यह लेख अनुच्छेद 33 (Article 33) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें। इसकी व्याख्या इंग्लिश में भी उपलब्ध है, इसके लिए आप नीचे दिए गए लिंक का प्रयोग करें;

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Article 33

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📜 अनुच्छेद 33 (Article 33)

1[33. इस भाग द्वारा प्रदत अधिकारों का, बलों आदि को लागू होने में, उपांतरण करने की संसद की शक्ति – संसद, विधि द्वारा, अवधारण कर सकेगी कि इस भाग द्वारा प्रदत अधिकारों में से कोई, –
(क) सशस्त्र बलों के सदस्यों को, या
(ख) लोक व्यवस्था बनाए रखने का भारसाधन करने वाले बलों के सदस्यों को, या
(ग) आसूचना या प्रति आसूचना के प्रयोजनों के लिए राज्य द्वारा स्थापित किसी ब्यूरो या अन्य संगठन में नियोजित व्यक्तियों को, या
(घ) खंड (क) से खंड (ग) में निर्दिष्ट किसी बल, ब्यूरो या संगठन के प्रयोजनों के लिए स्थापित दूरसंचार प्रणाली में या उसके संबंध में नियोजित व्यक्तियों को,
लागू होने में, किस विस्तार तक निर्बंधित या निराकृत किया जाए जिससे उनके कर्तव्यों का उचित पालन और उनमें अनुशासन बना रहना सुनिश्चित रहे।]
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1. संविधान (पचासवां संशोधन) अधिनियम, 1984 की धारा 2 द्वारा अनुच्छेद 33 के स्थान पर (11-9-1984 से) प्रतिस्थापित।
—–अनुच्छेद 33—–
1[33. Power of Parliament to modify the rights conferred by this Part in their application to Forces, etc.—Parliament may, by law, determine to what extent any of the rights conferred by this Part shall, in their application to,—
(a) the members of the Armed Forces; or
(b) the members of the Forces charged with the maintenance of public order; or
(c) persons employed in any bureau or other organisation established by the State for purposes of intelligence or counter intelligence; or
(d) person employed in, or in connection with, the telecommunication systems set up for the purposes of any Force, bureau or organisation referred to in clauses (a) to (c), be restricted or abrogated so as to ensure the proper discharge of their duties and the maintenance of discipline among them.]
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1. Subs. by the Constitution (Fiftieth Amendment) Act, 1984, s. 2, for art. 33 (w.e.f. 11-9-1984).
Article 33—-

🔍 Article 33 Explanation in Hindi

संविधान का भाग 3 मूल अधिकारों के बारे में है। यह भाग अनुच्छेद 12 से लेकर 35 तक विस्तारित है। अनुच्छेद 12 राज्य की परिभाषा तय करता है और अनुच्छेद 13 विधि की परिभाषा तय करता है।

अनुच्छेद 14 से लेकर अनुच्छेद 32 तक सारे अधिकारों का संकलन है। अनुच्छेद 33, 34 और 35 कुछ विशेष प्रावधान है जो कि कुछ अपवादों की चर्चा करता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 33 (Article 33) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-34 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 33 – संविधान के भाग 3 द्वारा प्रदत अधिकारों का, बलों आदि को लागू होने में, उपांतरण करने की संसद की शक्ति

राज्य के कुछ क्षेत्र ऐसे होते हैं जहां हम मूल अधिकारों को यथारूप (as it is) लागू नहीं कर सकते हैं, जैसे कि सशस्त्र बल।

जाहिर है, अगर वहाँ भी मूल अधिकार यथावत लागू कर दिया जाएगा तो फिर वो तो एक नागरिकों का झुंड बन जाएगा जहां सब अपने-अपने अधिकारों के लिए लड़ता रहेगा।

ऐसे में कोई ये भी कह सकता है कि हम देश के लिए क्यों मरे जबकि हमें अनुच्छेद 21 के तहत जीने का अधिकार प्राप्त है। ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो इसी को ध्यान में रखकर अनुच्छेद 33 का प्रावधान किया गया।

