यह लेख अनुच्छेद 36 (Article 36) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें। इसकी व्याख्या इंग्लिश में भी उपलब्ध है, इसके लिए आप नीचे दिए गए लिंक का प्रयोग करें;
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📜 अनुच्छेद 36 (Article 36)
36. परिभाषा – इस भाग में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, “राज्य” की वही अर्थ है जो भाग 3 में है। |
36. Definition.— In this Part, unless the context otherwise requires, “the State” has the same meaning as in Part III. |
🔍 Article 36 Explanation in Hindi
राज्य के नीति निदेशक तत्व (Directive Principles of State Policy/DPSP) का शाब्दिक अर्थ है – राज्य के नीति को निर्देशित करने वाले तत्व।
जब संविधान बनाया गया था उस समय लोगों को लोकतांत्रिक राज्य में शासन करने का और देशहीत में कानून बनाने का कोई तजुर्बा नहीं था। खासकर के राज्यों के लिए जो कि एक लंबे औपनिवेशिक काल के बाद शासन संभालने वाले थे।
जैसा कि हम जानते है कि हमारे देश में राजनेताओं के लिए पढ़ा-लिखा होना कोई अनिवार्य नहीं है। ऐसे में मार्गदर्शक आवश्यक हो जाता है ताकि नीति निर्माताओं को हमेशा ज्ञात होता रहे कि किस तरफ जाना है।
◾ ऐसा नहीं था कि DPSP कोई नया विचार था बल्कि आयरलैंड में तो ये काम भी कर रहा था और हमने इसे वहीं से लिया।
◾ राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (DPSP) नागरिकों के कल्याण और विकास के लिए कानूनों और नीतियों को बनाने के लिए दिशानिर्देश हैं। ये भारतीय संविधान के भाग IV में शामिल हैं।
◾ ये सिद्धांत गैर-प्रवर्तनीय (non enforceable) हैं, जिसका अर्थ है कि ये अदालतों द्वारा लागू नहीं हैं, हालांकि इसे देश के शासन में मौलिक माना जाता है और कानून और नीतियां बनाते समय सरकार द्वारा ध्यान में रखा जाना चाहिए।
कुल मिलाकर नीति-निदेशक तत्व लोकतांत्रिक और संवैधानिक विकास के वे तत्व है जिसका उद्देश्य लोक-कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है।
संविधान के भाग 4 के अंतर्गत अनुच्छेद 36 से लेकर अनुच्छेद 51 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 36 को समझने वाले हैं;
| अनुच्छेद 36 – परिभाषा
अनुच्छेद 36 का टाइटल है परिभाषा, इसमें लिखा है कि यहाँ राज्य का मतलब वहीं है जो भाग 3 में अनुच्छेद 12 में है।
चूंकि इसका शीर्षक ही है राज्य के नीति निर्देशक तत्व यानि कि इसमें भी राज्य शब्द आता है, तो अनुच्छेद 36 में कहा गया है कि राज्य का मतलब यहाँ वहीं है जो मूल अधिकारों वाले भाग के अनुच्छेद 12 में वर्णित है।
मतलब कि यहाँ इसे ऐसे समझिए कि अनुच्छेद 12 = अनुच्छेद 36। अब अगर आपको ये नहीं पता कि अनुच्छेद 12 में राज्य का मतलब क्या है, तो आप दिए गए लेख को पढ़ लें – अनुच्छेद 12 [व्याख्या सहित]
यहाँ समझने के लिए ध्यान रखें कि निम्नलिखित चीज़ें राज्य के तहत आती है;
| अनुच्छेद 12 के अनुसार, राज्य क्या है?
▪️ संघ की कार्यपालिका और विधायी अंग यानी कि संसद, राज्य है।
▪️ राज्य सरकार की कार्यपालिका और उसका विधायी अंग यानी कि राज्य विधानमंडल, राज्य है।
▪️ भारत सरकार या राज्य सरकार का कोई विभाग या उसका कोई अंग, राज्य है।
▪️ सभी स्थानीय निकाय जैसे की नगरपालिका, पंचायत, जिला बोर्ड आदि, राज्य हैं।
▪️ प्रत्येक लोक प्राधिकारी जिसका निर्माण किसी अधिनियम के तहत हुआ है और जो कानूनी शक्तियों का प्रयोग करता है वो राज्य है। भले ही वह सरकार के नियंत्रण में हो या न हो या फिर वो ऐसे क्रियाकलाप (Activity) में लगा हो जो कि व्यापार और वाणिज्य (Trade & Commerce) की प्रकृति का है।
जैसे कि उदाहरण के लिए, सड़क परिवहन निगम या जीवन बीमा निगम या राष्ट्रीयकृत बैंक को लिया जा सकता है। ये सभी राज्य है।
▪️ सरकार का कोई उपकरण या अधिकरण (Tribunal) भी राज्य है। भले ही वो प्राइवेट निकाय हो या फिर सोसाइटी अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड सोसाइटी हो। जैसे कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और सैनिक स्कूल सोसाइटी सभी राज्य है।
तो कुल मिलाकर यही है अनुच्छेद 36 (Article 36), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
परिभाषा – इस भाग में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, “राज्य” की वही अर्थ है जो भाग 3 में है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |