यह लेख Article 280 (अनुच्छेद 280) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 280 (Article 280) – Original

भाग 12 [वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद] अध्याय 1 – वित्त (संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण)
280. वित्त आयोग — (1) राष्ट्रपति, इस संविधान के प्रारंभ से दो वर्ष के भीतर और तत्पश्वात्‌ प्रत्येक पांचवें वर्ष की समाप्ति पर या ऐसे पूर्वतर समय पर, जिसे राष्ट्रपति आवश्यक समझता है, आदेश द्वारा, वित्त आयोग का गठन करेगा जो राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाने वाले एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा।

(2) संसद्‌ विधि द्वारा, उन अर्हताओं का, जो आयोग के सदस्यों के रूप में नियुक्ति के लिए अपेक्षित होंगी और उस रीति का, जिससे उनका चयन किया जाएगा, अवधारण कर सकेगी।

(3) आयोग का यह कर्तव्य होगा कि वह
(क) संघ और राज्यों के बीच करों के शुद्ध आगमों के, जो इस अध्याय के अधीन उनमें विभाजित किए जाने हैं या किए जाएं, वितरण के बारे में और राज्यों के बीच ऐसे आगमों के तत्संबंधी भाग के आबंटन के बारे में ;
(ख) भारत की संचित निधि में से राज्यों के राजस्व में सहायता अनुदान को शासित करने वाले सिद्धांतों के बारे में ;

1[(खख) राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में पंचायतों के संसाधनों की अनुपूर्ति के लिए किसी राज्य की संचित निधि के संवर्धन के लिए आवश्यक अध्युपायों के बारे में ;]

2(ग) राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में नगरपालिकाओं के संसाधनों की अनुपूर्ति के लिए किसी राज्य की संचित निधि के संवर्धन के लिए आवश्यक अध्युपायों के बारे में ;]

3(घ)] सुदृढ़ वित्त के हित में राष्ट्रपति द्वारा आयोग को निर्दिष्ट किए गए किसी अन्य विषय के बारे में,

राष्ट्रपति को सिफारिश करे।

(4) आयोग अपनी प्रक्रिया अवधारित करेगा और अपने कृत्यों के पालन में उसे ऐसी शक्तियां होंगी जो संसद, विधि द्वारा, उसे प्रदान करे।
======================
1.. संविधान (तिहत्रवां संशोधन) अधिनियम, 1992 की धारा 3 द्वारा (24-4-1993 से) अंतःस्थापित ।
2.. संविधान (चौहत्तरवां संशोधन) अधिनियम, 1992 की धारा 3 द्वारा (1-6-993 से) अंतःस्थापित ।
3. संविधान (चौहत्तरवां संशोधन) अधिनियम, 1992 की धारा 3 द्वारा (।-6-993 से) उपखंड (ग) को उपखंड (घ) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया।
अनुच्छेद 280 हिन्दी संस्करण

Part XII [FINANCE, PROPERTY, CONTRACTS AND SUITS] Chapter 1 – Finance (Distribution of revenues between the Union and the States)
280. Finance Commission— (1) The President shall, within two years from the commencement of this Constitution and thereafter at the expiration of every fifth year or at such earlier time as the President considers necessary, by order constitute a Finance Commission which shall consist of a Chairman and four other members to be appointed by the President.

(2) Parliament may by law determine the qualifications which shall be requisite for appointment as members of the Commission and the manner in which they shall be selected.

(3) It shall be the duty of the Commission to make recommendations to the President as to—
(a) the distribution between the Union and the States of the net proceeds of taxes which are to be, or may be, divided between them under this Chapter and the allocation between the States of the respective shares of such proceeds;
(b) the principles which should govern the grants-in-aid of the revenues of the States out of the Consolidated Fund of India;
1[(bb) the measures needed to augment the Consolidated Fund of a State to supplement the resources of the Panchayats in the State on the basis of the recommendations made by the Finance Commission of the State;]
2[(c) the measures needed to augment the Consolidated Fund of a State to supplement the resources of the Municipalities in the State on the basis of the recommendations made by the Finance Commission of the State;]
3[(d)] any other matter referred to the Commission by the President in the interests of sound finance.