◾ अनुच्छेद 33 संसद को यह अधिकार देता है कि वह सशस्त्र बलों (Armed forces), अर्ध-सैनिक बलों (Paramilitary forces), पुलिस बलों (Police forces), खुफिया एजेंसी (intelligence Agency) एवं अन्य के मूल अधिकार पर युक्तियुक्त प्रतिबंध (Reasonable Restriction) लगा सकें।

ऐसा इसलिए ताकि उनके कर्तव्यों का उचित पालन और उनमें अनुशासन बना रहना सुनिश्चित रहे। यहाँ यह याद रखें कि 50वां संविधान संशोधन अधिनियम 1984 द्वारा अनुच्छेद 33 का विस्तार कर इंटेलिजेंस दूरसंचार तथा पैरा मिलिट्री के सदस्यों को भी इसमें सम्मिलित कर लिया गया।

◾ इस अनुच्छेद के इसी व्यवस्था का इस्तेमाल करते हुए संसद ने सैन्य अधिनियम 1950, नौसेना अधिनियम 1950वायु सेना अधिनियम 1950, सीमा सुरक्षा बल अधिनियम 1968, पुलिस बल (अधिकारों पर निषेध) अधिनियम 1966 आदि बनाए है।

कुल मिलाकर यह अनुच्छेद संसद को सशस्त्र बलों या पुलिस के सदस्यों की बाबत (Regarding) मूल अधिकारों पर निर्बंधन (restriction) लगाने की असीमित शक्ति प्रदान करता है।

इसीलिए सेना अधिनियम के किसी उपबंध को इस आधार पर प्रश्नगत नहीं किया जा सकता कि वे भाग 3 के किसी मूल अधिकार का उल्लंघन करते हैं। जैसे कि गुट बनाने की स्वतंत्रता।

इसके अलावा अनुच्छेद 33 द्वारा प्रदत शक्तियों के अंतर्गत पुलिस कर्मियों के ऐसे संगम की मान्यता वापस लेने की शक्ति है जिसे पहले मान्यता दी गई थी।

याद रखने योग्य बातें;

अनुच्छेद 33 के तहत सिर्फ संसद को विधि निर्माण का अधिकार प्राप्त है, राज्य विधानमंडल को नहीं।

इस अनुच्छेद में “सैन्य या सशस्त्र बलों के सदस्यों” का जिक्र है। तो सैन्य बलों के सदस्यों में सेना के नाई, बढ़ई, बावर्ची, चौकीदार एवं दर्जी आदि शामिल होते हैं।

आमतौर पर सभी प्रकार के मूल अधिकारों के हनन पर अनुच्छेद 32 या 226 के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय में आवेदन किया जा सकता है। लेकिन कोर्ट मार्शल (जो कि सैन्य विधि के अंतर्गत स्थापित अधिकरण होता है) को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के रिट क्षेत्राधिकार से बाहर रखा गया है।

तो कुल मिलाकर यही है अनुच्छेद 33, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

अनुच्छेद-31(ख) – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-31(क) – भारतीय संविधान
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अनुच्छेद 33 (Article 33) क्या है?

इस भाग द्वारा प्रदत अधिकारों का, बलों आदि को लागू होने में, उपांतरण करने की संसद की शक्ति – संसद, विधि द्वारा, अवधारण कर सकेगी कि इस भाग द्वारा प्रदत अधिकारों में से कोई, –
(क) सशस्त्र बलों के सदस्यों को, या
(ख) लोक व्यवस्था बनाए रखने का भारसाधन करने वाले बलों के सदस्यों को, या
(ग) आसूचना या प्रति आसूचना के प्रयोजनों के लिए राज्य द्वारा स्थापित किसी ब्यूरो या अन्य संगठन में नियोजित व्यक्तियों को, या
(घ) खंड (क) से खंड (ग) में निर्दिष्ट किसी बल, ब्यूरो या संगठन के प्रयोजनों के लिए स्थापित दूरसंचार प्रणाली में या उसके संबंध में नियोजित व्यक्तियों को,
लागू होने में, किस विस्तार तक निर्बंधित या निराकृत किया जाए जिससे उनके कर्तव्यों का उचित पालन और उनमें अनुशासन बना रहना सुनिश्चित रहे।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।