यह लेख Article 243K (अनुच्छेद 243ट) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें,

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📜 अनुच्छेद 243 (Article 243K) – Original

भाग 9 [पंचायत]
243K. पंचायतों के लिए निर्वाचन (1) पंचायतों के लिए कराए जाने वाले सभी निर्वाचनों के लिए निर्वाचक नामावली तैयार कराने का और उन सभी निर्वाचनों के संचालन का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण एक राज्य निर्वाचन आयोग में निहित होगा, जिसमें एक राज्य निर्वाचन आयुक्त होगा, जो राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जाएगा।

(2) किसी राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्य निर्वाचन आयुक्त की सेवा की शर्तें और पदावधि ऐसी होंगी जो राज्यपाल नियम द्वारा अवधारित करे;

परंतु राज्य निर्वाचन आयुक्त को उसके पद से उसी रीति से और उन्हीं आधारों पर ही हटाया जाएगा, जिस रीति से और जिन आधारों पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है, अन्यथा नहीं और राज्य निर्वाचन आयुक्त की सेवा की शर्तों में उसकी नियुक्ति के पश्चात्‌ उसके लिए अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जाएगा।

(3) जब राज्य निर्वाचन आयोग ऐसा अनुरोध करे तब किसी राज्य का राज्यपाल, राज्य निर्वाचन आयोग को उतने कर्मचारिवृंद उपलब्ध कराएगा जितने खंड (1) द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग को उसे सौंपे गए कृत्यों के निर्वहन के लिए आवश्यक हों।

(4) इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, पंचायतों के निर्वाचनों से संबंधित या संसक्त सभी विषयों के संबंध में उपबंध कर सकेगा।
अनुच्छेद 243K हिन्दी संस्करण

Part IX [THE PANCHAYATS]
243K. Elections to the Panchayats.— (1) The superintendence, direction and control of the preparation of electoral rolls for, and the conduct of, all elections to the Panchayats shall be vested in a State Election
Commission consisting of a State Election Commissioner to be appointed by the Governor.

(2) Subject to the provisions of any law made by the Legislature of a State, the conditions of service and tenure of office of the State Election Commissioner shall be such as the Governor may by rule determine:

Provided that the State Election Commissioner shall not be removed from his office except in like manner and on the like grounds as a Judge of a High Court and the conditions of service of the State Election Commissioner shall not be varied to his disadvantage after his appointment.

(3) The Governor of a State shall, when so requested by the State Election Commission, make available to the State Election Commission such staff as may be necessary for the discharge of the functions conferred on the State Election Commission by clause (1).

(4) Subject to the provisions of this Constitution, the Legislature of a State may, by law, make provision with respect to all matters relating to, or in connection with, elections to the Panchayats.
Article 243K English Version

🔍 Article 243K Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 9, अनुच्छेद 243 से लेकर अनुच्छेद 243-O तक विस्तारित है। यह भाग भारत में स्थानीय स्व:शासन की नींव रखता है जो कि हमेशा से संविधान का हिस्सा नहीं था बल्कि इसे साल 1992 में 73वें संविधान संशोधन अधिनियम की मदद से संविधान का हिस्सा बनाया गया।

भाग 9 पूरी तरह से पंचायत को समर्पित है। इसके तहत कुल 16 अनुच्छेद आते हैं जिसकी मदद से पंचायती राज व्यवस्था को एक संवैधानिक संस्था बनाया गया।

पंचायती राज व्यवस्था के जुड़ने से भारत में अब सरकार की त्रिस्तरीय व्यवस्था हो गई है – संघ सरकार (Union Government), राज्य सरकार (State Government) और स्थानीय स्वशासन (जिसके अंतर्गत पंचायत एवं नगरपालिकाएं आती हैं)।

कुल मिलाकर भारत में पंचायतें गाँव, मध्यवर्ती और जिला स्तर पर (त्रिस्तरीय) स्थानीय स्वशासन संस्थाएँ हैं जो जमीनी स्तर के लोकतंत्र और ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस लेख में हम अनुच्छेद 243K को समझने वाले हैं;

