यह लेख Article 246 (अनुच्छेद 246) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 246 (Article 246) – Original

भाग 11 [संघ और राज्यों के बीच संबंध]
246. संसद्‌ द्वारा और राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों की विषय-वस्तु— (1) खंड (2) और खंड (3) में किसी बात के होते हुए भी, संसद्‌ को सातवीं अनुसूची की सूची 1 में (जिसे इस संविधान में “संघ सूची” कहा गया है) प्रगणित किसी भी विषय के संबंध में विधि बनाने की अनन्य शक्ति है।

(2) खंड (3) में किसी बात के होते हुए भी, संसद्‌ को और खंड (1) के अधीन रहते हुए,1*** किसी राज्य के विधान-मंडले को भी, सातवीं अनुसूची की सूची 3 में (जिसे इस संविधान में “समवर्ती सूची” कहा गया है) प्रगणित किसी भी विषय के संबंध में विधि बनाने की शक्ति है।

(3) खंड (1) और खंड (2) के अधीन रहते हुए, 1*** किसी राज्य के विधान- मंडल को, सातवीं अनुसूची की सूची 2 में (जिसे इस संविधान में “राज्य सूची” कहा गया है) प्रगणित किसी भी विषय के संबंध में उस राज्य या उसके किसी भाग के लिए विधि बनाने की अनन्य शक्ति है।

(4) संसद्‌ को भारत के राज्यक्षेत्र के ऐसे भाग के लिए 2[जो किसी राज्य] के अंतर्गत नहीं है, किसी भी विषय के संबंध में विधि बनाने की शक्ति है, चाहे वह विषय राज्य सूची में प्रगणित विषय ही क्‍यों न हो।
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1. संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा “पहली अनुसूची के भाग क या भाग ख में विनिर्दिष्ट” शब्दों और अक्षरों का (1-11-1956 से) लोप किया गया।
2. संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा “पहली अनुसूची के भाग क या भाग ख में” शब्दो के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
अनुच्छेद 246 हिन्दी संस्करण

Part XI [RELATIONS BETWEEN THE UNION AND THE STATES]
246. Subject-matter of laws made by Parliament and by the Legislatures of States— (1) Notwithstanding anything in clauses (2) and (3), Parliament has exclusive power to make laws with respect to any of the matters enumerated in List I in the Seventh Schedule (in this Constitution referred to as the “Union List”).

(2) Notwithstanding anything in clause (3), Parliament, and, subject to clause (1), the Legislature of any State 1*** also, have power to make laws with respect to any of the matters enumerated in List III in the Seventh Schedule (in this Constitution referred to as the “Concurrent List”). (3) Subject to clauses (1) and (2), the Legislature of any State 1*** has exclusive power to make laws for such State or any part thereof with respect to any of the matters enumerated in List II in the Seventh Schedule (in this Constitution referred to as the “State List”).

(4) Parliament has power to make laws with respect to any matter for any part of the territory of India not included 2[in a State] notwithstanding that such matter is a matter enumerated in the State List.
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1. The words and letters “specified in Part A or Part B of the First Schedule” omitted by the Constitution (Seventh Amendment) Act, 1956, s. 29 and Sch. (w.e.f. 1-11-1956).
2. Subs. by s. 29 and Sch., ibid., for “in Part A or Part B of the First Schedule” (w.e.f. 1-11-1956).
Article 246 English Version

🔍 Article 246 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 11, अनुच्छेद 245 से लेकर अनुच्छेद 263 तक कुल 2 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iविधायी संबंध (Legislative Relations)Article 245 – 255
IIप्रशासनिक संबंध (Administrative Relations)Article 256 – 263
[Part 11 of the Constitution]

जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग केंद्र-राज्य सम्बन्धों (Center-State Relations) के बारे में है। जिसके तहत मुख्य रूप से दो प्रकार के सम्बन्धों की बात की गई है – विधायी और प्रशासनिक

भारत में केंद्र-राज्य संबंध देश के भीतर केंद्र सरकार और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच शक्तियों, जिम्मेदारियों और संसाधनों के वितरण और बंटवारे को संदर्भित करते हैं।

ये संबंध भारत सरकार के संघीय ढांचे के लिए महत्वपूर्ण हैं, जैसा कि भारत के संविधान में परिभाषित किया गया है। संविधान केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की शक्तियों और कार्यों का वर्णन करता है, और यह राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करते हुए दोनों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास करता है।

अनुच्छेद 245 से लेकर अनुच्छेद 255 तक मुख्य रूप से विधायी शक्तियों के वितरण (distribution of legislative powers) का वर्णन है। और यह भाग केंद्र-राज्य संबन्धों से जुड़े बहुत सारे कॉन्सेप्टों को आधार प्रदान करता है; जिसमें से कुछ प्रमुख है;

  • शक्तियों का विभाजन (division of powers)
  • अवशिष्ट शक्तियां (residual powers)
  • अंतर-राज्य परिषद (inter-state council)
  • सहकारी संघवाद (cooperative federalism) और
  • केंद्र-राज्य के मध्य विवाद समाधान (Dispute resolution between center and state)

इस लेख में हम अनुच्छेद 246 को समझने वाले हैं; लेकिन अगर आप इस पूरे टॉपिक को एक समग्रता से (मोटे तौर पर) Visualize करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लेख से शुरुआत कर सकते हैं;

केंद्र-राज्य विधायी संबंध Center-State Legislative Relations)
Closely Related to Article 246

| अनुच्छेद 246 – संसद्‌ द्वारा और राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों की विषय-वस्तु (Subject-matter of laws made by Parliament and by the Legislatures of States)

अनुच्छेद 246 के तहत संसद्‌ द्वारा और राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों की विषय-वस्तु का वर्णन है। इस अनुच्छेद के तहत कुल 4 खंड आते हैं;

अनुच्छेद 246 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि खंड (2) और खंड (3) में किसी बात के होते हुए भी, संसद्‌ को सातवीं अनुसूची की सूची 1 में (जिसे इस संविधान में “संघ सूची” कहा गया है) प्रगणित किसी भी विषय के संबंध में विधि बनाने की अनन्य शक्ति है।

इसमें कहा गया है कि इस अनुच्छेद के खंड (2) और खंड (3) में भले ही कुछ भी क्यों न लिखा हो, सातवीं अनुसूची में जो संघ सूची (union list) हैं उसमें जितने भी विषय वर्णित है उस सब पर सिर्फ संसद ही कानून बना सकता है। दरअसल खंड (2) और खंड (3) में क्रमशः समवर्ती सूची (Concurrent list) और राज्य सूची (State list) वर्णित है।

अनुच्छेद 246 के खंड (2) के तहत कहा गया है कि खंड (3) में किसी बात के होते हुए भी, संसद्‌ को और खंड (1) के अधीन रहते हुए, किसी राज्य के विधान-मंडले को भी, सातवीं अनुसूची की सूची 3 में (जिसे इस संविधान में “समवर्ती सूची” कहा गया है) प्रगणित किसी भी विषय के संबंध में विधि बनाने की शक्ति है।

इसमें कहा गया है कि इस अनुच्छेद के खंड (3) में भले ही कुछ भी क्यों न लिखा हो, सातवीं अनुसूची में जो समवर्ती सूची (Concurrent list) हैं उसमें जितने भी विषय वर्णित है उस सब पर संसद और राज्य विधानमंडल दोनों ही कानून बना सकता है।

अनुच्छेद 246 के खंड (3) के तहत कहा गया है कि खंड (1) और खंड (2) के अधीन रहते हुए, किसी राज्य के विधान- मंडल को, सातवीं अनुसूची की सूची 2 में (जिसे इस संविधान में “राज्य सूची” कहा गया है) प्रगणित किसी भी विषय के संबंध में उस राज्य या उसके किसी भाग के लिए विधि बनाने की अनन्य शक्ति है।

इसमें कहा गया है कि सातवीं अनुसूची में जो राज्य सूची (State list) हैं उसमें जितने भी विषय वर्णित है उस सब पर राज्य विधानमंडल ही कानून बना सकती है।

हालांकि राज्य विधानमंडल द्वारा कानून बनाने की शक्ति खंड (1) और खंड (2) के अधीन है यानि कि संसद इसमें हस्तक्षेप कर सकती है।

अनुच्छेद 246 के खंड (4) के तहत कहा गया है कि संसद्‌ को भारत के राज्यक्षेत्र के ऐसे भाग के लिए जो किसी राज्य के अंतर्गत नहीं है, किसी भी विषय के संबंध में विधि बनाने की शक्ति है, चाहे वह विषय राज्य सूची में प्रगणित विषय ही क्‍यों न हो।

कहने का अर्थ है कि अगर कोई क्षेत्र राज्य के अंतर्गत नहीं आता है (जैसे कि केंद्रशासित प्रदेश) तो ऐसे क्षेत्रों के मामले में संसद किसी भी विषय पर कानून बना सकती है, चाहे वह राज्य सूची का विषय ही क्यों न हो।

Article 246 in Nutshell

अनुच्छेद 246 के तहत, संविधान में केंद्र एवं राज्य के बीच विधायी विषयों के बंटवारे के संबंध में त्रिस्तरीय व्यवस्था की है गयी है। जिसे सातवीं अनुसूची (Seventh schedule) में रखा गया है। ये तीन प्रकार की सूचियाँ हैं –

▶ संघ सूची (Union list),
▶ राज्य सूची (State list), और
▶ समवर्ती सूची (Concurrent list)

1. संघ सूची से संबन्धित किसी भी मसले पर कानून बनाने की संसद को विशिष्ट शक्ति प्राप्त है। इसमें कोई राज्य हस्तक्षेप नहीं कर सकता।

जिस समय संविधान बनाया गया था उस समय तो इसमें 97 विषय था पर अभी इस सूची में 100 विषय है, जैसे – रक्षा, बैंकिंग, विदेश मामले, मुद्रा, आण्विक ऊर्जा, बीमा, संचार, केंद्र-राज्य व्यापार एवं वाणिज्य, जनगणना, लेखा परीक्षा आदि। 

2. इसी प्रकार राज्य सूची के विषयों पर राज्य विधानमण्डल को कानून बनाने की शक्ति प्राप्त है, पर सामान्य परिस्थितियों में, क्योंकि कभी-कभी कुछ ऐसी विशिष्ट परिस्थिति आ जाती है जहां राज्य के विषयों पर भी कानून केंद्र ही बनाती है – जैसे कि आपातकाल ।

जिस समय संविधान बनाया गया था उस समय तो इसमें 66 विषय था पर अब इसमें 61 विषय है। जैसे- सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस, जन-स्वास्थ्य एवं सफाई, कृषि, जेल, स्थानीय शासन, मतस्य पालन, बाजार आदि। 

3. समवर्ती सूची के संबंध में संसद एवं राज्य विधानमंडल दोनों कानून बना सकते है। इस सूची में इस समय 52 विषय मूल रूप से इसमें मात्र 47 विषय था।

जैसे- आपराधिक कानून प्रक्रिया, सिविल प्रक्रिया, विवाह एवं तलाक, जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन, बिजली, श्रम कल्याण, आर्थिक एवं सामाजिक योजना, दवा, अखबार, पुस्तक एवं छापा प्रेस, उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के अतिरिक्त सभी न्यायालयों का गठन एवं अन्य।

42वें संशोधन अधिनियम 1976 के तहत 5 विषयों को राज्य सूची से समवर्ती सूची में शामिल किया गया। वे है – शिक्षा, वन, नाप एवं तौल, वन्य जीवों एवं पक्षियों का संरक्षण, न्याय का प्रशासन।

जो भाग किसी राज्य के अंतर्गत नहीं आता है, संसद उस भाग के लिए तीनों सूचियों या उसके अतिरिक्त भी किसी विषय पर कानून बना सकता है। जैसे कि केंद्रशासित प्रदेश।

