यह लेख Article 338B (अनुच्छेद 338ख) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 338B (Article 338ख) – Original

भाग 16 [कुछ वर्गों के संबंध में विशेष उपबंध]
338B. 1[पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोग— (1) सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिए एक आयोग होगा जो राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के नाम से ज्ञात होगा।

(2) संसद्‌ द्वारा इस निमित्त बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, आयोग एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा और इस प्रकार नियुक्त किए गए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों की सेवा की शर्तें और पदावधि ऐसी होंगी, जो राष्ट्रपति, नियम द्वारा अवधारित करे।

(3) राष्ट्रपति, अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों को नियुक्त करेगा।

(4) आयोग को अपनी प्रक्रिया स्वयं विनियमित करने की शक्ति होगी|

(5) आयोग का यह कर्तव्य होगा कि वह,–

(क) सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिए इस संविधान या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि या सरकार के किसी आदेश के अधीन उपबंधित रक्षोपायों से संबंधित सभी विषयों का अन्वेषण करे और उन पर निगरानी रखे तथा ऐसे रक्षोपायों के कार्यकरण का मूल्यांकन करे ;

(ख) सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों को उनके अधिकारों और रक्षोपायों से वंचित करने के संबंध में विनिर्दिष्ट शिकायतों की जांच करे;

(ग) सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के सामाजिक-आर्थिक विकास के संबंध में भाग ले और उन पर सलाह दे तथा संघ और किसी राज्य के अधीन उनके विकास की प्रगति का मूल्यांकन करे ;

(घ) उन रक्षोपायों के कार्यकरण के बारे में प्रतिवर्ष और ऐसे अन्य समयों पर, जो आयोग ठीक समझे, राष्ट्रपति को रिपोर्ट प्रस्तुत करे ;

(ङ) ऐसी रिपोर्टों में उन उपायों के बारे में, जो उन रक्षोपायों के प्रभावपूर्ण कार्यान्वयन के लिए संघ या किसी राज्य द्वारा किए जाने चाहिए तथा सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के संरक्षण, कल्याण और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अन्य उपायों के बारे में सिफारिश करे ; और

(च) सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के संरक्षण, कल्याण और विकास तथा उन्नयन के संबंध में ऐसे अन्य कृत्यों का निर्वहन करे, जो
राष्ट्रपति, संसद्‌ द्वारा बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, नियम द्वारा विनिर्दिष्ट करे।

(6) राष्ट्रपति, ऐसी सभी रिपोर्टों को संसद्‌ के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा और उनके साथ संघ से संबंधित सिफारिशों पर की गई या किए जाने के लिए प्रस्थापित कार्रवाई तथा यदि कोई ऐसी सिफारिश अस्वीकृत की गई है तो अस्वीकृति के कारणों को स्पष्ट करने वाला ज्ञापन भी होगा।

(7) जहां कोई ऐसी रिपोर्ट या उसका कोई भाग, किसी ऐसे विषय से संबंधित है, जिसका राज्य सरकार से संबंध है, तो ऐसी रिपोर्ट की एक प्रति उस राज्य सरकार को भेजी जाएगी, जो उसे राज्य के विधान-मंडल के समक्ष रखवाएगी और उसके साथ राज्य से संबंधित सिफारिशों पर की गई या किए जाने के लिए प्रस्थापित कार्रवाई तथा यदि कोई ऐसी सिफारिश अस्वीकृत की गई है तो अस्वीकृति के कारणों को स्पष्ट करने वाला ज्ञापन भी होगा।

(8) आयोग को, खंड (5) के उपखंड (क) में निर्दिष्ट किसी विषय का अन्वेषण करते समय या उपखंड (ख) में निर्दिष्ट किसी परिवाद के बारे में जांच करते समय, विशिष्टतया निम्नलिखित विषयों के संबंध में, वे सभी शक्तियां होंगी, जो वाद का विचारण करते समय सिविल न्यायालय को हैं, अर्थात्‌ :-

(क) भारत के किसी भी भाग से किसी व्यक्ति को समन करना और हाजिर कराना तथा शपथ पर उसकी परीक्षा करना ;
(ख) किसी दस्तावेज को प्रकट और पेश करने की अपेक्षा करना ;
(ग) शपथपत्रों पर साक्ष्य ग्रहण करना ;
(घ) किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी लोक अभिलेख या उसकी प्रति की अध्यपेक्षा करना ;
(ङ) साक्षियों और दस्तावेजों की परीक्षा के लिए कमीशन निकालना ;
(च) कोई अन्य विषय, जो राष्ट्रपति, नियम द्वारा अवधारित करे;

(9) संघ और प्रत्येक राज्य सरकार, सामाजिक और शैक्षिक इष्टि से पिछड़े वर्गों को प्रभावित करने वाले सभी महत्वपूर्ण नीतिगत विषयों पर आयोग से परामर्श करेगी।]
2[परंतु इस खंड में कुछ भी अनुच्छेद 342ए के खंड (3) के प्रयोजनों के लिए लागू नहीं होगा।]
====================
1. संविधान (एक सौं दोवां संशोधन) अधिनियम, 2018 की धारा 3 द्वारा (15-8-2018 से) अंतःस्थापित।
2. संविधान (एक सौ पांचवां संशोधन) अधिनियम 2021, धारा 2 (15-9-2021 से) द्वारा डाला गया।
अनुच्छेद 338B हिन्दी संस्करण

Part XVI [SPECIAL PROVISIONS RELATING TO CERTAIN CLASSES]
338B. 1[National Commission for Backward Classes— (1) There shall be a Commission for the socially and educationally backward classes to be known as the National Commission for Backward Classes.

(2) Subject to the provisions of any law made in this behalf by Parliament, the Commission shall consist of a Chairperson, Vice-Chairperson and three other Members and the conditions of service and tenure of office of
the Chairperson, Vice-Chairperson and other Members so appointed shall be such as the President may by rule determine.

(3) The Chairperson, Vice-Chairperson and other Members of the Commission shall be appointed by the President by warrant under his hand and seal.

(4) The Commission shall have the power to regulate its own procedure.

(5) It shall be the duty of the Commission—
(a) to investigate and monitor all matters relating to the safeguards provided for the socially and educationally backward classes under this Constitution or under any other law for the time being in force or under any order of the Government and to evaluate the working of such safeguards;
(b) to inquire into specific complaints with respect to the deprivation of rights and safeguards of the socially and educationally backward classes;
(c) to participate and advise on the socio-economic development of the socially and educationally backward classes and to evaluate the progress of their development under the Union and any State;
(d) to present to the President, annually and at such other times as the Commission may deem fit, reports upon the working of those safeguards;
(e) to make in such reports the recommendations as to the measures that should be taken by the Union or any State for the effective implementation of those safeguards and other measures for the protection, welfare and socio-economic development of the socially and educationally backward classes; and
(f) to discharge such other functions in relation to the protection, welfare and development and advancement of the socially and educationally backward classes as the President may, subject to the provisions of any law made by Parliament, by rule specify.

(6) The President shall cause all such reports to be laid before each House of Parliament along with a memorandum explaining the action taken or proposed to be taken on the recommendations relating to the Union and the reasons for the non-acceptance, if any, of any such recommendations.

(7) Where any such report, or any part thereof, relates to any matter with which any State Government is concerned, a copy of such report shall be forwarded to the State Government which shall cause it to be laid before the Legislature of the State along with a memorandum explaining the action taken or proposed to be taken on the recommendations relating to the State and the reasons for the non-acceptance, it any, of any of such recommendations.

(8) The Commission shall, while investigating any matter referred to in sub-clause (a) or inquiring into any complaint referred to in sub-clause (b) of clause (5), have all the powers of a civil court trying a suit and in particular in respect of the following matters, namely :—

(a) summoning and enforcing the attendance of any person from any part of India and examining him on oath;
(b) requiring the discovery and production of any document;
(c) receiving evidence on affidavits;
(d) requisitioning any public record or copy thereof from any court or office;
(e) issuing commissions for the examination of witnesses and documents;
(f) any other matter which the President may by rule, determine.
(9) The Union and every State Government shall consult the Commission on all major policy matters affecting the socially and educationally backward classes:]

2[Provided that nothing in this clause shall apply for the purposes of clause (3) of article 342A.]
==============
1. Ins. by the Constitution (Eighty-ninth Amendment) Act, 2003, s. 3 (w.e.f. 19-2-2004).
2. Ins. by the Constitution (One Hundred and Fifth Amendment) Act, 2021, s. 2 (w.e.f. 15-9-2021).
Article 338B English Version

🔍 Article 338B Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 16, अनुच्छेद 330 से लेकर अनुच्छेद 342 तक में विस्तारित है जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग कुछ वर्गों के संबंध में विशेष उपबंध (Special provision in respect of certain classes) के बारे में है। इस भाग के अंतर्गत मुख्य रूप से निम्नलिखित विषयों को सम्मिलित किया गया है;

  1. लोक सभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण (Reservation of seats for Scheduled Castes and Scheduled Tribes in the Lok Sabha)
  2. राज्यों की विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण (Reservation of seats for Scheduled Castes and Scheduled Tribes in the Legislative Assemblies of the States)
  3. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes)
  4. राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes)
  5. पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोग (National Commission for Backward Classes), इत्यादि।

इस लेख में हम अनुच्छेद 338B को समझने वाले हैं;

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC)
Closely Related to Article 338B

| अनुच्छेद 338B – पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोग (National Commission for Backward Classes)

अनुच्छेद 338B के तहत राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (National Commission for Backward Classes) के बारे में बात की गई है।

पिछड़ा वर्ग (Backward Class)” एक शब्द है जिसका उपयोग भारत में उन सामाजिक समूहों या समुदायों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है जो ऐतिहासिक रूप से समाज के अधिक विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों की तुलना में आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक रूप से वंचित रहे हैं।

यहां यह याद रखिए कि पिछड़े वर्ग एक सजातीय समूह नहीं हैं; इनमें समुदायों और उप-समूहों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है, जिनमें से प्रत्येक की अपनी अनूठी विशेषताएं और चुनौतियाँ हैं। पिछड़े वर्गों का वर्गीकरण अक्सर सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन जैसे मानदंडों पर आधारित होता है, न कि केवल जाति पर।

आरक्षण (Reservation) वाले लेख में आप समझ पाएंगे कि किस तरह से मंडल आयोग, जिसे आधिकारिक तौर पर सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग आयोग के रूप में जाना जाता है, की स्थापना 1970 के दशक के अंत में पिछड़े वर्गों की पहचान और वर्गीकरण के लिए की गई थी। इन्ही की सिफारिशों के कारण सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी के लिए आरक्षण लागू हुआ।

कुल मिलाकर भारतीय संविधान पिछड़े वर्गों द्वारा सामना की जाने वाली सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को दूर करने की आवश्यकता को पहचानता है। और इसके लिए यह सकारात्मक कार्रवाई उपायों के कार्यान्वयन का भी प्रावधान करता है।

संविधान (एक सौं दोवां संशोधन) अधिनियम, 2018 की मदद से राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (National Commission for Backward Classes)  को संवैधानिक दर्जा दिया गया। इस अनुच्छेद के तहत कुल 9 खंड आते हैं। आइये इसे एक-एक करके समझें;

अनुच्छेद 338B के खंड (1) के तहत कहा गया है कि सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिए एक आयोग होगा जो राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (National Commission for Backward Classes) के नाम से ज्ञात होगा।

भारत के संविधान की प्रस्तावना का उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय को प्राप्त करना है। सामाजिक न्याय प्रदान करने के इस लक्ष्य तक पहुँचने के लिए ढेरों नीतियाँ अपनाई गई है।

संविधान का अनुच्छेद 14 राज्य को सभी व्यक्तियों को कानून के समक्ष समानता और कानूनों का समान संरक्षण प्रदान करने का आदेश देता है। अनुच्छेद 15 और 16 में “समानता के अधिकार” के सिद्धांत को सकारात्मक कार्रवाई के संदर्भ में स्थापित किया गया है।

अनुच्छेद 15(1), किसी भी नागरिक के भेदभाव को रोकता है और अनुच्छेद 15 के खंड (4 एवं 5) के तहत, राज्य को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग की उन्नति के लिए शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश के मामले में विशेष प्रावधान बनाने का अधिकार प्राप्त है।

अनुच्छेद 16 के माध्यम से सार्वजनिक रोजगार के मामले में अवसर की समानता घोषित करने का विशेष ध्यान रखा गया है। और इसी अनुच्छेद के खंड (4) घोषित करता है कि इस अनुच्छेद में कुछ भी राज्य को किसी भी पिछड़े वर्ग के नागरिकों के पक्ष में नियुक्तियों या पदों में आरक्षण के लिए कोई प्रावधान करने से नहीं रोकेगा, जो कि राज्य की राय में, राज्य के तहत सेवाओं में पर्याप्त रूप से प्रतिनिधित्व नहीं करता है।

समान अवसर प्रदान करने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए मंडल आयोग का गठन किया गया। उनकी ही सिफारिशों पर भारत सरकार ने केंद्रीय पदों और सेवाओं में पिछड़े वर्गों को 27% आरक्षण प्रदान किया।

सुप्रीम कोर्ट ने 16-11-1992 के इंद्रा साहनी बनाम भारत संघ के ऐतिहासिक फैसले में, 27% आरक्षण को हरी झंडी दे दी लेकिन सामाजिक एवं आर्थिक रूप से उन्नत व्यक्तियों के लिए ‘क्रीमी लेयर‘ के कॉन्सेप्ट का प्रतिपादन किया।

इसके लिए कोर्ट ने यह भी निदेशित किया कि केंद्र एवं राज्यों के स्तर पर एक स्थायी आयोग या ट्रिब्यूनल की स्थापना की जानी चाहिए जो कि लिस्ट में पिछड़े वर्ग को शामिल कर सकने या बाहर करने से संबन्धित सलाह सरकार को दे सकेगी।

सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्देश के अनुसरण में, भारत सरकार ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1993 अधिनियमित किया। और इसके तहत केंद्र में एक राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की स्थापना की गई जो कि 24 अप्रैल 1993 को प्रभावी हुआ।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) का गठन शुरू में केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 1993 के तहत किया गया था। 2016 तक आयोग का 7 बार पुनर्गठन किया जा चुका था। फिर आगे चलकर अगस्त 2018 में सरकार ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1993 को निरस्त कर दिया। और 102वें संविधान संशोधन अधिनियम की मदद से संविधान में अनुच्छेद 338 ‘ख’ और अनुच्छेद 342 ‘क’ जोड़ा गया। इस आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया।

अनुच्छेद 338B के खंड (2) के तहत कहा गया है कि संसद्‌ इस आयोग के निमित्त विधि बना सकती है और इस विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, आयोग एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा।

दूसरी बात, इस प्रकार नियुक्त किए गए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों की सेवा की शर्तें और पदावधि ऐसी होंगी जो राष्ट्रपति, नियम द्वारा निर्धारित करेगा।

अनुच्छेद 338B के खंड (3) के तहत कहा गया है कि राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों को नियुक्त करेगा।

आयोग में एक अध्यक्ष , एक उपाध्यक्ष एवं तीन अन्य सदस्य होते हैं एवं इन सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा उसके आदेश एवं मुहर लगे आदेश द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।

अनुच्छेद 338B के खंड (4) के तहत कहा गया है कि आयोग को अपनी प्रक्रिया स्वयं विनियमित करने की शक्ति होगी।

अनुच्छेद 338B के खंड (5) के तहत आयोग के कर्तव्य को निर्धारित किया गया है, जो कि निम्नलिखित है;

(क) इस संविधान के तहत या किसी अन्य कानून के तहत या सरकार के किसी भी आदेश के तहत सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिए प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की जांच और निगरानी करना और ऐसे सुरक्षा उपायों के कामकाज का मूल्यांकन करना;

(ख) सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के अधिकारों और सुरक्षा उपायों से वंचित होने के संबंध में विशिष्ट शिकायतों की जांच करना;

(ग) सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के सामाजिक-आर्थिक विकास की योजना प्रक्रिया में भाग लेना और सलाह देना और संघ और किसी भी राज्य के तहत उनके विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना;

(घ) राष्ट्रपति को वार्षिक रूप से और ऐसे अन्य समय पर, जब आयोग उचित समझे, उन सुरक्षा उपायों के कामकाज पर रिपोर्ट प्रस्तुत करना;

(ङ) ऐसी रिपोर्टों में सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की सुरक्षा, कल्याण और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए उन सुरक्षा उपायों और अन्य उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए संघ या किसी राज्य द्वारा उठाए जाने वाले उपायों के बारे में सिफारिशें करना;

(च) सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की सुरक्षा, कल्याण और विकास तथा उन्नति के संबंध में ऐसे अन्य कार्यों का निर्वहन करना, जैसा कि राष्ट्रपति, संसद द्वारा बनाए गए किसी भी कानून के प्रावधानों के अधीन, नियम द्वारा निर्दिष्ट कर सकते हैं।

अनुच्छेद 338B के खंड (6) के तहत कहा गया है कि राष्ट्रपति ऐसे सभी प्रतिवेदनों को संसद्‌ के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा और उसके साथ संघ से संबंधित सिफारिशों पर की गई या किए जाने के लिए प्रस्थापित कार्रवाई तथा यदि कोई ऐसी सिफारिश अस्वीकृत की गई है तो अस्वीकृति के कारणों को स्पष्ट करने वाला ज्ञापन भी होगा।

इस खंड के तहत दो बातें कही गई है;

पहली बात) आयोग द्वारा जो रिपोर्ट तैयार की जाएगी उसे राष्ट्रपति संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखेगा।

दूसरी बात) इस रिपोर्ट के साथ ही राष्ट्रपति संघ से संबंधित सिफारिशों पर की गई या किए जाने के लिए प्रस्तावित कार्रवाई तथा यदि कोई ऐसी सिफारिश अस्वीकृत की गई है तो अस्वीकृति के कारणों को स्पष्ट करने वाला ज्ञापन भी होगा।

अनुच्छेद 338B के खंड (7) के तहत कहा गया है कि जहां कोई ऐसा प्रतिवेदन, या उसका कोई भाग किसी ऐसे विषय से संबंधित है जिसका किसी राज्य सरकार से संबंध है तो ऐसे प्रतिवेदन की एक प्रति उस राज्य के राज्यपाल को भेजी जाएगी जो उसे राज्य के विधान-मंडल के समक्ष रखवाएगा;

और उसके साथ राज्य से संबंधित सिफारिशों पर की गई या किए जाने के लिए प्रस्तावित कार्रवाई तथा यदि कोई ऐसी सिफारिश अस्वीकृत की गई है तो अस्वीकृति के कारणों को स्पष्ट करने वाला ज्ञापन भी होगा।

अनुच्छेद 338B के खंड (8) के तहत कहा गया है कि आयोग को खंड (5) के उपखंड (क) में बताए गए किसी विषय का अन्वेषण करते समय या उपखंड (ख) में निर्दिष्ट किसी परिवाद के बारे में जांच करते समय वे सभी शक्तियां होंगी जो वाद का विचारण करते समय सिविल न्यायालय को हैं। विशेष रूप से निम्नलिखित मामलों में यह शक्तियां होंगी; अर्थात्‌

(क) भारत के किसी भी भाग से किसी व्यक्ति को समन करना और हाजिर कराना तथा शपथ पर उसकी परीक्षा करना ;
(ख) किसी दस्तावेज को प्रकट और पेश करने की अपेक्षा करना ;
(ग) शपथपत्रों पर साक्ष्य ग्रहण करना ;
(घ) किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी लोक अभिलेख या उसकी प्रति की अपेक्षा करना ;
(ड) साक्षियों और दस्तावेजों की परीक्षा के लिए कमीशन निकालना ;
(च) कोई अन्य विषय जो राष्ट्रपति, नियम द्वारा, अवधारित करे।

अनुच्छेद 338B के खंड (9) के तहत कहा गया है कि संघ और प्रत्येक राज्य सरकार सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों को प्रभावित करने वाले सभी महत्वपूर्ण नीतिगत विषयों पर आयोग से परामर्श करेगी।

हालांकि यहां यह याद रखिए कि इस खंड में कुछ भी अनुच्छेद 342A के खंड (3) के प्रयोजनों के लिए लागू नहीं होगा। इस खंड में क्या है इसके लिए अनुच्छेद 342A↗ पढ़ें;

तो यही है अनुच्छेद 338B , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

◾ भारत में आरक्षण (Reservation in India) [1/4]
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Question 1: Article 338B of the Indian Constitution deals with:

(a) The power of the Union Government to levy taxes on goods and services
(b) The power of the State Governments to levy surcharges on the taxes levied by the Union Government
(c) The power of the Union Government to collect and distribute the Compensation Cess
(d) The establishment of a National Commission for Socially and Educationally Backward Classes (NCBC)

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Answer: (d) Explanation: Article 338B of the Indian Constitution deals with the establishment of a National Commission for Socially and Educationally Backward Classes (NCBC). The NCBC is a constitutional body that is mandated to protect the interests of socially and educationally backward classes (SEBCs) in India.

Question 2: The NCBC is composed of:

(a) A Chairperson, a Vice-Chairperson, and three other members
(b) A Chairperson, a Deputy Chairperson, and three other members
(c) A Chairperson, a Vice-Chairperson, and four other members
(d) A Chairperson, a Deputy Chairperson, and five other members

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Answer: (b) Explanation: The NCBC is composed of a Chairperson, a Deputy Chairperson, and three other members.

Question 3: The functions of the NCBC include:

(a) Investigating and monitoring the grievances of SEBCs
(b) Recommending measures to the Union Government or the State Governments for the protection of the rights and interests of SEBCs
(c) Reviewing the existing policies and programs for SEBCs and recommending changes as necessary (d) All of the above

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Answer: (d) Explanation: The functions of the NCBC include investigating and monitoring the grievances of SEBCs, recommending measures to the Union Government or the State Governments for the protection of the rights and interests of SEBCs, reviewing the existing policies and programs for SEBCs and recommending changes as necessary.

Question 4: Article 338B of the Indian Constitution is an important provision because it:

(a) Recognizes the social and educational backwardness of certain classes in India
(b) Provides a constitutional mechanism for the protection of the interests of SEBCs
(c) Promotes the social and educational advancement of SEBCs
(d) All of the above

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Answer: (d) Explanation: Article 338B of the Indian Constitution is an important provision because it does all of the above. It recognizes the social and educational backwardness of certain classes in India, provides a constitutional mechanism for the protection of the interests of SEBCs, and promotes the social and educational advancement of SEBCs.

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