यह लेख अनुच्छेद 39क (Article 39A) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें। इसकी व्याख्या इंग्लिश में भी उपलब्ध है, इसके लिए आप नीचे दिए गए लिंक का प्रयोग करें;

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Article 39A

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📜 अनुच्छेद 39क (Article 39A)

1[39क. समान न्याय और निःशुल्क विधिक सहायता — राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि विधिक तंत्र इस प्रकार काम करे कि समान अवसर के आधार पर न्याय सुलभ हो और वह, विशिष्टतया, यह सुनिश्चित करने के लिए कि आर्थिक या किसी अन्य निर्योग्यता के कारण कोई नागरिक न्याय प्राप्त करने के अवसर से वंचित न रह जाए, उपयुक्त विधान या स्कीम द्वारा या किसी अन्य रीति से निःशुल्क विधिक सहायता की व्यवस्था करेगा।]
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1. संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 8 द्वारा (3-1-1977 से) अंतःस्थापित।
अनुच्छेद 39क—-
1[39A. Equal justice and free legal aid.—The State shall secure that the operation of the legal system promotes justice, on a basis of equal opportunity, and shall, in particular, provide free legal aid, by suitable legislation or schemes or in any other way, to ensure that opportunities for securing justice are not denied to any citizen by reason of economic or other disabilities.]
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1. . Ins. by s. 8, ibid. (w.e.f. 3-1-1977).
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🔍 Article 39A Explanation in Hindi

राज्य के नीति निदेशक तत्व (Directive Principles of State Policy/DPSP) का शाब्दिक अर्थ है – राज्य के नीति को निर्देशित करने वाले तत्व।

जब संविधान बनाया गया था उस समय लोगों को लोकतांत्रिक राज्य में शासन करने का और देशहीत में कानून बनाने का कोई तजुर्बा नहीं था। खासकर के राज्यों के लिए जो कि एक लंबे औपनिवेशिक काल के बाद शासन संभालने वाले थे।

जैसा कि हम जानते है कि हमारे देश में राजनेताओं के लिए पढ़ा-लिखा होना कोई अनिवार्य नहीं है। ऐसे में मार्गदर्शक आवश्यक हो जाता है ताकि नीति निर्माताओं को हमेशा ज्ञात होता रहे कि किस तरफ जाना है।

◾ ऐसा नहीं था कि DPSP कोई नया विचार था बल्कि आयरलैंड में तो ये काम भी कर रहा था और हमने इसे वहीं से लिया।

◾ राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (DPSP) नागरिकों के कल्याण और विकास के लिए कानूनों और नीतियों को बनाने के लिए दिशानिर्देश हैं। ये भारतीय संविधान के भाग IV में शामिल हैं।

◾ ये सिद्धांत गैर-प्रवर्तनीय (non enforceable) हैं, जिसका अर्थ है कि ये अदालतों द्वारा लागू नहीं हैं, हालांकि इसे देश के शासन में मौलिक माना जाता है और कानून और नीतियां बनाते समय सरकार द्वारा ध्यान में रखा जाना चाहिए।

कुल मिलाकर नीति-निदेशक तत्व लोकतांत्रिक और संवैधानिक विकास के वे तत्व है जिसका उद्देश्य लोक-कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है।

DPSP का वर्गीकरण — नीचे आप निदेशक तत्वों का वर्गीकरण देख सकते हैं। इससे आपको यह समझने में आसानी होगी कि जो अनुच्छेद आप पढ़ रहें है वे किसलिए DPSP में शामिल की गई है और किन उद्देश्यों को लक्षित करने के लिए की गई है।

सिद्धांत
(Principles)
संबंधित अनुच्छेद
(Related Articles)
समाजवादी
(Socialistic)
⚫ अनुच्छेद 38
⚫ अनुच्छेद 39
⚫ अनुच्छेद 39क
⚫ अनुच्छेद 41
⚫ अनुच्छेद 42
⚫ अनुच्छेद 43
⚫ अनुच्छेद 43 क
⚫ अनुच्छेद 47
गांधीवादी
(Gandhian)
⚫ अनुच्छेद 40
⚫ अनुच्छेद 43
⚫ अनुच्छेद 43ख
⚫ अनुच्छेद 46
⚫ अनुच्छेद 48
उदार बौद्धिक
(Liberal intellectual)
⚫ अनुच्छेद 44
⚫ अनुच्छेद 45
⚫ अनुच्छेद 48
⚫ अनुच्छेद 48A
⚫ अनुच्छेद 49
⚫ अनुच्छेद 50
⚫ अनुच्छेद 51
Article 39A

