यह लेख Article 243E (अनुच्छेद 243ङ) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 243E (Article 243ङ) – Original

भाग 9 [पंचायत]
243E. पंचायतों की अवधि, आदि (1) प्रत्येक पंचायत, यदि तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन पहले ही विघटित नहीं कर दी जाती है तो, अपने प्रथम अधिवेशन के लिए नियत तारीख से पांच वर्ष तक बनी रहेगी, इससे अधिक नहीं।

(2) तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के किसी संशोधन से किसी स्तर पर ऐसी पंचायत का, जो ऐसे संशोधन के ठीक पूर्व कार्य कर रही है, तब तक विघटन नहीं होगा जब तक खंड (1) में विनिर्दिष्ट उसकी अवधि समाप्त नहीं हो जाती।

(3) किसी पंचायत का गठन करने के लिए निर्वाचन,-

(क) खंड (1) में विनिर्दिष्ट उसकी अवधि की समाप्ति के पूर्व ;

(ख) उसके विघटन की तारीख से छह मास की अवधि की समाप्ति के पूर्व,
पूरा किया जाएगा;

परंतु जहां वह शेष अवधि, जिसके लिए कोई विघटित पंचायत बनी रहती, छह मास से कम है वहां ऐसी अवधि के लिए उस पंचायत का गठन करने के लिए इस खंड के अधीन कोई निर्वाचन कराना आवश्यक नहीं होगा।

(4) किसी पंचायत की अवधि की समाप्ति के पूर्व उस पंचायत के विघटन पर गठित की गई कोई पंचायत, उस अवधि के केवल शेष भाग के लिए बनी रहेगी जिसके लिए विघटित पंचायत खंड (1) के अधीन बनी रहती, यदि वह इस प्रकार विघटित नहीं की जाती।
अनुच्छेद 243E हिन्दी संस्करण

Part IX [THE PANCHAYATS]
243E. Duration of Panchayats, etc—(1) Every Panchayat, unless sooner dissolved under any law for the time being in force, shall continue for five years from the date appointed for its first meeting and no longer.

(2) No amendment of any law for the time being in force shall have the effect of causing dissolution of a Panchayat at any level, which is functioning immediately before such amendment, till the expiration of its duration specified in clause (1).

(3) An election to constitute a Panchayat shall be completed—
(a) before the expiry of its duration specified in clause (1);
(b) before the expiration of a period of six months from the date of its dissolution:

Provided that where the remainder of the period for which the dissolved Panchayat would have continued is less than six months, it shall not be necessary to hold any election under this clause for constituting the Panchayat
for such period.

(4) A Panchayat constituted upon the dissolution of a Panchayat before the expiration of its duration shall continue only for the remainder of the period for which the dissolved Panchayat would have continued under clause (1) had it not been so dissolved.
Article 243E English Version

🔍 Article 243E Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 9, अनुच्छेद 243 से लेकर अनुच्छेद 243-O तक विस्तारित है। यह भाग भारत में स्थानीय स्व:शासन की नींव रखता है जो कि हमेशा से संविधान का हिस्सा नहीं था बल्कि इसे साल 1992 में 73वें संविधान संशोधन अधिनियम की मदद से संविधान का हिस्सा बनाया गया।

भाग 9 पूरी तरह से पंचायत को समर्पित है। इसके तहत कुल 16 अनुच्छेद आते हैं जिसकी मदद से पंचायती राज व्यवस्था को एक संवैधानिक संस्था बनाया गया।

पंचायती राज व्यवस्था के जुड़ने से भारत में अब सरकार की त्रिस्तरीय व्यवस्था हो गई है – संघ सरकार (Union Government), राज्य सरकार (State Government) और स्थानीय स्वशासन (जिसके अंतर्गत पंचायत एवं नगरपालिकाएं आती हैं)।

कुल मिलाकर भारत में पंचायतें गाँव, मध्यवर्ती और जिला स्तर पर (त्रिस्तरीय) स्थानीय स्वशासन संस्थाएँ हैं जो जमीनी स्तर के लोकतंत्र और ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस लेख में हम अनुच्छेद 243D को समझने वाले हैं;