याद रखें, पंचायत के पूरे संवैधानिक कॉन्सेप्ट को समझने के लिए भाग 9 के तहत आने वाले पूरे 16 अनुच्छेद को एक साथ जोड़कर पढ़ना और समझना जरूरी है। अगर आप चीजों को समग्रता के साथ समझना चाहते हैं तो पहले कृपया नीचे दिए गए दोनों लेखों को पढ़ें और समझें;

पंचायती राज का इतिहास (History of Panchayati Raj)
पंचायती राज, स्वतंत्रता के बाद (Panchayati Raj after Independence)
Closely Related to Article 243K

| अनुच्छेद 243K – पंचायतों के लिए निर्वाचन (Elections to the Panchayats)

अनुच्छेद 243K के तहत पंचायतों के लिए निर्वाचन (Elections to the Panchayats) के बारे में उपबंध किया गया है। अनुच्छेद 243K के तहत कुल 4 खंड आते हैं;

अनुच्छेद 243K के खंड (1) के तहत कहा गया है कि पंचायतों के लिए कराए जाने वाले सभी निर्वाचनों के लिए निर्वाचक नामावली तैयार कराने का और उन सभी निर्वाचनों के संचालन का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण एक राज्य निर्वाचन आयोग में निहित होगा, जिसमें एक राज्य निर्वाचन आयुक्त होगा, जो राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जाएगा।

यहां पर तीन बातें हैं;

पहली बात) एक राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) होगा।

दूसरी बात) पंचायतों के लिए कराए जाने वाले सभी निर्वाचनों के लिए निर्वाचक नामावली तैयार कराने का और उन सभी निर्वाचनों के संचालन का अधीक्षण (superintendence), निदेशन (direction) और नियंत्रण, राज्य निर्वाचन आयोग करेगा।

तीसरी बात) राज्य निर्वाचन आयोग में एक राज्य निर्वाचन आयुक्त होगा, जो राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जाएगा।

अनुच्छेद 243K के खंड (2) के तहत कहा गया है कि किसी राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्य निर्वाचन आयुक्त की सेवा की शर्तें और पदावधि ऐसी होंगी जो राज्यपाल नियम द्वारा अवधारित करेगा;

हालांकि यहां यह याद रखिए कि राज्य निर्वाचन आयुक्त को उसके पद से उसी रीति से और उन्हीं आधारों पर ही हटाया जाएगा, जिस रीति से और जिन आधारों पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है, अन्यथा नहीं।

और दूसरी बात राज्य निर्वाचन आयुक्त की सेवा की शर्तों में उसकी नियुक्ति के पश्चात्‌ उसके लिए अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जाएगा।

Q. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को कैसे हटाया जाता है?

अनुच्छेद 218  कहता है कि अनुच्छेद 124 के खंड (4) और खंड (5) के उपबंध के तहत जिस प्रकार उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है उसी प्रकार उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को भी हटाया जाएगा।

दूसरे शब्दों में कहें तो हाई कोर्ट के न्यायाधीश को राष्ट्रपति के आदेश से पद से जा सकता है। लेकिन हटाने के आधार सिद्ध कदाचार या अक्षमता होनी चाहिए। इसी के साथ ही न्यायाधीश को हटाने के प्रस्ताव को प्रत्येक सदन के विशेष बहुमत से पारित होना चाहिए। वो भी उसी सत्र में जिस सत्र में हटाने का प्रस्ताव लाया गया है।

अनुच्छेद 243K के खंड (3) के तहत कहा गया है कि जब राज्य निर्वाचन आयोग ऐसा अनुरोध करे तब किसी राज्य का राज्यपाल, राज्य निर्वाचन आयोग को उतने कर्मचारी (Staff) उपलब्ध कराएगा जितने खंड (1) द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग को उसे सौंपे गए कृत्यों के निर्वहन के लिए आवश्यक हों।

अनुच्छेद 243K के खंड (4) के तहत कहा गया है कि इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, पंचायतों के निर्वाचनों से संबंधित या संसक्त सभी विषयों के संबंध में उपबंध कर सकेगा।

इस संविधान के प्रावधानों के अधीन, किसी राज्य का विधानमंडल, कानून द्वारा, पंचायतों के चुनावों से संबंधित सभी मामलों के संबंध में प्रावधान कर सकता है।

तो यही है अनुच्छेद 243K , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

◾ उच्च न्यायालय (High Court): गठन, भूमिका, स्वतंत्रता
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।