यह लेख Article 243M (अनुच्छेद 243ड) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 243ङ (Article 243M) – Original

भाग 9 [पंचायत]
243M. इस भाग का कतिपय क्षेत्रों को लागू न होना (1) इस भाग की कोई बात अनुच्छेद 244 के खंड (1) में निर्दिष्ट अनुसूचित क्षेत्रों और उसके खंड (2) में निर्दिष्ट जनजति क्षेत्रों को लागू नहीं होगी।

(2) इस भाग की कोई बात निम्नलिखित को लागू नहीं होगी, अर्थात्‌ : –

(क) नागालैंड, मेघालय और मिजोरम राज्य ;

(ख) मणिपुर राज्य में ऐसे पर्वतीय क्षेत्र जिनके लिए तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन जिला परिषदें विद्यमान हैं।

(3) इस भाग की

(क) कोई बात जिला स्तर पर पंचायतों के संबंध में पश्चिमी बंगाल राज्य के दार्जिलिंग जिले के ऐसे पर्वतीय क्षेत्रों को लागू नहीं होगी जिनके लिए तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन दार्जिलिंग गोरखा पर्वतीय परिषद्‌ विद्यमान है ;

(ख) किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह ऐसी विधि के अधीन गठित दार्जिलिंग गोरखा पर्वतीय परिषद्‌ के कृत्यों और शक्तियों पर प्रभाव डालती है।

1[(3क) अनुसूचित जातियों के लिए स्थानों के आरक्षण से संबंधित अनुच्छेद 243घ की कोई बातें अरुणाचल प्रदेश राज्य को लागू नहीं होगी।]

(4) इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी,

(क) खंड (2) के उपखंड (क) में निर्दिष्ट किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, इस भाग का विस्तार, खंड (1) में निर्दिष्ट क्षेत्रों के सिवाय, यदि कोई हों, उस राज्य पर उस दशा में कर सकेगा जब उस राज्य की विधान सभा इस आशय का एक संकल्प उस सदन की कुल सदस्य संख्या के बहुमत द्वारा तथा उस सदन के उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा पारित कर देती है;

(ख) संसद, विधि द्वारा, इस भाग के उपबंधों का विस्तार, खंड (1) में निर्दिष्ट अनुसूचित क्षेत्रों और जनजति क्षेत्रों पर, ऐसे अपवादों और उपांतरणों के अधीन रहते हुए, कर सकेगी, जो ऐसी विधि में विनिर्दिष्ट किए जाएं और ऐसी किसी विधि की अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए इस संविधान का संशोधन नहीं समझा जाएगा।
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1. संविधान (तिरासीवां संशोधन) अधिनियम, 2000 का धारा 2 द्वारा (8-9-2000 से) अंतःस्थापित।
अनुच्छेद 243M हिन्दी संस्करण

Part IX [THE PANCHAYATS]
243M. Part not to apply to certain areas—(1) Nothing in this Part shall apply to the Scheduled Areas referred to in clause (1), and the tribal areas referred to in clause (2), of article 244.

(2) Nothing in this Part shall apply to—
(a) the States of Nagaland, Meghalaya and Mizoram;
(b) the hill areas in the State of Manipur for which District Councils exist under any law for the time being in force.

(3) Nothing in this Part—
(a) relating to Panchayats at the district level shall apply to the hill areas of the District of Darjeeling in the State of West Bengal for which Darjeeling Gorkha Hill Council exists under any law for the time being
in force;
(b) shall be construed to affect the functions and powers of the Darjeeling Gorkha Hill Council constituted under such law.

1[(3A) Nothing in article 243D, relating to reservation of seats for the Scheduled Castes, shall apply to the State of Arunachal Pradesh.]

(4) Notwithstanding anything in this Constitution,—
(a) the Legislature of a State referred to in sub-clause (a) of clause (2) may, by law, extend this Part to that State, except the areas, if any, referred to in clause (1), if the Legislative Assembly of that State passes a resolution to that effect by a majority of the total membership of that House and by a majority of not less than two-thirds of the members of that House present and voting;
(b) Parliament may, by law, extend the provisions of this Part to the Scheduled Areas and the tribal areas referred to in clause (1) subject to such exceptions and modifications as may be specified in such law, and
no such law shall be deemed to be an amendment of this Constitution for the purposes of article 368.
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1. . Ins. by the Constitution (Eighty-third Amendment) Act, 2000, s. 2 (w.e.f. 8-9-2000).
Article 243M English Version