याद रखें, पंचायत के पूरे संवैधानिक कॉन्सेप्ट को समझने के लिए भाग 9 के तहत आने वाले पूरे 16 अनुच्छेद को एक साथ जोड़कर पढ़ना और समझना जरूरी है। अगर आप चीजों को समग्रता के साथ समझना चाहते हैं तो पहले कृपया नीचे दिए गए दोनों लेखों को पढ़ें और समझें;

पंचायती राज का इतिहास (History of Panchayati Raj)
पंचायती राज, स्वतंत्रता के बाद (Panchayati Raj after Independence)
Closely Related to Article 243E

| अनुच्छेद 243E – पंचायतों की अवधि, आदि (Duration of Panchayats, etc.)

अनुच्छेद 243E के तहत पंचायतों की अवधि, आदि (Duration of Panchayats, etc.) के बारे में कुछ उपबंध किया गया है। इस अनुच्छेद के तहत 4 खंड आते हैं;

अनुच्छेद 243E के खंड (1) के तहत कहा गया है कि प्रत्येक पंचायत, यदि तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन पहले ही विघटित नहीं कर दी जाती है तो, अपने प्रथम अधिवेशन के लिए नियत तारीख से पांच वर्ष तक बनी रहेगी, इससे अधिक नहीं।

पंचायत का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है और ये पाँच वर्ष उस समय से गिना जाता है जब प्रथम अधिवेशन (First meeting) होता है। हालांकि तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन पंचायत को पाँच वर्ष से पहले भी विघटित किया जा सकता है।

अनुच्छेद 243E के खंड (2) के तहत कहा गया है कि तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के किसी संशोधन से किसी स्तर पर ऐसी पंचायत का, जो ऐसे संशोधन के ठीक पूर्व कार्य कर रही है, तब तक विघटन नहीं होगा जब तक खंड (1) में विनिर्दिष्ट उसकी अवधि समाप्त नहीं हो जाती।

अनुच्छेद 243E के खंड (3) के तहत कहा गया है कि किसी पंचायत का गठन करने के लिए निर्वाचन, खंड (1) में विनिर्दिष्ट उसकी अवधि की समाप्ति के पूर्व, यानि कि 5 वर्ष की अवधि समाप्त होने से पहले ही पूरा कर ली जानी चाहिए। विघटन की स्थिति में, विघटन की तारीख से छह महीने की अवधि समाप्त होने से पहले चुनाव करा लिया जाएगा।

हालांकि अगर टर्म पूरा होने से पहले ही पंचायत विघटित हो जाती है लेकिन उसके विघटन होने और टर्म की समाप्ति के बीच की अवधि अगर 6 महीने से कम है तो वहां पर उस अवधि के लिए चुनाव नहीं होगा बल्कि फिर से नए सिरे से चुनाव होगा।

अनुच्छेद 243E के खंड (4) के तहत कहा गया है कि किसी पंचायत की अवधि की समाप्ति के पूर्व उस पंचायत के विघटन पर गठित की गई कोई पंचायत, उस अवधि के केवल शेष भाग के लिए बनी रहेगी जिसके लिए विघटित पंचायत खंड (1) के अधीन बनी रहती, यदि वह इस प्रकार विघटित नहीं की जाती।

यदि पंचायत की पांच वर्ष की अवधि समाप्त होने से पहले ही अगर पंचायत विघटित हो जाता है तो फिर जो चुनाव होगा वो उस शेष अवधि के लिए ही होगा न कि पूरे 5 वर्ष के लिए।

हालांकि यह याद रखिए कि अगर टर्म पूरा होने से पहले ही पंचायत विघटित हो जाती है लेकिन उसके विघटन होने और टर्म की समाप्ति के बीच की अवधि अगर 6 महीने से कम है तो वहां पर उस अवधि के लिए चुनाव नहीं होगा बल्कि फिर से नए सिरे से चुनाव होगा वो भी पूरे 5 वर्ष की अवधि के लिए।

तो यही है अनुच्छेद 243E , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial

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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।