यह लेख Article 246A (अनुच्छेद 246क) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
Bell आइकॉन पर क्लिक करके हमारे नोटिफ़िकेशन सर्विस को Allow कर दें ताकि आपको हरेक नए लेख की सूचना आसानी से प्राप्त हो जाए। साथ ही नीचे दिए गए हमारे सोशल मीडिया हैंडल से जुड़ जाएँ और नवीनतम विचार-विमर्श का हिस्सा बनें। खासकर के टेलीग्राम और यूट्यूब से जरूर जुड़ जाएं; |
📜 अनुच्छेद 246क (Article 246A) – Original
भाग 11 [संघ और राज्यों के बीच संबंध] |
---|
1[246A. माल और सेवा कर के संबंध में विशेष उपबंध— (1) अनुच्छेद 246 और अनुच्छेद 254 में किसी बात के होते हए भी, संसद् को, और खंड (2) के अधीन रहते हुए प्रत्येक राज्य के विधान-मंडल को, संघ द्वारा या उस राज्य द्वारा अधिरोपित माल और सेवा कर के संबंध में विधियां बनाने की शक्ति होगी। (2) जहां माल का या सेवाओं का अथवा दोनों का प्रदाय अन्तरराज्यिक व्यापार या वाणिज्य के अनुक्रम में होता है वहां संसद् को, माल और सेवा कर के संबंध में विधियां बनाने की अनन्य शक्ति प्रास है। स्पष्टीकरण-इस अनुच्छेद के उपबंध, अनुच्छेद 279क के खंड (5) में निर्दिष्ट माल और सेवा कर के संबंध में, माल और सेवा कर परिषद् द्वारा सिफारिश की गई तारीख से प्रभावी होंगे।] ============ 1. संविधान (एक सौं एकवां संशोधन) अधिनियम, 2016 की धारा 2 द्वारा (16-9-2016 से) अंतःस्थापित। |
Part XI [RELATIONS BETWEEN THE UNION AND THE STATES] |
---|
1[246A. Special provision with respect to goods and services tax—(1) Notwithstanding anything contained in articles 246 and 254, Parliament, and, subject to clause (2), the Legislature of every State, have power to make laws with respect to goods and services tax imposed by the Union or by such State. (2) Parliament has exclusive power to make laws with respect to goods and services tax where the supply of goods, or of services, or both takes place in the course of inter-State trade or commerce. Explanation.—The provisions of this article, shall, in respect of goods and services tax referred to in clause (5) of article 279A, take effect from the date recommended by the Goods and Services Tax Council.] ================ 1. Ins. by the Constitution (One Hundred and First Amendment) Act, 2016, s. 2 (w.e.f. 16-9-2016). |
🔍 Article 246A Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 11, अनुच्छेद 245 से लेकर अनुच्छेद 263 तक कुल 2 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
---|---|---|
I | विधायी संबंध (Legislative Relations) | Article 245 – 255 |
II | प्रशासनिक संबंध (Administrative Relations) | Article 256 – 263 |
जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग केंद्र-राज्य सम्बन्धों (Center-State Relations) के बारे में है। जिसके तहत मुख्य रूप से दो प्रकार के सम्बन्धों की बात की गई है – विधायी और प्रशासनिक।
भारत में केंद्र-राज्य संबंध देश के भीतर केंद्र सरकार और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच शक्तियों, जिम्मेदारियों और संसाधनों के वितरण और बंटवारे को संदर्भित करते हैं।
ये संबंध भारत सरकार के संघीय ढांचे के लिए महत्वपूर्ण हैं, जैसा कि भारत के संविधान में परिभाषित किया गया है। संविधान केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की शक्तियों और कार्यों का वर्णन करता है, और यह राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करते हुए दोनों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास करता है।
अनुच्छेद 245 से लेकर अनुच्छेद 255 तक मुख्य रूप से विधायी शक्तियों के वितरण (distribution of legislative powers) का वर्णन है। और यह भाग केंद्र-राज्य संबन्धों से जुड़े बहुत सारे कॉन्सेप्टों को आधार प्रदान करता है; जिसमें से कुछ प्रमुख है;
- शक्तियों का विभाजन (division of powers)
- अवशिष्ट शक्तियां (residual powers)
- अंतर-राज्य परिषद (inter-state council)
