992 में 73वें संविधान संशोधन अधिनियम की मदद से संविधान का हिस्सा बनाया गया।

भाग 9 पूरी तरह से पंचायत को समर्पित है। इसके तहत कुल 16 अनुच्छेद आते हैं जिसकी मदद से पंचायती राज व्यवस्था को एक संवैधानिक संस्था बनाया गया।

पंचायती राज व्यवस्था के जुड़ने से भारत में अब सरकार की त्रिस्तरीय व्यवस्था हो गई है – संघ सरकार (Union Government), राज्य सरकार (State Government) और स्थानीय स्वशासन (जिसके अंतर्गत पंचायत एवं नगरपालिकाएं आती हैं)।

कुल मिलाकर भारत में पंचायतें गाँव, मध्यवर्ती और जिला स्तर पर (त्रिस्तरीय) स्थानीय स्वशासन संस्थाएँ हैं जो जमीनी स्तर के लोकतंत्र और ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस लेख में हम अनुच्छेद 243D को समझने वाले हैं;

याद रखें, पंचायत के पूरे संवैधानिक कॉन्सेप्ट को समझने के लिए भाग 9 के तहत आने वाले पूरे 16 अनुच्छेद को एक साथ जोड़कर पढ़ना और समझना जरूरी है। अगर आप चीजों को समग्रता के साथ समझना चाहते हैं तो पहले कृपया नीचे दिए गए दोनों लेखों को पढ़ें और समझें;

पंचायती राज का इतिहास (History of Panchayati Raj)
पंचायती राज, स्वतंत्रता के बाद (Panchayati Raj after Independence)
Closely Related to Article 243D

| Article 243D – स्थानों का आरक्षण (Reservation of seats)

अनुच्छेद 243D के तहत स्थानों का आरक्षण (Reservation of seats) के बारे में कुछ उपबंध किया गया है। इस अनुच्छेद के तहत 6 खंड आते हैं;

अनुच्छेद 243D के खंड (1) के तहत कहा गया है कि प्रत्येक पंचायत में अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST), के लिए स्थान आरक्षित रहेंगे।

इस प्रकार आरक्षित स्थानों की संख्या का अनुपात, उस पंचायत में प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा भरे जाने वाले स्थानों की कुल संख्या से यथाशक्य वही होगा जो उस पंचायत क्षेत्र में अनुसूचित जातियों की अथवा उस पंचायत क्षेत्र में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या का अनुपात उस क्षेत्र की कुल जनसंख्या से है और ऐसे स्थान किसी पंचायत में भिन्न-भिन्न निर्वाचन क्षेत्रों को चक्रानुक्रम से आबंटित किए जा सकेंगे।

इसका क्या मतलब है इसे आगे उदाहरण से समझते हैं;

अनुच्छेद 243D के खंड (2) के तहत कहा गया है कि खंड (1) के अधीन आरक्षित स्थानों की कुल संख्या के कम से कम एक-तिहाई स्थान, यथास्थिति, अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों की स्त्रियों के लिए आरक्षित रहेंगे।

याद रखिए कि इस खंड के तहत जो एससी एवं एसटी महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण की व्यवस्था की गई है वो अलग से नहीं है बल्कि खंड (1) के तहत जितनी सीटें एससी एवं एसटी वर्ग के लिए आरक्षित रहेंगे उसी में से एक तिहाई सीट एससी एवं एसटी वर्ग के महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे।

अनुच्छेद 243D के खंड (3) के तहत कहा गया है कि प्रत्येक पंचायत में प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा भरे जाने वाले स्थानों की कुल संख्या के कम से कम एक-तिहाई स्थान (जिनके अंतर्गत अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की स्त्रियों के लिए आरक्षित स्थानों की संख्या भी है) स्त्रियों के लिए आरक्षित रहेंगे और ऐसे स्थान किसी पंचायत में भिन्न-भिन्न निर्वाचन-क्षेत्रों को चक्रानुक्रम से आबंटित किए जा सकेंगे।

यहां पर यह कहा गया है कि प्रत्येक पंचायत की कुल सीट संख्या के कम से कम एक-तिहाई स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे।

याद रखिए कि यह पंचायत के पूरी सीटों का एक तिहाई है और एससी एवं एसटी वर्ग के महिलाओं के लिए जो एससी-एसटी वर्ग में एक तिहाई आरक्षण की व्यवस्था की गई है वो इसी एक तिहाई के अंतर्गत आती है। (इसका क्या मतलब है इसे आगे समझेंगे)

यहां यह भी याद रखिए कि इन आरक्षित सीटों को चक्रानुक्रम आवंटित किया जा सकता है, यानि कि हरेक पंच वर्ष एक लिए अलग-अलग एक तिहाई सीटें आरक्षित हो सकती है।

अनुच्छेद 243D के खंड (4) के तहत कहा गया है कि ग्राम या किसी अन्य स्तर पर पंचायतों में अध्यक्षों के पद अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और स्त्रियों के लिए ऐसी रीति से आरक्षित रहेंगे, जो राज्य का विधान-मंडल, कानून द्वारा, उपबंधित करे:

हालांकि यहां यह याद रखिए कि पंचायत के प्रत्येक स्तर पर एससी एवं एसटी वर्ग के लिए पंचायतों के अध्यक्षों की उतनी ही उतना ही अनुपात आरक्षित रहेगा जितना कि एससी एवं एसटी का अनुपात राज्य की कुल जनसंख्या में है।