🔍 Article 243M Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 9, अनुच्छेद 243 से लेकर अनुच्छेद 243-O तक विस्तारित है। यह भाग भारत में स्थानीय स्व:शासन की नींव रखता है जो कि हमेशा से संविधान का हिस्सा नहीं था बल्कि इसे साल 1992 में 73वें संविधान संशोधन अधिनियम की मदद से संविधान का हिस्सा बनाया गया।

भाग 9 पूरी तरह से पंचायत को समर्पित है। इसके तहत कुल 16 अनुच्छेद आते हैं जिसकी मदद से पंचायती राज व्यवस्था को एक संवैधानिक संस्था बनाया गया।

पंचायती राज व्यवस्था के जुड़ने से भारत में अब सरकार की त्रिस्तरीय व्यवस्था हो गई है – संघ सरकार (Union Government), राज्य सरकार (State Government) और स्थानीय स्वशासन (जिसके अंतर्गत पंचायत एवं नगरपालिकाएं आती हैं)।

कुल मिलाकर भारत में पंचायतें गाँव, मध्यवर्ती और जिला स्तर पर (त्रिस्तरीय) स्थानीय स्वशासन संस्थाएँ हैं जो जमीनी स्तर के लोकतंत्र और ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस लेख में हम अनुच्छेद 243M को समझने वाले हैं;

याद रखें, पंचायत के पूरे संवैधानिक कॉन्सेप्ट को समझने के लिए भाग 9 के तहत आने वाले पूरे 16 अनुच्छेद को एक साथ जोड़कर पढ़ना और समझना जरूरी है। अगर आप चीजों को समग्रता के साथ समझना चाहते हैं तो पहले कृपया नीचे दिए गए दोनों लेखों को पढ़ें और समझें;

पंचायती राज का इतिहास (History of Panchayati Raj)
पंचायती राज, स्वतंत्रता के बाद (Panchayati Raj after Independence)
Closely Related to Article 243M

| अनुच्छेद 243M – इस भाग का कतिपय क्षेत्रों को लागू न होना (Part not to apply to certain areas)

अनुच्छेद 243M के तहत इस भाग का कतिपय क्षेत्रों को लागू न होना (Part not to apply to certain areas) के बारे में उपबंध किया गया है। अनुच्छेद 243M के तहत कुल 4 खंड हैं;

अनुच्छेद 243M के खंड (1) के तहत कहा गया है कि इस भाग की कोई बात अनुच्छेद 244 के खंड (1) में निर्दिष्ट अनुसूचित क्षेत्रों और उसके खंड (2) में निर्दिष्ट जनजति क्षेत्रों को लागू नहीं होगी।

अनुच्छेद 244 के तहत अनुसूचित क्षेत्रों (scheduled areas) एवं जनजाति क्षेत्रों (tribal areas) के प्रशासन के बारे में बताया गया है। तो उसमें जो अनुसूचित क्षेत्र एवं जनजाति क्षेत्र के बारे में बताया गया है उन क्षेत्रों में संविधान का यह भाग (भाग 9) लागू नहीं होता है।

अनुसूचित क्षेत्रों (scheduled areas) किसे कहते हैं?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 244 (1) अनुसूचित क्षेत्रों को भारत के राष्ट्रपति द्वारा परिभाषित क्षेत्रों के रूप में परिभाषित करता है और संविधान की पांचवीं अनुसूची में उल्लिखित है। भारत में अनुसूचित क्षेत्रों वाले 10 राज्य हैं; Andhra Pradesh, Chhattisgarh, Gujarat, Himachal Pradesh, Jharkhand, Madhya Pradesh, Maharashtra, Odisha, Rajasthan and Telangana

आमतौर पर सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े ‘आदिवासियों’ द्वारा बसाए गए क्षेत्रों को अनुसूचित क्षेत्र कहा जाता है। अनुसूचित क्षेत्र भारत में आदिवासी आबादी की बहुलता वाले क्षेत्र हैं जो एक विशेष शासन तंत्र के अधीन हैं, जिसमें केंद्र सरकार क्षेत्र में अनुसूचित जनजातियों के सांस्कृतिक और आर्थिक हितों की रक्षा में प्रत्यक्ष भूमिका निभाती है।

जनजाति क्षेत्रों (tribal areas) किसे कहते हैं?

