यह लेख Article 243ZP (अनुच्छेद 243यत) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 243यत (Article 243ZP) – Original

*भाग 9ख [सहकारी सोसाइटियाँ]
243ZP. विवरणियां — प्रत्येक सहकारी सोसाइटी, प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति के छह मास के भीतर राज्य सरकार द्वारा अभिहित प्राधिकारी को ऐसी विवरणियां फाइल करेगी, जिनमें निम्नलिखित बातें सम्मिलित होंगी, अर्थात्‌ —
(क) उसके क्रियाकलाप की वार्षिक रिपोर्ट :
(ख) उसके लेखाओं का संपरीक्षित विवरण
(ग) अधिशेष के व्ययन की योजना, जो सहकारी सोसाइटी के साधारण निकाय द्वारा यथा अनुमोदित हो ;
(घ) सहकारी सोसाइटी की उपविधियों के संशोधनों, यदि कोई हों, की सूची ;
(ड) उसके साधारण निकाय की बैठक आयोजित करने की तारीख और निर्वाचनों का, जब नियत हों, संचालन करने के संबंध मैं घोषणा : और
(च) राज्य अधिनियम के किन्हीं उपबंधों के अनुसरण में रजिस्ट्रार द्वारा अपेक्षित कोई अन्य जानकारी।
अनुच्छेद 243ZP हिन्दी संस्करण

*Part IXB [THE CO-OPERATIVE SOCIETIES]
243ZP. Returns— Every co-operative society shall file returns, within six months of the close of every financial year, to the authority designated by the State Government including the following matters, namely:—
(a) annual report of its activities;
(b) its audited statement of accounts;
(c) plan for surplus disposal as approved by the general body of the co-operative society;
(d) list of amendments to the bye-laws of the co-operative society, if any;
(e) declaration regarding date of holding of its general body meeting and conduct of elections when due; and
(f) any other information required by the Registrar in pursuance of any of the provisions of the State Act.
Article 243ZP English Version

🔍 Article 243ZP Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 9B, अनुच्छेद 243ZG से लेकर अनुच्छेद 243ZT तक विस्तारित है। यह भाग भारत में सहकारी सोसाइटियों की नींव रखता है जो कि हमेशा से संविधान का हिस्सा नहीं था बल्कि इसे साल 2012 में 97वां संविधान संशोधन अधिनियम की मदद से संविधान का हिस्सा बनाया गया।

सहकारी सोसाइटियाँ स्वयं सहायता संगठनों का एक रूप हैं जो समान आर्थिक, सामाजिक या सांस्कृतिक हितों वाले व्यक्तियों द्वारा स्थापित की जाती हैं। ये समितियाँ भारत के सहकारी कानूनों और विनियमों द्वारा शासित होती हैं, और वे आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

भारत में सहकारी सोसाइटियाँ संगठन के एक अनूठे और महत्वपूर्ण रूप के रूप में कार्य करती हैं जो समुदायों और व्यक्तियों के बीच सामूहिक कार्रवाई, आर्थिक सहयोग और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देती हैं।

संविधान (सतानवेवां संशोधन) अधिनियम 2011 की मदद से इसे संविधान में अंतःस्थापित किया गया था। इस संविधान संशोधन की मदद से मुख्यत: तीन चीज़ें की गई थी;

1) सहकारी समिति बनाने के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया।
2) राज्य के नीति निदेशक तत्व में इसे अनुच्छेद 43B के तहत जोड़ा गया। और,
3) संविधान में एक नया खंड 9B जोड़ा जिसके तहत अनुच्छेद ZH से लेकर ZT तक 13 अनुच्छेदों को जोड़ा गया।

कहने का अर्थ है कि भाग 9B पूरी तरह से सहकारी सोसाइटियों (Cooperative Societies) को समर्पित है। इसके तहत कुल 13 अनुच्छेद आते हैं जिसकी मदद से सहकारी सोसाइटियों को एक संवैधानिक संस्था बनाया गया।

इस लेख में हम अनुच्छेद 243ZP को समझने वाले हैं;

याद रखें, सहकारी सोसाइटी के पूरे संवैधानिक कॉन्सेप्ट को समझने के लिए भाग 9B के तहत आने वाले पूरे 13 अनुच्छेद को एक साथ जोड़कर पढ़ना और समझना जरूरी है। अगर आप चीजों को समग्रता के साथ समझना चाहते हैं तो पहले कृपया नीचे दिए गए दोनों लेखों को पढ़ें और समझें;

| अनुच्छेद 243ZP – विवरणियां (Returns)

अनुच्छेद 243ZP के तहत विवरणियां (Returns) वर्णित है।

अनुच्छेद 243ZP के तहत कहा गया है कि प्रत्येक सहकारी समिति, प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति के छह महीने के भीतर, निम्नलिखित मामलों सहित राज्य सरकार द्वारा नामित प्राधिकारी को रिटर्न दाखिल करेगी, जिनमें निम्नलिखित बातें सम्मिलित होंगी, अर्थात्‌ —

(क) उसके क्रियाकलाप की वार्षिक रिपोर्ट (annual report of its activities:
(ख) उसके लेखाओं का संपरीक्षित विवरण (audited statement of its accounts);
(ग) सहकारी समिति की आम सभा द्वारा अनुमोदित अधिशेष निपटान की योजना (plan for surplus disposal as approved by the general body of the co-operative society);
(घ) सहकारी सोसाइटी की उपविधियों के संशोधनों, यदि कोई हों, की सूची ;
(ङ) उसके साधारण निकाय की बैठक आयोजित करने की तारीख और निर्वाचनों का, जब नियत हों, संचालन करने के संबंध मैं घोषणा : और
(च) राज्य अधिनियम के किन्हीं उपबंधों के अनुसरण में रजिस्ट्रार द्वारा अपेक्षित कोई अन्य जानकारी।

तो यही है अनुच्छेद 243ZP , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।