तीनों सूचियों का पीडीएफ़ यहाँ से डाउनलोड करें – In Hindi↗️– In English↗️

यहाँ यह याद रखें कि संघ और राज्य के बीच जब विधायी विवाद होता है तब संघ सूची के तहत बनाई गई विधि राज्य सूची और समवर्ती सूची के ऊपर अविभावी होता है।

तो यही है Article 246 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि
भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview
Must Read

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial

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Chapter Wise Polity Quiz

केंद्र-राज्य विधायी संबंध अभ्यास प्रश्न

  1. Number of Questions – 5
  2. Passing Marks – 80 %
  3. Time – 4 Minutes
  4. एक से अधिक विकल्प सही हो सकते हैं।

1 / 5

केंद्र-राज्य विधायी संबंध के संदर्भ में निम्न में से कौन सा कथन सही है?

  1. संविधान के अनुच्छेद 245 से 255 तक इसकी चर्चा है।
  2. अनुच्छेद 245 के तहत केंद्र पूरे देश के किसी भी भाग के लिए कानून बना सकता है।
  3. अनुसूचित जनजाति आयोग को ये शक्ति है कि अनुसूची 6 के राज्यों के विशेष स्टेट्स प्राप्त जनजातीय जिलों में, संसद के किसी कानून को परिवर्तनों के साथ लागू कर सकता है।
  4. अनुच्छेद 246 के तहत तीन सूचियाँ बनायी गई है।

2 / 5

दिए गए कथनों में से सही कथनों का चुनाव करें।

  1. आपातकाल लागू हो जाने की स्थिति में संसद, राज्य सूची के विषय पर कानून बना सकता है।
  2. राज्य सूची के कुछ विषयों पर विधेयक (Bill) राष्ट्रपति से सहमति मिलने के बाद की लाया जा सकता है।
  3. सरकारिया आयोग ने केंद्र-राज्य विधायी संबंध में केंद्र की सर्वोच्चता का समर्थन किया है।
  4. वित्तीय आपातकाल की स्थिति में विधानमंडल द्वारा पारित धन या वित्त विधेयक को राष्ट्रपति सुरक्षित रखने का आदेश दे सकती है।

3 / 5

दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें –

  1. अनुच्छेद 247, संसद को कुछ अतिरिक्त न्यायालय की स्थापना की शक्ति देता है।
  2. अनुच्छेद 248 के तहत राज्य विधानमंडल तीनों सूचियों में अलिखित विषयों पर कानून बना सकता है।
  3. संघ और राज्य में किसी भी प्रकार का कोई टकराव होगा तो संघ सूची ही मान्य होगा।
  4. अनुच्छेद 248 के तहत सातवीं अनुसूची बनायी गई है।

4 / 5

राज्य क्षेत्र में संसदीय विधान लागू होता है, इस संदर्भ में निम्न में से कौन सा कथन सही है?

  1. अनुच्छेद 249 के तहत, जब राज्यसभा दो-तिहाई बहुमत से एक प्रस्ताव करेगा कि संसद को राज्य सूची के मामलों पर कानून बनाना चाहिए तो संसद उस मामले पर कानून बनाने में सक्षम हो जाएंगी।
  2. केंद्र एवं राज्य के क़ानूनों के टकराव की स्थिति में केंद्रीय कानून ही मान्य होगा।
  3. अनुच्छेद 250 के तहत संसद राज्य सूची के विषय पर कानून बना सकता है।
  4. अनुच्छेद 253 के अनुसार, संसद अंतर्राष्ट्रीय संधि या समझौते को लागू करने के उद्देश्य से राज्य सूची के विषयों पर कानून बना सकता है।

5 / 5

केंद्र-राज्य संबंध के संदर्भ में निम्न में से कौन सा कथन सही है?

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अनुच्छेद 246A – भारतीय संविधान
अनुच्छेद 245 – भारतीय संविधान
Next and Previous to Article 246
भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
Important Pages of Compilation
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।