(4) The Commission shall determine their procedure and shall have such powers in the performance of their functions as Parliament may by law confer on them.
============
1. Ins. by the Constitution (Seventy-third Amendment) Act, 1992, s. 3 (w.e.f. 24-4-1993).
2. Ins. by the Constitution (Seventy-fourth Amendment) Act, 1992, s. 3 (w.e.f. 1-6-1993).
3. Sub-clause (c) re-lettered as sub-clause (d) by s. 3, ibid. (w.e.f. 1-6-1993).
Article 280 English Version

🔍 Article 280 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 12, अनुच्छेद 264 से लेकर अनुच्छेद 300क तक कुल 4अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iवित्त (Finance)Article 264 – 291
IIउधार लेना (Borrowing)Article 292 – 293
IIIसंपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS)294 – 300
IVसंपत्ति का अधिकार (Rights to Property)300क
[Part 11 of the Constitution]

जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) के बारे में है।

संविधान का यही वह भाग है जिसके अंतर्गत हम निम्नलिखित चीज़ें पढ़ते हैं;

  • कर व्यवस्था (Taxation System)
  • विभिन्न प्रकार की निधियाँ (different types of funds)
  • संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)
  • भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा उधार लेने की व्यवस्था (Borrowing arrangement by Government of India or State Government)
  • संपत्ति का अधिकार (Rights to Property), इत्यादि।

संविधान के इस भाग (भाग 12) के पहले अध्याय को तीन उप-अध्यायों (Sub-chapters) में बांटा गया है। जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;

Sub-Chapters TitleArticles
साधारण (General)Article 264 – 267
संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)Article 268 – 281
प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध (Miscellaneous Financial Provisions)282 – 291*
* अनुच्छेद 291 को 26वें संविधान संशोधन अधिनियम 1971 की मदद से निरसित (Repealed) कर दिया गया है।

इस लेख में हम अनुच्छेद 280 को समझने वाले हैं; जो कि संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States) के तहत आता है। हालांकि मोटे तौर पर समझने के लिए आप नीचे दिये गए लेख से स्टार्ट कर सकते हैं;

केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध Center-State Financial Relations)
Closely Related to Article 280

| अनुच्छेद 280 – वित्त आयोग (Finance Commission):

अनुच्छेद 280 के तहत वित्त आयोग (Finance Commission) का वर्णन है। केंद्र एवं राज्य के मध्य पैसों का बंटवारा कैसे हो, इसी सिद्धान्त को बताने के लिए इस अनुच्छेद के तहत वित्त आयोग का गठन किया गया है। इस अनुच्छेद के तहत कुल 4 खंड आते हैं;

Article 280 Clause 1 Explanation

अनुच्छेद 280 के खंड (1) तहत कहा गया है कि राष्ट्रपति, इस संविधान के प्रारंभ से दो वर्ष के भीतर और तत्पश्वात्‌ प्रत्येक पांचवें वर्ष की समाप्ति पर या ऐसे पूर्वतर समय पर, जिसे राष्ट्रपति आवश्यक समझता है, आदेश द्वारा, वित्त आयोग का गठन करेगा जो राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाने वाले एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा।

इस खंड के तहत दो बातें हैं;

पहली बात) राष्ट्रपति, इस संविधान के प्रारंभ से दो वर्ष के भीतर और तत्पश्चात प्रत्येक पांचवें वर्ष की समाप्ति पर या ऐसे पूर्वतर समय पर, जिसे राष्ट्रपति आवश्यक समझता है, आदेश द्वारा, वित्त आयोग का गठन करेगा।

दूसरी बात) वित्त आयोग एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा।

Article 280 Clause 2 Explanation

अनुच्छेद 280 के खंड (2) तहत कहा गया है कि संसद्‌ विधि द्वारा, उन अर्हताओं का, जो आयोग के सदस्यों के रूप में नियुक्ति के लिए अपेक्षित होंगी और उस रीति का, जिससे उनका चयन किया जाएगा, अवधारण कर सकेगी।

जैसा कि हमने पहले खंड में समझा कि वित्त आयोग एक अध्यक्ष एवं चार अन्य सदस्यों से मिलकर बनता है। इन सदस्यों के लिए क्या अर्हताएं (Qualification) होंगी और इनका चयन किस विधि से किया जाएगा इसको निर्धारित करने की शक्ति संसद के पास है।

वित्त आयोग का अध्यक्ष सार्वजनिक मामलों का अनुभवी होना चाहिए और अन्य चार सदस्यों को निम्नलिखित में से चुना जाना चाहिए-

(1) किसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश या इस पद के लिए योग्य व्यक्ति,
(2) ऐसा व्यक्ति जिसे भारत के लेखा एवं वित्त मामलों का विशेष ज्ञान हो,
(3) ऐसा व्यक्ति, जिसे प्रशासन और वित्तीय मामलों का व्यापक अनुभव हो, और
(4) ऐसा व्यक्ति, जो अर्थशास्त्र का विशेष ज्ञाता हो।

Article 280 Clause 3 Explanation

अनुच्छेद 280 के खंड (3) तहत आयोग के कर्तव्यों को बताया गया है जिसके तहत वित्त आयोग, भारत के राष्ट्रपति को निम्नलिखित मामलों पर सिफ़ारिशें करता है;

1) संघ और राज्यों के बीच करों के शुद्ध आगमों के, जो इस अध्याय के अधीन उनमें विभाजित किए जाने हैं, वितरण के बारे में और राज्यों के बीच ऐसे आगमों के तत्संबंधी भाग के आबंटन के बारे में ;

केंद्र और राज्य के मध्य करों का वितरण दो तरीके से होता है एक ऊर्ध्वाधर वितरण और दूसरा क्षैतिज वितरण। ऊर्ध्वाधर वितरण के तहत 14वें वित्त आयोग ने 42 प्रतिशत राज्यों को अंतरण की सिफ़ारिशें की थी। जिसे कि स्वीकार भी किया गया था।

लेकिन चूंकि 2019 में जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया, ऐसे में जाहिर है कि केंद्र को ही इन दोनों केंद्रशासित प्रदेशों को मैनेज करना है। 15वें वित्त आयोग ने इसी तथ्य को ध्यान में रखकर राज्यों को की जाने वाली अंतरण को 41 प्रतिशत कर दिया।

क्षैतिज वितरण की बात करें तो इसका मतलब ये है कि राज्यों को जो 41 प्रतिशत मिला है उसमें से 1-1 राज्य को कितना मिलेगा।

ये काफी चुनौतीपूर्ण काम होता है क्योंकि कई राज्य इस बात को लेकर नाराज हो जाता है कि उसने जनसंख्या को कम किया है उसे उसके लिए वित्तीय प्रोत्साहन मिलने के बजाय हतोत्साहन ही मिलता है क्योंकि आमतौर पर अधिक जनसंख्या वाले राज्यों को अधिक हिस्सा मिल जाया करता है।

क्षैतिज बंटवारा न्यायोचित एवं युक्तिसंगत हो सके इसके लिए 15वें वित्त आयोग ने 6 मानदंडों को अपनाया, जबकि 14वें वित्त आयोग की बात करें तो उन्होने सिर्फ 4 मानदंडों को अपनाया था। आप नीचे के टेबल में इसे देख सकते हैं;

करों के क्षैतिज अंतरण के लिए 15वें वित्त आयोग द्वारा सुझाये गए मानदंड:

मानदंडमहत्व (प्रतिशत में)
जनसंख्या15
क्षेत्र15
वन और पारिस्थितिकी10
आय अंतराल45
कर एवं राजकोषीय प्रयास2.5
जनसांख्यिकीय कार्यनिष्पादन12.5
कुल100 प्रतिशत
Criteria suggested by the 15th Finance Commission for horizontal devolution of taxes

करों के क्षैतिज अंतरण के लिए 14वें वित्त आयोग द्वारा सुझाये गए मानदंड

मानदंडमहत्व (प्रतिशत में)
जनसंख्या27.5
क्षेत्र15
वन क्षेत्र7.5
आय50
कुल100 प्रतिशत
Criteria suggested by the 14th Finance Commission for horizontal devolution of taxes

कुल मिलाकर दोनों टेबल के तुलनात्मक अध्ययन से ये पता चल जाता है कि किस तरह से 15वें वित आयोग ने सभी राज्यों को खुश रखने की कोशिश की है।

2) भारत की संचित निधि में से राज्यों के राजस्व में सहायता अनुदान को शासित करने वाले सिद्धांतों के बारे में ;

सहायता अनुदान कुछ खास लक्ष्य को ध्यान में रखकर दी जाती है। ये भारत की संचित निधि से राज्यों को आयोग की अनुशंसा पर दी जाती है। 15वें वित्त आयोग ने मुख्य रूप से पाँच अनुदानों की सिफ़ारिश की हैं, जिसे कि आप नीचे की तालिका में देख सकते हैं –

क्र. सं.अनुदान के घटक2021 -26 (करोड़ में)
1.राजस्व घाटा अनुदान294514
2.स्थानीय सरकारों का अनुदान436361
3.आपदा प्रबंधन अनुदान122601
4.क्षेत्र विशेष से संबन्धित अनुदान129987
(I)– स्वास्थ्य के लिए क्षेत्रीय अनुदान31755
(II)– स्कूली शिक्षा4800
(III)– उच्च शिक्षा6143
(IV)– कृषि सुधारों पर अमल45000
(V)– सड़कों का रखरखाव27539
(VI)– न्यायपालिक10425
(VII)– सांख्यिकी1175
(VIII)– आकांक्षी जिले और ब्लॉक3150
5.राज्य विशेष से संबन्धित49599
कुल1033062
Principles governing grants-in-aid to the revenue of the States out of the Consolidated Fund of India

3) राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में पंचायतों एवं नगरपालिकाओं के संसाधनों की अनुपूर्ति के लिए किसी राज्य की संचित निधि के संवर्धन के लिए आवश्यक अध्युपायों के बारे में;

नोट – इस प्रावधान को 73वां और 74वां संविधान संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया था। यहाँ से पढ़ें – 73वां संविधान संशोधन और 74वां संविधान संशोधन

हम जानते हैं कि अनुच्छेद 243 (I) के तहत राज्य वित्त आयोग की बात कही गई है जो कि राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जाता है।

ये आयोग मुख्य रूप से स्थानीय ग्रामीण शासन और स्थानीय शहरी शासन के वित्तीय अंतरण के बारे में राज्यपाल को सिफ़ारिश करता है। (बिलकुल केन्द्रीय वित्त आयोग के तरह ही)

इस प्रावधान के तहत केन्द्रीय वित्त आयोग, राज्य वित्त आयोग के सिफ़ारिशों के आधार पर, पंचायतों और नगरपालिकाओं के संसाधनों में वृद्धि करने के उद्देश्य से आवश्यक उपाय सुझाता है। वित्तीय संघवाद की स्थापना की दृष्टि से इस प्रावधान को अच्छा माना जाता है।

4) सुदृढ़ वित्त के हित में राष्ट्रपति द्वारा आयोग को निर्दिष्ट किए गए किसी अन्य विषय के बारे में;

जैसे कि 15वें वित्त आयोग को कुछ अतिरिक्त ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। उसे विशेष रूप से उपलब्ध करायी जाने वाली विभिन्न प्रकार की अनुदान सहायता देने के राजकोषीय सिद्धांतों की समीक्षा करने और उन पर टिप्पणी करने को कहा गया।

इसके अलावा आयोग को कार्य निष्पादन के आधार पर प्रोत्साहनों पर विचार करने को कहा गया ताकि राज्य और स्थानीय सरकारों को उनके प्रयासों के विभिन्न नीतिगत क्षेत्रों में समुचित स्तर पर मदद देकर प्रोत्साहित किया जा सके।

कुल मिलाकर इस तरह से आयोग अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है, जो इसे संसद के दोनों सदनों में रखता है। रिपोर्ट के साथ उसका आकलन संबंधी ज्ञापन एवं इस संबंध मे उठाए जा सकने वाले कदमों के बारे में विवरण भी रखा जाता है। इसके बारे में अनुच्छेद 281 में बताया गया है।

Article 280 Clause 4 Explanation

अनुच्छेद 280 के खंड (4) तहत कहा गया है कि आयोग अपनी प्रक्रिया अवधारित करेगा और अपने कृत्यों के पालन में उसे ऐसी शक्तियां होंगी जो संसद, विधि द्वारा, उसे प्रदान करे।

तो यही है अनुच्छेद 280 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

वित्त आयोग (Financial Commission) (Art 280)
Must Read

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Related MCQs with Explanation

Question 1: Article 280 of the Indian Constitution deals with:

(a) The power of the Union Government to levy taxes on goods and services
(b) The power of the State Governments to levy surcharges on the taxes levied by the Union Government
(c) The power of the Union Government to collect and distribute the Compensation Cess
(d) The establishment of the Finance Commission

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Answer: (d) Explanation: Article 280 of the Indian Constitution states that the President shall, at the interval of every fifth year or at such earlier time as he may consider necessary, by order constitute a Finance Commission.

Question 2: The Finance Commission is a:

(a) Constitutional body
(b) Quasi-judicial body
(c) Statutory body
(d) None of the above

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Answer: (b) Explanation: The Finance Commission is a quasi-judicial body. This means that it has the power to adjudicate on matters related to the distribution of taxes between the Union Government and the State Governments.

Question 3: The Finance Commission is responsible for:

(a) Recommending the distribution of the proceeds of taxes levied by the Union Government between the Union Government and the State Governments
(b) Recommending the principles that should govern the grants-in-aid to the States by the Union Government
(c) Recommending measures to augment the consolidated fund of India
(d) All of the above

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Answer: (d) Explanation: The Finance Commission is responsible for recommending the distribution of the proceeds of taxes levied by the Union Government between the Union Government and the State Governments, as well as the principles that should govern the grants-in-aid to the States by the Union Government. It is also responsible for recommending measures to augment the consolidated fund of India.

Question 4: Which of the following is NOT a factor that the Finance Commission considers when making its recommendations?

(a) The population of each State
(b) The financial needs of each State
(c) The geographical conditions of each State
(d) The political affiliations of the State Governments

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Answer: (d) Explanation: The Finance Commission does not consider the political affiliations of the State Governments when making its recommendations.

Question 5: What is the main challenge associated with the Finance Commission?

(a) Balancing the competing interests of the Union Government and the State Governments
(b) Ensuring that its recommendations are fair and equitable
(c) Making recommendations that are realistic and achievable
(d) All of the above

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Answer: (d) Explanation: All of the above are challenges associated with the Finance Commission.

| Related Article

अनुच्छेद 281 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद 279A – भारतीय संविधान
Next and Previous to Article 280
भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
Important Pages of Compilation
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।