इसके अलावा निदेशक तत्वों को निम्नलिखित समूहों में भी बांट कर देखा जा सकता है;

कल्याणकारी राज्य (Welfare State) — इस समूह के नीति निदेशक तत्वों में अनुच्छेद 38 (1 एवं 2), अनुच्छेद 39 (ख एवं ग), अनुच्छेद 39क, अनुच्छेद 41, अनुच्छेद 42, अनुच्छेद 43, अनुच्छेद 43क एवं अनुच्छेद 47 को रखा जाता है।

प्रतिष्ठा एवं अवसर की समानता (Equality of Dignity & Opportunity) — इस समूह के नीति निदेशक तत्वों में अनुच्छेद 40, 41, 44, 45, 46, 47 48 एवं 50 को रखा जाता है।

व्यक्ति के अधिकार (individual’s rights) — इस समूह के नीति निदेशक तत्वों में अनुच्छेद 39क, 41, 42, 43 45 एवं 47 को रखा जाता है।

संविधान के भाग 4 के अंतर्गत अनुच्छेद 36 से लेकर अनुच्छेद 51 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 39क को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-34 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-35 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 39क – समान न्याय और निःशुल्क विधिक सहायता

यह निदेश संविधान (42वां संशोधन) अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़ा गया है। यानी कि यह प्रावधान मूल संविधान का हिस्सा नहीं था। पर इसे जोड़ने की जरूरत क्यों थी?

दरअसल भारतीय संविधान की प्रस्तावना सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय सुनिश्चित करने का वचन देता है। इसके अलावा संविधान के अनुच्छेद 14 और 22 (1) भी राज्य के लिए कानून के समक्ष समानता सुनिश्चित करना अनिवार्य बनाता है।

इसीलिए साल 1976 में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम की मदद से राज्य के नीति निदेशक तत्व वाले भाग में अनुच्छेद 39A अंतःस्थापित किया गया और उसमें लिखवा दिया गया कि समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता देना राज्यों एक दायित्व है।

इन सभी को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से साल 1987 में, संसद द्वारा कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम (Legal Services Authority Act) बनाया गया, जो 9 नवंबर, 1995 को लागू हुआ, इसे समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त और सक्षम कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी समान नेटवर्क स्थापित करने के लिए लागू किया गया।

इसी उपरोक्त अधिनियम के तहत राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority) का गठन किया गया। जिसे कि हम नालसा (NALSA) के नाम से भी जानते हैं;

नालसा का उद्देश्य है, कानूनी साक्षरता और जागरूकता प्रदान करके समाज के हाशिए पर मौजूद लोगों को और बहिष्कृत समूहों को कानूनी रूप से सशक्त बनाना ताकि उपलब्ध लाभों और हकदार लाभार्थियों के बीच अंतर को कम किया जा सके।

इस विषय पर अलग से एक लेख उपलब्ध है जिसमें हमने समझा है कि मुफ़्त कानूनी सहायता कैसे मिलती है और किसको मिलती है आदि।

नालसा को विस्तार से समझेंराष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण : NALSA

यहाँ यह याद रखिए कि अनुच्छेद 39क का उपयोग अनुच्छेद 21 के व्याख्या (Interpretation) के लिए किया जा सकता है।

उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति को हिरासत में रखा गया है और वह निर्धनता के कारण अधिवक्ता को हायर नहीं कर सकता है, ऐसी स्थितियों में उचित न्याय के उद्देश्य से उस व्यक्ति को एक अधिवक्ता उपलब्ध कारवाई जा सकती है।

यहाँ यह याद रखिए कि यदि अपराध जघन्य है और प्रतिवादी (Defendant) को दिया गया अधिवक्ता अनुभवहीन है तो यह अनुच्छेद 14, 19 और 21 का उल्लंघन होगा।

तो कुल मिलाकर यही है अनुच्छेद 39क, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

अनुच्छेद-31(ख) – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-31(क) – भारतीय संविधान
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अनुच्छेद 39
अनुच्छेद 40
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भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।