जनजाति क्षेत्रों (tribal areas), संविधान के अनुच्छेद 244 (2) के छठी अनुसूची के तहत असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के उन क्षेत्रों से संबंधित है जिन्हें “आदिवासी क्षेत्र” घोषित किया गया है और ऐसे क्षेत्रों के लिए जिला या क्षेत्रीय स्वायत्त परिषदों (District or regional autonomous councils) का प्रावधान है।

छठी अनुसूची में चार राज्यों – असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के आदिवासी क्षेत्रों से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख है इन चार राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों के लोगों को खुद पर शासन करने के लिए बड़ी मात्रा में स्वायत्तता दी गई है। इन चार राज्यों में जनजातीय क्षेत्र ‘स्वायत्त जिलों’ के नाम से जाने जाते हैं, लेकिन राज्य के पास फिर भी उन पर अपना कार्यकारी अधिकार होता है।

कुल मिलाकर यहां समझने वाली बात ये है कि अनुसूचित क्षेत्रों (scheduled areas) में पंचायती व्यवस्था लागू होता है लेकिन PESA Act के तहत। दरअसल PESA Act 1996, अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को विशेष रूप से प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए विशेष अधिकार देता है। विस्तार से समझने के लिए पढ़ें; पेसा अधिनियम (PESA Act): Concept

वहीं बात जनजाति क्षेत्रों (tribal areas) क्षेत्र की करें तो वहाँ पर क्षेत्रीय स्वायत्त परिषदों (regional autonomous councils) का कॉन्सेप्ट लागू होता है।

अनुच्छेद 243M के खंड (2) के तहत कहा गया है कि इस भाग की कोई बात निम्नलिखित को लागू नहीं होगी, अर्थात्‌ : –

(क) नागालैंड, मेघालय और मिजोरम राज्य ;

(ख) मणिपुर राज्य में ऐसे पर्वतीय क्षेत्र जिनके लिए तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन जिला परिषदें विद्यमान हैं।

यानि कि इस भाग की कोई बात नागालैंड, मेघालय और मिजोरम राज्य और मणिपुर राज्य में ऐसे पर्वतीय क्षेत्र जिनके लिए तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन जिला परिषदें विद्यमान हैं; को लागू नहीं होंगी।

अनुच्छेद 243M के खंड (3) के तहत दो बातें कही गई हैं;

पहला) इस भाग की कोई बात जिला स्तर पर पंचायतों के संबंध में पश्चिमी बंगाल राज्य के दार्जिलिंग जिले के ऐसे पर्वतीय क्षेत्रों को लागू नहीं होगी जिनके लिए उस समय विद्यमान किसी विधि के अधीन दार्जिलिंग गोरखा पर्वतीय परिषद्‌ (Darjeeling Gorkha Hill Council) विद्यमान है ;

दूसरा) इस भाग में ऐसा कुछ भी नहीं माना जाएगा जो ऐसे कानून के तहत गठित दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल के कार्यों और शक्तियों को प्रभावित करता हो।

याद रखें; इस खंड के उपखंड (3क) के तहत कहा गया है कि अनुसूचित जातियों के लिए स्थानों के आरक्षण से संबंधित अनुच्छेद 243घ की कोई बातें अरुणाचल प्रदेश राज्य को लागू नहीं होगी।

अनुच्छेद 243M के खंड (4) के तहत कहा गया है कि इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी,

(क) खंड (2) के उपखंड (क) में निर्दिष्ट किसी राज्य (यानि कि नागालैंड, मेघालय और मिजोरम राज्य) का विधान-मंडल, विधि द्वारा, इस भाग का विस्तार, खंड (1) में निर्दिष्ट क्षेत्रों के सिवाय, यदि कोई हों, उस राज्य पर उस दशा में कर सकेगा जब उस राज्य की विधान सभा इस आशय का एक संकल्प विशेष बहुमत द्वारा पारित कर देती है;

यानि की नागालैंड, मेघालय और मिजोरम अपने राज्यों पंचायती राज व्यवस्था को लागू कर सकता है लेकिन अनुसूचित क्षेत्रों एवं जनजाति क्षेत्रों के अलावा और उसके लिए विधानसभा में विशेष बहुमत से एक संकल्प पारित करना आवश्यक होगा।

(ख) संसद, विधि द्वारा, इस भाग के उपबंधों का विस्तार, खंड (1) में निर्दिष्ट अनुसूचित क्षेत्रों और जनजति क्षेत्रों पर, ऐसे अपवादों और उपांतरणों के अधीन रहते हुए, कर सकेगी, जो ऐसी विधि में विनिर्दिष्ट किए जाएं और ऐसी किसी विधि की अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए इस संविधान का संशोधन नहीं समझा जाएगा।

यानि कि ऐसी किसी विधि को संसद में साधारण बहुमत से पारित किया जा सकता है।

अभी हमने ऊपर समझा है कि संसद ने इस संदर्भ में PESA Act अधिनियमित किया है जो कि अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को विशेष रूप से प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए विशेष अधिकार देता है। पेसा अधिनियम (PESA Act): Concept

तो यही है अनुच्छेद 243M , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial

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अनुच्छेद 243N – भारतीय संविधान
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संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
Important Pages of Compilation
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।
Article 243M