लेकिन प्रत्येक स्तर पर पंचायतों में अध्यक्षों के पदों की कुल संख्या के कम से कम एक-तिहाई पद स्त्रियों के लिए आरक्षित रहेंगे: और इन आरक्षित सीटों को प्रत्येक स्तर पर भिन्न-भिन्न पंचायतों को चक्रानुक्रम आवंटित किया जा सकता है।

पंचायतों का अध्यक्ष (Chairperson of Panchayat) कौन होता है इसे अनुच्छेद 243C में बताया गया है।

अनुच्छेद 243D के खंड (5) के तहत कहा गया है कि खंड (1) और खंड (2) के अधीन स्थानों का आरक्षण और खंड (4) के अधीन अध्यक्षों के पदों का आरक्षण (जो स्त्रियों के लिए आरक्षण से भिन्न है) अनुच्छेद 334 में विनिर्दिष्ट अवधि की समाप्ति पर प्रभावी नहीं रहेगा।

अनुच्छेद 334 में SC एवं ST वर्ग के व्यक्ति को विधानमंडल (लोक सभा एवं विधानसभा) में आरक्षण दिया गया है। और यह आरक्षण कितने समय तक बना रहेगा यह भी उस अनुच्छेद में लिखा हुआ है। अभी के प्रावधान के हिसाब से एससी व एसटी का आरक्षण संविधान के प्रारम्भ से 80 वर्षों तक रहेगा, यानि कि साल 2030 तक रहेगा।

इस खंड में यही कहा गया है कि चूंकि साल 2030 में एससी एवं एसटी का आरक्षण लोक सभा एवं विधान सभाओं में खत्म हो जाएगा इसीलिए अनुच्छेद 243D के खंड (1) और खंड (2) के तहत जो इसे पंचायतों में आरक्षण मिला है वो भी खत्म हो जाएगा। साथ ही खंड (4) के तहत जो पंचायत के अध्यक्ष पदों पर जो आरक्षण मिला है वो भी खत्म हो जाएगा हालांकि इसमें महिलाओं को मिलने वाला आरक्षण सम्मिलित नहीं है।

अनुच्छेद 243D के खंड (6) के तहत कहा गया है कि इस भाग की कोई बात किसी राज्य के विधान-मंडल को पिछड़े हुए नागरिकों के किसी वर्ग के पक्ष में किसी स्तर पर किसी पंचायत में स्थानों के या पंचायतों में अध्यक्षों के पदों के आरक्षण के लिए कोई उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी।

इस खंड के तहत बताया गया है कि एससी, एसटी व महिलाओं को तो आरक्षण मिला ही हुआ है लेकिन अगर राज्य विधान मंडल को लगता है कि पिछड़े हुए वर्गों को भी पंचायतों में आरक्षण देना चाहिए तो वो दे सकता है।

| पंचायतों में SC, ST एवं महिलाओं का आरक्षण (Reservation for SC, ST and women in Panchayats)

जैसा कि हमने समझा पंचायत में आरक्षण अनुच्छेद 243 ‘D’ के तहत मिलता है और यह कहता है कि

”प्रत्येक पंचायत में, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए स्थानों का आरक्षण होगा। और इन आरक्षित सीटों का अनुपात, उस अमुक पंचायत के कुल सीटों से यथासंभव उतना ही होगा जितना कि एससी एवं एसटी का अनुपात उस पंचायत की जनसंख्या में है। और उन आरक्षित सीटों में से भी एक तिहाई सीटों पर एससी एवं एसटी वर्ग के महिलाओं का आरक्षण होगा।”

उदाहरण के लिए, अगर किसी पंचायत में 12 सीटों पर चुनाव लड़ा जाना है और उस अमुक क्षेत्र में 50 प्रतिशत एससी एवं एसटी वर्ग है तो 6 सीटें एससी एवं एसटी के लिए आरक्षित रहेगी। और इन 6 सीटों में से 2 सीटें एससी या एसटी के महिलाओं द्वारा भरा जाएगा।

दूसरी बात ये है कि प्रत्येक पंचायत के कुल सीटों का एक तिहाई महिलाओं के लिए आरक्षित है। और इसमें एससी एवं एसटी वर्ग के महिलाओं द्वारा भरी जाने वाली सीटें भी शामिल है।

ऊपर दिए गए उदाहरण के अनुसार, कुल 12 सीटों में से 4 सीटें महिलाओं द्वारा भरी जाएंगी, क्योंकि 1/3 सीटों पर महिलाएं होनी चाहिए।

पर जैसा कि हमने ऊपर देखा 2 सीटें पहले ही एससी और एसटी वर्ग के महिलाओं द्वारा भरी जा चुकी है इसीलिए अब जो बाकी के 2 सीटें महिलाओं द्वारा भरी जाएंगी वो सामान्य वर्ग के महिलाओं द्वारा सामान्य सीटों पर भरी जाएंगी।

हालांकि अगर विधानसभा चाहे तो बाकी के 2 सीटों को OBC महिलाओं के लिए आरक्षित कर सकती है (जैसा कि अभी हमें ऊपर समझा)।

तो यही है Article 243D, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial

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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।
Article 243D