- सहकारी संघवाद (cooperative federalism) और
- केंद्र-राज्य के मध्य विवाद समाधान (Dispute resolution between center and state)
इस लेख में हम अनुच्छेद 246A को समझने वाले हैं; लेकिन अगर आप इस पूरे टॉपिक को एक समग्रता से (मोटे तौर पर) Visualize करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लेख से शुरुआत कर सकते हैं;
⚫ केंद्र-राज्य विधायी संबंध Center-State Legislative Relations) |
| अनुच्छेद 246A – माल और सेवा कर के संबंध में विशेष उपबंध (Special provision with respect to goods and services tax)
अनुच्छेद 246A के तहत संसद् द्वारा और राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों की विषय-वस्तु का वर्णन है। इस अनुच्छेद को संविधान (एक सौं एकवां संशोधन) अधिनियम, 2016 द्वारा संविधान में अंतःस्थापित किया गया है। इस अनुच्छेद के तहत कुल दो खंड आते हैं;
अनुच्छेद 246A के खंड (1) के तहत कहा गया है कि अनुच्छेद 246 और अनुच्छेद 254 में किसी बात के होते हए भी, संसद् को, और खंड (2) के अधीन रहते हुए प्रत्येक राज्य के विधान-मंडल को, संघ द्वारा या उस राज्य द्वारा अधिरोपित माल और सेवा कर के संबंध में विधियां बनाने की शक्ति होगी।
जैसा कि हम जानते हैं कि साल 2017 से माल एवं सेवा कर (GST) लागू है इसी के संबंध में संविधान में कई प्रावधान जोड़े गए हैं। इस अनुच्छेद के तहत माल एवं सेवा कर के संबंध में कुछ विशेष उपबंध किया गया है, जो कि निम्नलिखित है;
पहला) संसद को संघ द्वारा या उस राज्य द्वारा अधिरोपित माल और सेवा कर के संबंध में विधियां बनाने की शक्ति होगी। और संसद की यह जो शक्ति है वो अनुच्छेद 246 और अनुच्छेद 254 से प्रभावित नहीं होती है।
अनुच्छेद 246 के तहत हम जानते हैं कि तीन सूचियां बनाई गई है और राज्य एवं केंद्र के विषयों को बांट दिया गया है। वहीं अनुच्छेद 254 के तहत बताया गया है कि अगर राज्य विधानमंडल द्वारा बनाए गए विधि से संसद द्वारा बनाए गए विधि का उल्लंघन होता है तो संसद द्वारा बनाई गई विधि ही मान्य होगा।
इसे आप इस तरह से भी समझ सकते हैं कि अगर कोई विषय राज्य का है लेकिन जीएसटी के लिए संसद द्वारा उस पर कानून बनाया जाना आवश्यक है तो संसद ऐसा कर सकता है। जब आप जीएसटी समझेंगे तो आपको समझ जाएँगे कि राज्य के कितने विषयों का अतिक्रमण हुआ है;
समझिए – ◾ जीएसटी क्या है?
दूसरा) राज्य के विधान-मंडल को, संघ द्वारा या उस राज्य द्वारा अधिरोपित माल और सेवा कर के संबंध में विधियां बनाने की शक्ति होगी। हालांकि राज्यों की यह शक्ति अनुच्छेद 246A के खंड (2) के अधीन है। [खंड (2) में क्या है, आइये समझें]
अनुच्छेद 246A के खंड (2) के तहत कहा गया है कि जहां माल का या सेवाओं का अथवा दोनों का प्रदाय अन्तरराज्यिक व्यापार (inter-State trade) या वाणिज्य के अनुक्रम में होता है वहां संसद् को, माल और सेवा कर के संबंध में विधियां बनाने की अनन्य शक्ति प्राप्त है।
कहने का अर्थ है कि संसद के पास माल और सेवा कर के संबंध में कानून बनाने की विशेष शक्ति है जहां माल, या सेवाओं, या दोनों की आपूर्ति अंतर-राज्य व्यापार या वाणिज्य के दौरान होती है।
खंड (1) के तहत हमने समझा था कि राज्य के विधान-मंडल को, संघ द्वारा या उस राज्य द्वारा अधिरोपित माल और सेवा कर के संबंध में विधियां बनाने की शक्ति है लेकिन राज्यों की यह शक्ति अनुच्छेद 246A के खंड (2) के अधीन है।
GST के संबंध में कानून बनाने की संसद की शक्ति अद्वितीय है, और राज्य सरकार इसके सीमा के अंदर रहकर ही कोई विधि बना सकती है।
संविधान में अनुच्छेद 279A नामक एक अनुच्छेद भी जिसके तहत GST Council का निर्माण किया गया है, इसके बारे में हम आगे समझने वाले हैं;
तो यही है अनुच्छेद 246A , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
Related MCQs with Explanation
| Related Article
⚫ अनुच्छेद 247 – भारतीय संविधान |
⚫ अनुच्छेद २४६ – भारतीय संविधान |
⚫ भारतीय संविधान ⚫ संसद की बेसिक्स ⚫ मौलिक अधिकार बेसिक्स ⚫ भारत की न्यायिक व्यवस्था ⚫ भारत की कार्यपालिका |
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |