यह लेख Article 340 (अनुच्छेद 340) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 340 (Article 340) – Original

भाग 16 [कुछ वर्गों के संबंध में विशेष उपबंध]
340. पिछड़े वर्गों की दशाओं के अन्वेषण के लिए आयोग की नियुक्ति— (1) राष्ट्रपति, भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की दशाओं के और जिन कठिनाइयों को वे झेल रहे हैं उनके अन्वेषण के लिए और उन कठिनाइयों को दूर करने और उनकी दशा को सुधारने के लिए संघ या किसी राज्य द्वारा जो उपाय किए जाने चाहिएं उनके बारे में और उस प्रयोजन के लिए संघ या किसी राज्य द्वारा जो अनुदान किए जाने चाहिएं और जिन शर्तों के अधीन वे अनुदान किए जाने चाहिएं उनके बारे में सिफारिश करने के लिए, आदेश द्वारा, एक आयोग नियुक्त कर सकेगा जो ऐसे व्यक्तियों से मिलकर बनेगा जो वह ठीक समझे और ऐसे आयोग को नियुक्त करने वाले आदेश में आयोग द्वारा अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया परिनिश्चित की जाएगी।

(2) इस प्रकार नियुक्त आयोग अपने को निर्देशित विषयों का अन्वेषण करेगा और राष्ट्रपति को प्रतिवेदन देगा, जिसमें उसके द्वारा पाए गए तथ्य उपवर्णित किए जाएंगे और जिसमें ऐसी सिफारिशें की जाएंगी जिन्हें आयोग उचित समझे।

(3) राष्ट्रपति, इस प्रकार दिए गए प्रतिवेदन की एक प्रति, उस पर की गई कार्रवाई को स्पष्ट करने वाले ज्ञापन सहित, संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा।
अनुच्छेद 340 हिन्दी संस्करण

Part XVI [SPECIAL PROVISIONS RELATING TO CERTAIN CLASSES]
340. Appointment of a Commission to investigate the conditions of backward classes— (1) The President may by order appoint a Commission consisting of such persons as he thinks fit to investigate the conditions of
socially and educationally backward classes within the territory of India and the difficulties under which they labour and to make recommendations as to the steps that should be taken by the Union or any State to remove such difficulties and to improve their condition and as to the grants that should be made for the purpose by the Union or any State and the conditions subject to which such grants should be made, and the order appointing such Commission shall define the procedure to be followed by the Commission.

(2) A Commission so appointed shall investigate the matters referred to them and present to the President a report setting out the facts as found by them and making such recommendations as they think proper.

(3) The President shall cause a copy of the report so presented together with a memorandum explaining the action taken thereon to be laid before each House of Parliament.
Article 340 English Version

🔍 Article 340 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 16, अनुच्छेद 330 से लेकर अनुच्छेद 342 तक में विस्तारित है जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग कुछ वर्गों के संबंध में विशेष उपबंध (Special provision in respect of certain classes) के बारे में है। इस भाग के अंतर्गत मुख्य रूप से निम्नलिखित विषयों को सम्मिलित किया गया है;

  1. लोक सभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण (Reservation of seats for Scheduled Castes and Scheduled Tribes in the Lok Sabha)
  2. राज्यों की विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण (Reservation of seats for Scheduled Castes and Scheduled Tribes in the Legislative Assemblies of the States)
  3. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes)
  4. राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes)
  5. पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोग (National Commission for Backward Classes), इत्यादि।

इस लेख में हम अनुच्छेद 340 को समझने वाले हैं;

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC)
Closely Related to Article 340

| अनुच्छेद 340 – पिछड़े वर्गों की दशाओं के अन्वेषण के लिए आयोग की नियुक्ति (Appointment of a Commission to investigate the conditions of backward classes)

अनुच्छेद 340 के तहत पिछड़े वर्गों की दशाओं के अन्वेषण के लिए आयोग की नियुक्ति के बारे में बात की गई है।

जैसा कि हम जानते हैं, “पिछड़ा वर्ग (Backward Class)” एक शब्द है जिसका उपयोग भारत में उन सामाजिक समूहों या समुदायों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है जो ऐतिहासिक रूप से समाज के अधिक विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों की तुलना में आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक रूप से वंचित रहे हैं। इन्ही समुदायों की दशाओं के अन्वेषण के लिए आयोग की नियुक्ति की व्यवस्था इस अनुच्छेद के तहत किया गया है।

इस अनुच्छेद के तहत कुल तीन खंड आते हैं। आइये इसे समझें;

अनुच्छेद 340 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि राष्ट्रपति, भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की दशाओं के और जिन कठिनाइयों को वे झेल रहे हैं उनके अन्वेषण के लिए और उन कठिनाइयों को दूर करने और उनकी दशा को सुधारने के लिए संघ या किसी राज्य द्वारा जो उपाय किए जाने चाहिएं उनके बारे में और उस प्रयोजन के लिए संघ या किसी राज्य द्वारा जो अनुदान किए जाने चाहिएं और जिन शर्तों के अधीन वे अनुदान किए जाने चाहिएं उनके बारे में सिफारिश करने के लिए, आदेश द्वारा, एक आयोग नियुक्त कर सकेगा जो ऐसे व्यक्तियों से मिलकर बनेगा जो वह ठीक समझे और ऐसे आयोग को नियुक्त करने वाले आदेश में आयोग द्वारा अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया परिनिश्चित की जाएगी।

कहने का अर्थ है कि यह खंड राष्ट्रपति को भारत के क्षेत्र के भीतर सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की स्थितियों की जांच के लिए एक आयोग नियुक्त करने का अधिकार देता है।

अनुच्छेद 340 के खंड (2) के तहत कहा गया है कि इस प्रकार नियुक्त आयोग अपने को निर्देशित विषयों का अन्वेषण करेगा और राष्ट्रपति को प्रतिवेदन देगा, जिसमें उसके द्वारा पाए गए तथ्य उपवर्णित किए जाएंगे और जिसमें ऐसी सिफारिशें की जाएंगी जिन्हें आयोग उचित समझे।

कहने का अर्थ है कि ऐसे आयोग को जो भी विषय सौंपे जाएंगे उन विषयों का वह अन्वेषण करेगा और राष्ट्रपति को रिपोर्ट सौंपेगा, उस रिपोर्ट में वह ऐसी सिफ़ारिशें करेगा जो वह उचित समझेगा।

संविधान के इसी अनुच्छेद 340 का प्रयोग करते हुए सरकार ने साल 1953 में प्रथम पिछड़ा वर्ग आयोग (First Backward Classes Commission) का गठन किया जिसकी अध्यक्षता काका कालेलकर को दी गई।

काका कालेलकर ने साल 1955 में अपनी रिपोर्ट सौंपी और इस रिपोर्ट के माध्यम से कुछ महत्वपूर्ण बातों को उन्होने सामने रखा; जो कि कुछ इस प्रकार है;

पहली बात इन्होने बताई कि देश का 32% जनसंख्या जाति के आधार पर पिछड़ा हुआ है; और,

दूसरी बात इन्होने बताई कि देशभर में ऐसी 2399 जातियाँ है जो कि पिछड़ा हुआ है।

हालांकि इस रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया गया और इसके पीछे की वजह के रूप में कहा गया कि पिछड़ेपन की गणना जाति (Caste) के आधार पर करने के बजाय सिद्धांतों (Principles) के आधार पर होना चाहिए था।

अनुच्छेद 340 के खंड (3) के तहत कहा गया है कि राष्ट्रपति, इस प्रकार दिए गए प्रतिवेदन की एक प्रति, उस पर की गई कार्रवाई को स्पष्ट करने वाले ज्ञापन सहित, संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 340 राष्ट्रपति को भारत के क्षेत्र के भीतर सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की स्थितियों की जांच के लिए एक आयोग नियुक्त करने का अधिकार देता है।

इस प्रावधान का उद्देश्य:

  • भारत के भीतर विभिन्न वर्गों के सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन की पहचान करना और उसकी जांच करना।
  • इन वर्गों को अपने पिछड़ेपन के कारण जिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, उन्हें समझना।
  • इन कठिनाइयों को दूर करने और उनकी स्थितियों में सुधार करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों की सिफारिश करना।
  • इस उद्देश्य के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा प्रदान किए जाने वाले अनुदान का सुझाव दें, साथ ही अनुदान से जुड़ी शर्तों का भी सुझाव दें।

आयोग की संरचना:

  • राष्ट्रपति आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करता है।
  • सदस्यों को उनकी विशेषज्ञता और कार्य के लिए उपयुक्तता के आधार पर चुना जाता है।

प्रक्रिया:

  • राष्ट्रपति अपनी जांच में आयोग द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को परिभाषित करते हैं।
  • आयोग अपनी जांच पूरी करने के बाद राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंपता है।
  • राष्ट्रपति रिपोर्ट को संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखते हैं।

महत्व:

  • सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की जरूरतों को पहचानने और संबोधित करने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है।
  • उनके सामाजिक और शैक्षणिक उत्थान के लिए नीतियां और कार्यक्रम बनाने में मदद करता है।
  • सभी के लिए समानता और सामाजिक न्याय के लक्ष्य को प्राप्त करने में योगदान देता है।

आलोचनाएँ:

  • “पिछड़े वर्ग” की परिभाषा अस्पष्ट और बहस का विषय बनी हुई है।
  • आयोग की सिफारिशों का कार्यान्वयन धीमा और असंगत रहा है।
  • आलोचकों का तर्क है कि व्यक्तिगत योग्यता पर विचार किए बिना केवल सामाजिक पृष्ठभूमि के आधार पर आरक्षण पर ध्यान केंद्रित करना सबसे प्रभावी समाधान नहीं हो सकता है।

ऐतिहासिक उदाहरण:

  • काका कालेलकर आयोग (1953)
  • मंडल आयोग (1979)

संविधान के इसी अनुच्छेद 340 का प्रयोग करते हुए सरकार ने साल 1953 में प्रथम पिछड़ा वर्ग आयोग (First Backward Classes Commission) का गठन किया जिसकी अध्यक्षता काका कालेलकर को दी गई।

काका कालेलकर ने साल 1955 में अपनी रिपोर्ट सौंपी और इस रिपोर्ट के माध्यम से कुछ महत्वपूर्ण बातों को उन्होने सामने रखा; जो कि कुछ इस प्रकार है;

पहली बात इन्होने बताई कि देश का 32% जनसंख्या जाति के आधार पर पिछड़ा हुआ है; और,

दूसरी बात इन्होने बताई कि देशभर में ऐसी 2399 जातियाँ है जो कि पिछड़ा हुआ है।

🔹 मोरारजी देशाई की जनता पार्टी की सरकार ने 1979 में द्वितीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन बी. पी. मण्डल की अध्यक्षता में की।

इस आयोग का मकसद था पिछड़े वर्ग के लोगों की सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति का पता लगाना और इसके लिए क्या किया जा सकता है इसका सुझाव सरकार को देना। आयोग ने 1980 में अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी जिसकी मुख्य बातें कुछ इस प्रकार थी;

▪ आयोग ने 3743 पिछड़ी जातियों (Backward castes) की पहचान की जो कि देश की आबादी का लगभग 52 प्रतिशत था।

▪ इन पिछड़े जातियों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की सिफ़ारिश की।

वर्तमान प्रासंगिकता:

  • अनुच्छेद 340 भारत में सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन बना हुआ है।
  • आरक्षण नीतियों के बारे में चल रही बहस एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है जो सामाजिक पिछड़ेपन और व्यक्तिगत योग्यता दोनों पर विचार करती है।

तो यही है अनुच्छेद 340, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

◾ आरक्षण का विकास क्रम (Evolution of Reservation)
Must Read

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Related MCQs with Explanation

Question 1: Article 340 of the Indian Constitution deals with:

(a) The appointment of a Commission to investigate the conditions of backward classes
(b) The reservation of seats for Scheduled Castes and Scheduled Tribes in the House of the People (Lok Sabha)
(c) The power of the Union Government to levy surcharges on the taxes levied by the State Governments
(d) The superintendence, direction and control of elections to Parliament and to the Legislature of every State and of elections to the offices of President and Vice-President held under this Constitution

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Answer: (a) Explanation: Article 340 of the Indian Constitution empowers the President to appoint a Commission to investigate the conditions of socially and educationally backward classes within the territory of India.

Question 2: The Commission appointed under Article 340 is required to:

(a) Investigate the conditions of socially and educationally backward classes
(b) Make recommendations as to the steps that should be taken by the Union or any State to remove the difficulties and improve the condition of backward classes
(c) Define the procedure to be followed by the Commission
(d) All of the above

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Answer: (d) Explanation: The Commission appointed under Article 340 is required to investigate the conditions of socially and educationally backward classes, make recommendations to remove their difficulties and improve their conditions, and define the procedure to be followed by the Commission.

Question 3: Article 340 is an important provision of the Indian Constitution because it:

(a) Recognizes the existence of social and educational backwardness in India
(b) Provides a mechanism for identifying and addressing the needs of backward classes
(c) Contributes to the goal of achieving social justice and equality
(d) All of the above

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Answer: (d) Explanation: Article 340 plays a crucial role in addressing the historical inequalities faced by backward classes and promoting their development and inclusion in Indian society.

Question 4: The first Commission appointed under Article 340 was known as:

(a) The Mandal Commission
(b) The Kalelkar Commission
(c) The Sachar Committee
(d) The Kamath Commission

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Answer: (b) Explanation: The Kalelkar Commission, also known as the Backward Classes Commission, was appointed in 1953 and submitted its report in 1955.

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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।